दिनांक 19 अप्रैल 2018, स्थान - गंगेव ब्लॉक रीवा, मप्र
(कैथा, रीवा मप्र- शिवानन्द द्विवेदी)
केंद्र सरकार की बहुचर्चित प्रधानमंत्री आवास योजना भी दलालों के चंगुल में फसती जा रही है. बहुत पहले से ही इस योजना पर शिकायतें आ रही थीं की दलालों को बिना कमीशन दिए तीन से 4 मुख्य किस्तों में दिया जाने वाला दो क़िस्त का 40 हज़ार प्रति क़िस्त की राशि और 25, 15 एवं 18 हज़ार की राशि हितग्राहियों के खातों में सही समय पर नही भेजी जा रही थी. पहले पहल इस योजना में प्रथम दो क़िस्त 40 हज़ार की रखी गई थी और तीसरी क़िस्त 25 हज़ार की थी इस प्रकार 1 लाख पांच हज़ार रुपये की राशि छत डाले जाने तक हितग्राही के खाते में भेजी जाती थी. शेष 15 हज़ार की राशि छत डाले जाने के बाद प्लास्टर और छपाई के लिए भेजी जाती थी. शेष बचे 30 हज़ार में 18 हज़ार रुपये पक्का मकान बनाने के लिए मनरेगा की मजदूरी होती थी जो मनरेगा स्कीम द्वारा हितग्राहियों के सीधे खातों में भेजे जाने का प्रावधान है. इस प्रकार डेढ़ लाख में अभी भी शेष 12 हज़ार बचते हैं जो उन हितग्राहियों को जिनके घरों में शौचालय नही बने हुए हैं शौचालय बनाये जाने के लिए खातों में डाले जाने चाहिए. पर अब हम आपको रिसर्च करने पर जो जानकारी ग्रामीणों से एकत्रित हुई है वह वास्तविकता बताते हैं. मामले तो लगभग सभी पंचायतों में हैं लेकिन यहां पर हम केवल एक दो पंचायतों का ही जिक्र करेंगे जिससे पीएम स्कीम की हकीकत का काफी हद तक वास्तविकता का पता चल जाएगा.
कैथा, हिरुडीह और हिनौती पंचायत की हरिजन बस्ती में नही बने शौचालय, बने भी होते तो बिन पानी के किस काम के
अभी पिछले दिनों पानी के संकट के सिलसिले में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा कैथा, हिरुडीह, हिनौती सहित कई पंचायतों का भौतिक परीक्षण के उद्देश्य से जाया गया और वहां जो हकीकत सामने आई वह रीवा ज़िले क्या पूरे प्रदेश के ग्राम क्षेत्रों की दुर्दशा को ही बयां करती है.
हरिजन बस्ती हिरुडीह के दो तीन महिला हितग्राहियों द्वारा उनके घरों के पीछे बनाये गए पुराने शौचालय को दिखाया गया जिसकी की फ़ोटो भी संलग्न है जिसमे पाया गया की मात्र तीन साइड से दीवाल बनी हुई है. शौचालय के दीवाल की ऊँचाई 4 फ़ीट भी नही है. उसके अंदर बैठना तो दूर कोई घुस भी नही सकता था. शौचालय में कोई गेट नही लगे थे. शौचालय खंडहर बने थे. भाठे थे. किसी काम के नही थे. मात्र दिखावे के तौर पर बने थे. शौचालय की राशि निकाल ली गई और जनता और सरकार को चूना लगा दिया गया था. कई तो मात्र गढ्ढे बस खोदकर छोड़ दिये थे।
अब प्रश्न यह भी था की यदि यह शौचालय बने हुए भी होते तो इस गर्मी में 4 महीने किस काम के थे. क्या बिना पानी के उपयोग किये जा सकते थे? नही, बिल्कुल नही. पीने के लिए पानी ही नही तो शौचालय के लिए पानी कहाँ से मिलता.
अब आ जाते हैं हिनौती पंचायत में तो यहां भी हिरुडीह हरिजन बस्ती से ज्यादा बेहतर स्थिति नही है. हिनौती पंचायत के हरिजन आदिवाशी बस्ती में जाकर देखा और लोगों से मिला तो हितग्राहियों ने वही पीड़ा व्यक्त की. पहले तो शौचालय बने ही नही हैं. जो बने थे वह खंडहर थे. किसी काम के नही थे. मात्र गढ्ढे खोदकर छोंड़ दिए गए थे. अब यदि मान लिया जाए की बने भी होते तो क्या किसी काम के होते? नही, क्योंकि बिना पानी के इन गर्मियों के 4 माह मात्र शोपीस बने रहते.
अमृतलाल साकेत, पार्वती साकेत, भैयालाल साकेत सहित कई हितग्राहियों ने बताया की स्वच्छ भारत मिशन हमारे यहां पूरी तरह से नाकाम है और हमे कोई जानकारी नही की शौचालय के नाम पर बांटी गई राशि का क्या हुआ, किसे मिली किसे नही मिली. हिनौती पंचायत में बताया गया की उनकी पंचायत उत्कृष्ट पंचायत है और 50 हज़ार का केंद्र से इनाम भी पा चुकी है. अब यह इनाम भष्ट्राचार में अग्रणी होने के लिए दिया गया या विकास के लिए क्योंकि विकास तो कहीं दिख नही रहा.
हिरुडीह, हिनौती सहित अधिकतर पंचायतों में पीएम आवास में कमीशन खोरी
हिरुडीह निवासी अमृतलाल साकेत द्वारा बताया गया की उसे चार क़िस्त में दी जाने वाली राशि पूरी नही दी गई है और सहायक सचिव और सचिव ने उनसे कमीशन लिया है. जिन्होंने कमीशन नही दिया उनकी राशि रोक कर रखी और घर बनाने में कमियां गिना दी. बता दिया की सीईओ और पीसीओ साहब पास नही कर रहे. अमृतलाल साकेत ने बताया की उसे मनरेगा की मजदूरी के नाम पर दिए जाने वाले 18 हज़ार रुपये भी अभी तक पूरे नही डाले गए हैं जबकि उसने मकान काफी समय पहले बनवा लिया है। जबकि कई बार अमृतलाल साकेत सहित कई हितग्राहियों ने गुहार लगाई है. लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही की जा रही है. इसी प्रकार हिनौती पंचायत के कई हितग्राहियों ने भी क़िस्त डालने में देरी, मनरेगा मजदूरी में देरी और साथ ही कमिशनखोरी की बात कही है. इन सभी समस्याओं के चलते आज तक पीएम आवास के पूरे पैसे हितग्राहियों को नही मिल पा रहे हैं साथ ही उनके घरों में शौचालय भी नही बने हुए हैं.
संलग्न - 1) हिरुडीह हितग्राही अमृतलाल साकेत और उसके परिवार की फ़ोटो, गंगेव ब्लॉक रीवा मप्र.
2) हिरुडीह पंचायत के दो बुजुर्ग हरिजन महिलाओं की उनके घरों के पीछे दसकों पुराने बनाये गए अधूरे पड़े यूजलेस शौचालयों की फ़ोटो, गंगेव ब्लॉक रीवा मप्र.
3) हिनौती पंचायत के हरिजन बस्ती के बने हुए घटिया शौचालय, अधूरे पड़े गड्ढे खुदे पड़े, और उसके पास दुर्दशा दिखाते हिनौती पंचायत के हितग्राही, गंगेव ब्लॉक रीवा मप्र.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,रीवा मप्र,
मोबाइल - 7869992139, 9589152587,
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