Wednesday, May 23, 2018

वेद का हृदय है महामृत्युन्जय मन्त्र (रीवा में थाना गढ़ क्षेत्र के पनगड़ी महादेवन शिव मन्दिर में सवा लाख महामृत्युन्जय जप यज्ञ का चौथा दिवश, भारी तादाद में भक्तों का जमावड़ा)

दिनांक 23 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव/कैथा, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

    हिन्दू पंचांग के पवित्र पुरुषोत्तम मास या मलमास या अधिमास में जगह जगह धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान हो रहे हैं. पूरा देश अधिमास के रंग में रंग चुका है. गर्मी और तापमान की चिंता न करते हुए भक्त श्रद्धालुगण अपने अपने पूज्य इष्टदेव की पूजा अर्चना में ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं. कोई अपने घर गांव में तो कोई तीर्थस्थलों में जाकर प्रभु आराधना में लीन हैं. देश के विभिन्न कोनों में स्थित विभिन्न धार्मिक स्थलों में कोने कोने से लोग जाकर सफर कर रहे हैं और अमूल्य जीवन को धन्य बनाने में जुटे हुए हैं. 

    बाबा धाम, केदारनाथ, बद्रीनाथ, प्रयाग, काशी, मथुरा, रामेश्वरम, कामाख्या आदि के लिए बुक की गई बसों का तांता हर गांव शहर में लगा हुआ है. 

   पनगड़ी महादेवन में सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का चौथा दिवश

    दिनांक 23 मई 2018 को ज़िले के थाना गढ़ स्थित पनगड़ी महादेवन शिव मंदिर में महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का चौथा दिवश रहा. इस बीच भारी संख्या में भक्त श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. दर्शनाभिलाषी और सत्संगाभिलाषी श्रद्धालुओं में आम नागरिक से लेकर जनप्रतिनिधि तक सम्मिलित हुए. क्षेत्र के जनपद सदस्य, ज़िला पंचायत सदस्य, सरपंच, सचिव से लेकर हर तबके के भक्तगण इस विशेष धार्मिक अनुष्ठान में सहयोगी एवं इसके साक्षी बन रहे हैं. 

  सार्वजनिक सहयोग से हो रहा आयोजन 

   यह विशेष धार्मिक अनुष्ठान सभी जनमानस के सार्वजनिक सहयोग से संचालित हो रहा है जिसमे हर  स्तर के भक्त श्रद्धालुगण अपना मनसा कर्मणा वाचा सहयोग प्रदान कर रहे हैं. जो भक्त आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं वह अपना आर्थिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जो शारीरिक दृष्टि से सक्षम हैं वह अपना शारीरिक श्रम से योगदान दे रहे हैं. इस प्रकार यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमे हिन्दू समाज के हर तबके के लोग बिना किसी भेदभाव के अपना यथासंभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं.

  प्रकृति के गोद में खेलता हुआ महादेवन शिवधाम

     रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत आने वाला महादेवन शिवधाम ऐसे मनोरम स्थल पर है जहां एक तरफ लौंगा पहाड़ और जनकहाई की हरी भरी घाटियां हैं तो दूसरी तरफ प्राकृतिक जलस्रोतों से प्रवाहित होता हुआ शानदार झरना. इस स्थान पर आने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी पिकनिक स्पॉट पर आ गए हों. पनगड़ी बीट के जंगलों के बीचोंबीच बना हुआ भगवान शिव और माता शक्ति का यह छोटा सा धाम किसी फेमस तीर्थस्थल की ही याद दिलवाता है. 

    महादेवन शिवधाम में पहुचने के लिए रीवा में कलवारी-क्योटी रोड से भठवा नामक बस स्टैंड पर उतरकर पनगड़ी वाली रुट लेते हुए पनगड़ी क्रेशर का रास्ता पकड़ा जाता है. पनगड़ी क्रेशर प्लांट के रास्ते से लगा हुआ पनगड़ी का जंगल है जिसमे अंदर कच्चा मार्ग लगभग डेढ़ किमी का है. अमूमन इस स्थल पर बरसात में छोड़कर सभी अन्य मौसमो में आया जा सकता है.

वेदों का हृदय है महामृत्युन्जय मंत्र

     शुभा दुबे के द्वारा लिखित इस लेख में महामृत्युन्जय मंत्र की विशेषता बतायी गई है जिसमे इस विशेष मंत्र को वेदों का हृदयस्थली बताया गया है.

     बताया गया कि यदि आप बहुत बीमार हैं या फिर किसी दुर्घटना के शिकार हो गये हैं या मन आशंकित है तो महामृत्युंजय जप का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। महामृत्युंजय मंत्र "मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र" है जिसे त्रयम्बकम मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मंत्र के समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव की तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयम्बकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक माना गया है। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का हृदय कहा है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है।

ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

 

-यदि भय से छुटकारा पाना चाहते हैं तो 1100 बार इस मंत्र का जप करें।

 

-रोगों से यदि मुक्ति पाना चाहते हैं तो 11000 मंत्रों का जप करें।

 

-पुत्र की प्राप्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप किया जाता है। अकसर इसके लिए पंडितों को संकल्प दिलाकर सवा लाख मंत्रों का जाप कराया जाता है।

 

-जपकाल के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक रहना चाहिए।

 

-मंत्र के दौरान साधक का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

 

-मंत्र का जाप शिवमंदिर में रूद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए।

 

-मंत्र का उच्चारण बिल्कुल शुद्ध और सही होना चाहिए तथा मंत्र की आवाज मुंह से बाहर नहीं निकालें।

 

-इस मंत्र को करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें।

 

-महामृत्युमंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिले जल से अभिषक करते रहें।

 

-मंत्र का जाप कोई आसन या कुश का आसन बिछा कर करें।

 

-महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह में ही करें। रोज जगह नहीं बदलें।

 

-अमूमन व्यक्ति को सदैव ही शाकाहारी होना चाहिए पर फिर भी जितने भी दिन मंत्र का जाप करें उतने दिन मांसाहार से सर्वथा दूर रहें।

हवन एवं भण्डारा 27 मई को 

     विश्व शांति एवं जीव कल्याणार्थ आयोजित इस विशेष सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान का हवन एवं विशाल भंडारे के साथ विसर्जन दिनांक 27 मई को किया जाएगा. यह एक सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठान है जो सभी लोगों के छोटे बड़े सार्वजनिक सहयोग से संचालित हो रहा है जिसमे सभी श्रद्धालुओं के सहयोग के साथ साथ सभी की उपस्थिति की आशा की जा रही है. हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के विसर्जन पर आयोजित होने वाला हवन और भंडारे का एक अति विशेष महत्व होता है अतः सभी भक्तों को नहा धोकर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर हवन सामग्री के साथ हवन प्रक्रिया में अवश्य भाग लेना चाहिए और भंडारे के प्रसाद भी ग्रहण करना चाहिए. अनुष्ठान के प्रसाद में मुक्ति का मार्ग छुपा होता है जिससे तामसिक बुद्धि शुद्ध होकर सात्विक बनती है और हम अपने मुक्ति के लिये स्वयं ही तत्पर हो जाते हैं.

संलग्न - रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी से सटे हुए महादेवन शिवधाम में आयोजित सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ के चौथे दिवस चल रहे कार्यक्रम की तस्वीरें.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र

मोबाइल - 07869992139, 09589152587

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