दिनांक 06 अगस्त 2018, स्थान गढ़/गंगेव रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति गंभीर बनी हुई है. यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का मेंटेनेंस न हो पाने एवं मरम्मत के अभाव में भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं जिनमे मरीजों को रखना तक खतरे से खाली नही है. पूरा भवन बरसात के मौसम में रिसाव ले लेता है. जहां दवाएं रखी हुई हैं वहां पर नदियां जैसे बहती हैं.
अभी पिछले वर्षों इसी मामले को लेकर क्षेत्रीय अखबारों में अस्पताल की दुर्दशा के बारे में सामाजिक एवं ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा लिखा गया था और खबर निकली हुई थी जिंसमे दवा स्टोर रूम पूरी तरह से पानी से सराबोर था और दवाएं पानी में डूबी हुई थीं. तब उसी समय अस्पताल का मरम्मत कार्य प्रारम्भ हुआ था जिंसमे की किसी ठेकेदार द्वारा कार्य किया जा रहा था.
अधूरा छोंड़कर भाग गया ठेकेदार
गंगेव ब्लॉक मेडिकल अधिकारी श्री देवव्रत पांडेय से प्राप्त जानकारी से बताया गया की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मरम्मत कार्य को किसी हिनौती के ठेकेदार द्वारा किया जा रहा था जिसे अभी पिछले कई महीने पूर्व बीच में ही अधुरा छोड़ दिया गया है. इसके विषय में बीएमओ देवव्रत पांडेय द्वारा कई बार रिमाइंडर और नोटिस भी जारी की गई हैं लेकिन उनकी स्वयं की आवाज़ को नही सुना जा रहा है ऐसा उनका कहना है. देवव्रत पांडेय ने आगे बताया की पीडब्ल्यूडी में मनमानी चल रही है.
6 साल पहले सैंक्शन हुआ था 38 लाख रुपये
बीएमओ देवव्रत पांडेय ने जानकारी दी की 6 वर्ष पहले स्वास्थ्य विभाग के मद से कुल 38 लाख की राशि स्वीकृत हुई थी जिंसमे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव का सम्पूर्ण मरम्मत कार्य होना था लेकिन पहले तो टेंडर प्रक्रिया में ही बहुत देरी हुई जिससे पिछले वर्ष 2016-17 में स्वास्थ्य केंद्र के मरम्मत का कार्य प्रारम्भ किया गया. अब पता नही क्या हुआ की ठेकेदार बीच में ही कार्य छोड़कर चला गया और पीडब्ल्यूडी विभाग रिमाइंडर के वाबजूद भी कोई एक्शन नही ले रहा है.
ठेकेदार ने पूरा अस्पताल खोद दिया, बिना बिस्तर का हो गया अस्पताल
बीएमओ ने जानाकरी दी की बांकी जो भी टूटा फूटा फर्श बचा हुआ था ठेकेदारों ने उसे भी पूरी तरह से उखाड़ दिया है और अब तो मुख्य निकाशी वाले कक्ष में बिस्तर भी रखने योग्य नही बचा है. वहीं गैलरी पर पड़े कबाड़ में कुत्ते बिल्ली बैठे रहते हैं और वहीं पर हगते मूतते रहते हैं.
जनपद सदस्यों ने जाहिर की नाराजगी
वहीं पर उपस्थित गंगेव जनपद सदस्य मिथिलेश सिंह एवं विनोद विश्वकर्मा ने बताया की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति दयनीय बनी हुई है. सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र का भवन काफी जर्जर भी हो चुका है. जनपद सदस्यों ने बताया की इस बाबत उन्होंने भी मौखिक रूप से बात को संबंधितों के समक्ष रखी है लेकिन कोई सुनवाई नही हुई है. विनोद विश्वकर्मा ने बताया की यहां पर दीनदयाल योजनान्तर्गत बांटे जाने वाले कार्ड भी नही हैं जिससे गरीबों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. मिथिलेश सिंह ने बताया की हमारा कार्यालय यहीं पर नजदीक ही है अतः लगभग रोज ही आना जाना रहता है और हम देखते हैं की मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. यहां पर बिस्तर पर्याप्त न होने से मरीज जमीन पर ही पड़े रहते हैं. यहां ठेकेदारों की मनमानी और विभागीय उदासीनता के चलते वर्षों से मरम्मत कार्य बन्द पड़ा हुआ है. जनपद सदस्यों ने बताया की यद्यपि हम जनप्रतिनिधि हैं लेकिन हमारी भी कोई सुनवाई नही हो रही है.
तत्काल प्रभाव से पूरा होना चाहिए अस्पताल का मरम्मत कार्य
यदि सही मायनों में देखा जाए तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिस प्रकार जीर्णशीर्ण स्थिति में है और उसके मरम्मत कार्य में हीलाहवाली की जा रही है यह मरीजों के मूलभूत स्वास्थ्य के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है और इस विषय में अस्पताल प्रबंधन सहित पीडब्ल्यूडी एवं संबंधित ठेकेदार पर कंनूनी कार्यवाही की जानी चाहिए. आज वर्षों से अधूरे पड़े मरम्मत कार्य के कारण क्षेत्र के हज़ारों मरीजों के लिए मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं की समस्या पैदा हो गई है. इसी दयनीय स्थिति के चलते मरीज गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाना ही नही चाह रहे हैं. गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का अस्पताल प्रबंधन इतना खत्म हो चुका है की समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है. ज़िला कलेक्टर भी पूरी तरह से निष्क्रिय होने के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की पड़ताल करने वाला कोई नही है. वर्तमान समय से बेहतर स्थिति अभी कुछ वर्ष पहले थी जब जिले में कलेक्टर राहुल जैन हुआ करते थे जिनके खौफ से आज जैसे मनमानी नही चल पाती थी. इस समय ऐसा प्रतीत होता है जैसे रीवा ज़िला बिना किसी दमदार प्रसाशनिक आधिकारी के चल रहा है.
आखिर प्रश्न यह है की मॉनव की मूलभूत मानवाधिकारों में से एक अच्छे स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा सुरक्षा करने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या हर बात के लिए कंप्लेंट करना जरूरी होता है. आखिर ज़िला और प्रदेश शासन प्रशासन इस बात की निगरानी क्यों नही करवा सकता की स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, सड़क, पानी और बिजली जैसे मानवाधिकारों की सुरक्षा हो पा रही है की नही. यदि मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है तो शासन प्रशासन को स्वयं भी चाहिए की बिना किसी कंप्लेंट के ही स्वतः ही संज्ञान ले. लेकिन यहाँ तो सब उल्टा चल रहा है लगता है की स्वास्थ्य सुविधाओं की भी दलाली चल रही है और यहां भी लोगों के शेयर फिक्स हो चुके हैं जिससे आम आदमी मरे चाहे जिये इससे किसी को कोई लेना देना नही है. सबसे बड़ी बात तो यह है की इस विषय में ईमानदारी और जिम्मेदारी की अपेक्षा मात्र अस्पताल प्रबंधन से ही की जा सकती है क्योंकि मरम्मत कार्य करवाना अस्पताल की जिम्मेदारी है. जहां तक सवाल निर्माण एजेंसी और पीडब्ल्यूडी का है इनके कार्य में तो कोई जिम्मेदारी हो ही नही सकती क्योंकि पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग ने पूरे देश के लोक निर्माण कार्यों में कितना बड़ा भष्ट्राचार किया है यह आज किसी से भी छुपा नही है. पीडब्ल्यूडी ने पूरे देश को खोंखला कर दिया है, परंतु दुर्भाग्य है की न तो इस कार्य को मॉनिटर करने वाला स्वास्थ्य विभाग है, और न ही ज़िला कलेक्टर.
संलग्न - 1) संलग्न देखें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गंगेव की दुर्दशा जिंसमे आज 6 वर्षों के इसके मरम्मत कार्य और रखरखाव के लिए आई हुई राशि के वावजूद भी इसमे कुछ नही हो सका है. पूरा कार्य अधूरा पड़ा हुआ है साथ ही अस्पताल आम आदमी का न लगकर ऐसा लगता है की पशुओं का है.
2) बीएमओ देवव्रत पांडेय से बातचीत के अंश एवं साथ ही रीवा संभाग के पीडब्ल्यूडी चीफ इंजीनियर गरीब राव गुजरे से जानकारी के अंश मोबाइल रिकॉर्डिंग.
-------------------
शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139
No comments:
Post a Comment