दिनांक 17 अप्रैल 2018, स्थान - त्योंथर ब्लॉक, रीवा मप्र
(कैथा, रीवा मप्र - शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले में जल संकट दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है और आम जनता का पानी के लिए जद्दोजहद रोज बढ़ती जा रही है पर यहां के ज़िला प्रसाशन की चाल ढाल में कोई परिवर्तन नही दिख रहा है. ज़िले भर में प्रतिदिन हज़ारों शिकायतें सीएम हेल्पलाइन, मोबाइल फोन और लिखित मौखिक तौर पर आम जनता प्रेषित कर रही है लेकिन जुजबी ही कुछ शिकायतों को निपटाकर पल्ला झाड़ लिया जा रहा है.
आम जनता की आवाज को सुनने वाला कोई नही मात्र मीडिया ही सहारा बना है जो पानी की भीषण समस्या को रोज़ अखबारों के माध्यम से उठा रहा है.
त्योंथर पी एच ई कोऑर्डिनेटर अमित मिश्रा ने डाढ़ जमुई पंचायत का किया दौरा
दिनांक 16 अप्रैल को दोपहर त्योंथर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कोऑर्डिनेटर अमित मिश्रा ने नजदीकी ग्राम पंचायतों डाढ़ और जमुई का दौरा कर नलजल योजनाओं और नलकूप की स्थिति का जायज़ा लिया. बताया गया की न ही डाढ़ और न ही जमुई में सही तरीके से नलजल योजना संचालित हो रही है. डाढ़ में थोड़ी स्थित कंट्रोल में है पर जमुई पंचायत में लगभग 1 लाख 30 हज़ार के आसपास ज़िला पंचायत के खाते से पंचायत के खाते में पिछले साल भेजे जाने के वावजूद भी अब तक नलजल योजनायों की पानी की टंकी में कोई पानी नही आया है और कोई पाइप लाइन भी अब तक नही बिछ पायी हैं.
अमित मिश्रा ने आगे करहिया का रुख किया और लोनियान टोला प्रजापति बस्ती के पास पंचायत द्वारा कराए गए नलकूप को देखा जिसमे आज साल भर से कोई हैंडपम्प नही पड़ा है. अमित मिश्रा ने आगे बताया की त्योंथर के विधायक कोटे और पंचायतों के कई नलकूपों के यही हाल हैं. यह सब ठेकेदारों की मिलीभगत का परिणाम है.
बिन्नू पाठक द्वारा करवाये गए नलकूप उत्खनन में काफी है शिकायतें
बताया गया की करहिया के प्रजापति बस्ती में पिछले वर्ष हुए नलकूप उत्खनन सहित दर्जनों विधायक निधि वाले नलकूप उत्खनन का काम बरहट निवासी बिन्नू पाठक बोरवेल कंपनी द्वारा करवाया गया है और इनके द्वारा कराए गए ज्यादातर बोरवेल में धंस जाने से लेकर घटिया सामग्री डालना और यहां तक की करहिया प्रजापति लोनियान बस्ती जैसे बोर में हैंडपम्प तक न डालना जैसी शिकायतों का अम्बार है जिससे पी एच ई विभाग स्वयं परेशान है. पी एच ई अधिकारियों द्वारा नाम न बताए जाने की शर्त पर बताया गया की किसी एक सरपंच ने तो यहां तक कहा की जितने पैसे में पी एच ई विभाग एक नलकूप का उत्खनन करवाता है पंचायत उतने में तीन नलकूप उत्खनन करवा सकती है. तब ऐसे में गुणवत्ता से लेकर अधिक राशि तक की प्रति नलकूप उत्खनन जैसे कई गंभीर प्रश्न उठने स्वाभाविक हैं.
त्योंथर की 17 पंचायतों को लगभग 22 लाख से अधिक राशि ग्रीष्मकालीन जल संकट से निपटने मात्र के लिए जिला पंचायत से दी गई
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा बताया गया की जो जानकारी उन्हें है उसके मुताबिक मात्र ज़िला पंचायत के द्वारा ही नलजल योजनायों के क्रियान्वयन के लिए त्योंथर ब्लॉक की 17 पंचायतों को 25 लाख के आसपास की राशि दी गई है जिसका की भौतिक धरातल पर कोई रता पता नही है. इन 17 पंचायतों में 12 पंचायत ऐसी हैं जिनको प्रति पंचायत कुछ कम अर्थात लगभग 1 लाख के आसपास की राशि दी गई है जबकि 5 पंचायतें ऐसी हैं जिन्हें लगभग 2 लाख की राशि दी गई है. लेकिन आज पिछले वर्ष से पंचायतों के खातों में इस राशि के समायोजन के बाद भी पंचायती भष्ट्रचार के कारण कोई भी काम नही हो पा रहा है. पंचायत के सरपंचों की हिटलरशाही के चलते जनता बूंद बूंद पानी के लिए तड़प नही है. मनरेगा में धांधली तो बहुत आम बात थी अब पानी के नाम पर जनता के खून चूसने का भी दौर चल पड़ा है।
त्योंथर सीईओ महावीर जाटव ने कार्यवाही का दिया मात्र आश्वासन
दिनाँक 17 अप्रैल की सुबह जनपद त्योंथर सीईओ महावीर जाटव से सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द विवेदी की बात हुई जिसमे जाटव द्वारा बताया गया की उन्हें इसकी जानकारी नही थी और इसे दिखवा कर कार्यवाही करवाएंगे. डाढ़ पंचायत के करहिया ग्राम में लोनियान टोला की प्रजापति बस्ती के विषय में बताए जाने पर की पंचायत द्वारा करवाये गए नलकूप में हैंडपम्प नही पड़ा है, इस पर मात्र कार्यवाही का आश्वाशन मिला. अब देखना यह है की यह पंचायत विभाग वाले आगे क्या गुल खिलाते हैं.
सीईओ ज़िला पंचायत मयंक अग्रवाल द्वारा जानकारी लेकर कार्यवाही का आश्वासन
इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता की ज़िला पंचायत सीईओ मयंक अग्रवाल से भी बात हुई जिस पर मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा व्हाट्सएप्प पर ज़िला पंचायत सीईओ को ब्लॉक गंगेव और त्योंथर की बन्द पड़ी नलजल योजनाओं और दुर्दशापूर्ण नलकूपों की स्थिति बताई गई. साथ ही रोज़ अखबारों में प्रकाशित मानवाधिकार का हनन सम्बंधी भीषण जल संकट की स्थिति की इलेक्ट्रॉनिक प्रतियां भी भेजीं गईं.
ज़िला पंचायत रीवा सीईओ द्वारा बताया गया की वह इसे गंभीरता से लेंगे. पानी की समस्या एक महत्वपूर्ण इशू है और सॉल्व किया जाएगा. वहरहाल अभी तक मात्र हर स्थान के आश्वासन ही मिल पाया है.
बता दें की गंगेव जनपद अंर्तगत हिनौती पंचायत, बांस पंचायत और हिरुडीह पंचायत की बुरी तरह से ठप्प पड़ी नलजल योजनाओं का स्वयं भौतिक सत्यापन कर सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा यह मुद्दा मीडिया के माध्यम से उठाया गया था. जिस पर सभी विभागों के होश उड़े हुए हैं.
जल संकट का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष भी गया
बात यहीं तक नही रुकी है, मॉनव के मूलभूत अधिकारों में से एक पीने का स्वच्छ पानी की समस्या ज़िले से लेकर प्रदेश स्तर और यहां तक की राष्ट्रीय स्तर तक पहुचाई जा चुकी है. भोपाल में बैठे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के इंजीनियर इन चीफ, जबलपुर जोन पी एच ई के चीफ इंजीनियर गौड़ से लेकर अध्यक्ष राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली तक मामला उनके संज्ञान में लाया जा चुका है और कार्यवाही भी प्रारम्भ हो चुकी है.
भोपाल से पी एच ई के विशेष दल की रीवा संभाग विजिट, मामला जिले में जल संकट की जांच का और उस पर कार्यवाही का
जैसा की पहले भी बताया गया था की जब ज़िले में जल संकट का मामला भोपाल इंजीनियर इन चीफ के समक्ष रखा गया था तो वहां से कई सदस्यीय टीम का गठन कर जांच करने के उद्देश्य से भेजे जाने की बात आई थी. उसी सिलसिले में कार्यपालन यंत्री रीवा शरद कुमार सिंह द्वारा जानकारी दी गई की श्री श्रीवास्तव की अगुआई में टीम रीवा पहुच चुकी है जो दिनाँक 17 अप्रैल को गंगेव ब्लॉक में दौरा कर जल संकट की वास्तविक स्थिति का जायज़ा लेंगे.
त्योंथर ब्लॉक में मऊगंज कार्यपालन यंत्री पी एस बुंदेला का भी होगा दौरा
पिछले दिनों मऊगंज कार्यपालन यंत्री पी एस बुंदेला द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता को बताया गया की त्योंथर ब्लॉक की घाट के ऊपर की पंचायतों का जल्द ही दौरा किया जाकर पानी की स्थिति का जायज़ा लिया जाएगा. मऊगंज कार्यपालन यंत्री को ब्लॉक के जलसंकट के विषय में मौखिक, मोबाइल फ़ोन और व्हाट्सएप्प आदि के जरिये कई बार सूचित किया जा चुका है.
जांचों और सरकारी दौरों के नाम पर होगी कोरम पूर्ति अथवा होगी कोई सार्थक कार्यवाही?
अब देखना यह होगा की सरकारी अधिकारियों के इन दौरों और जांचों का आम जन जीवन में व्याप्त भीषण जल संकट का क्या असर पड़ता है? क्या पहले जैसे ही यह भी मात्र कोरम पूर्ति बनकर रह जाएंगी की इनकी आधिकारिक विजिट और दौरों का कुछ असर भी पड़ेगा? क्योंकि हर वर्ष ही गर्मियों में जब पानी को लेकर हाहाकार मचता है तो सभी की नींदें उड़ जाती हैं और हाँथ पैर हिलाना चालू कर देतें हैं. आश्वासन और जांचों का दौर प्रारम्भ हो जाता है, दौरे होते हैं, बजट पास होता है, राशि और सामग्री का कागजों पर खूब आवंटन किया जाता है. कागजों में हर पंचायतों में मोटर पंप की स्वीकृति की जाती है और वह राशि संबंधित विभागों के खातों में भी भेज दी जाती है पर वास्तविक तौर पर देखा जाए तो आने वाले हर वर्ष में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रहती है. आख़िर इतनी जांचें और इतनी राशि का क्या होता है? क्यों भौतिक धरातल पर कोई कार्यवाही नही होती? क्या आम जनता मात्र कागजों पर और आश्वासन का पानी पीकर अपनी प्यास तृप्त कर सकती है? यह सभी अनुत्तरित प्रश्न इस देश के जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों से पूँछ रहे हैं की क्या इसी प्रकार से जनता और देश की सेवा के लिए इन अधिकारी कर्मचारियों ने नौकरी की थी? क्या यही आशय लेकर सरकारी नौकरी में आये थे? यदि हमारे देश के यह अधिकारी कर्मचारी अपने कर्तव्यों के प्रति और इस जनता के टैक्स से प्राप्त होने वाले पैसे जिसमे की इन्हें पेमेंट दी जाती है उसके प्रति जिम्मेदार हो जाएं तो फिर किस आसमाजिक तत्व और किस दो कौड़ी के नेता में इतनी दम है की देश के विकास को रोक पाए. आज आवश्यकता है ऐसे सभी अधिकारियों को अपने जमीर में झांकने की और वो दिन याद करने की जब वह स्कूल कॉलेज में थे और देश की दुर्दशा को देखकर उनके मन में देश सेवा की जो ललक उठती थी उसे याद करने का समय है.
संलग्न - 1) त्योंथर सीईओ महावीर जाटव से बातचीत के अंश
2) सीईओ ज़िला पंचायत मयंक अग्रवाल के बातचीत के अंश.
3) मऊगंज कार्यपालन यंत्री पी एस बुंदेला से बातचीत के अंश,
4) बदहाल पानी की स्थिति और परेशान लोग.
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-शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139, 9589152587
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