Monday, May 28, 2018

ट्रांसफार्मर जलने से अतरैला ग्राम में महीने से फैला घुप अंधेरा, नलकूप सूखे, ट्यूबवेल बन्द, आमजन में त्राहि त्राहि (मामला ज़िले के लालगांव डीसी अंतर्गत आने वाले अतरैला ग्राम का जहां बताया जा रहा है 17 लाख का बिल बकाया)

दिनांक 28 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

   ज़िले में जगह जगह ट्रांसफार्मर जलने से गर्मियों में त्राहि त्राहि मची हुई है. एक तो ज्यादातर नलकूप सूखे पड़े हैं ऊपर से यदि ट्यूबवेल से पानी पीने की कोई भी संभावना शेष बची थी वह ट्रांसफार्मर जलने से समाप्त हो गई. अब लोग बूंद बूंद पानी के लिए भटक रहे हैं. ऐसा लगता है मानो 17 वीं सताब्दी में जीवन जिया जा रहा हो जब 5 किमी में भी बमुश्किल एक कुआं होती थी.

   लालगांव डीसी अंतर्गत अतरैला ग्राम का ट्रांसफार्मर महीने भर से जला

     ज़िले के लालगांव विद्युत वितरण केंद्र  अंतर्गत अतरैला ग्राम का ट्रांसफार्मर पिछले एक माह से ऊपर से जला पड़ा है लेकिन  शिकायतों के बावजूद भी बदला नही गया है. जब भी कंभी जेई लालगांव अथवा एई जवा से चर्चा की जाती है तो बताया जाता है की बिजली का बिल बकाया है अतः ट्रांसफार्मर बदला नही जाएगा.

  17 लाख बिजली बिल कैसे है बकाया?

    ट्रांसफार्मर बदले जाने की जब गुहार आमजन और उपभोक्तागण द्वारा विभाग में लगायी गई तो बताया गया की 17 लाख से अधिक का बिजली बिल अतरैला ग्राम का बकाया है अतः जब तक कम से कम 20 प्रतिशत नही भरा जाएगा तब तक ट्रांसफार्मर नही बदला जाएगा.

   सबसे बड़ी बात यह है की आखिर अतरैला ग्राम का बिजली बिल इतनी अधिक अमाउंट में बकाया था तो बिजली विभाग अब तक क्या सो रहा था? यदि किसी गरीब के हज़ार रुपये बकाया होता है तो उसको नोटिस पर नोटिस भेजी जाती हैं तो यह कैसे हुआ की एक ग्राम का अकेले 17 लाख से ऊपर बकाया हो गया? क्या अतरैला ग्राम में फैक्ट्री चलती है की इतनी बिजली खपत हो रही है? प्राप्त जानकारी में लगभग 180 रजिस्टर्ड बिजली उपभोक्ता बताए गए हैं जिनमे 35 के आसपास नियमित बिजली बिल देने वाले उपभोक्ता है. बांकी के 100 से ऊपर हरिजन आदिवाशी समूह के उपभोक्ता है. जो लिस्ट एरिया इंजीनियर जवा द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को उपलब्ध करायी गई है उसमे हरिजन आदिवाशी और अन्य उपभोक्ताओं के सबसे अधिक बकाया है और इनकी प्रतिव्यक्ति ज्यादा राशि भी बकाया है. ऐसे में सवाल यह उठता है हरिजन आदिवशियों के बिजली बिल तो सरकारें वैसे भी समय समय पर माफ करती रही है तो 30 हज़ार या 25 हज़ार प्रतिव्यक्ति हरिजन के बिल कैसे शेष हैं. इसका मतलब तो यह हुआ की 300 रुपये के आसपास प्रतिमाह औसत लगाया जाय तो  3600 रुपये सालाना बनता है तब इसका मतलब यह हुआ की 7 से 8 साल से किसी भी हरिजन आदिवाशी ने कोई बिल नही भरा और बिल माफ भी हुए थे। तब इसमे मोटर कनेक्शन धारक और अन्य ग्रामीणों का क्या दोष है जो नियमित बिल भुगतान कर रहे हैं? क्या 180 में से उन 35 नियमित बिल देने वाले उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी द्वारा अलग से बिजली सप्लाई नही दी जानी चाहिए? मानाकि 17 लाख बकाया वाले दोषी हो सकते हैं परंतु इसमे नियमित बिल देने वाले उपभोक्ताओं को इस भीषण गर्मी में क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है? बिजली कंपनी ऐसा अन्याय क्यो कर रही है? यह तो सीधे सीधे व्यक्ति के मानवाधिकार का हनन है.

संलग्न - संलग्न तस्वीर में देखें की किस प्रकार इस भीषण गर्मी में नियमित बिजली बिल देने वाले उपभोक्तागण अतरैला ग्राम (डीसी लाल गांव, डी ई त्योंथर) के समक्ष खड़े होकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यक्रता,

रीवा मप्र, 7869992139, 9589152587.

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