दिनांक 24 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िला रीवा अंतर्गत पनगड़ी बीट के जंगलों के बीच मंगल हो रहा है. यह मंगल कार्य दिनांक 20 मई से प्रारम्भ होकर आगे 27 मई तक चलेगा.
ज्ञातव्य है की विश्व शांति एवं जीव कल्याणार्थ आयोजित महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान एवं रुद्राभिषेक का कार्यक्रम का यह पांचवां दिवश रहा. चौथे दिन के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धालु उपास्थित हुए. शाम को भंडारे का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमे 300 से ऊपर लोग सम्मिलित हुए.
सवा लाख महामृत्युन्जय महायज्ञ का वेदी पूजन
इस महामृत्युन्जय महायज्ञ में एक विशेष वेदी विधान होता है. जिसमे 16 स्तम्भों का पूजन किया जाता है जिसमे सर्वप्रथम ब्रह्मा और इसके बाद क्रमशः विष्णु, रुद्र, इंद्र, सूर्य, गणेश, यम, नागराज, स्कंध, वायु, सोम, वरुण, अष्टवशु, कुबेर, वृहस्पति, और अंत में विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है. इसी प्रकार पांच वेदियों का पूजन होता है जिसमे क्रमशः वस्तुपीठ, चतुःखष्टि योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह, एवं प्रधानपीठ पूजन का विधान है.
23 मई तक 80 हज़ार महामृत्युन्जय मंत्रों का मंत्रोंचार सम्पन्न
प्राप्त जानकारी में उप आचार्य वरुण शुक्ला द्वारा बताया गया की महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान के चौथे दिन के अंत तक 80 हज़ार मंत्रों का उच्चारण सम्पन्न हुआ. अभी भी लगभग 45 हज़ार मंत्रोंचार पूर्ण किया जाना शेष है जबकि पूरे कार्यक्रम के मात्र 3 दिवश शेष हैं. बताया गया की प्रधान आचार्य श्री गौरीशंकर शुक्ला जी द्वारा प्रतिदिन शुबह 7 बजे से 11 बजकर 30 मिनट तक श्रीशिव जी का रुद्राभिषेक कराया जाता है.
26 मई को होगा पुर्णाहुति एवं हवन का कार्यक्रम
पुनीत पवित्र महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान के सातवें दिन विशाल हवन एवं पुर्णाहुति का कार्यक्रम आयोजित होगा. जिसमे सर्वप्रथम देव, मंडप पूजन, हवन, वसोद्वार पूर्णाहुति, उत्तर पूजन, आरती, विसर्जन, तथा अंत में ब्राह्मण दक्षिणा इत्यादि का कार्यक्रम रखा गया है.
महायज्ञ में प्रतिदिन हो रही परिक्रमा
सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में प्रतिदिन भक्त श्रधालुओं का तांता लगा रहता है जिसमे भक्तों द्वारा अपनी शक्ति और श्रद्धानुरूप 11, 21, 101, एवं 108 अथवा जिसकी जितनी श्रद्धा बन पड़ती है उसी के अनुरूप यज्ञस्थल एवं शिवधाम की परिक्रमा की जा रही है.
शास्त्रों में बताया परिक्रमा का महत्व
हिन्दू धर्म शास्त्रों में परिक्रमा का अपना विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों में कथानक आता है की जो भक्त श्रद्धालुगण आर्थिक दृष्टि से सक्षम न हों और यज्ञफल प्राप्त करना चाहते हैं तो वह श्रद्धा भक्ति पूर्वक यज्ञस्थल की परिक्रमा करें जिससे उस यज्ञ के बराबर ही फल प्राप्त होते हैं.
गणेश जी ने किया शिव-शक्ति की परिक्रमा
शिवमहापुराण के कथानक अनुसार एक प्रसंग आता है जब माता पार्वती जी अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश को पृथ्वी की परिक्रमा कर वापस आने की बात करती हैं. इस पर कार्तिकेय अपने वाहन मयूर मे सवार होकर उड़ जाते हैं जबकि गणेश का वाहन मूसक होने से देरी लगती है. ऐसा देख अपनी कुशाग्र बौद्धिक क्षमता और तर्कशक्ति का प्रयोग कर गणेश अपने माता पिता पार्वती एवं शिवजी की ही परिक्रमा कर लेते हैं और कहते हैं की माता पिता से श्रेष्ठ तो कोई नही होता अतः मैंने आपकी ही परिक्रमा कर मानों धरती की ही परिक्रमा कर ली.
नदियों और धर्मस्थलों की परिक्रमा करने की भी है प्रथा
यज्ञस्थल की परिक्रमा करने की बात आयी तो प्रधान पुरोहित ने बताया की इसीलिए नदियों और धार्मिक स्थलों की भी परिक्रमा करने की परंपरा भी हमारी भारतीय और हिन्दू संस्कृति में रही है. इसी अनुरूप भक्तगण नर्मदा, गंगा, कामतानाथ स्वामी चित्रकूट सहित अन्य धार्मिक स्थलों की भी परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा से मॉनव के त्रिदोष नष्ट होते हैं और साथ ही दैविक शक्तियों का समावेश होता है जिससे व्यक्ति के अंतर्मन में ब्रह्मज्ञान प्रस्फुटित होकर मॉनव अपने मोक्ष मार्ग की तरफ अग्रसर होता है. क्योंकि कर्मों से छुटकारा पाकर जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति ही मोक्ष है. जन्म मरण और योनियों में गमन से मुक्ति मिलती है और जीवात्मा मुक्त होकर ब्रह्मलीन होकर परम धाम में मिल जाती है एकाकार हो जाती है.
भक्त कमलेश्वर त्रिपाठी द्वारा लिखित भगवान महादेव पर
सुंदर कविता
महादेवन में अद्भुत लीला महादेव जी दिखा रहे,
दूर दूर से भक्तों की टोली जंगल में बुला रहे।।
यों तो मेला यहां पे लगता, वर्ष में पूसी तेरस को
महादेव जी को जल मिलता रोट नारियल तेरस को।।
निर्जन वन है जहां ये भूमि नागेश्वर महादेव की
अनुपम दृश्य आलोकित होता मधुवन में चित चोर की।।
धन्य भाग्य है हम सब जन की जहां मृत्युंजय जाप हुआ,
पावन धरती पावन जीवन यह महादेवन धाम हुआ।।
संलग्न - रीवा ज़िले के पनगड़ी जंगल में स्थित महादेवन शिवधाम में चल रहे सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का पांचवें दिन 24 मई का दृश्य.
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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक, श्रीमद भगवद कथा धर्माथ संतीति भारत
मोबाइल - 07869992139, 09589152587
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