दिनांक 16 अप्रैल 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र,
(कैथा, रीवा मप्र - शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले में एक बार फिर वन विभाग में कार्यरत मानसेवी कर्मचारियों के शोषण का मामला प्रकाश में आया है. अभी पिछले दिनों पनगड़ी ग्राम वन समिति के 25 सौ रुपये मात्र पाने वाले मानसेवी चौकीदारों रामसिया साकेत एवं राघुवेन्द्र पांडेय निवासी पनगड़ी द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी के समक्ष अपनी व्यथा रखी गई थी की उनकी पिछले 14 माह के पेमेंट लंबित है.
अभी पुनः वही समस्या सर्रा ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदार अयोध्या प्रसाद केवट द्वारा बताई गई है जिसमे बताया गया की अयोध्या को मई जून और जुलाई 2017 की पेमेंट अब तक लटका के रखा गया है. अयोध्या ने आगे बताया की साहब बताईये हमे रोज का 100 रुपये से भी कम मिलता है और हमारे बाल बच्चे भूखे मर रहे हैं. वन अधिकारी कहते हैं की काम करो. अब ऐसे में कैसे काम होगा.
इसी प्रकार एक अन्य मामले में देउर और घूमा वन समिति के भी मानसेवियों ने अपनी समस्या रखी है और बताया गया की उन्हें भी पिछले 2 साल से मात्र 25 सौ की दी जाने वाली पेमेंट नही दी गई है. देउर वन समिति के पिछले पंचवर्षीय में रह चुके अध्यक्ष दिलीप सिंह ने बताया की उनके समिति के कर्मचारी मथुरा सिंह को पिछले दो साल से पेमेंट नही दी गई है.
बिना चुनाव ही चल रही पनगड़ी और देउर वन समिति
प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया गया की पनगड़ी और देउर वन समिति का चुनाव पिछले 15 वर्ष से नही हुआ है. जो पूर्व के समिति अध्यक्ष थे वही जबरन पद पर बने हुए हैं. इस संबंध में जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा वन विभाग के रेंजर और डीएफओ से जानकारी चाही गई और साथ ही सीएम हेल्पलाइन में भी कंप्लेन दर्ज करवाई गई तो उसके निराकरण में बड़ा ही अजीब जानकारी दी गई जिसमे कहा गया की वन विभाग ने तो अपनी प्रक्रिया पूर्ण कर दी है मात्र पंचायतें ही चुनाव नही करवा रही हैं. अब इसी खेल में वन समिति का चुनाव पिछले 15 वर्षों से लटका पड़ा है. गौरतलब है की सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाली वन समितियों में अध्यक्ष पद को लेकर विवाद के चलते पूरा वन एवं पर्यावरण समाप्ति की कगार पर है. जंगल की रखवाली का जिम्मा जिन महानुभावों के सर पर है वह मात्र 25 सौ रुपया पाने वाले ग्राम वन समिति के मानसेवी हैं अन्यथा जो नियमित चौकीदार मुंसी और डिप्टी आदि हैं वह तो बन्द वातानुकूलित कमरों और घरों में ऐश फर्मा रहे होते हैं.
लाल गांव उप वन परिक्षेत्र का डिप्टी रेंजर बृजभूषण रहता है अनुपस्थित, सिरमौर रेंजर बघेला ने काट दी उसकी तीन माह की पेमेंट-
मात्र इसी भररेशाही के चलते अभी हाल ही में दौरे के दौरान सिरमौर रेंज अफसर बघेला ने लालगांव उप वन परिक्षेत्र के अधिकारी कर्मचारियों की पेमेंट काट दी और तीन महीने तक वंचित कर दिया. जिसकी की शिकायत रीवा की स्टाइल में यह सभी लोकल वन कर्मचारी अधिकारी नेताओं से करते घूम रहे हैं, प्राप्त जानकारी में बताया गया की यह सभी नियमित और सरकारी अधिकारी कर्मचारी जिनकी पेमेंन्ट काट दी गई है वह विधायक, सांसद और मंत्रियों से जोर जुगुत लगाने में लगे हैं और खूब सिफारिश करवा रहे हैं. लेकिन चूंकि बाघेला ने इन सबको अनुपस्थित पाया तो इन सबको लटका दिया और तीन महीने की इनकी पेमेंट को ही काट दिया.
यह बिल्कुल उचित भी है चूंकि जब सिरमौर वन रेंज में आग लगी थी तब भी यह सरकारी और नियमित अधिकारी कर्मचारी अपने काम में नही थे. जब आग ने पूरे जंगली क्षेत्र का पूरी तरह से सफाया कर दिया तब जाकर इनका रता पता चला.
इस प्रकार अनुशासनहीनता और अनुपस्थिति इनका पेशा है. कई मर्तबा तो कई बार डीएफओ और एस डी ओ आदि को इन्होंने गालियां तक दी है और कहा है की कर लें जिसको जो करना है हम तो ऐसे ही करेंगे.
इस प्रकार समझा जा सकता है की वन विभाग की भररेशाही इतनी बढ़ गई है की इनके ऊपर किसी कार्यवाही का प्रभाव ही नही पड़ रहा है.
ऐसे में यदि मात्र 25 सौ रुपये पाने वाले मानसेवी वन चौकीदारों की पेमेंट भी सालों साल नही मिलेगी तो वन की सुरक्षा व्यवस्था मात्र भगवान भरोसे ही चलेगी.
संलग्न - 1) सिरमौर रेंज अंतर्गत आने वाले पनगड़ी वन समिति के दो मानसेवी चौकीदार रामसिया साकेत और रागावेंद्र पांडेय की फ़ोटो.
2) सिरमौर रेंज में ही देउर वन समिति के अध्यक्ष दिलीप सिंह और मथुरा सिंह की फ़ोटो. मथुरा को 2 साल से पेमेंट नही मिली.
3) सर्रा ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदार अयोध्या केवट की फ़ोटो जिसे मई जून जुलाई महीने की पेमेंट नही मिली है।
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र,
मोबाइल - 07869992139, 09589152587
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