दिनांक 24 मई 2018, स्थान - गढ़/गगेव रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
हिन्दू पंचांग के पवित्र मलमास या अधिमास में जगह जगह धार्मिक आयोजनों और अनुष्ठानों का सिलसिला चल रहा है. इसी बीच थाना गढ़ अंतर्गत पावन पुनीत श्रीहनुमान जी की स्थली कैथा के अत्यंत नजदीक ही स्थित मिसिरा ग्राम में भी श्रीमद भगवद कथा का कार्यक्रम चल रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री बंसपती सिंह अपने निज निवास में दिनाँक 18 से 25 मई तक भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं एवं 26 मई को हवन एवं भंडारे के साथ कार्यक्रम का विसर्जन होगा. इस बीच सभी भक्त श्रद्धालुगणों को कथा श्रवण करने एवं भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने के लिए सादर आमंत्रित किया गया है.
श्रीमद भगवद कथा में परायण का कार्य श्री श्री 108 श्री महेश प्रसाद शास्त्री जी महाराज एवं प्रवचन का कार्य आचार्य श्री जय प्रकाश शास्त्री जी महाराज के मुखारबिंद से किया जा रहा है.
कार्यक्रम शुबह 8 बजे से 12 बजे तक एवं शायं 4 बजे से शाम सात बजे तक चलता है.
कथा में अब तक
मिसिरा ग्राम में आयोजित श्रीमद भगवद कथा के कार्यक्रम में अब तक सृष्टि उत्पत्ति, भगवान कृष्ण जी का जन्मोत्सव और बॉलीलायें, पूतना वध, कंस प्रसंग, मथुरा में प्रवेश, गुरुकुल में प्रवेश, विद्याध्ययन, और पुनः मथुरा वापसी, एवं जरासंध वध, द्वारिका पूरी निर्माण, समस्त मथुरा वासियों का द्वारिका पुरी में निवास, सहित अन्य कथा प्रसंग सम्मिलित हैं.
श्रीमद भगवद में उद्वव प्रसंग
जब भगवान श्रीकृष्ण जी उद्धव जी को गोपियों को तत्व ज्ञान देने के लिए भेजते हैं तो उद्धव जी को अपने वेदांत ज्ञान पर काफी अभिमान आ जाता है. उद्धव जी मन में सोचते हैं की कहां उनका यह वेदांत ज्ञान ब्राह्म ज्ञान और कहां अशिक्षित अनपढ़ गांव की गोपियाँ. वह उन अनपढ़ गोपियों को कैसे यह ब्राह्म ज्ञान दे पाएँगे.
इसी उहापोह में उद्वव जी गोकुल के लिए प्रश्थान करते हैं. श्रीकृष्ण जी के वेश में उद्वव गोकुल पहुचते हैं तो वहां उपस्थित नन्द बाबा और अन्य लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं. उन्हें लगता है की यह हमारा कृष्ण ही है. मिलने में ज्ञात होता है की यह कृष्ण नही उनके मित्र उद्वव जी है. इस प्रकार उनको बड़े प्यार के साथ उन्हें घर में ले जाते हैं और उनका सत्कार करते हैं.
जब उद्धव जी गोपियों से मिलते हैं तो विभिन्न प्रकार से उन्हें समझाते हैं की यह मोह माया में पड़ना उचित नही है और ईश्वर के प्रेम में ही जीवन समर्पित करना उचित है. उद्वव जी विभिन्न प्रकार से एकेश्वरवाद और वेदांत की बात करने लगते हैं परंतु गोपियों के हृदय में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नही होता, गोपिकाएं कहती हैं की हमारे लिए तो ब्राह्म श्रीकृष्ण ही हैं और वही हमारे मन और रोम रोम में बसे हुए हैं. इस प्रकार गोपियों का अगाध प्रेम देखकर उद्वव जी स्वयं अपने ज्ञान और वैराग्य से विचलित हो जाते हैं. उन्हें अपने जीवन में पहली बार पता चलता है की इस प्रेमाभक्ति के समक्ष उनका ज्ञान और वैराग्य बौना साबित हुआ है.
इस प्रकार इस कथानक के माध्यम से श्रीमद भगवद कथा में भक्ति और प्रेम को ज्ञान और वैराग्य से भी श्रेष्ठ बताया गया है.
कथा प्रसंग में अब आगे
भगवद कथा प्रसंग में आगे के प्रवचन में आचार्य श्री जय प्रकाश शास्त्री के मुखारबिंद से जरासंध प्रसंग बताते हुए रुक्मिणी हरण का प्रसंग बताते हुए जरासंध आदि का वध करते हुए शिशुपाल वध एवं कृष्ण-सुदामा चरित्र का प्रसंग आएगा.
आयोजन समिति द्वारा सभी भक्त श्रद्धालुगणों को सादर आमंत्रित किया गया है।
संलग्न - रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत मिसिरा ग्राम में चल रही श्रीमद भगवद कथा कार्यक्रम के छयाचित्र संलग्न हैं.
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शिवानन्द द्विवेदी, संयोजक एवं प्रचारक श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत,
मोबाइल - 07869992139, 0958915258
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