Thursday, July 7, 2016

(रीवा) कैथा सहित पूरे गंगेव ब्लाक में शौचालय के नाम पर फर्जीवाड़ा, सैकड़ों हितग्राहियों की 12000 रु. की राशि हज़म, कोई सुनवाई नहीं

दिनांक: 08/07/2016, स्थान: कैथा पंचायत, गंगेव ब्लाक रीवा (म.प्र.)
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विषय – कैथा पंचायत (गंगेव ब्लाक) में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बन रहे शौचालय की सारी राशि सरपंच संत कुमार पटेल सचिव अच्छेलाल पटेल एवं सी.ई.ओ. गंगेव  प्रदीप पॉल द्वारा हज़म. शौचालयों के अधूरे निर्माण. पचासों हितग्राहियों की बारह हज़ार रुपये वाली प्रोत्साहन राशि लंबित. शौचालयों का घटिया निर्माण. गुणवत्ता निम्न दर्जे की.

भ्रष्ट्राचार की यात्रा का अगला पड़ाव – शौचालय निर्माण एवं स्वच्छ भारत अभियान -

(गढ़, रीवा), आईये आज हम आपको गंगेव ब्लाक एवं कैथा पंचायत में हो रहे असीमित भ्रष्ट्राचार की सैर कराने की दिशा में आगे का रुख करते है. पिछले प्रकरणों में आपने देखा की किस तरह महिला प्रताड़ना अंतर्गत “354क” का आरोपी कैथा सरपंच संत कुमार पटेल और उसके दो अन्य अपराधी साथी बड़े ही ठाट बाट के साथ थाना गढ़ क्षेत्र में मौज कर रहे है और पुलिस उनको फरार बता रही है. आपने यह भी देखा की “कैथा ग्राम पंचायत भवन से संपत्ति पटेल के घर तक” बन रही चौदह लाख बान्नवे हज़ार रुपये की खेत सड़क को अब तक मात्र खेत तक ही सीमित रखा गया है और सड़क कहीं दूर दूर तक नहीं दिखती. शायद इतना पैसा अकेले कैथा सरपंच सचिव तो न हज़म कर पाएंगे इसमें जनपद गंगेव के सी.ई.ओ. प्रदीप पॉल का भी कुछ तो शेयर होना ही चाहिए. क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो भला इतनी लिखित शिकायतों एवं सूचनायों के बाद भी फर्जी मस्टररोल एवं जे.सी.बी. ट्रक पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई?
  
कैथा पंचायत में शौचालय निर्माण में भारी फर्जीवाडा –

मसलन आगे रुख करते हैं और कैथा के इन हितग्राहियों का जिक्र करते है. भद्रिका द्विवेदी पिता हरिहर द्विवेदी, सोमधर मिश्र पिता रामराज मिश्र, रामखेलावन द्विवेदी पिता लोकनाथ द्विवेदी, रामलल्लू पटेल, सम्पति पटेल, मुरलीधर पटेल आदि ऐसे कई नाम हैं जो मात्र कैथा पंचायत के कैथा ग्राम के ही बहुतों में से मात्र कुछ हैं. अभी दो अन्य गाँव इटहा एवं अकलसी भी कैथा पंचायत के अंतर्गत ही आते है जिनमे पचासों ऐसे नाम गिनाये जा सकते है जिनके घरों में या तो शौचालय बने ही नहीं, यदि बने हैं तो आधे अधूरे बने हैं और यदि पूरे भी हुए हैं तो वह बारह हज़ार रुपये की प्रोत्साहन राशि कैथा सरपंच सचिव एवं जनपद सी.ई.ओ. प्रदीप पॉल द्वारा हज़म कर ली गयी है.
      उक्त कई हितग्राहियों ने शौचालय निर्माण कर उसका फोटो लेकर नियत पप्रोफार्मा में साल भर पहले जनपद में भेज दिया है परन्तु आज तक उनके प्रोत्साहन राशि का कोई पता रता  नहीं है. शायद जनपद के कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि की ज्यादा जरूरत हो.

हरिजन आदिवासी बस्ती कैथा की दुर्दसाजब घर बनाने की जगह ही भू-अभिलेख में दर्ज नहीं तो भला शौचालय कहाँ बनेगा

वैसे हरिजन आदिवाशियों और गरीब तबके के किसानों की ग्रामों में क्या बात करना है. इनकी तो जिन्दगी जानवरों से भी बदतर होती है. भारत एवं मध्य प्रदेश सरकार की योजनायों का लाभ इनको मिलता नही दीख रहा. इनकी स्थिति आज से पचास साल पहले जैसी थी आज भी वैसी ही बनी हुई है. बस एफ.डी.एस एक्ट ने इनकी जिन्दगी को थोडा असं जरूर बना दिया है. यदि विश्वास न हो तो इनके घरों एवं बस्ती में जाकर देखा जा सकता है. इनमे इतना भी साहस नहीं रहता है कि यह बेचारे गरीब अपने अधिकारों को समझकर उसकी मांग कर सके, कहीं समूहों में एकता दिखा सके, कहीं यदि सरकारी विभागों में अपनी बातें रखना है तो एक साथ जाकर वहां पर अपनी बातें कह सकें, विभागों सरकारों पर दवाब बना सकें. यह एकता मात्र एक ही जगह पर दिखाते है कि यदि कहीं दारू मुर्गा की पार्टी हो तो सब बढिया एकत्रित होकर पीते पाते मिलेंगे. इनके अधिकारों के लिए पता नहीं क्यों हमारे जैसे पागल लोगों को ही हमेशा लड़ना पड़ता रहा है. इनके सामाजिक स्तर में सुधार मात्र इनकी जागरूकता एवं सिक्षा से ही संभव है. सरकारी विभाग तो सदैव से ही अशिक्षित एवं कमजोर का शोषण करते रहे हैं. कमजोर और शोषित वर्ग के लिए योजनायें मात्र कागजों तक ही सीमित होती हैं. बहरहाल हम चर्चा कर रहे थे इन गरीब हरिजन आदिवाशियों के अधिकारों की तो यह स्पष्ट है कि यदि कैथा ग्राम की नयी एवं पुरानी हरिजन आदिवासियों की बस्ती जो कि आज पचास साल से ऊपर से बसी है. अब तक न तो इनके रहने का कोई भू-स्वामित्व अधिकार बन पाया है, और जब पटवारी तहसीलदार ने आवादी ही सरकारी खसरे में नहीं दर्ज की तो भला शौचालय अथवा गृह निर्माण ये कहाँ करवाएंगे. इस प्रकार पंचायती रिकॉर्ड में तो भले ही इनके भी घरों में शौचालय दर्ज हो पर आज तक वास्तविक धरातल पर कहीं कुछ नहीं है जबकि कैथा पंचायत भी कलेक्टर रीवा द्वारा पहले ही खुले में शौच मुक्त बनाई जा चुकी होगी. क्यों न हो जितना जल्दी भारत खुले में शौच मुक्त होगा उतना ही पैसा भारत सरकार को बिल गेट्स, विश्व बैंक, एशियाई बैंक सहित सैकड़ों देसी विदेशी संगठनों से मिलेंगे. और भला यह पैसा हमारे किन नेताओं और अधिकारियों को तोड़ेगा? विरले ही होंगे जो मुफ्त की राशि न लेना चाहेंगे. 

टीप- हम आप सब को आमंत्रित करते हैं जनपद पंचायत गंगेव अंतर्गत कैथा ग्राम पंचायत में, आप आयें देखें कैसी है भारत के पंचायती राज की व्यवस्था. कैथा पंचायत भारत की पंचायती राज दुर्दशा का एक प्रोटोटाइप हो सकता है.
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शिवानन्द द्विवेदी
(सामजिक, एवं आर टी आई कार्यकर्ता)
ग्राम कैथा पोस्ट अमिलिया थाना गढ़
तहसील मनगवां जिला रीवा म. प्र.

मोबाइल – 7869992139

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