Saturday, April 28, 2018

दास्ताँ ए प्रशासन- आज़ादी के 70 साल, न आवादी न पट्टा (मामला ज़िले के मनगवां तहसील अंतर्गत इटहा हल्का नंबर 2 के कैथा हरिजन आदिवासी बस्तियों के 50 परिवारों का)

दिनांक 28 अप्रैल 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

    प्रदेश और केंद्र सरकारें हरिजन आदिवाशियों और दलितों के नाम पर बड़ी बड़ी योजनाओं की बातें कर रही हैं, खूब वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं, लोक लुभावने वादे कर रही हैं. हरिजन आदिवाशियों को उनके आवादी पट्टे वितरित किये जाने के नित नए नियम निकाले जा रहे हैं लेकिन वास्तविक धरातल पर ग्रामीण अंचलों में आज भी स्थिति स्वतंत्रता पूर्व जैसी ही बनी हुई है.

   पिछले कई दसकों से यह गरीब हरिजन आदिवासी जिस भूमि पर काबिज थे आज भी वहीं पर काबिज हैं लेकिन उनके नाम के आवादी पट्टे आज तक वितरित नही किये गए हैं जबकि सरकार ने तो इस विषय में कई नोटिफिकेशन तक जारी किये हुए हैं की सभी भूमिहीनों को उनका आवादी और पट्टे वितरित किये जायें।

 आवादी पट्टा हर भूमिहीन का है मौलिक अधिकार

   वास्तव में देखा जाए तो हर एक भूमिहीन परिवार को उसकी एक दशक से अधिक में काबिज भूमि का आवादी पट्टा मिलना चाहिए. परंतु इसके उलट हितग्राहियों को उनकी भूमि के आवादी पट्टे वितरित नही हुए हैं. यह एक समस्या का विषय है क्योंकि भूअधिकार और पट्टे न मिलने से हितग्राही मूलक योजनाओं का लाभ ले पाना मुश्किल होता है. अब पीएम आवास और शौचालय निर्माण की ही बात करलें तो बता दें की इनमे से किसी भी योजना का लाभ तब तक नही मिलेगा जब तक उस हितग्राही की स्वयं की कुछ जमीन न हो. आखिर पीएम आवास सैंक्शन होने के बाद भी हितग्राही मकान कहां बनाये? हरिजन आदिवासियों के मामलों में यह देखने में आया है की ग्रामीण अंचलों में इनके पूर्वज किसी जमीदार द्वारा खेतों में काम और मजदूरी के उद्देश्य से बसाए जाते थे. सब तो ठीक था परंतु उन तथाकथित जमीदारों ने आज तक उन हितग्राहियों का आवादी और पट्टा नही बनवाया साथ ही अपने जमीन से बेदखल कर देने की धौंस अलग से देते रहते हैं. इसी डर बस उन हरिजन आदिवशियों के लिए जमीदारों के विरुद्ध कुछ बोल पाना भी मुश्किल हो जाता है. आखिर उनको यह डर तो बना ही रहता है की कहीं जमीदार उन्हें अपने जमीन से बेदखल न कर दें. यद्यपि देखा जाय तो दसकों से काबिज भूमिहीन हरिजन आदिवासी परिवारों को बेदखल कर पाना जमीदारों को उतना आसान भी नही होता. लेकिन फिर भी मनोवैज्ञानिक दबाब बनाकर रखना और अपने खेती किसानी और मजदूरी के काम में दबाब देकर लगाए रखने का फायदा जमीदारों को जरूर मिलता है. आज भी कई स्थानों पर यह भूमिहीन बंधुआ मजदूर की तरह ही काम कर रहे हैं।

   इस प्रकार यदि भूमिहीनों को उनके काबिज़ आवासीय भूमि का भूअधिकार और पट्टे न दिए गए तो न यह किसी सरकारी योजना का ठीक ठाक तरीके से लाभ ले सकते हैं और न ही शांति ही प्राप्त कर सकते हैं इस प्रकार देखा जाए तो यह गरीबों और भूमिहीनों के मौलिक अधिकारों और मानवाधिकारों का बहुत बड़ा हनन है जिस पर सरकारों को काफी गंभीरता से लेना चाहिए.

कैथा के 50 परिवारों को दसकों से नही मिला उनका आवादी और पट्टा

     ज़िले के मनगवां तहसील अंतर्गत इटहा हल्का पटवारी नंबर 2 जो की गढ़ सर्किल के अंतर्गत आता है इसके ग्राम कैथा 74 में कैथा निवासी जमीदार परिवार स्व. रामानंद पटेल के पुत्र जगदीश पटेल की आराज़ी नंबर 91/1/1 में 4 दशक से काबिज़ 50 हरिजन आदिवाशी परिवार के भूमिहीन मुखिया को आज दिनांक तक उनका आवादी पट्टा नही दिया गया है. 

    बंसपती साकेत पिता साधूलाल साकेत, अर्जुन कोल, अम्बिका कोल, मुन्नी कोल आदि द्वारा बताया गया की उन्हें और उनके परिवार को आज से कई दशक पूर्व स्व. रामानंद पटेल द्वारा अपनी भूमि पर मजदूरी करने के लिए बुलाया गया था और बसाया गया था. आगे बताया गया की रामानंद और उनके परिवार ने कहा था की इन हरिजन आदिवाशियों को कोई नही भगाएगा. लेकिन उन्हें आज तक उनके काबिज भूमि का आवादी और पट्टा नही दिया गया. अब रामानंद के मृत्यु उपरांत उनके वंशजों जगदीश पटेल और अन्य द्वारा इन गरीब हरिजन आदिवाशी परिवारों को निरंतर धमकियां दी जाती हैं की यदि इन्होंने जमीदारों की बातें नही मानी और उनके कहने के विरुद्ध किसी अन्य को वोट दिया या उनके जमीन और खेतों में काम नही किये तो इन वाशिन्दों को भगा दिया जाएगा. इस बात की शिकायत काफी समय से प्राप्त होती रही है. 

   अभी हाल ही में यह भी बताया गया की काबिज भूमिहीन हरिजन आदिवशियों के लिए पीएम आवास, मुख्यमंत्री आवास, और इंदिरा आवास आदि योजनायों सहित शौचालय एवं अन्य हितग्राही मूलक योजनाओं की राशि भी आकर वापस चली गई क्योंकि उनकी खुद की कोई पट्टे की जमीन नही होने के कारण बसाए टिकाए गई भूमि पर उन्हें मकान नही बनाने दिया गया. 

   इस प्रकार देखा जा सकता है की ग्रामीण अंचलों में अभी भी जमीदारों और धूर्त किश्म के लोगों द्वारा गरीबों का निरंतर शोषण होता चला आ रहा है और इसमें कोई विशेष बदलाव नही देखा जा रहा है.

 मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मामला मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग में भी उठाया गया

   ज्ञात हो की कैथा में भूमिहीन हरिजन आदिवशियों के आवादी पट्टे, आवास, शौचालय आदि संबंधी मामला सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा कई बार उठाया जा चुका है. स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली संस्था सीजी नेट में भी कई पीड़ितों के बयान और वक्तव्य रिकॉर्ड करवाये गए थे जो सबंधितों तक भेजे जा चुके हैं. इसी प्रकार सीएम हेल्पलाइन में भी मामलों को रखा जा चुका है. यदि मानवाधिकार आयोग की बात करें तो भूमिहीनों के आवास और आवादी संबंधी मसले को मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली तक उठाया जा चुका है. 

मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग की रीवा कलेक्टर को नोटिस और हुई मात्र आंशिक कार्यवाही

    जब इस प्रकरण को सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग अरेरा हिल्स पर्यावास भवन भोपाल में रखा गया तो उस पर कार्यवाही के तौर पर ज़िला कलेक्टर रीवा राहुल जैन को आयोग ने नोटिस जारी कर दी और आवास संबंधी मानवाधिकार के उल्लंघन के इस विषय पर कलेक्टर से तत्काल जबाब तलब कर लिया जिस पर कलेक्टर ने आगे की प्रक्रिया में मनगवां तहसीलदार ए के सिंह और एस डी एम के पी पांडेय को नोटिफिकेशन जारी किया और आंशिक कार्यवाही के तौर पर तब के इटहा हल्का पटवारी संदीप गौतम और इस समय पदस्थ पटवारी रावेंद्र त्रिपाठी ने जांच की और जांच में सभी बिंदु सही पाए गए जिसमे अभी हरिजन आदिवाशी अपने पूर्वजों की तरह जगदीश पटेल और उसके पिता रामानंद पटेल की जमीन आराज़ी नंबर 91/1/1 पर बसाए मिले और अभी भूमिहीन थे अतः स्वाभाविक रूप से नियमानुसार वैधानिक तरीके से सभी हरिजन आदिवाशी वर्ग के भूमिहीन परिवार का आवादी पट्टा होना अनिवार्य पाया गया. और यही जानकारी मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग को भी पटवारी तहसीलदार कलेक्टर द्वारा भेजी गई. 

कैथा के 50 एस सी एस टी परिवार अभी भी जमीदारों के रहमोकरम पर

    यदि सही मायने में देखा जाए तो प्रथम जांच के उपरांत पूरा मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया. पटवारी हल्का इटहा नंबर 2 रावेंद्र त्रिपाठी द्वारा एक सात पन्ने का फॉर्म सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता को दिया गया जिसे पूरे 40 प्रतियों में भरवाए गए और बाद में सभी काबिज़ हरिजन आदिवाशी वर्ग में लोगों के हस्ताक्षर और अंगूठे निसानी के साथ पुनः पटवारी और तहसीलदार को दे दिया गया की अग्रिम कार्यवाही हो लेकिन पूरे 6 माह तक वह पूरा पड़ा तहसीलदार मनगवां के कार्यालय में गड्ड लगा रहा और अंत में क्या हुआ इसका आज तक कोई पता नही है. बीच में कुछ हरिजनों और अदिवशियों द्वारा बताया गया था की पटवारी द्वारा कुछ पैसों की माग की गई थी की पैसा दोगे तो एसडीएम साहब जल्दी कार्यवाही करवा देंगे.

   आज भी उन 25 आवेदनों के पावती सामाजिक कार्यकर्ता के पास है जिसे वापस मानवाधिकार आयोग को भेजा गया है. 

    अब देखना यह होगा की मप्र और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के विरुद्ध कार्यवाही पर इन जिलाधिकारियों पर क्या कुछ कार्यवाही आयोग करता है. 

कैथा हरिजन आदिवासी परिवार के 25 मुखिया जिन्होंने किया आवेदन

     अभी तक जिन 25 हरिजन आदिवाशी परिवार के मुखिया ने अपने पुस्तैनी काबिज़ भूमि पर आवादी और पट्टे का आवेदन किया है वह इस प्रकार हैं -

1) रामलाल पटेल पिता साधूलाल साकेत, 2) शिव सागर कोल पिता सुफल को;, 3) काशी कोल पिता गयानाथ कोल, 4) गयानाथ कोल पिता स्व. भवानी कोल, 5) दिवाकर साकेत पिता मोतीलाल साकेत, 6) दिनेश साकेत पिता मोतीलाल साकेत, 7) अम्बिका प्रसाद कोल पिता सुफल कोल, 8) सुरेंद्र कोल पिता सुफल कोल, 9) कैलास साकेत पिता शिवप्रसाद साकेत, 10) राजकुमार कोल पिता स्व. सुखलाल कोल, 11) रामनरेश साकेत पिता मोतीलाल साकेत, 12) राजबहोर साकेत पिता बंसपती साकेत, 13) श्रीमती मुन्नी कोल पति स्व. छोटेलाल कोल, 14) चंद्रशेखर कोल पिता अम्बिका प्रसाद कोल, 15) अर्जुन कोल पिता रामसजीवन कोल, 16) रामसजीवन कोल पिता स्व. सुखलाल कोल, 17) पन्नालाल साकेत पिता रामलाल साकेत, 18) राजेश साकेत पिता गणेश साकेत, 19) चंदन साकेत पिता रामावतार साकेत, 20) मदन मोहन कोल पिता गयानाथ कोल, 21) रामावतार साकेत पिता स्व. साधूलाल साकेत, 22) शिवप्रसाद साकेत पिता स्व. साधूलाल साकेत, 23) मोतीलाल साकेत पिता स्व. परागे साकेत, 24) कमलेश साकेत पिता रामाश्रय साकेत, 25) विमलेश साकेत पिता रामाश्रय साकेत आदि.

संलग्न - कुछ हरिजन आदिवशियों की फ़ोटो और उनके काबिज़ भूमि और उनके आवासों की फ़ोटो साथ ही वह पुख्ता प्रमाण जो हल्का पटवारी इटहा नंबर रावेंद्र त्रिपाठी द्वारा सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता को पावती के तौर पर लिखित दिया गया था.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र,

  मोबाइल नंबर 7869992139, 9589152587

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