नमस्कार भारत !!!
रीवा पुलिस की स्थिति तो इसी से स्पष्ट हो जाती है की एक महिला के साथ ज्यादती का प्रयास किया गया और वह उससे व्यथित होकर कैथा के सरपंच संत कुमार पटेल और उसके साथियों की खिलाफ गढ़ थाने में प्रकरण दर्ज करवाने गयी वहां कोई सुनवाई नहीं हुई फिर SDOP मनगवां के पास गयी वहां से उसे भगा दिया गया. अंत में जिले के एसपी और आईजी के पास से लेकर कमिश्नर, और पता नहीं मुख्यमंत्री-प्रधानमन्त्री तक कहाँ-कहाँ गयी लेकिन तब तक उसकी रिपोर्ट और एफ आई आर औपचारिक रूप से दर्ज नहीं हुई जब तक कि वह पीड़ित महिला हाई कोर्ट जबलपुर नहीं पंहुंची. उच्च न्यायलय में दो साल बाद पंहुचने के बाद जब हाई कोर्ट ने एसपी और डीजीपी से लेकर सीएस, पीएस और मंत्रालय आदि को नोटिस जारी किया कि तत्काल कारण स्पष्ट करें तब जाकर गढ़ थाने में एफ आई आर क्र. 96/16 गढ़ पुलिस ने दर्ज किया. वह भी सही धाराएँ पुलिस ने नहीं लगाई और 354 के स्थान पर 354क लगा दिया. बड़ा दुर्भाग्य है यह भारत का. संविधान के नियम कुछ और हैं और उनका अनुप्रयोग वास्तविक धरातल पर कुछ और हो रहा है. शहर के लोगों के लिए अलग और ग्रामवाशियों के लिए अलग नियम कायदे. यह कहाँ का नियम कायदा है? भारी अंधेरगर्दी है.क्या हर एक सामान्य जीवन यापन करने वाला व्यक्ति, ग्राम के किसी कोने में रहने वाला व्यक्ति प्रताड़ित परेसान होने पर दो साल चार साल तक कार्यपालिका के चक्कर लगा पायेगा? क्या कार्यपालिका के न कार्यवाही करने पर पीड़ित व्यक्ति जबलपुर के हाई कोर्ट या नई दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट जा पायेगा? यह सब ज्वलंत प्रश्न हैं जो चीख चीख कर आज भारतीय शासन प्रशासन से जबाब माग रहे हैं. शासन प्रशासन को इनके जबाब ढूँढने ही पड़ेंगे नहीं तो सामाजिक समरसता का बिगड़ना तय है. यही सब बातें सामान्य जनता में शासन के प्रति असंतुष्टि और अवज्ञा लाती हैं. सवाल यह है की यद्यपि मन में भारी असंतोष और गुस्सा जनता में व्याप्त है, पर अब तक तक वह बाहर नहीं आ पाया है. इसके पहले की यह असंतोष और गुस्सा बाहर जन सैलाब बनकर फूट पड़े, एक अच्छे लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था के लिए यह उचित होगा की इसका समाधान पहले ही कर लिया जाये. गलतियाँ पकड़कर सुधारात्मक (और दोषियों के ऊपर दंडात्मक) कदम उठाये जाएँ और दिनों दिन बढ़ रहे भ्रष्ट्राचार और असमानता को नियंत्रित किया जाये.
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उस समय का गढ़ थाने के ASI पाण्डेय और दोनों सौ बोतल शराब ले जाते हीरो हौंडा बाइक के साथ पकडे गए अभियुक्त |
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उस विडियो का थंबनेल जिसमे सौ बोतल शराब ले जाने वालों को गढ़ थानेअंतर्गत कैथा के श्री हनुमान मंदिर के पास पकड़ा गया था |
रीवा पुलिस के हर वर्ष के काम काज का व्योरा -
चलिए रीवा पुलिस के कुछ कारनामों को आगे बढ़ाते हैं और बात करते हैं इनके कार्य प्रणाली के विषय में. इतना ही नहीं यह तो मात्र इंट्रोडक्शन/प्रस्तावना था और आगे देखिये की रीवा पुलिस ने पिछले पांच वर्ष में महिलायों, बच्चों के ऊपर हो रहे अन्याय, अत्याचार पर कितने प्रकरण दर्ज किये, कुल कितने मामले इनके पास आये? कितनों पर इन्होने एफ आई आर दर्ज की? कितनों पर जांच हुई और कितनो पर कार्यवाही ? यदि इन सबका डाटा निकाला जाए तो सबको जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए की भारतीय पुलिस व्यवस्था अंग्रेजों के समय से जैसी चल रही थी वैसी ही अभी भी है. भारतीय लोग हमारे देश के बबुसहों और पुलिस के लिए अभी भी कहीं दूसरे गृह से आये हुए जानवर जैसे हैं जिन पर पुलिस अपना रुतवा अंग्रेजों की तरह ही दिखाती है.आखिर 1851 का पुलिस अधिनियम जो है. यह 1851 का पुलिस अधिनियम अंग्रेजों द्वारा भारतीय जन आंदोलनों को कुचलने के लिए और भारतीयों पर राज़ करने के लिए बनाया गया था. यह सब बड़ा दुर्भाग्य का विषय है की उच्चतम न्यायलय कि कई अनुशंसा के वावजूद भी इस पुलिस अधिनियम में आज तक कोई सुधार नहीं हुआ है. वहरहाल पुलिस द्वारा इस प्रकार के पीड़ितों को और अधिक प्रताड़ित करने का सिलसिला बंद होना चाहिए. पुलिस नेतायों, पैसेवालों और रसूखदारों के कहने पर चलती है. किस पर प्रकरण दर्ज करना है और किस पर नहीं जब तक इसकी शिफारिश ऊपर से नहीं आती तब तक यहाँ की पुलिस अपनी अकल और नियम से काम नहीं करती.
रीवा के सरकारी रासन की दुकानों में पचासों हुई चोरियों का क्या हुआ? अपहरण मनगवां थाने के नाक के नीचे से कैसे हो गया? और गढ़ थाना क्षेत्र में मर्डर की घटनाओं में क्यों अब तक कोई सुराग नहीं मिला? -
पूरे रीवा जिले में पिछले कुछ महीनों में पचासों चोरियां तो मात्र सरकारी रासन की दुकानों में ही दर्ज करवाई गयीं पर पुलिस ने इन सब पर क्या किया? अभी हाल ही में जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक श्री एम एन एच खान द्वारा अवगत कराया गया की पिछले सप्ताह ही मऊगंज एसडीओपी अंतर्गत दो सरकारी राशन की दुकानों क्रमशः डगडउआ और बरहटा में तथा नईगढ़ी थाने अंतर्गत सरकारी राशन की दुकान तेंदुआ में पूरा राशन साफ़ कर दिया गया है. क्या कार्यवाही हुई यह अब तक स्पष्ट नहीं? क्या चोर पकड़ा गया? गढ़ थाने अंतर्गत भी अब तक तीन चोरियां सरकारी राशन की दुकानों क्रमशः बांस, पडुआ और कांकर में फ़रवरी और मार्च महीने वर्ष 2016 में दर्ज करवाई गयीं थी जिसकी की कई सी.एम हेल्पलाइन में शिकायतें भी दर्ज करवाई गंयीं. कोटे में चोरी की घटनाओं के विषय में सी.एम. हेल्पलाइन (181) में दर्ज शिकायतें क्र. 1796748, 1827465, 1845847, 1834909, 1841969, 1848992, 1852550, 1857295, 1863548 आदि हैं. यहाँ तक की गढ़ पुलिस अंतर्गत कांकर पंचायत की सरकारी राशन की दुकान या कोटे में चोरी का अभियुक्त/संदिग्ध जो वहां के कोटेदार द्वारा पकड़वाया गया था वह थाने से कैसे भाग गया? निश्चित रूप से ऐसा संदेह पैदा होना स्वाभाविक है की पुलिस ने ही ले दे कर भगवा दिया होगा. मनगवां अनुभाग के अंतर्गत जितने भी मर्डर और अगवा/अपहरण करने की घटनाएँ हुई हैं उस पर इस अनुभाग की पुलिस ने कितनों पर अब तक सफलता हासिल की? यह कैसे हुआ कि नेवरिया ग्राम के श्री रामविलाश त्रिपाठी के परिजन मनगवां पुलिस अनुभाग और मनगवां थाने की नाक के ठीक नीचे से रात में नौ बजे के पहले ही अगवा कर लिए गए? क्या पुलिस सो रही थी? निश्चित रूप से यदि मुस्तैद होती तो ऐसे आपराधिक तत्त्व वहां थाने के ठीक पास पर कैसे हो सकते थे जो किसी को भी अगवा कर लेते? पहरखा, बांस, और मदरी ग्राम जो की गढ़ थाने के अन्तरगत ही आते हैं यहाँ अभी भी तीन मर्डर मिस्ट्री बनी हुई हैं. इन सबमे क्या हुआ? गढ़ पुलिस ने कुछ में तो आत्महत्या घोषित कर दिया. शायद ज्यादा कागज़ी कार्यवाही से बचने के लिए यह एक अच्छा तरीका होता है की अमुक व्यक्ति ने सुसाइड कर लिया.
शराब गांजा के अवैध व्यापार में लगाम के विषय में रीवा पुलिस ने क्या किया?
शराब गांजा बेचने वालों को यदि पुलिस की सह नहीं मिल रही होती तो भला इतनी शिकायतों के वावजूद भी कैसे उन पर कार्यवाही नहीं होती? हमारे द्वारा इस सन्दर्भ में सी.एम हेल्पलाइन सहित राष्टीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में भी प्रकरण को रखा गया. इस सन्दर्भ में देखें सी.एम हेल्पलाइन की कुछ शिकायतें क्र. 897644, 899288, 902251, 1886253, 1969536 आदि. पुलिस की नाक के नीचे अवैध शराब गांजा का व्यापार दिन दहाड़े चलता रहता है. कई ऐसे प्रकरण आये हैं जिनमे पुलिस के कर्मचारी अधिकारी स्वयं भी शराब के नशे में ड्यूटी के दौरान पाए गए हैं. क्या ख़ाक यह पुलिस अपराध रुकवाएगी जब स्वयं भी अपराध में संलिप्त है. और तो और सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा कैथा के श्री हनुमान मंदिर के पास पुलिस की ही सह से सौ पाँव अर्थात दो पेटी देशी/विदेशी शराब ले जाते हुए दो तस्करों को पकड़वाया गया था. उस पर भी पुलिस जब समय पर नहीं पंहुची तब जाकर एसपी को कॉल करना पड़ा और तब उसने टी.आई आर एस ठाकुर को दौड़ाया. उस पर भी न ही तस्करों की बिना नंबर की बिके पर कार्यवाही हुई और न ही तस्करों को जेल जाना पड़ा. मनगवां, गढ़ और लालगांव के स्थानीय शराब ठेकेदारों की मदद से और पुलिस की सह पर यह सब चल रहा है.
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बिना नंबर की हीरो हौंडा बाइक और पास में रखी शराब की गठरी |
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रखी हुई शराब की गठरी और तमाशा देखने आये कैथा के ग्रामीण |
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बहादुर गुड्डन चौबे जिसने शराब तस्करों को हमे पकडवाने में मदद किया और पीछे दिख रहा दो में से एक शराब वाहक जिसे पकड़ा गया |
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एसपी रीवा जिंदल को काल करने पर गढ़ के पुलिस टी.आई और अन्य ए.एस.आई. सिपाही जो मौके पर पंहुचे - यहाँ पर लिखा पढ़ी करते हुए |
इन्ही कई प्रकरणों को सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा श्रीमान अध्यक्ष महोदय रास्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली एवं राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल के पास भी रखा गया था जिस पर क्या हुआ अथवा क्या हो रहा है कोई लिखित जानकारी नहीं आई. निश्चित तौर पर अंत में आम जनता के लिए मानवाधिकार आयोग ही एक ऐसी एजेंसी है जहाँ पर व्यक्ति के मूलभूत मानवाधिकार के उल्लंघन के विषय में कुछ हो सकता है पर यहाँ भी निष्क्रियता के हावी होने से कभी कभी बहुत इंतज़ार करना पड़ता है.
रीवा जिले में डायल 100 सेवा की स्थति दयनीय, कम से कम मनगवां अनुभाग में ज्यादातर कॉल/डायल खाली-
रीवा जिले की डायल 100 सेवा का भी थोडा जिक्र हो जाये. अभी अभी मध्य प्रदेश शासन ने एक बहुत ही अच्छी और सुगम पुलिस व्यवस्था प्रारंभ की जिसका नाम डायल 100 रखा गया. सी.एम हेल्पलाइन (डायल 181) और फायर ब्रिगेड (डायल 108) आदि की तर्ज़ पर यहाँ पर 100 नंबर पर कॉल करके इमरजेंसी में पुलिस को बुलाया जा सकता है ऐसा शासन का तर्क है. पर रीवा जिले में यह भी सेवा लगता है की लकवाग्रस्त हो गयी है. गढ़ थाने में कई बार हमने स्वयं भी इस व्यवस्था का उपयोग किया और वही सब डायल १०० के शिकायत क्र. भी नीचे प्रधानमंत्री जी को लिखे पत्र में दिए गए हैं (यहाँ भी देखें - P16153010818 दिनांक 01/06/2016, P16145006840 दिनक 24/05/2016, P16145002244 दिनांक 24/05/2016, P16131013957 दिनांक 10/05/2016, P16032754124 दिनांक 27/03/2016, P16032753889 दिनांक 27/03/2016, P16032542882 दिनांक 25/03/2016, और P16031687206 ). पर इन सभी डायल 100 के प्रकरणों पर क्या कुछ हुआ? कुछ विशेष नहीं. पुलिस 100 डायल करने के बाद देर-सबेर आती तो थी पर करती कुछ नहीं थी. जबकि कई ऐसे गंभीर मामले रहते थे जिनपर सीधे सीधे प्रकरण कायम किया जाना चाहिए था. पर पुलिस मात्र पिकनिक मनाने आती थी और जुगाढ़ करके पिकनिक मना कर चली जाती थी. बड़ा ही दुर्भाग्य है देश का की जब तक यह सब प्रशासनिक व्यवस्थाएं बिना किसी के कहे नहीं सुधरेंगी जब तक ये जनता की गाढ़ी कमाई खाने वाले कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी अपने आप नहीं समझते तब तक कहीं कुछ नहीं होगा चाहे जितना भी प्रयाश कर लिया जाए. हाँ यदि दंडात्मक कौर कड़े कदम उठाये गए तो बहुत कुछ हो सकता है. क्योंकि एक दो अफसर यदि ठीक रहेंगे भी तो जब पूरा सिस्टम ही भ्रष्ट और चरमराया है तो कहाँ कुछ होगा. यदि एक दो थानेदार या एस पी ठीक कार्य भी करते हैं तो रसूखदार और नेता लोग अपना रुतबा और अपने आदमी बताकर मामलों को रफा दफा करवा देते हैं ऐसे में किसके पास इतना समय और पैसा है की हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का चक्कर काटता फिरेगा की उसका प्रकरण दर्ज हो जाये और कार्यवाही हो. ऐसे में आम और गरीब जनता थक हार कर स्थितियों से समझौता कर लें दें कर शांत हो जाति है. यह सब इस देश की व्यवस्था को नष्ट कर रहा है. ऐसा लगता है की भ्रष्ट्राचार और पोलिटिकल/राजनीतिक हस्तक्षेप के तौर पर यह देश सौ दो सौ साल पीछे जा रहा है. इस सब में सुधार लाना होगा नहीं तो संभव है की जनता हताश होकर थक हार कर यदि कानून अपने हांथों में लेना प्रारंभ कर देगी तो इस लोकतंत्र की स्थिति और गंभीर हो जाएगी जैसा की कुछ क्रांतियाँ अभी हाल ही में पिछले एक दसक के अन्दर अफ्रीका और अरब देशों में हुई हैं. सरकारों और प्रशासकों को इसके विषय में अब बहुत गंभीरता से सोचना होगा.....
जय हिन्द जय भारत ------ शिवानन्द द्विवेदी (सामाजिक, मानवाधिकार, पर्यावरण, वैज्ञानिक, एवं आर टी आई कार्यकर्ता)
: | PMOPG/E/2016/0188875 | |
Name Of Complainant | : | Shivanand Dwivedi |
Date of Receipt | : | 02 Jun 2016 |
Received by | : | Prime Ministers Office |
Forwarded to | : | PS Home |
Officer name | : | US |
Officer Designation | : | US |
Contact Address | : | Vallabh Bhawan Mantralaya Bhopal |
Grievance Description | : | To, The Prime Minister of India, Govt of INDIA. New Delhi. INDIA. Subject – Regarding failure of Dial 100 Police service in Garh Police station. Dial100 complaints P16153010818, Dated 01/06/2016, P16145006840 dated 24/05/2016, P16145002244 dated 24/05/2016, P16131013957 dated 10/05/2016, P16032754124 dated 27/03/2016, P16032753889 dated 27/03/2016, P16032542882 dated 25/03/2016, and Dial 100 complaints no P16031687206 dated 16/03/2016, all went un-enquired by Garh police dial 100 service. Sir/Madam, I would like to bring your kind attention the malfunctioning of the Dial 100 service in GARH police station under Mangawan sub-division in Rewa MP. In the subject line above several cases of Dial 100 reported but Garh police did not act on the time and even did not take any actions at all in most of these Dial 100 complaints. In the subject line above is the details of all the dial 100 complaints with its number and dates. I would ask Govt of Madhya Pradesh state to review the Dial 100 service in Rewa district and especially in Garh Police station. Dial 100 is an emergency police service and if it comes 6 hours after or it does not come at the incident place at all then what is the significance of such emergency police service. Even after introducing the Dial 100 service the law and order situation under Mangawan SDOP has not changed much. In last six months the cases of theft and robbery in controlled rate Govt shops in BANS, PANDUA and KANKAR under the Police station Garh has increased and the gangs are still to be trapped. The cases of muder in MADARI, BANS and PAHARKHA and Garh region also were reported in last 8 months. The cases of kidnapping were accomplished under the eyes of Mangawan TI and SDOP from very near to the Police stations of MANGAWAN where the kidnappers kidnapped some Mr. Tripathi of NEVARIYA village under Garh Police station. The crimes against women also have increased under the MANGAWAN sub-division and under PS Garh. One of the dial 100 complaints P16153010818 dated 01/06/2016 relates to the crimes and misbehaves against women. Mrs. Ram Naresh Patel from SORAHWA villages was abused by the RAMANUJ KEVAT S/o RAMESHWAR KEVAT of Kaitha village. Even after dialing 100 the Garh Police did not reach on the time and asked the victim Mrs. Patel to visit the police station in the night which is a clear violation of the fundamental rights of the women in India constitution. Looking into all facts mentioned pointwise above we would demand to the Prime Minster of India to direct Mr. Chief Minister of Madhya Pradesh state to review the service of the Dial 100 in Rewa district and especially in Mangawan sub-division and Garh police station. Based upon my own experience as an societal activists, I have to say that Dial 100 service is almost failed in Mangawan sub-division and must be reviewed. Also the guilty must be punished. An immediate action need to be taken and guilty police officials and under Mangawan sub-divisions need to be transferred as soon as possible and a new team need to be attached so that the law and order situation could be improved. Based on my own experience and the instance iterated above, it is very much evident now that the present police officials are not discharging their duty properly. Also besides replacing the police officials another important thing need to be considered to maintain the law and order situation is to take the feedback of the NGOs and general public for how to improve the police service better in rural areas. As iterated several times, that a timely review of the cases and police services including dial 100 services must be done. ----------------- Sincerely SHIVANAND DWIVEDI (Social, Scientific, and RTI activist) Village KAITHA, Post AMILIYA, Police Station GARH, Tehsil MANGAWAN, District REWA, Madhya Pradesh. PIN – 486117 Mob. +917869992139 |
Date of Action | : | 20 Jun 2016 |
Shivanand Dwivedi
(Social, Scientific, Environmental and RTI activists)
National Coordinator – Shrimad Bhagavad Katha Dharmarth Samiti
(an NGO). Work also as Human Rights Activist, Freelance
Reporter, Environmental and Animal Rights Activists.
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Educational Qualifications - M.Sc in Mathematics (IIT
Bombay), PhD Research & TA (Mathematics) – 1. TU-Darmstadt GERMANY, 2.
Ulm University GERMANY, 3. Milan University ITALY. Research visits in FRANCE,
SPAIN, and PORTUGAL.
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