Sunday, August 26, 2018

कैथा पंचायती पुलिया निर्माण में भष्ट्राचार - लाख की पुलिया निर्माण में सरपंच सचिव सब खा गया (मामला ज़िला रीवा अन्तर्गत गंगेव जनपद का जिंसमे कैथा पंचायत सरपंच संत कुमार ने लाखों की पुलिया निर्माण में किया भष्ट्रचार, कंक्रीट के स्थान पर पंचायत भवन के पत्थर और डस्ट से बन रही बृजबल्लभ पटेल के घर के पास की पुलिया, पाइप भी पुरानी डाली)

दिनांक 27 अगस्त 2018, स्थान - गंगेव/गढ़ रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

  गंगेव जनपद में भष्ट्राचार अपने चरम पर चल रहा है. गंगेव जनपद पंचायत अन्तर्गत आने वाली लगभग ज्यादातर पंचायतों में शेयर का खेल चल रहा है. जनपद सीईओ एवं राजेश सोनी नामक बाबू के करामात निरंतर जारी हैं. चाहे कोई भी सीईओ आये गंगेव जनपद में मात्र राजेश सोनी की चल रही है. सोनी बाबू ने पूरी जनपद की ऐसी तैसी करके रखी हुई है जिस पर कलेक्टर कमिश्नर तक की कार्यवाही की हिम्मत नही. अभी पिछले कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजनान्तर्गत गरीब परिवारों की शादियाँ करवाई गई थी जिंसमे जमकर फर्ज़ीवाड़ा हुआ था जिसकी खबर प्रदेश के काफी समाचार पत्रों में छपी थी. ऐसे फ़र्ज़ी जोड़ों की शादियाँ हुईं जिनके कई बच्चे भी थे.

   कैथा पंचायत में सभी पुलिया निर्माण में हुई लीपापोती

   जनपदों के लगभग सभी पंचायतों में पञ्च परमेश्वर योजनान्तर्गत पुलिया एवं नाली साथ ही पीसीसी सड़क निर्माण का कार्य करवाया जा रहा है. इस बीच कैथा पंचायत में भी कई पुलिया निर्माण एवं पीसीसी निर्माण का कार्य किया जा रहा है.

    कैथा पंचायत की पुलिया निर्माण में कंक्रीट के स्थान पर पत्थर और डस्ट का प्रयोग हो रहा है. जबकि देखा जाए तो पुलिया निर्माण के लिए 89 हज़ार रुपये के बिल में अच्छी गुणवत्ता के बालू, गिट्टी एवं 55 बोरी सीमेंट की बात आई है. संलग्न रसीद से साफ स्पष्ट है जिस 89 हज़ार रुपये का फ़र्ज़ी बिल बाउचर बनाया हुआ बताया गया है उसमे किसी भी सामग्री का प्रयोग वास्तविक धरातल पर पुलिया निर्माण में नही हो रहा है.

बृजबल्लभ पटेल के घर के पास पुलिया निर्माण में भष्ट्राचार

  बृजबल्लभ पटेल के घर के पास नामक पुलिया निर्माण की राशि एक लाख रुपये सैंक्शन हुई बतायी गई थी जिंसमे किसी राजवीर ट्रेडर्स के द्वारा 89 हज़ार रुपये सामग्री का बिल बाउचर दिनाँक 04/05/2018 को पास किया गया है. पुलिया निर्माण के लिए राशि पंचायतीराज संचालनालय द्वारा पंच परमेश्वर योजनान्तर्गत दिनांक 02/10/2016 को सैंक्शन हुई. 

   राजवीर ट्रेडर्स द्वारा जारी किये गए बिल बाउचर में इस पुलिया निर्माण हेतु एक हाइवा बालू 24 हज़ार 500 रुपये के हिसाब से, 310 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से 55 बोरी सीमेंट कुल 17 हज़ार पचास रुपये, दो हाइवा 20 एमएम गिट्टी लागत 39 हज़ार रुपये, एवं ह्यूम पाइप 3 नग लागत 9 हज़ार रुपये की बतायी गई है. इस प्रकार कुल मटेरियल की कीमत 89 हज़ार रुपये बताया गया है जिंसमे यदि वास्तविक धरातल पर देखा जाए तो 8 से 10 बोरी तक घटिया क्वालिटी की राखड़ मिली सीमेंट, पुरानी कैथा पंचायत से निकाले हुए पत्थर, और थर्ड ग्रेड की डस्ट मिलाकर मात्र 10 से 15 हज़ार रुपये के खर्च में पुल बनाई जा रही है जिसकी की फ़ोटो भी संलग्न है. इस पुलिया निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी ही नही हो रही बल्कि सीधे सीधे आंखों में धूल झोंक दिया जा रहा है जिसमे सरकार प्रशासन अंधा हो चुका है. या यूं कहें की सीईओ, इंजीनियर और अन्य अधिकारियों को इतना माल मिल चुका है की सुपरवाईज़िंग  एजेंसी अपने आप आंख बन्द कर ली है.

जनपद और ज़िला स्तर से चलाया जा रहा भष्ट्राचार का धंधा

    जिन ग्राम पंचायतों में हो रहे कार्यों में अनियमितता और भष्ट्राचार की शिकायत जनपद और जिला स्तर पर की जा रही है आखिर उसमे कलेक्टर, कमिश्नर और सीईओ कार्यवाही क्यों नही कर रहे है. क्या वजह है? बात बहुत ही स्पष्ट है की चूंकि इसमे भष्ट्राचार की राशि उच्चस्तर तक जा रही है इसलिए पंचायती कार्यों में अनियमितता की शिकायत पर कोई भी उच्चाधिकारी कोई कार्यवाही नही करता. टीएस होने से लेकर कार्य तक सभी का शेयर फिक्स होने से शिकायतो पर मात्र लीपापोती की जाती है. यदि शिकायतें की जाती हैं तो मात्र उनमे फ़र्ज़ी पंचनामा और फ़र्ज़ी प्रतिवेदन बनाकर ऊपर प्रेषित कर दिया जाता है. इसी बात को पुख्ता करते हुए बता दें की सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा वर्ष 2016 के आसपास भोपाल मंत्रालय बल्लभ भवन से लेकर पीएमओ तक दर्जनों पुख्ता शिकायतें पूरे प्रूफ के साथ भेजी गईं थीं लेकिन जब दो साल बाद उनके निराकरण का प्रतिवेदन प्राप्त हुआ तो आश्चर्य हुआ क्योंकि पीएमओ में भेजी गई शिकायत के निराकरण में जिंसमे की उच्चधिकारियों और प्रतिस्पर्धी सक्षम टीम द्वारा जांच की माग की गई थी उसकी जांच प्रतिवेदन में जनपद स्तर के बाबू द्वारा उपलब्ध करवाये गए जांच प्रतिवेदन को ही आधार बनाकर सीईओ जनपद एवं ज़िला एवं कलेक्टर रीवा तक के हस्ताक्षर तो थे ही साथ ही प्रादेशिक स्तर पर बल्लभ भवन मंत्रालय के अधिकारियों के भी वही प्रतिवेदन थे. अर्थात मामला साफ स्पष्ट था की जिस जांच और हीलाहवाली से थककर आवेदक द्वारा मामला बल्लभ भवन मंत्रालय एवं पीएमओ को इस आशय के साथ भेजा गया था की इसमे कोई सार्थक कार्यवाही होगी और साथ ही जांच स्वतंत्र एवं निष्पक्ष एजेंसी द्वारा करवाई जाकर सही निराकरण होगा उसमे पीएमओ लेवल तक कहीं कुछ नही हुआ. 

   अब प्रश्न यह उठता है की कार्यपालिका में पीएमओ से बड़ा कौन सा विभाग हो सकता है. आवेदक शिकायतकर्ता जब ज़िला स्तर की हीलाहवाली से थकता है तो सीएमओ और पीएमओ को शिकायत भेजता है लेकिन वहां भी उसे गंभीरता से लेने की बजाय मात्र औपचारिकता पूर्वक निचले स्तर पर फॉरवर्ड कर दिया जाता है नतीज़ा वही मिलता है जो पहले मिल रहा था. जांच प्रतिवेदन मात्र बाबू लेवल के कर्मचारी का ही जाएगा जो पहले ही खा पीकर बैठा हुआ है. 

    भगवान मालिक है ऐसे सरकार प्रशासन का और ऐसे लोकतंन्त्र का.

संलग्न - रीवा ज़िले के गंगेेेे जनपद अन्तर्गत वघटितहै पंचायत केेई घााटीया तरीके से निर्माण की जा रही गुणवत्ताविहीन पुलिया की फ़ोटो साथ ही पञ्च परमेश्वर योजनान्तर्गत बनाई जा रही इस पुलिया के विषय में राजवीर ट्रेडर्स नामक दुकान से जारी किये गए फ़र्ज़ी बिल बाउचर की फ़ोटो भ संलग्न भी.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139

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