Saturday, August 4, 2018

बिना पानी ही लग रहे रोपा, 75 प्रतिशत खेत बोवनी बिना (मामला ज़िले में खरीफ वर्ष की बोवनी का जहां इस वर्ष अकाल सी स्थिति बनी हुई है, बारिश बहुत कम और खेत पानी से खाली, मात्र मोटर पंप का सहारा लेकर हो रही बोवनी)

दिनांक 04 अगस्त 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी) 

    रीवा संभाग में वर्ष 2018 की खरीफ बोवनी में अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है और विशेषकर रीवा ज़िले में इस वर्ष औसत से बहुत कम बारिश होने से अब तक 25 प्रतिशत तक भी बोवनी नही हो पायी है.

    पूरे रीवा ज़िले में भ्रमण किया जाए तो सभी खेत बोवनी से खाली हैं. निचले बांधों को छोंड़कर किसी भी खेत में पानी देखने को नही मिल सकता. इसी से पता चल जाता है कहीं भी लेउ और रोपा योग्य पानी नही है. 

    जिन कास्तकारों के पास अपना स्वयं का मोटर पंप है वही थोड़ा बहुत बोवनी कर पा रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट नही है की यदि पानी नही गिरा तो यह खेती पकेगी कैसे? क्योंकि ऊपर से बारिश न होने से निरंतर खिसकते जलस्तर से बोरवेल भी बन्द हो जाएंगे और पीने के पानी तक का संकट उत्पन्न हो जाएगा.

  कैथा और आसपास के किसानों ने मात्र बोई झुरिया खेती

      कैथा, मिसिरा, सेदहा, बड़ोखर, सोरहवा, डाढ़, जमुई, हिनौती, लोटनी, चियार, मदरी, बांस, अमवा आदि नजदीकी ग्रामों में किसानों ने मात्र अब तक झुरिया ही फसल बोई है. वह भी मात्र एक चौथाई. अभी भी 75 प्रतिशत के अधिक खेत खाली हैं. जिन किसानों ने बेहन डाली हुई है उनकी बेहन भी खराब हो चुकी है. लगभग डेढ़ माह से आधिक समय के डाली हुई बेहन अब रोपा लगाने योग्य नही बची है क्योंकि नियमानुसार मात्र 20 से 25 दिवश के अंदर ही रोपा लगा दिया जाना चाहिए नही तो फसल का उत्पादन सही तरीके से नही हों पाता है. 

  कई दिनों से हो रही थी फब्बारे वाली बारिश

    वैसे देखा जाय तो रीवा ज़िले के काफी हिस्सों में पिछले एक सप्ताह से निरंतर फब्बारे वाली बारिश हो रही है. जिस प्रकार से किसी पिकनिक स्पॉट में जाएं तो वहां पर कृत्रिम फब्बारा लगाया हुआ होता है और न तो पानी में उससे बढ़ोत्तरी होती है और न ही कमी आती है. ठीक इसी प्रकार की बारिश पिछले एक सप्ताह से रीवा के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिली है जिसकी वजह से न तो किसान झुरिया ही बोवनी कर पाया और रोपा लेउ का तो प्रश्न ही नही उठता क्योंकि फब्बारे वाली बारिश जमीन तक पहुची ही नही.

 खरीफ 2018 घोषित हो सूखाग्रस्त 

     जिस प्रकार से प्रदेश के अधिकतर हिस्सों में अकाल जैसे संभावना बनी हुई है ऐसे में सरकार को चाहिए की गिरदावरी और सर्वे करवाकर तत्काल ऐसे सभी जिलों को सूखग्रस्त घोषित करे जिनमे 30 प्रतिशत के कम अब तक बोवनी हुई है. विशेषतौर पर रीवा संभाग में अब तक की स्थिति के स्पष्ट है की यह पूरी तरह से शूखे की जद में आ चुका है. अब यदि बारिश होती भी है तो जलस्तर बनाये रखने और इकोसिस्टम बरकरार रखने के अतिरिक्त बोवनी योग्य नही होगी क्योंकि अगस्त मध्य में कोई भी खरीफ धान की खेती प्रश्न के दायरे में ही रहने वाली है की उसमे कुछ उपज हो पाएगी की नही क्योंकि मध्य अगस्त में बोई जाने वाली धान की फसल को पर्याप्त पानी की चाहत के साथ साथ कीड़ों मकोड़ों से होने वाली बीमारी आदि के भी खतरा बना रहेगा. इस प्रकार बारिश की किसी अप्रत्याशित स्थिति में मध्य अगस्त तक बोवनी होती भी है तो आगे आने वाली रवी 2018-19 की खेती भी पिछड़ेगी जिससे किसान रवी की फसल में भी मार खा जाएंगे इससे बेहतर यही होगा की 15 अगस्त के बाद किसी भी प्रकार की खरीफ 2018 की बोवनी न ही की जाए तो ज्यादा बेहतर है.

संलग्न - रीवा ज़िले के मायूस किसान और साथ ही खरीफ वर्ष 2018 की कुछ रोपा लगी हुई खेती जिनमे पानी का नामोनिशान तक नही. साथ ही पोखर तालाबों का दृश्य जो पूरी तरह से खाली पड़े हुए हैं. आसपास दिख रहे हरे भरे खेत धान से नही लहलहा रहे बल्कि झरगा फसही और नया चारा घास है जो बोवनी न हो पाने की स्थिति में खेतों में उग आये हैं.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139

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