Thursday, July 7, 2016

(रीवा) मनगवां तहसील सहित पूरे जिला रीवा में बी.पी.एल. की सूचियों में भारी फर्जीवाडा


दिनांक: 07/07/2016. स्थान: मनगवां तहसील रीवा (म.प्र.)

विषय – मनगवां तहसील सहित पूरे जिला रीवा में बी.पी.एल. की सूचियों में भारी फर्जीवाडा

नमस्कार साथियों!

      (मनगवां तहसील, जिला रीवा) आपने जरूर सुना और देखा होगा की यदि आपको अपना नाम गरीबी रेखा के नीचे का जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों की सूची में डलवाना है तो आपको हर एक ब्लाक और तहसील में बने हुए लोक सेवा केन्द्रों में पहले पहल आवेदन करना पड़ता है उसके साथ आपको तीस रुपये की फीस भी देनी पड़ती है और मध्य प्रदेश लोक सेवा गारेंटी अधिनियम के अंतर्गत तीस दिन के अंतराल के भीतर आपका बी.पी.एल. कार्ड बनवाने का दावा सरकार करती है.

पैतालीस एस.सी./एस.टी./ओ.बी.सी. के बी.पी.एल. के फॉर्म मनगवां तहसीलदार के द्वारा निरस्त कर दिए गए –
                 हमने भी एक बार इन्ही बातों को ध्यान में रखकर सभी शिक्षित/अशिक्षित कैथा पंचायत के ऐसे लोगों के नाम जो हमारी समझ से दूसरे पहले से बी.पी.एल. सूची में जुड़े हुए व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा गरीब थे उन सभी के आवेदन पत्र स्वयं भरकर उन सभी लोगों के हाश्ताक्षर अंगूठा लगवाकर जाकर मनगवां तहसील के लोक सेवा केंद्र में जमा किया. और फिर इंतज़ार किया तहसीलदार द्वारा की जाने वाली अग्रिम कार्यवाही की. परन्तु जब छः माह से ज्यादा व्यतीत हो जाने के बाद भी मेरे भरे गए आवेदन पत्रों पर न कोई जाँच हुई और न ही किसी के नाम जोड़े गए तो हमने इटहा हल्का के उस समय के पटवारी चंद्रप्रताप माझी से पूंछा और साथ में नायब तहसीलदार और तहसीलदार से भी जानकारी लिया कि क्या माज़रा है क्यों अभी तक इन बी.पी.एल. के आवेदनों में जांच नहीं हुई. तब पता चला कि बिना किसी जांच के ही सभी आवेदनों को यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि कोई भी आवेदक पात्र श्रेणी में नहीं आते हैं. यह बड़े ही आश्चर्य का विषय था क्योंकि पहली बात तो बिना किसी जांच के यह निर्णय दिया गया और दूसरी बात जिन लोगों के नाम कैथा पंचायत ही नहीं बल्कि पूरे मनगवां तहसील अथवा पूरे रीवा जिले में पहले से बी.पी.एल. में दर्ज थे और जो कि कई पांच एकड़ से ज्यादा के जमीदार थे (अथवा उनके घर के बहुत नजदीकी परिजन), जिनके पास, टू व्हीलर से लेकर फोर और सिक्स व्हीलर तक थे. और साथ में और भी विलाशिता की सामग्री मौजूद थी पर फिर भी इन रसूखदारों के नाम बी.पी.एल. की श्रेणी में दर्ज थे तो मुझे लगा की जिन गरीबों के फॉर्म मैंने भरवाकर जमा करवाए थे तो वह तो कम से कम दस गुना ज्यादा बदहाल और गरीबी की स्थिति में थे. परन्तु यह जानकार बड़ा ही दुःख हुआ कि शायद पूरे सिस्टम में ही ऐसा है. सबसे बड़ी बेशर्मी की बात तो यह है की पटवारी तो फिर भी बहुत निचले तबके का कर्मचारी है पर जब यह बात तहसीलदार, एस.डी.एम, एवं जिला कलेक्टर में पास गयी और उस पर भी कोई कार्यवाही कोई गरीबों के पक्ष में सुनवाई नहीं हुई तो फिर क्या कहना है भारत की दुर्दशा के विषय में.

अंततः साल भर बाद मनगवां के तहसीलदार ए.के. सिंह के ऊपर दवाब डालने पर इटहा हल्का पटवारी संदीप गौतम द्वारा जांच की गयी लेकिन आवेदन पुनः निरस्त-

                 वहरहाल, मेरे द्वारा गरीबों (ज्यादातर कैथा के केवट समुदाय और कुछ दो चार गरीब ब्राह्मण वर्ग) के लिए बी.पी.एल. श्रेणी में नाम जुडवाने विषयक जो प्रयास किये गए थे उन पर मैंने लगभग साल भर बाद पुनः उस समय के तहसीलदार ए.के. सिंह से माग करके पटवारी द्वारा जांच करवाई कि देखा जाये कि जिन लोगों के आवेदन बी.पी.एल. श्रेणी में जोड़ने के लिए दिए गए थे वह क्यों नही जुड़े? इस पर वर्तमान समय के पटवारी संदीप गौतम द्वारा जांच की गयी और जांच के दौरान मै स्वयं भी जाँच स्थल पर उपस्थित था. जांच के दौरान जब उन गरीबों ने बताया कि वह एक से दो जोड़ी कपडे पहन सकते हैं, घर में दोनों समय का खाद्यान मेहनत मजदूरी करके इकठ्ठा कर सकते हैं, किसी कदर बच्चों को भी गाँव की स्कूल भेज सकते हैं तब पटवारी द्वारा कहा गया की यदि ऐसा है तो यह लोग कोई भी बी.पी.एल. श्रेणी में नहीं आते हैं. ठीक है! यह कोई बी.पी.एल. श्रेणी में नहीं आते पर क्या फिर वह लोग बी.पी.एल. श्रेणी में आते हैं जिनके नाम पहले से जुड़े हैं? जिनके पास दस एकड़ से ज्यादा जमीन, मोटरसाइकिल, कुछ के पास ट्रेक्टर, कुछ के घरों में नौकरी पेसेवाले, और बिज़नस में भी हैं. हमारे इस प्रश्न का जबाब पटवारी और तहसीलदार के पास यह था की यदि आपको ऐसा लगता है तो आप एक आवेदन दें और यह सब बात उसमे लिख कर कि किसके पास क्या है क्या नहीं है दे दें हम नाम काटने के लिए प्रयास करेंगे. कितनी विचित्र बात है न? जब नायब तहसीलदार, तहसीलदार, कानूनगो और पटवारी ने हजारों रुपये लेकर इन रसूखदारों के नाम जोड़े थे तब हमसे या किसी से नहीं बताया था की वह पैसे लेकर रसूखदारों के नाम बी.पी.एल. में जोड़ रहा है और अब जब हम वास्तविक जांच करवाना चाह रहे थे और उन लगभग चालीस पैतालीस गरीब आवेदकों के नाम बी.पी.एल. में जुडवाना चाह रहे थे उस पर हमे पहले उन लोगों के नाम आवेदन देकर कटवाना पड़ेगा जिन रसूखदारों के नाम पहले से जुड़े हैं. कितना बड़ा फ्रॉड है इस पूरे तहसील कार्यालय में और जिलों में. सब के सब पैसे में बिके और एक नंबर के भ्रष्ट हैं, और इतनी शिकायतों के बाद भी इन भ्रष्टो को न तो निलंबित किया जा रहा है और न ही इनकी पेमेंट ही रोकी जा रही है. ऐसे में क्या ख़ाक शाइनिंग इंडिया, बदलता भारत बनेगा. यह तो सीधे सीधे अत्याचार हो रहा है. हम आपको बता दें की यह स्थिति मात्र मनगवां तहसील की ही नहीं है, जवा, त्योथर, सिरमौर, गुढ़, सभी रीवा की तहसीलों में आपको ज्यादातर यही मिलेगा. यदि विश्वास नहीं होता तो जाकर स्वयं देख सकते हैं. ग्रामों में जो सबसे गरीब है और जिसके पास इन भ्रष्ट्रों को देने के लिए हज़रों रुपये नहीं है, वो सब के सब बी. पी.एल. श्रेणी से बाहर हैं, और जो दबंग और पैसेवाले रसूखदार हैं उन सबने अपने नाम बी.पी.एल. में जुड़वाँ रखे हैं और अंधाधुंध तरीके से सभी सरकारी योजनायों का लाभ ले रहे हैं. वहरहाल, इस सन्दर्भ में सैकड़ों सी.एम. हेल्पलाइन की शिकायतें भी हुई (CM Helpline: 530577, 1845981, 1397718, 1509303, 1397782, 1517678, 1397839, 1509414, 1397893,1510905, 1397954, 1510832, 1397998, 1454984, 1398059, 1512091, 1398911, 1512151, 1399043, 1512175, 1399013, 1473811, 1399171, 1473748, 1399228, 1473849, 1399263, 1846131, 1399331, 1454953, आदि), दर्ज़नों लिखित शिकायतें भी हुईं. अभी हाल ही में पी.एम.ओ. पी.जी. पोर्टल में भी शिकायत को रखा गया है. न पहले कोई कार्यवाही हुई और न ही अभी कोई हो रही है. यह बात मनगवां के वर्तमान एस.डी.एम. के.पी. पाण्डेय के पास भी रखी गयी. परन्तु उन्होंने भी कोई विशेष संज्ञान नहीं लिया. यह प्रकरण बहुत पहले वर्ष 2013-14 में मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग में भी रखा गया था पर वहां भी क्या कुछ हुआ इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. कुल मिलाकर अंधाधुंध जैसा चल रहा था वैसे ही अभी चल रहा है न कोई जांच न कोई कार्यवाही और न ही कोई परिवर्तन सब कुछ यथावत बना हुआ है. कैसे होगा ग्रामोदय से भारतोदय?

  आईये हम आपको कुछ लोगों के नाम उनके परिवार के सदस्य संख्या के साथ में देने का प्रयाश करते हैं. हम आपको बता दें की यह जानकारी मैंने स्वयं सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते इन सभी के घरों में जाकर इनसे पूंछ्कर वर्ष 2013-14 में लिखा था और फिर मध्य प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष महोदय के नाम दिया था.

केवट समुदाय, द्विवेदी टोला कैथा गांव के लोग जो (जिनके पुत्र) बी.पी.एल में नहीं हैं
   सुर्वे
1.      पिता. रामखेलावन केवट
(रामखेलावन केवट के कई पुत्र गरीबी रेखा के नीचे चिन्हित नहीं किये गए हैं जबकि वास्तविकता यह है कि यह सारे लोग गरीबी रेखा के बहुत ही नीचे हैं)
पुत्र. १. संतोष केवट (उम्र. लगभग ३५ वर्ष), (पत्नी. शेसकली केवट, बच्चे. २ लड़के)
    २. तेजस्वरीप्रसाद उम्र. लगभग ३३ वर्ष (पत्नी. बुटान केवट, बच्चे. २ लड़के और २ लडकियां)
    ३. सतानन्द केवट उम्र. लगभग २९ वर्ष (पत्नी. श्रीदेवी केवट, बच्चे ३ लड़के)
    ४. प्रसन्नलाल केवट उम्र. लगभग २७ वर्ष (पत्नी. ललिता देवी, बच्चे २ लडकियां)

    २. पिता. यज्ञनारायण केवट
(यज्ञनारायण केवट के भी कई पुत्र गरीबी रेखा के नीचे चिन्हित नहीं किये गए हैं जबकि वास्तविकता में यह सारे लोग गरीबी रेखा के बहुत ही नीचे हैं)
        पुत्र. १. शिव अवतार केवट, उम्र लगभग २९ वर्ष, (पत्नी. सुनीता देवी केवट, बच्चे ३ लड़की, १ लड़का)
           २. गुलाब केवट, उम्र लगभग २७ वर्ष, (पत्नी. आशा केवट, १ लड़का, ३ लड़की)
           ३. अमित कुमार केवट, उम्र लगभग २० वर्ष, (गैरशादीसुदा)            
  ४. अक्षय कुमार केवट, उम्र लगभग २१ वर्ष, (गैरशादीसुदा)
. पिता. रामानुज केवट
(रामानुज केवट के सभी पुत्र अभी नाबालिग हैं एवं पढाई लिखाई कर रहे हैं, ये सारे लड़के लडकियां अभी भी रामानुज केवट के ही अधीन आते हैं.)
 पुत्र. १. मनीष केवट कक्षा १० वीं,  २. सुजीत केवट कक्षा ६ वीं, ३. अनीश केवट कक्षा ५ वीं
. पिता. राम बहोर केवट माता लक्ष्मीबाई केवट
(रामबहोर केवट के भी बच्चे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन चिन्हित नहीं हैं)
      पुत्र. १) प्रभुनाथ केवट उम्र लगभग ३१ वर्ष पत्नी मनोरमा देवी उम्र लगभग २९ वर्ष
२) शम्भूनाथ केवट उम्र लगभग ३० वर्ष पत्नी सुमित्री केवट उम्र लगभग २८ वर्ष (१ लड़का १ लड़की)
३)  राजनाथ केवट उम्र लगभग २९ वर्ष पत्नी कुसुम कलि उम्र लगभग २८ वर्ष (१ लड़का २ लड़की)
४) दीनानाथ केवट उम्र लगभग २७ वर्ष पत्नी कुसुमकली केवट उम्र लगभग २७ वर्ष (१ लड़का)
 . पिता. रंगदेव केवट उम्र लगभग ४७ वर्ष माता सुमऊ केवट उम्र लगभग ४५ वर्ष
(रंगदेव केवट के भी बच्चे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन चिन्हित नहीं हैं)
पुत्र. १) कमलेश केवट उम्र लगभग २९ वर्ष पत्नी गुलाब कली उम्र लगभग २७ वर्ष (१ लड़का २ लड़की)
      २) सज्जन केवट (गैर शादीसुदा)
६.      पिता. गोकुल केवट माता निहालू केवट

(गोकुल केवट के भी कई बच्चे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन चिन्हित नहीं हैं)
पुत्र. १) दिलीप केवट उम्र लगभग २६ वर्ष पत्नी सावित्री केवट उम्र लगभग २२ वर्ष
      २) दिनेश केवट उम्र लगभग २२ वर्ष (गैर शादीसुदा)
पुत्रियां. १) रेनू केवट उम्र लगभग १७ वर्ष, २) रेखा केवट उम्र लगभग १५ वर्ष
. गोविन्द केवट माता राधे केवट
(गोविन्द केवट की स्थिति थोड़ी सी अच्छी है. गोविन्द अपने पूरे परिवार सहित सरगुजा जिले में रहता है. यह एक प्राइवेट स्कूल चलाता है एवं अपने बच्चों को भी उसी काम में लगाये हुए है)
पुत्र. १) इन्द्रभान केवट उम्र लगभग २२ वर्ष पत्नी निर्मला केवट उम्र लगभग २० वर्ष (१ लड़का १ लड़की)
       २) राजेंद्र केवट (गैर शादीसुदा) पढ़ाई कर रहा है.

केवट/माझी समुदाय, पाण्डेय टोला कैथा

१.      पिता. अनिरुद्ध माझी माता. श्यामकली माझी

पुत्र. १) चंद्रमणि माझी उम्र लगभग २८ वर्ष पत्नी सावित्री माझी उम्र लगभग २६ वर्ष

२.      पिता. स्व. राजमणि केवट माता. फूलकली केवट
(राजमणि केवट स्वर्गवासी है उसके पीछे केवल उसकी विधवा पत्नी और एक पुत्र है. यह परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है. सामान्यतया ये लोग जमीदारों के यहाँ काम करते हैं. जमीदारों के यहाँ से कुछ जमीन अधिया में लेकर जो कुछ होता है वह आधा जमीदार को देना पडता है और आधा यह रख लेते हैं. इन् सबकी कोई व्यक्तिगत जमीन जायदाद नहीं है. सरकार अथवा प्रसाशन ने इनका नाम तक गरीबी रेखा में सम्मिलित नहीं किया तो इनको जमीन क्या देगी? यह सब दुर्भाग्यपूर्ण है.)
पुत्र. १) अरुण केवट उम्र लगभग २५ वर्ष पत्नी मनीषा देवी केवट उम्र लगभग २३ वर्ष
३.      पिता. बैद्यनाथ केवट माता. शांति देवी केवट
(वैद्यनाथ का परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे है, परन्तु इनके भी बच्चे प्रशासन द्वारा बी.पी.एल में चिन्हित नहीं हैं)
पुत्र. १) रमेश केवट उम्र लगभग २५ वर्ष पत्नी ममता देवी केवट उम्र लगभग २२ वर्ष (२ लड़के)
    २) राजेश केवट उम्र लगभग २१ वर्ष पत्नी अरुणा देवी केवट उम्र लगभग १९ वर्ष (१ लड़की)

४.      पिता. शिवमूरत केवट माता. उर्मिला केवट

(शिवमूरत का परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे है, परन्तु इनके भी बच्चे प्रशासन द्वारा बे.पे.एल में चिन्हित नहीं हैं)
पुत्र.  १) दिनेश केवट उम्र लगभग २२ वर्ष पत्नी सुनीता केवट उम्र लगभग २० वर्ष (१ पुत्र १ पुत्री).

५.      पिता. मुन्नालाल केवट माता. दशोदारी केवट

(मुन्नालाल केवट का परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे है, परन्तु इनके भी बच्चे प्रशासन द्वारा बे.पे.एल में चिन्हित नहीं हैं)

पुत्र. १) दिवाकर केवट उम्र लगभग २३ वर्ष पत्नी सविता देवी केवट उम्र लगभग २१ वर्ष (३ पुत्र)

६.      पिता. राम औतार केवट माता. चंद्रकली केवट

(रामौतार केवट का परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे है, परन्तु इनके भी बच्चे प्रशासन द्वारा बे.पे.एल में चिन्हित नहीं हैं)

पुत्र १) हरिश्चंद्र केवट उम्र लगभग २५ वर्ष पत्नी विनीता देवी केवट उम्र लगभग २३ वर्ष.

७.      पिता रामखेलावन केवट माता. फुल्ली केवट

(रामखेलावन केवट का परिवार भी गरीबी रेखा के नीचे है, परन्तु इनके भी बच्चे प्रशासन द्वारा बे.पे.एल में चिन्हित नहीं हैं)

पुत्र. १) कमलेश केवट उम्र लगभग २४ वर्ष पत्नी शिवकली केवट उम्र लगभग २२ वर्ष (२ पुत्र)    
८.      पिता रामपाल केवट पत्नी बलाबला (यह व्यक्ति भी बहुत गरीब है लेकिन इसका भी नाम गरीबी रेखा के नीचे सम्मिलित नहीं है. इसके लगभग ४ बच्चे हैं, कुछ स्कूल जाते हैं परन्तु कुछ नहीं जाते. इन सबको यदि सहयोग नहीं मिला और गरीबी रेखा के नीच सम्मिलित नहीं किया गया तो इनके बच्चों कि पढाई के साथ साथ उनके पूरे भविष्य के लिए प्रश्न चिन्ह लगा रहेगा)

ग्राम कैथा साकेत बस्ती, बैरिहा टोला की समस्याएं

लगभग १०० वर्ष के ऊपर से साकेत बस्ती कैथा गांव में बसी हुई है. यहाँ पर पहले कुछ कम ही लोग बसे थे परन्तु बाद में इनके परिवार का विस्तार हुआ और समय के साथ इनकी संख्या भी काफी बढ़ गयी, सैकड़ों से ऊपर और यहाँ तक कि हजारों में. परन्तु दुर्भाग्यवश इनके जीवन स्तर में कोई अमूल चूल परिवर्तन देखने को नहीं मिला. कम से कम पिछले ३५ सालों में तो नहीं. इनके कैथा गाँव में बसने से लेकर अब तक चर्मकार या साकेत समुदाय का एक ही कार्य है यहाँ पर और वो यह कि बड़े जमीदारों और पैसेवालों के यहाँ बोने जोतने, काटने आदि से लेकर बैलों और जानवरों तक को घास आदि काटना एवं समस्त हाँथ द्वारा किये जा रहे कार्यों को बैलों की तरह करना. परन्तु इसके अतिरिक्त और कोई चारा भी इन साकेत अथवा आदिवासी लोगों के पास नहीं है. क्योंकि पढ़ने पढाने से लेकर सरकार की समस्त योजनायों के बारे में इनको कोई खास जानकारी नहीं रहती है. ये लोग अपने बच्चों को इतना पढ़ा लिखा भी नहीं पाते कि वे बाद में चलकर कोई अच्छी नौकरी चाकरी भी पा लें. कुल मिलकर इनका शारीरिक श्रम से जुड़ा कार्य पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है.

कम से कम इनके जीवन स्तर में कुछ तो सुधार होने ही चाहिए. इनकी सोच से लेकर इनके कार्य में भी कुछ वर्तमान तकनीकी समय का प्रभाव थोड़ा बहुत तो दिखना चाहिए. अब इन सबमे सबसे महत्वपूर्ण हैं इनकी शिक्षा एवं इनको उचित जानकारी का होना. यदि इनको शिक्षित किया जाय एवं इनको भी समाज की मुख्य धारा में लाया जाय तो शायद इनके भी सोच एवं देश और समाज के प्रति इनके कर्तव्यों के बारे में इनकी समझ बढ़ पाए. ये लोग देश और समाज के लिए शिक्षित होकर बहुत कुछ कर सकते है. यदि इनको बी. पी. एल. आदि में सामिल कर लिया गया तो बहुत ही अच्छा है और उन्हें अपना संवैधानिक अधिकार तो प्राप्त हो ही जायेंगे परन्तु बी.पी.एल. आदि में शामिल होकर सरकार की सहायता प्राप्त कर लेना और उसी को सब कुछ समझ लेना शायद इस तबके के सर्वांगीण विकास हेतु पर्याप्त कदम नहीं है. भारतीय समाज और खासकर ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्र में इन लोगों के प्रति समाज की सोच को भी बदलनी चाहिए. भारत के कई गां में अभी भी इस तबके के प्रति उच्च वर्ग और पैसेवालों की सोच मध्यकालीन एवं उपनिवेशवादिक ही है. कई उदाहरणों से कभी कभी ऐसा लगता है जैसे उच्च वर्ग और सरकारी लोग अभी भी अपने आपको अँगरेज़ और विदेशी समझते हैं और यहाँ के पिछड़े और सामाजिक तौर पर निचले स्तर पर खड़े हुए ये लोग कोई इनके दास जैसे हैं. यह सब बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और सामजिक और अध्यात्मिक उद्भव में (जिसके लिए कि भारत जाना जाता है) भारतीय समाज को हजारों वर्ष पीछे धकेल देता है.
  
बैरिहा टोला कैथा के साकेत समुदाय की सड़क एवं निकासी मार्ग की समस्या

अब हम आपको नीचे उन सब लोगों के नाम देते हैं जिनके पास कैथा गांव में कोई जमीन नहीं है यहाँ तक कि इनके घर भी दूसरे जमीदारों की कृपा के सहारे बना है और समय समय पर उन जमीदारों की भली बुरी भी इन गरीबों को सुननी पड़ती है. कैथा गाँव में साकेत बस्ती को जोड़ने के लिए कोई सरकारी सड़क भी नहीं है. इस समुदाय के लोगों को भारी बरसात में जमीदारों आदि की जमीनों एवं मेड़ों से गुजरना पडता है एवं उनकी गालियाँ भी खानी पड़ती हैं. अतः बैरिहा टोला कैथा के साकेत समुदाय के लिए सड़क की भी व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है.

कुल मिलाकर साकेत बस्ती के लिए एक प्रकार का नया आवास बनाने की आवश्यकता है एवं इनके नाम पर घर होने चाहिए. साथ ही साथ इनके शिक्षा से जुड़े विषयों पर काफी सुधार की आवश्यकता है. यदि ये शिक्षित नहीं हो पाए तो इनका शोषण होता ही रहेगा क्योंकि इस समुदाय के लोगों को न अपना अधिकार पता है और न ही सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनायों के बारे में ही कुछ पता है. इस सब के पीछे सताब्दियों से शोषित होते हुए शोषण की जिंदगी गुजारने की मानसिकता जो इनके दिल और दिमाग में घर कर गयी है वह भी बहुत हद तक इनके वर्तमान अवस्था के लिए जिम्मेदार है.

नीचे लिखित सारे नामों का अवलोकन करें, यह सारे लोग बैरिहा टोला साकेत बस्ती कैथा के साकेत समुदाय हैं. इनमे से कई ऐसे नाम नहीं लिखे गए हैं जो कि कैथा मिडिल स्कूल के पास जाकर बस गए हैं.

बैरिहा टोला कैथा, साकेत/चर्मकार बस्ती के नामों की सूची

१.      पिता. श्री विहारी लाल साकेत उम्र ६५ वर्ष से ऊपर, माता. श्रीमती बतसिया साकेत उम्र ६२ वर्ष से ऊपर    
पुत्र. १) श्री विश्वनाथ साकेत उम्र २९ वर्ष, पत्नी श्यामकली साकेत उम्र २८ वर्ष (२ लड़के, १ लड़की)    
    २) श्री इन्द्रलाल साकेत उम्र २१ वर्ष, पत्नी उर्मिला साकेत उम्र २१ वर्ष (१ लड़की)
    ३) श्री संतलाल साकेत उम्र १९ वर्ष (गैरशादीसुदा )
    ४) (पुत्री) सुआवती साकेत, १५ वर्ष, १० वीं कक्षा
    ५) (पुत्री) मीना साकेत, लगभग १४ वर्ष, ९ वीं कक्षा  

२.      पिता. बुद्धसेन साकेत  उम्र ६२ वर्ष व ऊपर, माता. राजकली साकेत उम्र ६० वर्ष व इससे ऊपर
  पुत्र. १) अच्छेलाल साकेत उम्र २८ वर्ष, पत्नी देवकली साकेत उम्र २६ वर्ष
      २) नंदलाल साकेत उम्र २२ वर्ष (गैरशादीसुदा)  
      ३) रवि साकेत उम्र लगभग १६ वर्ष (गैरशादीसुदा)
      ४) राहुल साकेत उम्र लगभग १३ वर्ष, ८ वीं कक्षा, (गैरशादीसुदा)
      ५) राजू साकेत उम्र लगभग १० वर्ष, ५ वीं कक्षा
      ६) (पुत्री) शोमावती साकेत उम्र ९ वर्ष, ४ थी  

३.      पिता. उग्रसेन प्रसाद साकेत, उम्र लगभग ४६ वर्ष, माता. सावित्री साकेत उम्र ४० वर्ष,  
पुत्र. १) शांत कुमार साकेत, उम्र १३ वर्ष, ९ वीं कक्षा,
    २) (पुत्री) शकुंतला साकेत, उम्र १४ वर्ष, ९ वीं,
    ३) (पुत्री) सुनीता साकेत, उम्र १० वर्ष, ५ वीं,
    ४) (पुत्री) सविता साकेत, ५ वर्ष.
    ४. पिता. द्वारिका साकेत, उम्र  ३९ वर्ष, माता. रानी साकेत उम्र ३९ वर्ष  (४ लड़के , १ लड़की)
        पुत्र. १) सुदर्शन साकेत उम्र २० वर्ष, माता. रविता साकेत उम्र १९ वर्ष
            २) मणिराज साकेत उम्र १८ वर्ष  (गैरशादीसुदा)
            ३) बृजलाल साकेत उम्र १५ वर्ष, १० वीं (गैरशादीसुदा)
            ४) रामायण साकेत उम्र ८ वर्ष , ३ री कक्षा  
            ५) मीना साकेत उम्र १२ वर्ष, ७ वीं कक्षा,        
५) पिता. छठिलाल साकेत उम्र ३४ वर्ष, माता. बुटूनी साकेत ३१ वर्ष (२ लड़की, १ लड़का)
         पुत्र. १) आशीष साकेत उम्र २ वर्ष, २) पूनम साकेत १२ वर्ष, ७ वीं कक्षा,
           ३) सोनम साकेत ५ वर्ष.
 ६. पिता. रामखेलावन साकेत उम्र लगभग ६७ वर्ष या ऊपर, माता. फुल्ली साकेत
      (विकलांग) उम्र ५१ वर्ष (२ लड़के, २ लडकियां)
पुत्र . १) रामजी साकेत उम्र २६ वर्ष पत्नी दसुदिया साकेत उम्र २४ वर्ष   (१ लड़का १ लड़की)
        २) शिव शंकर साकेत उम्र १६ वर्ष (गैरशादीसुदा)
७. पिता. सुखलाल साकेत उम्र ४९ वर्ष माता. सोमवती साकेत उम्र ४५ वर्ष (३ लड़के २ लडकियां)
पुत्र. १) लालजी साकेत उम्र २८ वर्ष, पत्नी तारा साकेत उम्र २६ वर्ष (२ लडकियां)           
     २) कृष्णकुमार साकेत उम्र २२ वर्ष (गैरशादीसुदा)
     ३) बलदाऊ साकेत उम्र १६ वर्ष (गैरशादीसुदा).
८. पिता. सूर्यदीन साकेत उम्र ८५ वर्ष, माता. फुल्ली साकेत उम्र ८० वर्ष (ब्रिधावस्था पेंशन
 मिलती है, लेकिन अति गरीबी या गरीबी रेखा का कार्ड नहीं है) (३ लड़के)
९. पिता. राम मिलन साकेत उम्र ८५ वर्ष माता. कलावती उम्र ८० वर्ष (ब्रिधावस्था पेंशन मिलती
 है, गरीबी रेखा का कार्ड है, १ एकड़ से कम जमीन है) (३ लड़के)
पुत्र. १) गोमती साकेत उम्र ४५ वर्ष पत्नी कुसुम कली साकेत उम्र ४० वर्ष (२ लड़का, ४ लडकियां)
      २) संतोष साकेत उम्र २५ वर्ष पत्नी ममता साकेत उम्र २३ वर्ष (१ लड़का १ लड़कियां)    
१०. पिता. राम गोपाल  साकेत (विकलांग २ उंगली कट गयी हैं) उम्र ६२ वर्ष माता मर गयी हैं.
११. विधवा छुग्गी साकेत उम्र ५६ वर्ष (अति गरीबी रेखा का कार्ड है और २०० रुपये पेंशन मिलती है)

बैरिहा टोला कैथा के केवट समुदाय की समस्याएं

स्वर्गीय कौशल प्रसाद के परिवार की स्थिति उनके पुत्र और वर्त्तमान पीढ़ी
१२. पिता. चन्द्रसेखर प्रसाद केवट उम्र ४९ वर्ष माता. रजमंती केवट उम्र ४५ वर्ष (४ लड़के १ लड़की)
पुत्र १) सुन्दरलाल केवट उम्र लगभग २६ वर्ष पत्नी उर्मिला केवट २४ वर्ष (२ लड़के १ लड़की)
     २) सुरेन्द्र कुमार केवट उम्र २४ वर्ष पत्नी रीना केवट २२ वर्ष (१ लड़की)
३) रावेंद्र केवट उम्र २० वर्ष पत्नी इन्द्रवती केवट उम्र १९ वर्ष (अभी अभी शादी हुई कोई बच्चे नहीं हैं) 
     ४) वीरेंद्र कुमार केवट उम्र १६ वर्ष (गैरशादीसुदा )
पुत्री . १) राधा केवट उम्र लगभग १३ वर्ष, ८ वीं कक्षा.
१३. पिता. रामसजीवन केवट उम्र ५२ वर्ष माता. स्व. सोनिया (३ लड़के, २ लड़की, लड़की
    शादीसुदा)
 पुत्र. १) विद्यार्थी केवट उम्र लगभग ३० वर्ष, पत्नी निर्मला केवट उम्र लगभग २७ वर्ष (३ लड़के)
        २) नारेंद्र केवट उम्र लगभग २७ वर्ष पत्नी  आरती केवट उम्र २५ वर्ष (१ लड़की)
        ३) मुंशी केवट उम्र १८ वर्ष (दिनांक जुलाई २०१३ तक गैरशादीसुदा)
१४. पिता. स्व. रामसिया केवट उम्र ६५ वर्ष के ऊपर माता. श्यामकली केवट (घर का नाम
 कौशिल्या) उम्र ६५ वर्ष के आसपास (२ लड़के)
पुत्र. १) बृजभान केवट उम्र लगभग ४५ वर्ष पत्नी विद्यावती केवट उम्र लगभग ४० वर्ष (२ लड़का २ लड़की)
२) अशोक केवट उम्र लगभग ३६ वर्ष पत्नी राज्जनिया (घर का नाम) उम्र लगभग ३० वर्ष (१ लड़का ३ लड़की) (अशोक फ़ौज में नौकरी कर्ता है, आर्थिक स्थिति बृजभान कि तुलना में ठीक है, इनके पिता स्व. रामसिया केवट भी फ़ौज में नौकरी करते थे जिनकी वहीँ पर दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी, बाद में काफी प्रयास के बाद अशोक केवट को स्व. रामसिया केवट के स्थान पर नौकारी मिल गयी थी, इनकी माँ  कौसिल्या केवट को भी सरकार कि तरफ से कुछ पेंशन मिलती है. लेकिन बृजभान केवट एवं उनके बच्चों के  पास कोई नौकरी नहीं हैं और बृजभान कारीगरी का कार्य करके जीविकोपार्जन करता है.)
१५. पिता. साधुलाल केवट माता. सुखमंती केवट (३ लड़के ३ लड़की, लड़की शादीसुदा)
पुत्र. १) मिठूलाल केवट उम्र लगभग ३५ वर्ष पत्नी कौसिल्या केवट उम्र लगभग ३२ वर्ष (१ लड़का १ लड़की)
२) श्यामलाल केवट उम्र लगभग ३२ वर्ष पत्नी  उम्र लगभग २९ वर्ष (१ लड़का २ लड़की)
       ३)  दीपक केवट उम्र लगभग १९ वर्ष (पढाई छोड़ दिया एवं गैर शादीसुदा)
(साधूलाल केवट एवं उनके परिवार कि स्थिति तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो औरों के मुकाबले थोड़ी सी ही अच्छी है. इनके दोनों लड़के मिठाईलाल एवं श्यामलाल प्राइवेट संस्थाओं में गांव से बाहर जाकर काम काज करते हैं एवं कुछ पैसा घर भी भेजते हैं. इनके पास पक्के मकान भी हैं जिनका कि निर्माण अभी जारी है जो कैथा गांव में कुछ लोगों के पास ही हैं. लेकिन सधूलाल केवट एवं उनकी पत्नी सुखमंती केवट लगभग अपने दो छोटे पुत्रों के साथ साथ अलग रहते हैं एवं उनके पास अति गरीबी रेखा के कार्ड भी हैं. परन्तु दो छोटे  लड़कों के पास गरीबी रेखा के कार्ड नहीं हैं. यह दोनों छोटे वाले इनके लड़के बालिग एवं पारिवारिक भी हैं लेकिन दोनों बेरोजगार हैं. सधूलाल एवं उनके भाईयों के पास पैत्रिक जमीनें बहुत ही कम अथवा लगभग नगण्य है. लगभग दस वर्ष पहले उनके केवल एक लड़के को छोड़कर कौशल प्रसाद केवट का पूरा परिवार लगभग भूमिहीन अति गरीबों में आता था. भूमिहीन जैसे तो ये सब अभी भी हैं पर कुछ भाइयों कि स्थिति में अपेक्षाकृत थोड़ा सा सुधार हुआ है. सधूलाल केवट का परिवार बताता है कि इनका पक्का मकान जो अभी निर्माणाधीन अवस्था में है वह भी स्वयं सधूलाल का नहीं हैं बल्कि इनके किसी दूसरे भाई का है. अतः यह बात अब साफ़ हुई कि फिर साधूलाल एवं उनका परिवार भी आर्थिक एवं सामजिक रूप से ज्यादा बेहतर अवस्था में नहीं है एवं निर्माणाधीन पक्का मकान तो बस गाँव में दिखावा मात्र है!)

कैथा पंचायत और उसके आसपास की पंचायतों की फर्जी बी.पी.एल. सूची मात्र एक प्रोटोटाइप,  सम्पूर्ण मनगवां तहसील सहित पूरे रीवा जिले में एक नवीन और सही सर्वे की सख्त आवश्यकता –

                 बी.पी.एल. की श्रेणी एक बहुत संवेदनशील मुद्दा है. इसको इतनी आसानी से नहीं लिया जाना चाहिए. क्योंकि जो व्यक्ति आज बी.पी.एल. की. श्रेणी में जुड़ जाता है उसके तथा उस बी.पी.एल. परिवार के सदस्यों के लिए, रासन, घर/मकान एवं व्यवसाय ऋण, नौकरी, स्वास्थ्य, बच्चों की पढाई लिखाई का खर्च, छोटी से लेकर गंभीर बीमारी के इलाज का खर्च आदि हर स्थान पर आज सरकार ऐसे बी.पी.एल. कार्डधारियों को हर प्रकार से (कम से कम कागजों) में मदद दे रही है और यह मदद लगभग फ्री के ही बराबर है. अब भला बताईये की यदि ऐसे जमीदार, नौकरीपेसे, बिज़नस वाले, रसूखदार, अपने नाम बी.पी.एल. श्रेणी में सम्मिलित करवाते हैं तो वह कितने ऐसे गरीब लाचार और वास्तविक हितग्राहियों के साथ अन्याय और अत्याचार कर रहे हैं? यही शिक्षा, मकान का ऋण, बिज़नस ऋण, रासन, दो चार सौ मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन आदि की जो सुविधा एक गाँव के गरीब असहाय को मिलनी चाहिए थी वही ये रसूखदार अन्याय पूर्वक एवं भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों की सह से लिए रहे हैं. इन रसूखदारों ने तो नैतिकता, शर्म और हया को धोकर पी ही लिया है पर इस देश के शासन-प्रशासन का क्या जो यही सब देखने, अन्याय रोकने और सही व्यवस्था के लिए ही बैठा हुआ है? वास्तविकता तो यही है की पूरा का पूरा शासन-प्रशासन चरमराया हुआ है. इस शासन-प्रशासन में स्वयं भी भ्रष्ट और चोर बैठे हैं जो आम जनता, गरीब जनता की खून पसीने की कमाई टैक्स के रूप में दी जाने वाली तनखाहों एवं सरकारी सुविधायों तथा साथ ही घूस/चोरी के रूप में हज़म कर रहे हैं और यह महानुभाव इतने निम्न सोच के हो चुके हैं की यह भी नहीं समझ सकते कि कम से कम इसके एवज में यह उन गरीबों के हित में काम तो करें, देश और समाज हित में काम करें. कैसे होगा बदलाव और कौन लायेगा बदलाव? बहुत कडवे और सख्त निर्णय लेने होंगे तब जाकर शासन-प्रशासन के भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारिओं की मानसिकता में सुधार होगा. सच्चाई यही है की जब तक कानून व्यवस्था दृढ नहीं होगी कोई भी देश और समाज वास्तविक न्याय नहीं कर सकता. और न ही उस समाज देश की वास्तविक तरक्की हो सकती. हाँ कागजों में चाहे जो भी होता रहे, प्रोपगंडा चाहे तो सरकारें कुछ भी फैलाती रहे. आखिर सरकार जो ठहरी क्योंकि उसे तो पूरा का पूरा खज़ाना ही मिला हुआ है, क्योंकि प्रचार/प्रोपगंडा में भी तो जनता की ही खून पसीने की कमाई, जो टैक्स के रूप में प्राप्त ही रही है, वही तो जा रही है. कौन सा सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों की वेतन से कट रहा है कि कौन सा किसी नेता/मंत्री के घर से जा रहा है.
     
पूरे रीवा जिले में बी.पी.एल. श्रेणी में सही और वास्तविक हितग्राहियों के नामों को जोड़ा जाए और तत्काल अपात्र हितग्राहियों के नामों को हटाया जाये, तथा ऐसे अपात्र नामों को जोड़ने वाले और शिकायतों बे वावजूद भी कार्यवाही न करने वाले दोषी पटवारी/तहसीलदारों के ऊपर सख्त दंडात्मक कार्यवाही की जाए –

                 यह पहले भी कहा गया है और पुनः इस बात को दोहराया जाता है की एक स्वतंत्र और सक्षम प्रतिस्पर्धी कर्मचारियों/अधिकारियों और जिले से बाहर और संभव हो तो उस प्रदेश से बाहर के कर्मचारियों की टीमें गठित कर उस टीम में अन्य भी इमानदार सामाजिक कार्यकर्ताओं, ईमानदार मीडिया के लोगों, और रिटायर्ड जजों को सम्मिलित कर सही सर्वे करवाया जाए. इस प्रकार के सर्वे में जिस पंचायत में सर्वे हो रहा है उस पंचायत की हरिजन-आदिवासियों के समूह जिसमे बराबर संख्या में हरिजन अदिवाशियों में पुरुष और महलाएं हों को भी लिया जाये और इस प्रकार कोई भी बी.पी.एल. की सर्वे सूची तब तक मान्य न हो जब तक उस पंचायत के सबसे निचले सामाजिक और आर्थिक स्तर का जीवन यापन करने वाले व्यक्ति की अनुशंसा न हो जाये. प्रथम ऐसी सूची बनाने के बाद पुनर्विचार के लिए एक अन्य उच्च स्तर की टीम को दी जाये और तब जाकर इस प्रकार की किसी भी बी.पी.एल. सूची को अंतिम रूप दिया जाये. जो भी मापदंड सरकार द्वारा बी.पी.एल. की श्रेणी में जोडने के लिए रखे गए हैं. उन सभी बिन्दुओं का पालन अक्षरसः होना चाहिए और सभी जाति वर्ग और धर्म के लिए एक सामान होना चाहिए. आज की दिनांक में जो फर्जीवाडा बी.पी.एल. की. सूची में नाम जुडवाने सम्बन्धी चल रहा है वह पूरी तरह से बंद होना चाहिए और दोषी तहसीलदार, पटवारी, पंचायत सचिवों, और कानूनगो आदि पर सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए.
  हमने जो देखा है और जो अनुभव किया है कि ग्रामों में पूरी तरह से अंधेर चल रहा है. गरीब असहाय की वहां पर सुनने वाला कोई नहीं है. मात्र रसूखदारों, जमीदारों और पैसेवालों का ही केवल  बोलवाला आज भारतीय लोकतंत्र में चल रहा है. इन स्थितियों में यही सरकार आज यह कह रही है कि हमारे पास शिकायत आएगी तो कार्यवाही होगी तो हम बता दें की सैकड़ों शिकायतें हमारे द्वारा स्वयं ही ब्लाक, तहसील, जिले से लेकर सी.एम. हेल्पलाइन,  मुख्यमंत्री कार्यालय और मानवाधिकारों आयोगों तक की गयी हैं. और यहाँ तक कि इन छोटे और जिले स्तर पर निराकृत होनेंवाले मामलों को प्रधानमत्री कार्यालय तक में भेज दिया गया है. पर इन शिकायतों पर क्या कार्यवाही किया सरकार ने और क्या किया उसकी कुर्सियां तोड़ रहे बाबूशाहों ने? यह सब गंभीर और विचारणीय प्रश्न हैं जिनका की उत्तर आज इस देश का हर एक बच्चा मांग रहा है. सरकारों को अब इन सब प्रश्नों के उत्तर देने होंगे और सार्थक कारवाही करनी होगी.

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SHIVANAND DWIVEDI
(Social, Scientific, and RTI activist)
Village KAITHA, Post  AMILIYA,
Police Station GARH, Tehsil  MANGAWAN,
District REWA, Madhya Pradesh. PIN – 486117
Mob. +917869992139

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