दिनांक 02 अगस्त 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले के गंगेव जनपद अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में भष्ट्राचार का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा है. शिकायतों के बाबजूद भी विभागीय मिलीभगत के चलते लीपापोती की जा रही है. ऐसे में स्पष्ट हो चुका है की पीड़ितों और जनहित में कार्य करने वालों के लिए न्यायालय से ही रिलीफ मिल सकती है जहां पर पीआईएल डालकर कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की जाए. आज वर्तमान भारतीय प्रशासनिक परिदृश्य में कार्यपालिका पूरी तरह से फैल नज़र आ रही है और इस पर भरोषा किये बैठे व्यक्ति को अंत में मयूषी ही हाथ लगने वाली है.
सरपंच ने कैथा प्राथमिक शाला का शौचालय जेसीबी लगाकर गिराया
पिछले कई वर्षों से कैथा पंचायत के पंचायत भवन को विभाग द्वारा छतिग्रस्त बताया जा रहा था. वास्तव में पंचायत भवन इतना क्षतिग्रस्त तो नही था परंतु रखरखाव के अभाव में कमज़ोर अवश्य हो गया था जिससे इसका बहाना बनाकर पंचायत भवन कैथा पंचायत को ग्राम इटहा के पुराने स्कूल परिसर में लगाया जाता रहा है. वैसे साल भर में मात्र एक या दो बार ही बमुश्किल पंचायत भवन खोला गया होगा क्योंकि यहां ग्रामसभा मात्र कागजों पर ही चली हैं.
वहरहाल इस पंचायत भवन के पुनर्निर्माण को लेकर पंचायतराज संचालनालय से लगभग 15 लाख रुपये स्वीकृत हुए हैं जिसको तोड़कर बनाया जाना है.
इसी पंचायत भवन से सटा हुआ कैथा प्राथमिक स्कूल का पुराना शौचालय बना हुआ था जिसे सरपंच संत कुमार पटेल ने जेसीबी लगवाकर तुड़वा दिया है और आज 3 महीने होने को हैं स्कूल के बच्चे शौचालय विहीन हो चुके हैं और कास्तकारों के खेतों में जाते हैं जिससे वहां से इनाम के रूप में उन्हें गाली मिल रही है.
ऐसे में जब स्कूल प्रशासन से जानने का प्रयास किया गया तो वहां उपस्थित शिक्षक कन्हैयालाल केवट, मुमताज़ मोहम्मद एवं अन्य द्वारा जानकारी दी गई की हमने टॉयलेट तोड़ने के लिए मना किया था लेकिन सरपंच के जबरन शौचालय तोड़वा दिया और बोला की यहां पर शौचालय बनवा दिया जाएगा. लेकिन आज 3 माह से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है और न तो शौचालय ही बनाया गया है और न ही इसके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था ही की गई है.
कैथा गांव के उग्रभान पटेल पिता स्व. रामानंद पटेल एवं मुनेंद्र पटेल उर्फ कल्लू पटेल दवारा बताया गया की हमने इसका विरोध किया है क्योंकि हमारे बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं परंतु न तो स्कूल प्रशासन ने ही कोई कार्यवाही की है और न ही पंचायत विभाग ने. कल्लू पटेल ने तो यहां तक बताया की उसने शौचालय के मुद्दे को लेकर सीएम हेल्पलाइन में कंप्लेंट भी दर्ज की थी जिसकी जांच करने के लिए हिनौती उच्चतर माध्यमिक पाठशाला के सीएसी आये थे जिस पर लिखा पढ़ी करके ले गए हैं और मेरी इक्षा के विरुद्ध मुझसे भी सहमति पत्र लिखवा लिए हैं. सीएसी ने बताया है की यद्यपि प्रपोजल बनाकर आगे भेज दिया जा रहा है, अब आगे विभाग का काम है की शौचालय निर्माण होता है की नही.
इस प्रकार देखा जा सकता है कैथा स्कूल शौचालय विहीन है और जो भी शेष बचा हुआ था उसको वर्तमान सरपंच संत कुमार पटेल ने जेसीबी से गिरवा दिया है.
कैथा प्राथमिक शाला में पीने के स्वच्छ पानी का भी है भीषण संकट
बता दें शौचालय का न होना तो एक बात है ही, कैथा की शासकीय प्राथमिक पाठशाला में पीने के स्वच्छ पानी का भी भीषण संकट है. कई वर्षों पहले एक नलकूप करवाया गया था लेकिन इसका पानी पीने योग्य नही होने से बच्चे पहले भी इस पानी को नही पीते थे. अभी पिछले वर्ष तक इस पानी का प्रयोग स्वसहायता समूह के कार्यकर्ता मध्यान्ह भोजन बनाते समय साफ सफाई एवं बर्तन माजने में किया करते थे लेकिन स्कूल शिक्षकों और स्वसहायता समूह के कार्यकर्ताओं द्वारा जानकारी दी गई की पिछले वर्ष से यह नलकूप भी कार्य करना बन्द कर दिया है. और अब बर्तन धोने के लिए भी पानी नही मिल पा रहा है पीने की तो बात ही दूर की है.
वहरहाल स्कूल परिसर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित एक नलकूप लोहार बस्ती के पास लगाया हुआ है जहां से मध्यान्ह भोजन बनाने और पीने का काम चल रहा है.
स्कूल प्रशासन ने जानकारी दी है की इस बाबत कई बार संबंधित पीएचई एवं स्कूल शिक्षा विभाग सहित पंचायत विभाग को भी अवगत कराया जा चुका है. मुमताज़ मोहम्मद कैथा स्कूल हेड मास्टर द्वारा जानकारी दी गई है की हमने लिखित भी जनसंवाद शिविर सहित अन्य माध्यमो से आवेदन और जानकारी भेजी है लेकिन आज तक इस विषय में न तो पंचायत विभाग ने कोई एक्शन लिया है और न ही स्कूल शिक्षा विभाग अथवा पीएचई विभाग ने.
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखें -
1) बिना शौचालय और पानी का स्कूल परिसर,
2) स्कूल परिसर में उपस्थित पांचवीं तक के छोटे बच्चे.
3) खराब पड़ा एकमात्र नलकूप जिसका पानी ही पीने योग्य नही है.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587
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