दिनांक 14 अगस्त 2018, स्थान - गंगेव/गढ़, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
फसल बीमा क्या होती है अऋणी किसानों को कोई इसकी जानकारी नही. स्थिति इतनी नाजुक है की 15 अगस्त की डेडलाइन आ गई लेकिन अब तक ज़िले के लाखों अऋणी किसानों की फसल बीमा नही हुई. सहकारी समितियों से पूंछो तो उनके पास फॉर्म नही और ग्राम सेवकों का कोई रता पता नही.
खरीफ 2018 की स्थिति अकाल जैसे
वास्तव में देखा जाए तो खरीफ 2018 की स्थिति विशेषकर रीवा ज़िले में अभी भी दुर्भाग्यपूर्ण बनी हुई है. यहाँ औसत से काफी कम वर्षा हुई है, और अब तक बोवनी भी अधिकतम मात्र 30 से 35 प्रतिशत तक हो पायी है. जहां तक सवाल लेव और रोपा का है वह न के बराबर है क्योंकि सिरमौर, मनगवां, त्योंथर आदि तहसीलों में वारिश की स्थिति ठीक नही है ऐसे में लेव रोपा कैसे लगेगी. कुछ हद तक झुरिया खेती हुई है जिसके लिए भी पानी की दरकार है. बारिश कम होने से झुरिया की खेती भी नष्ट होने के कगार पर है.
त्रुटिपूर्ण होने के वावजूद भी फसल बीमा से मिलेगी काफी राहत
अब जबकि सम्भाग में बारिश की स्थिति काफी नाजुक बनी हुई है ऐसे में ऋणी और अऋणी दोनो किसानों के लिए फसल बीमा से काफी राहत मिल सकती है. यद्यपि वर्तमान फसल बीमा त्रुटियों से परिपूर्ण है जिंसमे अच्छा खासा प्रीमियम जमा करने के बाद भी किसान के हाँथ कुछ विशेष नही लगने वाला परंतु फिर भी गई गुजरी स्थिति में भी किसान को उसकी बोवाई बीज और खाद का पैसा तो निकल ही आता है ऐसे में कहा जा सकता है की डूबते को तिनके का सहारा.
गंगेव ब्लॉक में कृषि विभाग सोया चिरनिद्रा
यदि लोकल लेवल की बात करें तो गंगेव कृषि विभाग में लगभग 40 आरएईओ होने के बाद भी ग्रामों की खबर लेने वाला कोई नही. कुछ ग्रामों के बीच किसान मित्र भी बनाये गए हैं लेकिन उनकी भी रुचि कोई विशेष नही है, मात्र मानदेय उठा रहे हैं.
गंगेव कृषक कल्याण एवं कृषि विभाग में पदस्थ एसएडीओ वीरेंद्र सिंह चौहान से बात की गई तो बताया की हमारे यहाँ आरएईओ कार्य नही करते तो हम क्या करें. चौहान ने बताया की मैं भी आरएईओ ही हूँ और एसएडीओ के प्रभार में हूँ इसलिए सभी आरएईओ हमारी बातें नही सुनते हैं. इससे साफ जाहिर है की वर्तमान प्रभारी एसएडीओ को हटाकर सक्षम फुल चार्ज वाला एसएडीओ आना चाहिए तभी कोई जिम्मेदारी तय हो सकती है
गंगेव कृषि विभाग अक्षम कर्मचारियों के हवाले
गंगेव कृषि विभाग अक्षम कर्मचारियों के हवाले है. पूरे ब्लॉक में कोई भी कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित नही रहता. मात्र गुरुवार को ही आरएईओ की बैठकें होती हैं जिंसमे मात्र कुछ ग्राम सेवक आते हैं. ऐसा लगता है की इन्हें मॉनिटर करने वाला कोई नही. ग्रामीण किसानों द्वारा जब भी कभी खाद बीज के लिए जाया जाता है तो उन्हें वह भी नही दिया जाता बल्कि उन्हें बोला जाता है की जाकर अपने अपने आरएईओ से मिलो. जबकि ग्राम सेवकों का कोई पता नही रहता. गंगेव कृषि विभाग में मात्र बसंत गौतम बैठते हैं साथ ही प्रिंस द्विवेदी नामक एक लड़का जो की चपरासी के पद पर है.
सूखा की स्थिति में अऋणी किसानों का क्या होगा
अब प्रश्न यह है की इस वर्ष खरीफ 2018 में सूखा लगभग तय है और ऐसे में उन किसानों का क्या होगा जिनका फसल बीमा ही नही हो पाया है. जिन किसानों ने किसी प्रकार से सहकारी समितियों और बैंकों से कर्ज़ अथवा खाद बीज लिया है उनके लिए तो बीमा मानो हो गई लेकिन जिन्होंने किसी प्रकार से कोई कर्ज़ नही लिया अब उनका क्या होगा? ऐसे किसानों का फसल बीमा कैसे होगा क्योंकि 15 अगस्त की बतायी गई डेडलाइन भी बीत चुकी है.
इन किसानों ने जाहिर की नाराजगी
गंगेव कृषि विभाग अन्तर्गत आने वाले कैथा, हिनौती, कठमना, लोटनी, मदरी, बांस, इटहा, अकलसी, सोरहवा, मिसिरा, पडुआ, सेदहा, बड़ोखर, अमवा, अमिलिया, अगडाल, आदि ग्रामों के सैकड़ों अऋणी किसानों ने सहकारिता एवं कृषि विभाग के कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा किया है और बताया है की उन्हें न तो सहकारी समितियों के माध्यम से और न ही कृषि विभाग के माध्यम से ही फसल बीमा की कोई जानकारी मिली है. सत्यभान पटेल, रामखेलावन द्विवेदी, रामनरेश, जगदीश, संतोष, पिंटू, रामाधार, सिवाधार, गिरीश, सहित सैकड़ों किसानों ने बताया की हमे आजतक फसल बीमा की कोई जानकारी नही मिली है. यदि किसी कागज़ात में हस्ताक्षर करवाने पड़ते हैं तो हमे सीधा पिसान लेकर ग्राम सेवकों और पटवारियों को हूंढने पड़ते हैं. न तो ग्राम सेवक का कोई रता पता है और न ही पटवारी का.
संलग्न - संलग्न तस्वीर में हिनौती आरएईओ के उपस्थित ग्रामीण कृषकजन जिन्हें कभी भी कृषि फसल बीमा की कोई जानकारी ग्राम सेवकों अथवा पटवारियों द्वारा नही बतायी गई.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र मोबाइल 9589152587, 7869992139
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