दिनांक 22 मई 2018, स्थान - गढ़ गंगेव रीवा मप्र
सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान एवं रुद्राभिषेक 20 से 27 मई 2018
स्थान - पनगड़ी महादेवन शिव मंदिर तहसील सिरमौर, रीवा मप्र,
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
पावन पुनीत शिवस्थली पनगड़ी के महादेवन शिव मंदिर में दिनांक 20 मई से प्रारम्भ हुआ महामृत्युन्जय जप महायज्ञ एवं रुद्राभिषेक का कार्यक्रम सतत चल रहा है जिसमे दिनांक 22 मई को कार्यक्रम के तीसरे दिवश तक महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान चल रहा है।
मृत्युंजयं रक्षति सर्वकालं
अर्थात भगवान शिव रूपी महामृत्युन्जय देवता अपने भक्तों की सभी काल में रक्षा करते हैं। सृष्टि के त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु एवं शिव तीनों उत्पत्ति स्थिति संहार के देवता हैं. ब्रह्मा जी के द्वारा इस संसार की उत्पत्ति होती है, भगवान विष्णु इस सृस्टि के पालक हैं जबकि भगवान शिव इस सृष्टि में अधर्म अत्याचार अनाचार बढ़ने पर इसका संहार करते हैं। बताया गया की भोलेनाथ बैल रूप धर्म की सवारी करके धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व दान करने में भी कोई संकोच नही करते। भक्तों के ऐसे उदाहरण प्रस्तुत हैं जिसमे राक्षसराज रावण की भक्ति पर प्रसन्न होकर सोने की लंका दान कर दिया और मार्केंडेय जी को अपनी चारों कल्पों की आयु भी दे दिया।
बताया गया की महामृत्युंजय जप यज्ञ से मृत्यु का कितना भी संकट हो, चाहे कितना भी संकट हो और साथ ही कितनी भी बड़ी भीषण बीमारी की स्थिति में हो ऐसे में महामृत्युन्जय जप यज्ञ से सभी संकट से मुक्ति मिलती है।
महामृत्युन्जय मंत्र की उत्पत्ति एवं विशेषता
महामृत्युन्जय मंत्र का सबसे पहले उद्भव शुक्ल यजुर्वेद में वाम देवक होल एवं वसिष्ठ ऋषि के मुखारबिंद से हुआ। इस मंत्र में गायत्री और अनुष्टुप छंद से युक्त 52 अक्षर समाविष्ट हैं। यह मंत्र ह्रीं शक्ति और श्रीं बीज से युक्त है। बताया गया की मार्कण्डेय ऋषि की मात्र 5 वर्ष की अवस्था थी तब नारद मुनि ने बताया की आपकी आयु बहुत कम बची हुई है अतः आप भगवान शिव की उपासना करें वही आपकी मृत्युभय टाल सकते हैं तब मार्कण्डेय जी ने भगवान शिव की सरनागति स्वीकार की और शिव महापुराण के अनुसार शिव पंचाक्षरी मंत्र का उच्चारण करते हुए दीर्घायु को प्राप्त किया।
पनगड़ी में सवा लाख महामृत्युन्जय मंत्र जप अनुष्ठान में सम्मिलित आचार्यगण
पनगड़ी स्थित महादेवन शिव मंदिर में 20 से 27 मई तक चलने वाले महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में कुल 8 आचार्यगण सम्मिलित हो रहजे हैं जिनमे प्रमुख आचार्य श्री गौरीशंकर शुक्ला जी हैं जो प्रयाग में दुर्वाशा आश्रम में प्रधानाचार्य संस्कत महाविद्यालय रह चुके हैं। इसके अतिरिक्त श्री शुक्ला जी का साथ देने के लिए अन्य 7 आचार्यगण भी हैं जिनमे उप आचार्य वरुण शुक्ला, धर्मेंद्र जी ब्रह्मा पद में हैं, और शेष पांच ऋत्विज जपकर्ता हैं जिनके नाम अनिल जी, आनंद जी, अतुल जी, रविशंकर जी, एवं सत्यम जी हैं।
यह सब प्रयागराज की पावन स्थली से विराजमान हुए हैं।
जिस महीने में यह विशेष धार्मिक अनुष्ठान चल रहा है उसे शास्त्रों में पुरुषोत्तम मास, एवं मलमास अथवा अधिमास के नाम से जाना जाता है. इस विशेष महीने का हिन्दू धर्म में एक विशेष स्थान है जिसके विषय में बताया गया है की यह ब्रह्मा के बनाये हुए 12 महीनों के अतिरिक्त महीना होता है. इस महीने में भगवद संबंधी किसी भी प्राकर का पूजा अनुष्ठान जप तप अभिषेक कथा आदि धार्मिक कार्य करने से सौ गुना फल की प्राप्ति होती है. (सत्यम शिवं सुंदरम)
महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में सार्वजानिक सहयोग
पनगड़ी महादेवन शिव मंदिर में आयोजित सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में सम्मिलित सहयोगियों में राम अनंत मिश्रा, शिवेंद्रमणि शुक्ला,राजेन्द्र सिंह, राम शिरोमणि यादव, रामू मिश्रा, विजुआ यादव, शिवेंद्र यादव, बब्बू सिंह वंशगोपाल सिंह, रुक्मिणी गौतम, बुद्धिमान प्रसाद तिवारी, परमानंद पांडेय, सुदामा मिश्रा, सुरेश गुप्ता, रमेश एवं श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक शिवानंद द्विवेदी सहित अन्य क्षेत्रीय लोग थे।
संलग्न - रीवा मप्र के पनगड़ी जंगल में महादेवन शिव मंदिर में उपस्थित महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में सम्मिलित आचार्यगण लोगों की तस्वीर एवं यज्ञस्थल का दृश्य.
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शिवानन्द द्विवेदी, राष्टीय संयोजक एवं प्रचारक श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत
मोबाइल - 07869992139, 09589152587
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