दिनांक 01 मई 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
सहकारी बैंकों की कार्यप्रणांली पर पहले ही बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा हो चुका है. ज़िले के डभौरा और पनवार सहकारी बैंकों और समितियों में पिछले वर्षों हुए घोटाले ने सबकी आंखें खोल दी है.
आज बैंकिंग सिस्टम घोटालों का सिस्टम बन गया है. आये दिन किसी न किसी बैंक का फ्रॉड सामने आ रहा है जिसमे कोई न कोई व्यक्ति अरबों खरबों का घोटाला करके देश छोड़ कर भाग रहा है.
घोटालों से इतर बात करें तो बैंकों में व्यवस्था को लेकर भी बहुत बड़ा प्रश्न है. चाहे शहरी हो या ग्रामीण हर बैंक में आज उपभोक्ताओं की लंबी लंबी कतार देखी जा सकती है और व्यवस्था के नाम पर कहीं कुछ नही, जबकि देखा जाए तो हर एक सेवा के लिए उपभोक्ताओं को शुल्क देना पड़ता है। आज यदि ईमानदारी से सर्वे किया जाय तो ज़िले क्या पूरे प्रदेश के बैंकों में बहुत ही कम स्थानों पर गर्मियों में पानी की समुचित व्यवस्था, बैठने का समुचित स्थान, पंखे, कूलर वगैरह पाए जाएंगे. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों की तो और भी आधिक दुर्दशा है. यहां तो सारी व्यवस्था भगवान भरोसे ही टिकी होती है.
ज़िला सहकारी बैंक शाखा गढ़ में नही है इन्वर्टर-जनरेटर और प्रिंटर
यदि अकस्मात बिजली चली जाए तो ज़िला सहकारी बैंक शाखा गढ़ में बिना विद्युत के काम करने का कोई साधन मौजूद नही है. उपभोक्ता शिवेंद्रमणि शुक्ला द्वारा मोबाइल फोन और व्हाट्सएप्प के माध्यम से जानकारी दी गई की अभी काफी लंबी छुट्टियों के बाद दिनांक 01 मई को खुले केंद्रीय ज़िला सहकारी बैंक गढ़ में शुबह से ही बिजली गुल हो गई और किसान और दूसरे उपभोक्ता परेशान हो गए. बताया गया की एक वृद्ध किसान उपभोक्ता को तो गर्मी के कारण चक्कर भी आ गया जिसे पास ही लोकल डॉक्टर की क्लिनिक में भर्ती कराया गया तब जाकर उसे होश आया.
गढ़ सहकारी बैंक में बिजली गुल होना आम बात
ज़िले के केंद्रीय सहकारी बैंक शाखा गढ़ में रोज रोज बिजली गुल होना एक आम बात है. यहां कभी कभी तो पूरे दिन भी बिजली गुल रहती है. बिजली वितरण केंद्र कटरा डीसी में संपर्क करने पर बताया जाता है की मेंटेनेंस का काम चल रहा होता है. इनका मेंटेनेंस कभी खत्म ही नही होता जबकि लाइन की समस्या हमेशा ही बनी रहती है. देखा जाए तो मेंटेनेंस वगैरह तो कहीं वर्षों से नही हुए हैं क्योंकि टूटे झूलते तार और खंभे इसके जीवंत उदाहरण है पर मेंटेनेंस के नाम पर ये बिजली कंपनी लाइन कटौती जमकर कर रही है.
किसानों ने गिनाई दर्जनों समस्याएं
दिनांक 01 मई श्रमिक दिवश के दिन बैंक की गढ़ शाखा में उपस्थित किसानों जिनमे मुख्य रूप से रमाशंकर मिश्रा, अमरनाथ मिश्र, केशव प्रसाद गौतम, रोहणी गौतम, विवेक सिंह, संजू सिंह, संजय सिंह, रामनगर तिवारी, रामराज पटेल, शिवेंद्र शुकला, राघवेंद्र पांडे, हरे राम मिश्र, अरुण गौतम आदि मौजूद थे जिहोने बताया की वह लगभग हर दिन बैंक के चक्कर लगाते हैं लेकिन उन्हें अपने गेहूं धान के पैसे नही दिए जा रहे हैं. बैंक में आते हैं तो बताया जाता है की आज नही कल आईये हमारे पास कैश नही है. किसानों ने बताया की यदि वह 10 हज़ार रुपये का निकासी फॉर्म भरते हैं तो उन्हें मात्र 2 हज़ार रुपये दिए जाते हैं.
पेयजल, पंखे और बैठने तक की नही कोई व्यवस्था
सभी किसानों ने एक स्वर में बताया की बैंक के अंदर न तो पेयजल की कोई व्यवस्था है और न ही उठने बैठने की, साथ ही यह भी बताया की बैंक में आज तक उनके बैंक पासबुक में प्रिंटिंग तक नही की गई है. जब कभी प्रिंटिंग की बात करते हैं तो बताया जाता है की प्रिंटर खराब है और रीवा बनने को भेजा है जिससे किसानों को उनके जमा निकासी की समुचित जानकारी नही मिल पाती.
समिति प्रबंधक कर रहे मनमानी
किसानों द्वारा बताया गया की समितियों के खरीदी केंद्रों में 15 दिन पहले गेहूं दिए थे लेकिन सहकारी बैंक में डीएमआर खाता होने के वावजूद भी उनके एकाउंट में गेंहूँ के पैसे नही डाले गए हैं. किसानों रामशंकर मिश्रा और अमरनाथ मिश्रा ने बताया की उनके घर में कई कार्यक्रम हैं जिसमे पैसे की जरूरत थी और बैंक पऔर समिति प्रबंधकों की मिलीभगत से गेहूं का पैसा खातों में डालने में हीलाहवाली की जा रही है और आज से कल किया जा रहा है साथ ही जिनके खातों में पैसे डले हुए हैं उन्हें पैसा नही दिया जा रहा है जिससे उनके कार्यक्रम में नोटबन्दी जैसी स्थिति निर्मित हो गई है जैसे पिछले साल नोटबन्दी के समय पर पैसों की भारी किल्लत हो गई थी.
किसानों के खातों में पैसे नही भेजे तो होगा आंदोलन
केंद्रीय जिला सहकारी बैंक शाखा गढ़ में उपस्थित किसानों ने बताया की यदि उनके खातों में गेंहूँ के पैसे अगले दिन तक नही भेजे गए और उनको अपने खातों की पूरी राशियां उनकी अवस्यक्तानुरूप नही मिली तो उपस्थित किसान रमाशंकर मिश्रा, अमरनाथ मिश्र, केशव प्रसाद गौतम, रोहणी गौतम, विवेक सिंह, संजू सिंह, संजय सिंह, रामनगर तिवारी, रामराज पटेल, शिवेंद्र शुकला, राघवेंद्र पांडे, हरे राम मिश्र, अरुण गौतम आदि किसानों ने बताया की वह सब आंदोलन करने पर मजबूर होंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक प्रबंधन की होगी।
किसानों ने की सहकारी बैंक गढ़ में इन्वर्टर-जनरेटर और प्रिंटर की माग
उपस्थित सभी किसानों ने एक स्वर में माग की यदि रोज रोज़ बिजली की किल्लत बनी रहती है तो बैंक प्रबंधन को चाहिए की इन्वर्टर अथवा जनरेटर की व्यवस्था कराए. किसानों ने बताया की आखिर इतना बड़ा बैंक है जिसमे नौ सहकारी समितियों से संबंधित किसानों के खाते हैं और इतना अधिक लेनदेन हो रहा है, हज़ारों डीएमआर खाते खोले जा चुके हैं तो यह कैसे हुआ की इनके पर एक इन्वर्टर और जनरेटर लेने तक की व्यवस्था नही है. सभी किसानों ने बताया की बैंक कर्मचारियों का काम न करने का यह बहाना मात्र है जिसमे कभी लाइन, तो कभी प्रिंटर खराब तो कभी सर्वर की प्रॉब्लम बता कर अपनी अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.
संलग्न - संलग्न तस्वीर में ज़िला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित शाखा गढ़ में अव्यवस्था का दौर जारी।
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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र। 7869992139, 9589152587
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