दिनांक 11 अगस्त 2018, स्थान - लालगांव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा लालगांव में राशि आहरण का एक फर्जीवाड़ा सामने आया है जिंसमे हितग्राही के बैंक एकाउंट से किसी अन्य व्यक्ति ने अंगूठा/हस्ताक्षर करके पैसा निकाल लिया. अंगूठा/हस्ताक्षर भी हितग्राही के नाम का न होकर निकालने वाले व्यक्ति के नाम का है ऐसा पीड़ित का आरोप है.
मनफेर कोल के खाते से फ़र्ज़ी तरीके से निकाली गई राशि
ज़िले के थाना गढ़ अन्तर्गत ग्राम पंचायत सरई कला के ग्राम सरई उन्मूलन के पुस्तैनी निवासी मनफेर कोल पिता छोटा कोल उम्र लगभग 42 वर्ष ने बताया की उसने केंद्रीय ज़िला सहकारी बैंक शाखा लालगांव में अपना बैंक एकाउंट नंबर 184000188395 खोलवाया था जिंसमे उसके तेंदूपत्ता की बोनस राशि वर्ष 2016-17 की आई थी जो उसके खाते में पड़ी थी. उसने फड़ मुंसी से पूंछतांछ किया तो पता चला की जाकर अपना बैंक खाता देखो. जब पीड़ित मनफेर कोल सहकारी बैंक लालगांव गया तो पता चला की उसकी राशि 3 हज़ार 700 रुपये पहले ही निकाल लिए गए हैं. जब उसने बैंक कर्मियों से जानकारी चाही तो उसे जानकारी देने से मना कर दिया गया. बैंक मैनेजर साकेत से भी जानकारी चाही गई तो उसने भी जानकारी देने से मना कर दिया. तब जाकर पीड़ित ने वहां पर हंगामा करना शुरू किया तो कंप्यूटर ऑपरेटर शुक्ला द्वारा बड़े मुश्किल से जानकारी दी गई जिंसमे राशि रुपये 3 हज़ार 700 रुपये का भरा हुआ बाउचर दिखाया गया जो किसी रामनिवास तिवारी के समक्ष निकाला हुआ और साइन किया हुआ था. सबसे बड़े ताज्जुब की बात तो यह थी की रामनिवास तिवारी द्वारा यह राशि मनफेर कोल के फ़र्ज़ी अंगूठे लगाकर और स्वयं ही पहचानकर्ता के रूप में उपस्थित होकर निकाली गई है, ऐसा आरोप मनफेर कोल द्वारा लगाया गया है. यदि वास्तव में ऐसा है तो यह कैसे संभव हुआ? क्योंकि जब भी कभी पैसे की निकासी की गई होती है तो अंगूठे निसानी लगाने वाले व्यक्ति के समक्ष एक पहचानकर्ता की जरूरत होती है. और यहां पर जब मनफेर कोल ने पैसा निकालने वास्ते बाउचर ही नही भरा तो रामनिवास तिवारी ने किसके अंगूठे लगवाकर बैंक कर्मचारियों के समक्ष ऐसा फर्जीवाड़ा किया है? निश्चित रूप से जिस प्रकार का मामला सामने आया है और जैसे आरोप पीड़ित मनफेर कोल ने लगाए हैं इसकी सख्त जांच कर दोषियों के ऊपर कार्यवाही की जानी चाहिए. वैसे सहकारी बैंकों में फर्ज़ीवाड़े कोई नई बात नही हैं. यहां तो लगभग रोज ही कुछ न कुछ मामले सामने आते रहते हैं. शायद डभौरा सहकारी बैंक घोटाला अभी ज्यादा पुराना नही हुआ है जिमसें करोड़ों के राशि की हेराफेरी की गई है. डभौरा केस में अब तक इतनी जांचे हुई हैं लेकिन सीआईडी तक इस मामले में सच्चाई उगलवाने में नाकाम रही है.
संलग्न - मनफेर कोल की अपने बैंक खाते की जानकारी के साथ फ़ोटो. फ़र्ज़ी तरीके से बताए गए निकासी के बाउचर की फ़ोटो एवं अन्य दस्तावेज संलग्न.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
रीवा मप्र, मोब 9589152587, 7869992139,
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