Wednesday, May 30, 2018

मानसेवियों के खून-पसीने पर पल रहा वन विभाग (मामला ज़िले के सभी रेंज में आने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों की सालों से रोक कर रखी गयी पेमेंट पर, जबकि वन संपदा की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मात्र 3 हज़ार प्रतिमाह पाने वाले इन्ही मानसेवियों के कंधों पर ही टिकी है)

दिनांक 30 मई 2018, स्थान - गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

   प्रदेश में प्रत्येक जिलान्तर्गत ग्राम स्तर पर गठित की गई वन समितियों की स्थिति दयनीय हो चली है. 

    प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम वन समितियों द्वारा मनोनीत किये गए मानसेवी चौकीदारों की सालों से पेमेंट रोक कर रखी गई है. जबकि देखा जाए तो पूरे जंगल की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों के ही कंधों पर है.

  सर्रा ग्राम वन समिति के चौकीदारों की व्यथा

    सर्रा ग्राम वन समिति में पदस्थ मानसेवी चौकीदारों दद्दू सिंह एवं अयोध्या केवट द्वारा बताया गया की उनकी 6 माह से अधिक समय से मात्र 25 सौ अथवा 3 हज़ार रुपये मिलने वाली मासिक तनख्वाह उन्हें नही मिल रही है जबकि इस बाबत शिकायत कई मर्तबा डीएफओ सहित अन्य उच्चधिकारियों तक की गई है.

रुझौही ग्राम वन समिति के मानसेवियों की रोकी पेमेंट

   ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले रुझौही ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों जैसे दसरथ यादव द्वारा बताया गया की वह समिति में वर्ष 2002 से मानसेवी चौकीदार के रूप में कार्यरत हैं. प्रारम्भ में ग्राम वन समिति के चौकीदारों की पेमेंट 900 रुपये प्रतिमाह थी बाद में धीरे धीरे बढ़कर अब 3 हज़ार रुपये प्रतिमाह हो चुकी है. मानसेवी दिलीप मिश्रा द्वारा बताया गया की वह ग्राम वन समिति में पिछले 5 वर्ष से पदस्थ हैं. प्रारम्भ में दिलीप मिश्रा को 15 सौ रुपये प्रतिमाह दिए जाते थे. मानसेवी दसरथ यादव  द्वारा बताया गया की उन्हें मई 2017 से लेकर मई 2018 तक पूरे 13 माह उन्हें कोई पेमेंट नही दी गई है. मानसेवियों का कहना है की वन समिति यदि उनसे काम नही लेना चाहती तो उसे लिखित सूचना और कारण सहित बताना चाहिए जिससे मानसेवी अपनी रोजी रोटी के लिए आगे प्रयास करें. वन विभाग और वन समिति द्वारा मानसेवी चौकीदारों का निरंतर शोषण किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चला की रुझौही ग्राम वन समिति में अर्चना सिंह अध्यक्ष हैं और सहसचिव पंकज सिंह हैं. इनसे प्राप्त जानकारी के अनुसार रुझौही वन समिति में पिछले 2 माह पहले तक समिति के खाते में लगभग ढाई लाख रुपये तक था लेकिन जब मानसेवी चौकीदारों को उनका मेहनताना देने की बात आती है तो बताया जाता है की समिति के खातों में पैसे ही नही है.

सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चैकीदारों के मानवाधिकारों का हो रहा हनन  

  सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों की भी स्थिति दूसरी अन्य समितियों जैसी ही बनी हुई है. सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदार बाबूलाल यादव द्वारा बताया गया की चौकीदार के तौर पर वर्ष 1999 से अपनी सेवा दे रहे हैं. बाबूलाल यादव द्वारा बताया गया की उन्हें भी मई वर्ष 2017 से लेकर अब तक पूरे 13 माह की 3 हज़ार रुपये के हिसाब से 39 हज़ार रुपये की पेमेंट रोक कर रखी गई है जबकि उनके बच्चे भूंखे मर रहे हैं. सरई ग्राम वन समिति की अध्यक्ष शशि सिंह पति लक्ष्मीनारायण सिंह हैं जबकि सहसचिव एवं चौकीदार को गोपनीय तौर पर रखे गए हैं जो अध्यक्ष के फेवर के हैं और बताया गया कि कुछ ऐसे कर्मचारी बिना काम के ही माल उठा रहे हैं।

क्योटी ग्राम वन समिति के मानसेवियों की स्थिति

   क्योटी ग्राम वन समिति के अध्यक्ष बैद्यनाथ तिवारी हैं. सहसचिव उनके भाई संतोष तिवारी को रखा गया है. जबकि संतोष तिवारी का एक अन्य भाई चौकीदार के पद पर है जिससे कार्य में घोलमोल चल रहा है जिसके कारण समिति के कार्य प्रभावित हो रहे हैं.

    क्योटी क्षेत्र में वन संपदा और वन संबंधी खनिज संपदा का निरंतर दोहन किया जा रहा है लेकिन इस बात पर वन विभाग अज्ञान बना हुआ है कोई कार्यवाही नही की जा रही है. सबकी मिलीभगत से पूरे वन क्षेत्र में माफिया कब्जा किये हुए है और पूरे जंगली क्षेत्र की ऐसी की तैसी कर दी है. 

ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट रोके जाने से वन संपदा को बना खतरा 

   आज पूरे रीवा ज़िले और यहां तक की पूरे प्रदेश में मात्र 3 हज़ार रुपये मासिक तनख्वाह पाने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट को जिस प्रकार से वर्षों से रोक कर रखा गया है इससे साफ जाहिर है की वन संपदा की सुरक्षा सही तरीके से नही हो पाएगी. क्योंकि मानसेवी चौकीदार अपने घर परिवार की रोजी रोटी और गृहस्थी की व्यवस्था करेगा की मुफ्त में जंगल की निगरानी करेगा. फिर भी देखा जाय तो इस आशा के साथ की आज नही तो कल इन मानसेवियों को रुकी हुई पेमेंट मिलेगी अभी भी सभी मानसेवी कर्मी अपने अपने कार्य में मुस्तैद हैं.

जंगल की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मात्र 3 हज़ार प्रतिमाह पाने वाले मानसेवी चौकीदारों के बलबूते

    अब हाल यह है की पूरे ज़िले में जबकि मुंसी एवं वन रक्षकों की हड़ताल चल रही है वन में कहीं आग लग रही है तो कहीं अवैध कटाई हो रही है तो कहीं जंगल में अवैध परिवहन हो रहा है तो कहीं जंगली जानवरों का शिकार हो रहा है ऐसे में मात्र जंगलों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी वर्षों से कार्यरत और वर्षों से रुकी पेमेंट के वावजूद भी निरंतर काम करने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों के ही बलबूते है.     

  सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा वन अपराध रोकने को लेकर मुहिम

    इस बाबत देखा जाए तो पिछले कई वर्षों से रीवा सर्किल के अंदर और विशेषतौर पर सिरमौर वन परिक्षेत्र में हो रहे वन अपराध की निरन्तर निगरानी की जा रही है जिसकी शिकायतें समय समय पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा सीएम हेल्पलाइन मप्र शासन से लेकर वन मंत्रालय नई दिल्ली एवं क्षेत्रीय फारेस्ट कार्यालय भोपाल सहित स्थानीय स्तर पर ज़िले में वन मंडलाधिकारी, मुख्य वन संरक्षक, एवं उप वन मंडलाधिकारी आदि तक की जाती रही है लेकिन मात्र कागज़ी कोरम पूर्ति और आश्वासन के अतिरिक्त कहीं कुछ हुआ नही है. 

बारी ही खा रही खेत

   सही मायनों में यदि देखा जाए तो आज बारी ही खेत खा रही है. जिस वन विभाग को वन संपदा की सुरक्षा के लिए रखा गया है वह स्वयं ही वन संपदा को नष्ट कर रहा है. वन परिक्षेत्र के नियमति सरकारी अधिकारी कर्मचारी जैसे रेंजर, डिप्टी रेंजर, मुंसी आदि माफियाओं से सीधे मिले होते हैं और कमीशन का खेल खेल रहे हैं. कई मर्तबा सामाजिक कार्यकर्ता के समक्ष ही यह बात आई है जब रंगे हांथों वन मफ़िया के गिट्टी पत्थर से भरी अवैध ट्रेक्टर ट्राली पकड़ी गई लेकिन कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई. इसी प्रकार कई मर्तबा अवैध शिकार और अवैध वनों की कटाई के भी मामले रखे गए लेकिन सभी में मात्र कोरम पूर्ति ही हुई कहीं कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई. होता क्या है की जो नियमति अधिकारी कर्मचारी हैं वह वन माफियाओं से मिलकर लेन देन कर मामलों को रफा दफा कर देते हैं जबकि मानसेवी चौकीदार अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने ही ग्राम और और आसपास के अवैध कार्य में संलिप्त लोगों से पंगा ले लेते हैं. ऐसे में जहां अपने ही लोकल लोगों से उन्हें एक दीर्घकालीन दुश्मनी की गुन्जाईस बनी रहती है वहीं दूसरी तरफ नियमित वन अधिकारियों की नमकहरामी की वजह से इन बेचारे मानसेवी चौकीदारों की सामाजिक तौर पर भी भर्तस्ना का शिकार होना पड़ता है जबकि माफिया किश्म के लोग धौस भी जमाते कहते हैं की चलो चले थे कार्यवाही करवाने और हुआ कहीं कुछ नही. 

मानसेवियों की पेमेंट बनाने वास्ते माग रहे पैसा

  आज कितनी बड़ी विडंबना है की भ्रष्ट्राचार का आलम यह है की व्यक्ति आज अपने जमीर को भी बेंच देने में पीछे नही हट रहा है. मात्र 3 हज़ार रुपए मासिक तनख्वाह पाने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट बंनाने के लिए बाउचर रोक कर रखे गए हैं. पेमेंट बनाने के लिए मानसेवियों से घूस की माग की जा रही है. ग्राम वन समितियों रुझौही, सरई आदि के उपस्थित मानसेवी चौकीदारों द्वारा बताया गया की उन्हें यह कहा जा रहा है की कुछ खर्चा दो तो बाउचर आगे बढ़ाएं बिना खर्चे के कुछ नही होता. बताया गया की इसमे ऊपर तक शेयर बंधा रहता है और डिप्टी और अन्य अधिकारियों को भी देना पड़ता है अतः जब तक ऊपर का खर्चा नही मिलेगा तब तक पेमेंट नही बन पाएगी.

संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें की रीवा ज़िला अंतर्गत आने वाले सिरमौर वन परिक्षेत्र के रुझौही और सरई ग्राम वन समिति के मात्र 3 हज़ार रुपये मासिक पाने वाले उपास्थित मानसेवी चौकीदार जिनकी पेमेंट आज पिछले वर्षों से रुकी हुई है. मानसेवी चौकीदारों के नाम क्रमशः - 1) दसरथ यादव पिता दीनदयाल यादव 2) दिलीप कुमार मिश्रा पिता मोहन लाल मिश्रा 3) बाबूलाल यादव पिता श्रीरामगोपाल यादव.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र

मोबाइल - 07869992139, 09589152587  

भिटवा नईगढ़ी काण्ड - गोमाता को धारदार हथियार से मारा (मामला ज़िले के नईगढ़ी थाना अंतर्गत भिटवा-भदावल ग्राम का जहां राजेन्द्र सिंह की गाय को अज्ञात लोगों ने धारदार हथियार से मारा, गाय मरणासन्न, जीने की कोई संभावना नही)

दिनांक 30 मई 2018, स्थान - भिटवा/नईगढ़ी, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

  ज़िले में एकबार फिर गौमाताओं के साथ प्रताड़ना का दौर चल पड़ा है. जगह जगह आवारा छोड़ दी गई गायों को मारा पीटा जा रहा है और साथ ही धारदार हथियार से भी मारा जा रहा है.

   अभी हाल ही में पिछले दिनो भिटवा ग्राम निवासी राजेन्द्र सिंह द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को मोबाइल पर फ़ोन करके जानकारी दी गई की उनकी श्याम वर्ण  गाय को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा धारदार हथियार संभवतः बर्छी से हमला करके घायल कर दिया गया है जो पुष्पेंद्र सिंह उर्फ पम्पू सिंह के घर के बाड़ी के बाहर घायल अवस्था में पड़ी हुई थी. जब राजेन्द्र सिंह घटनास्थल पर पहुचे तो उन्हें उनकी श्याम वर्ण गाय अधमरी अवस्था में मिली. गाय के सामने से उसके माथे में बर्छी से चोट के निसान भी मिले साथ ही आगे के बाएं पैर में भी ऊपर घाव मिला. गाय का एक पैर भी बुरी तरह से टूट चुका था. इस स्थिति को देखकर राजेन्द्र सिंह ने अपने भदावल ग्राम के निवासी एवं राष्ट्रीय गोरक्षा संघ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष एवं मप्र के प्रभारी आध्यक्ष रामशिरोमणि दास से सारी जानकारी बतायी जिस पर आसपास के कई गणमान्य लोग एकत्रित हुए एवं गाय की दुर्दशा पर अग्रिम कार्यवाही करने एवं संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाये जाने की बात की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक इस विषय में कोई प्राथमिकी दर्ज नही हुई है और न ही पीड़ित गोपालक द्वारा कोई इस विषय में व्यक्तिगत रिपोर्ट ही दर्ज करवाई गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार रामशिरोमणि दास महाराज द्वारा बताया गया की उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर टी आई नईगढ़ी के एल शाक्य से मिलकर व्हाट्सएप्प एवं इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लेकर मौखिक तौर पर घटना की जानकारी दी है परंतु अब तक इस विषय में न तो कोई जांच की गई है और न ही कार्यवाही हुई है इससे गो-हत्या में रत अपराधी और असमाजिक तत्वों के मनोबल स्वाभाविक रूप से बढ़े हुए हैं जिससे आये दिन गो-प्रताड़ना के किस्से सुनने और देखने को मिल रहे हैं.

रीवा के पनगड़ी भलघटी पहाड़ में भी की गई थी सैकड़ों गौमाताओं की हत्या

  बता दें इसके पूर्व भी सामूहिक गो प्रताड़ना की बात तब आई थी जब पिछले ठंडी के मौसम में दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 के बीच थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी बीट के जंगलों में भलघटी नामक पहाड़ के नीचे सैकड़ों की संख्या में गोवंशों को घाटी के ऊपर से धकेल दिया गया था जिसमे पचासों की मौत हो गई थी जबकि जो जीवित बची थी उनको निकलने के लिए पूरे सप्ताह भर जद्दोजहद चली थी जिसमे श्रीमती मेनका गांधी केंद्रीय मंत्री का पीपल फ़ॉर एनिमल्स एन जी ओ की मदद से एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया और ध्यान फाउंडेशन नामक संस्था के सामूहिक प्रयाशों से बचे हुए गोवंशों को जीवित आगे पहुचाया गया था.

अवैध बाड़ों में हो रही गौहत्याएं

 बता दें गोवंशों के साथ प्रताड़ना  यहीं तक सीमित नही है. मात्र इशाई और मुसलमान भर नही बीफ खा रहे बल्कि हिन्दू समाज भी इसमे पीछे नही है. आज तथाकथित कुछ सवर्ण वर्ग भी गोमांश खाने में परहेज नही कर रहा है दूसरे जाती वर्ग की बात तो दूर की है.

   जहां तक ग्रामों के हालात हैं उनके बारे में बता दिया जाए की आज फसल नुकसानी के नाम पर किसान और अन्य ग्रामीण असमाजिक लोग गायों को अवैध बाड़ों में कैद कर देते हैं और उन्हें चारा पानी भूषा और छाया की कोई व्यवस्था नही करते, जिससे गोवंश भूंख प्यास छाया बिना कुछ दिनों अथवा सप्ताह में एक एक करके घुट घुट कर मर जाते हैं. आज यह सिलसिला पूरे ज़िले और प्रदेश में चल रहा है जब इसी भारतीय हिन्दू समाज में हमारी भारतीय संस्कृति की माता गोमाता के प्रति संवेदना पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है और गोमाता मारे मारे फिर रही है.

सरकार से नाउम्मीद पर गोरक्षा संगठन भी बने मूक दर्शक

  आज सबसे बड़ी विडंबना यह है की समाज में तो अपराध बढ़ ही रहा है परंतु जिस अपराध को कम करने और बन्द करने के लिए शासन प्रशासन होता है परंतु शासन प्रशासन स्वयं ही आपराधिक तत्वों को पाल रहा है और उन्हें ऐसे कृत्य करने में सहयोग कर रहा है. अब प्रश्न यह उठता है की आज भारतीय संविधान और आई पी सी में गोवंशों और विशेषतौर पर गायों के लिए जो सुरक्षा संबंधी नियम कायदे बने हुए हैं उनका पालन क्यों नही हो रहा है. आज इतनी शिकायतो के बाद भी आखिर पुलिश प्रशासन एफ आई आर दर्ज क्यों नही करता है. जबकि देखा जाए तो हर एक घटना के प्रत्यक्ष प्रमाण होते हैं.

  यह एक बहुत बड़ी विडंबना और और देखा जाए तो यह लोकतंत्र के लिए आज सबसे बड़ा खतरा है.

संलग्न -  रीवा मप्र के नईगढ़ी थाना अंतर्गत आने वाले भदावल भिटवा ग्राम में राजेन्द्र सिंह भिटवा की गाय को भाले बर्छी से हमला कर गाय को मार दिया गया है जिसके कारण गाय अपंग हो चुकी है.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र

मोबाइल - 07869992139, 09589152587

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जानकारी देने वाले महाशय -

संत श्री रामशिरोमणि दास जी महाराज, राष्ट्रीय गोरक्षा संघ गोवंश एवं जीवरक्षा संयुक्त महाभियान छत्तीशगढ़, प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष मप्र,

मोबाइल - 9111121015, 

Monday, May 28, 2018

ट्रांसफार्मर जलने से अतरैला ग्राम में महीने से फैला घुप अंधेरा, नलकूप सूखे, ट्यूबवेल बन्द, आमजन में त्राहि त्राहि (मामला ज़िले के लालगांव डीसी अंतर्गत आने वाले अतरैला ग्राम का जहां बताया जा रहा है 17 लाख का बिल बकाया)

दिनांक 28 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

   ज़िले में जगह जगह ट्रांसफार्मर जलने से गर्मियों में त्राहि त्राहि मची हुई है. एक तो ज्यादातर नलकूप सूखे पड़े हैं ऊपर से यदि ट्यूबवेल से पानी पीने की कोई भी संभावना शेष बची थी वह ट्रांसफार्मर जलने से समाप्त हो गई. अब लोग बूंद बूंद पानी के लिए भटक रहे हैं. ऐसा लगता है मानो 17 वीं सताब्दी में जीवन जिया जा रहा हो जब 5 किमी में भी बमुश्किल एक कुआं होती थी.

   लालगांव डीसी अंतर्गत अतरैला ग्राम का ट्रांसफार्मर महीने भर से जला

     ज़िले के लालगांव विद्युत वितरण केंद्र  अंतर्गत अतरैला ग्राम का ट्रांसफार्मर पिछले एक माह से ऊपर से जला पड़ा है लेकिन  शिकायतों के बावजूद भी बदला नही गया है. जब भी कंभी जेई लालगांव अथवा एई जवा से चर्चा की जाती है तो बताया जाता है की बिजली का बिल बकाया है अतः ट्रांसफार्मर बदला नही जाएगा.

  17 लाख बिजली बिल कैसे है बकाया?

    ट्रांसफार्मर बदले जाने की जब गुहार आमजन और उपभोक्तागण द्वारा विभाग में लगायी गई तो बताया गया की 17 लाख से अधिक का बिजली बिल अतरैला ग्राम का बकाया है अतः जब तक कम से कम 20 प्रतिशत नही भरा जाएगा तब तक ट्रांसफार्मर नही बदला जाएगा.

   सबसे बड़ी बात यह है की आखिर अतरैला ग्राम का बिजली बिल इतनी अधिक अमाउंट में बकाया था तो बिजली विभाग अब तक क्या सो रहा था? यदि किसी गरीब के हज़ार रुपये बकाया होता है तो उसको नोटिस पर नोटिस भेजी जाती हैं तो यह कैसे हुआ की एक ग्राम का अकेले 17 लाख से ऊपर बकाया हो गया? क्या अतरैला ग्राम में फैक्ट्री चलती है की इतनी बिजली खपत हो रही है? प्राप्त जानकारी में लगभग 180 रजिस्टर्ड बिजली उपभोक्ता बताए गए हैं जिनमे 35 के आसपास नियमित बिजली बिल देने वाले उपभोक्ता है. बांकी के 100 से ऊपर हरिजन आदिवाशी समूह के उपभोक्ता है. जो लिस्ट एरिया इंजीनियर जवा द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को उपलब्ध करायी गई है उसमे हरिजन आदिवाशी और अन्य उपभोक्ताओं के सबसे अधिक बकाया है और इनकी प्रतिव्यक्ति ज्यादा राशि भी बकाया है. ऐसे में सवाल यह उठता है हरिजन आदिवशियों के बिजली बिल तो सरकारें वैसे भी समय समय पर माफ करती रही है तो 30 हज़ार या 25 हज़ार प्रतिव्यक्ति हरिजन के बिल कैसे शेष हैं. इसका मतलब तो यह हुआ की 300 रुपये के आसपास प्रतिमाह औसत लगाया जाय तो  3600 रुपये सालाना बनता है तब इसका मतलब यह हुआ की 7 से 8 साल से किसी भी हरिजन आदिवाशी ने कोई बिल नही भरा और बिल माफ भी हुए थे। तब इसमे मोटर कनेक्शन धारक और अन्य ग्रामीणों का क्या दोष है जो नियमित बिल भुगतान कर रहे हैं? क्या 180 में से उन 35 नियमित बिल देने वाले उपभोक्ताओं को बिजली कंपनी द्वारा अलग से बिजली सप्लाई नही दी जानी चाहिए? मानाकि 17 लाख बकाया वाले दोषी हो सकते हैं परंतु इसमे नियमित बिल देने वाले उपभोक्ताओं को इस भीषण गर्मी में क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है? बिजली कंपनी ऐसा अन्याय क्यो कर रही है? यह तो सीधे सीधे व्यक्ति के मानवाधिकार का हनन है.

संलग्न - संलग्न तस्वीर में देखें की किस प्रकार इस भीषण गर्मी में नियमित बिजली बिल देने वाले उपभोक्तागण अतरैला ग्राम (डीसी लाल गांव, डी ई त्योंथर) के समक्ष खड़े होकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यक्रता,

रीवा मप्र, 7869992139, 9589152587.

Sunday, May 27, 2018

महादेवन शिवधाम पनगड़ी में सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ भंडारे के साथ सम्पन्न (पनगड़ी महादेवन शिवधाम में आयोजित हुआ 8 दिवशीय कार्यक्रम, 20 से प्रारम्भ होकर 27 को हुआ विसर्जन)

दिनांक 27 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव/कैथा, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

  पावन पुनीत स्थली पनगड़ी महादेवन शिवधाम में दिनांक 20 मई से प्रारम्भ हुआ सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ एवं प्रतिदिन रुद्राभिषेक का कार्यक्रम दिनांक 27 मई को भंडारे के साथ सम्पन्न हुआ.

   इस पुनीत पावन धाम में हज़ारों श्रद्धालुओं एवं भक्तों ने शिवधाम महादेवन में उपास्थित होकर धर्मलाभ प्राप्त किया और अपने  जीवन को धन्य किया. दिनांक 27 मई को शुबह से ही भण्डारा प्रारम्भ हुआ जिसमे दूर दूर से आये भक्तों ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया. इसी प्रकार दिनांक 26 मई को भी हवन और पूर्णाहुति के दिन भी हज़ारों शिवभक्त और श्रद्धालुगण उपस्थित होकर हवन प्रक्रिया में भाग लिया.

   भक्त कमलेश्वर प्रसाद त्रिपाठी की महादेव के नाम सुंदर कविता

काशी बाबा विश्वनाथ जी भोले देवतालाब में,

महाकाल हैं उज्जयिनी में महादेव महादेवन में।।


महादेव प्रतिमा के नीचे बहता कल कल झरना

हरी भरी झाड़ियों के मध्य विकशित पुष्प विटप का।।


भोलेनाथ पधारे आसन अनुपम छटा बिखेर रहे

तेज धूप जलती दुपहर है तब भी भक्तों की भीड़ बढ़े।।


तपोभूमि यह महादेवन की पावन गंगाधार बहे,

आये भक्त लगाएं डुबकी जीवन का उद्धार करें।।


प्रकृति सवार यौवन वन का झरने गीत मल्हार सुनाएं

खग मृग करते धमा चौकड़ी, मानव मन की शांति पाए।।

कृपा हुई है महादेव की जागृति हुई धरा मधुवन की

महामृत्युन्जय जप से निसदिन बहती सुर सरिता हर तन की।।

संलग्न - रीवा ज़िले के पनगड़ी स्थित महादेवन शिवधाम में उपस्थित भक्त श्रद्धालुओं द्वारा भंडारे का प्रसाद ग्रहण एवं पूजा अर्चना की छयाचित्र।

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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक, श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति, भारत

 मोबाइल - 07869992139, 09589152587

Saturday, May 26, 2018

सवा लाख महामृत्युन्जय अनुष्ठान में हवन रुद्राभिषेक सम्पन्न, प्रतिदिन शाम को होता है रामायण भजन का कार्यक्रम, आखिरी दिन भण्डारा 27 मई को ( ज़िले के थाना गढ़ क्षेत्र अंतर्गत पनगड़ी महादेवन शिवधाम में चल रहा विशेष आयोजन, विशाल भण्डारा दिनांक 27 मई 2018 को)


दिनांक 26 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/पनगड़ी/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेद्वी)

     पावन पुनीत महादेवन शिवधाम में दिनांक 20 मई से प्रारम्भ हुआ सवा लाख महामृत्युंजय जप महायज्ञ एवं प्रतिदिन रुद्राभिषेक का कार्यक्रम सतत चल रहा है.  कार्यक्रम के सातवें दिन दिनांक 26 मई को एक बार पुनः सातवीं बार रुद्राभिषेक का कार्यक्रम हुआ और इसके उपरांत हवन हुआ।

      दिनांक 27 मई को आयोजन के आखिरी दिन सम्पूर्ण कार्यक्रम का समापन विशाल भंडारे के साथ सम्पन्न होगा जिसमे भारी संख्या में भक्तों श्रद्धालुओं के पहुचने की उम्मीद की जा रही है.

  महामृत्युन्जय अनुष्ठान में हर शाम आयोजित होता है रामायण भजन 

      पनगड़ी से सटे जंगल में स्थित महादेवन शिवधाम में हर शाम को रामायण भजन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. गायक वादक भक्तगण प्रत्येक शाम को एकत्रित होते हैं और अर्धरात्रि तक रामायण भजन का कार्यक्रम करते हैं.

    दिनाँक 25 मई की शाम को स्थानीय गायक कलाकार जैसे अम्बिका पटेल मदरी, बद्री पांडेय पनगड़ी और अन्य गायक उपस्थित होकर कार्यक्रम में अपनी सहभागिता दिए और इस प्रकार कार्यक्रम में सहयोगी बने. पनगड़ी जंगल की वादियों के मध्य चांदनी रात में अर्धरात्रि तक रामायण भजन का कार्यक्रम चलता रहा.

   विशाल भंडारे का कार्यक्रम होगा 27 मई को

    सवा लाख महामृत्युन्जय अनुष्ठान का विसर्जन विशाल भंडारे के साथ दिनांक  27 मई को किया जाएगा. 27 मई को भारी संख्या में भक्तों श्रद्धालुओं की उपास्थिति की आशा की जा रही है. कार्यक्रम में प्रमुख सहयोगियों में श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत सहित महामृत्युन्जय जप कमेटी के सदस्य राजेन्द्र सिंह, राम अनंत मिश्रा, शिवेंद्रमणि शुक्ला, वंशगोपाल सिंह, बब्बू सिंह, रामशिरोमणि शुक्ला, रघुराई दास, राम शिरोमणि यादव, रामू मिश्रा, विजुआ यादव, शिवेंद्र यादव, रुक्मिणी गौतम, बुद्धिमान प्रसाद तिवारी, परमानंद पांडेय, सुदामा मिश्रा, सुरेश गुप्ता, रमेश एवं श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति के राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक शिवानंद द्विवेदी सहित अन्य क्षेत्रीय लोग हैं।

 दीर्घायु होने और अकाल मृत्यु से बचाव के लिए होता है सवा लाख जप

     शास्त्रों का मत है की अकाल मृत्यु  से बचने के लिए एवं दीर्घायु होने के लिए सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान किया जाता है. मार्कण्डेय को जीवन संकट उत्पन्न होने पर पुराणों के अनुसार उन्होंने महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान किया था जिससे अकाल मृत्यु पर विजय प्राप्त होकर भगवान शिव ने उन्हें अपने चार कल्पों की भी उम्र प्रदान कर दिया था ऐसा शास्त्रों का कथन है. 

     इसके उपरांत सभी भक्त श्रद्धालुगण महामृत्युन्जय जप अपने अपने मान्यता और श्रद्धा अनुरूप करते हैं. जिस भक्त की जितनी क्षमता होती है वह उसी अनुरूप महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान करवाता है. आचार्य गौरशंकर शुक्ला जी ने पिछले दिनों यह भी बताया की जो भक्त आर्थिक रूप से अथवा किन्ही अन्य परिस्थितियोंवश सवा लाख महामृत्युन्जय जप करने में सक्षम नही हैं वह इस विशेष आयोजन में यदि महामृत्युंजय जप यज्ञस्थल की परिक्रमा भी प्रतिदिन कर लें तो भी उन्हें उतने ही फल की प्राप्ति होती है.

संलग्न - सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में कार्यक्रम का कुछ दृश्य. दिनांक 25 मई की रात को आयोजित रामायण भजन संंध्या का दृश्य.

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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक, श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत, 
मोबाइल - 07869992139, 09589152587

Friday, May 25, 2018

ओवरलोडेड ट्रैफिक ने बिगाड़ी सड़क की सेहत (मामला ज़िले की सबसे मजबूत टू लेन सड़क का जिस पर अवैध तरीके से चल रहे हैवी ट्रकों ने कलवारी-क्योटी मार्ग की धज्जियां उड़ा दी हैं)

दिनांक 25 मई 2018, स्थान- गढ़/गगेव/भठवा/लालगांव , रीवा मप्र 

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

  ज़िले में सबसे मजबूत बनी एमपीआरडीसी सड़क की ओवरलोडेड वाहनों ने सेहत बिगाड़ कर रख दिया है. पिछले 2 वर्ष पूर्व दिलीप बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनायी गई क्योटी से कलवारी सड़क में बनते ही ओवरलोडेड ट्रैफिक प्रारम्भ हो गया. बनकुइयां से गिट्टी बालू और डस्ट लेकर आने वाले सभी ओवरलोडेड ट्रक टोल टैक्स बचाने के उद्देश्य से इसी मार्ग से गुजरते हैं. दिन में तो फिर भी कुछ अपेक्षाकृत कम ट्रैफिक दिखेगा परंतु शाम होते ही ओवरलोडेड 12, 16, 18 चक्कों के ट्रकों में लोड गिट्टी, बालू और डस्ट तांता लगा लेते हैं. कभी कभी तो सड़क पर चलना मुश्किल पड़ जाता है. यह सब कारनामा पुलिश और आरटीओ की मिलीभगत से चल रहा है जिसमे इन सभी विभागों के शेयर होते हैं.

  पहले भी कई बार उठे हैं मुद्दे 

   क्योटी से कलवारी सड़क मार्ग पर अवैध  और ओवरलोडेड परिवहन का मामला पहले भी मीडिया पर और साथ ही विभागीय  शिकायत के तौर पर उठा है लेकिन विभागीय संलिप्तता के चलते कोई भी सार्थक कार्यवाही नही हुई.

सड़क के उड़ रहे परखच्चे

   इस ओवरलोडेड और अवैध परिवहन की वजह से क्योटी से कलवारी सड़क मार्ग के परखच्चे उड़ रहे हैं. जगह जगह से सड़क उखड़ रही है. किनारों पर हैवी बजन वाले टायरों एवं पानी के बहाव और धसाव की वजह से भी सड़क क्षतिग्रस्त हो रही है जिसकी खबर भी मीडिया में कुछ सप्ताह पूर्व आयी थी जिस पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा मप्र सड़क विकाश प्राधिकरण भोपाल के मेंटेनेंस अधिकारियों को भी अवगत कराया गया था. यद्यपि इस पर संगयन लेते हुए विभाग ने कहीं कहीं यदा कदा थोड़ी मोरम जरूर डाली है जो नाकाफी है.

संलग्न - संलग्न तस्वीर में देखें ज़िला रीवा अंतर्गत क्योटी से कलवारी सड़क मार्ग में ओवरलोडेड और अवैध परिवहन और साथ में उखड़ी हुई सड़क.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र,

  मोबाइल - 07869992139, 09589152587

Thursday, May 24, 2018

महामृत्युन्जय महायज्ञ सकाम निष्काम दोनो विधा से होता है (ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी बीट जंगल मे पुनीत महादेवन शिवधाम में सवा लाख महामृत्युन्जय अनुष्ठान का छठा दिन, 26 को पुर्णाहुति हवन एवं 27 को विशाल भण्डारा)

दिनांक 25 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी) 

          दिनांक 20 मई से प्रारम्भ हुआ सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान एवं रुद्राभिषेक का कार्यक्रम पनगड़ी जंगल के महादेवन शिवधाम में निरंतर चल रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 25 मई को अनुष्ठान का छठा दिवश रहा।

 यज्ञोपि तस्यै जनतायै कल्पते

         इस बात आचार्य डाक्टर श्री गौरी शंकर शुक्ल जी ने कहा "यज्ञोपि तस्यै जनतायै कल्पते "।

           आचार्य श्री ने बताया की यज्ञ जनमानस के कल्याण के लिए होता है। श्री महामृत्युन्जय महायज्ञ में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं जो की नित्य अनेकानेक वस्तुओं से  नित्य निरंतर भगवान भूत भावन भोलेनाथ का अभिषेक अनेक प्रकार की कामनाओं के लिए किया जा रहा है वस्तुतः पुरुषोत्तम मास में पूजन यजन का विशेष महत्व है पुरुषोत्तम मास में किया हुआ जप तप पूजन यजन दान पुण्य अभीष्ट फल देने वाला है महामृत्युन्जय महायज्ञ सकाम निष्काम दोनो विधा से होता है सकाम कामना हेतु जैसे की पुत्र हेतु दुग्ध से रोग निवारण के लिए कुसोदक से और जिनको किसी प्रकार की कामना न हो शुध्द विशुद्ध गंगा जल से करें साक्षात नारायण की अविरल भक्ति प्राप्ति के लिए तीर्थराज प्रयाग से पधारे याज्ञिक वैदिक विद्वानो के द्वारा सुबह 7:बजे से 12:बजे तक यजन पूजन व रुद्राभिषेक कार्यक्रम किया जाता है द्वितीय वेला में 3:बजे 6: बजे तक जप तथा 5:बजे से 6:30 बजे तक प्रवचन तथा आरती तत्पश्चात सायं कालीन बेला में कीर्तन भजन का कार्य किया जाता है।

पुर्णाहुति एवं हवन का कार्यक्रम 26 को भंडार 27 को 

            पनगड़ी जंगल के महादेवन शिवधाम में आयोजित सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ एवं नियमित रुद्राभिषेक का हवन एवं पुर्णाहुति का कार्यक्रम दिनांक 26 मई को रखा गया है। इस बीच श्रीमद्भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत की कमेटी एवं सभी आयोजक गण ने सभी भक्त श्रद्धालुओं के कार्यक्रम स्थल में नहाधोकर, स्वच्छ वस्त्र धारण कर हवन सेमगरई के साथ उपास्थिति होने की अपील की है।

            हवन एवं पुर्णाहुति का कार्यक्रम शुबह 8 बजे से प्रारम्भ होगा जो भक्तों के आगमन तक चलता रहेगा।

          भंडारे का कार्यक्रम दिनांक 27 मई को रखा गया है। यह एक सार्वजनिक धार्मिक आयोजन है जो विश्व शांति एवं जीव कल्याणार्थ आयोजित हुआ है जिसमे सभी जाती वर्ग के श्रद्धालुओं को सादर आमंत्रित किया गया है।

संलग्न - पनगड़ी जंगल से सटे हुए महादेवन शिवधाम में हो रहे सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में सम्मिलित हुए आचार्यगण एवं अन्य भक्तों की छयाचित्र.

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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक, श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत, मोबाइल 07869992139, 09589152587,

भागवत के सतत श्रवण पान से मिटता है अज्ञान, मिलती है मुक्ति ( ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत हिनौती-बड़ोखर ग्राम में आयोजित हो रही श्रीमद भगवद कथा, मुख्य यजमान सुरसरी सिंह परिहार, 27 को हवन एवं पुर्णाहुति जबकि भण्डारा 28 मई को)

दिनांक 25 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

    हिन्दू पंचांग के पवित्र मलमास अथवा पुरुषोत्तम मास में जगह जगह धार्मिक अनुष्ठानों और आयोजनों का सिलसिला निरंतर चल रहा है. इस बीच पावन पुनीत यज्ञस्थली कैथा से सटे हुए ग्राम हिनौती-बड़ोखर में भी पिछले दिनों 20 मई से भागवत सप्ताह महायज्ञ का प्रारम्भ हुआ जो सतत चल रहा है. 

 पुर्णाहुति और हवन 27 को

   मुख्य यजमान के रूप में भागवत कथा का श्रवनपान कर रहे सुरसरी सिंह परिहार और शिवकुमारी परिहार ने ज्यादा से ज्यादा भक्तों की उपास्थिति की अपील की है. कार्यक्रम में कथा प्रवचन और परायण का कार्य आचार्य राशिरामण तिवारी एवं अनिल तिवारी के मुखारबिंद से हो रहा है. दोनो आचार्यगण परिहार परिवार के कुलगुरु हैं.

   कार्यक्रम में पुर्णाहुति और हवन का कार्यक्रम दिनांक 27 मई को रखा गया है जबकि सार्वजनिक भंडारे एवं ब्राह्मण भोज का कार्यक्रम 28 मई को होगा.

  भागवत श्रवण है मोक्ष का द्वार 

    आचार्य श्री राशिरमण तिवारी जी ने बताया की कलयुग के प्रभाव और नियति के अधीन महाराज परीक्षित को ब्राह्मण पुत्र का श्राप लगता है तो वह मृत्यु के भय से घबरा जाते हैं. उनकी मृत्यु 7 दिन में बतायी जाती है. ऐसे में अपने पुरोहितों के समक्ष उपास्थित होकर परीक्षित जी अपनी गलती और पूरी व्यथा बताते हैं. उनके कुलगुरु और पुरोहितगण उन्हें व्यासपुत्र शुकदेव जी के पास भेजते हैं. तब शुकदेव जी कहते हैं की है राजन आपका मृत्यु से भय आपका अज्ञान है. अतः आप 7 दिवश तक भागवत कथा का श्रवण पान करें जिससे आपका अज्ञान नष्ट होकर आप मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेंगे.

7 दिवश में ही प्राण त्याग होते हैं

   7  दिवश तक निरंतर भागवत कथा का श्रवण पान करने के पश्चात जब ब्राह्मण पुत्र के द्वारा दिए गए श्राप की बात आती है और महाराज परीक्षित पुनः विचलित होते हैं तब शुकदेव जी कहते हैं की है राजन अभी तक आपका अज्ञान लगता है नष्ट नही हुआ. याद करिये की भगवान श्रीकृष्ण जी ने गीता के उपदेश में क्या कहा था. मरता तो मात्र हमारा यह शरीर है न की आत्मा. आत्मा अजर अमर शाश्वत सनातन और ईश्वर अंश है अतः शरीर नष्ट होने के उपरांत भी यह आत्मा नष्ट नही होती है. और आज नही तो कल इस शरीर का नष्ट होना तय है तो फिर आप शोक क्यों कर रहे हैं. 

   आचार्य जी ने बताया की परीक्षित की मृत्यु 7 दिवश में होनी बतायी गई थी इसका तात्पर्य यह है की हम सभी की मृत्यु 7 दिवश में ही होनी है. सप्ताह में मात्र 7 दिन ही होते हैं अतः आठवां दिन किसी की मृत्यु नही होती. इस प्रकार परीक्षित जी को तत्काल ब्रह्मज्ञान हो जाता है और तक्षक नाग रूपी काल आकर परीक्षित जी को डसता है और ईश कृपा से परीक्षित जी की आत्मा परमात्मा में विलीन होकर परम पद को प्राप्त करती है. समस्या मृत्यु से नही है बल्कि समस्या है मृत्यु के भय से है, जैसे ही भय से मुक्ति मिल गयी मानो मृत्यु पर विजय मिल गयी. आचार्य जी ने बताया की व्यक्ति अज्ञानवश यह समझ बैठता है की वह इस धरती पर आया है तो सदैव ही बना रहेगा जबकि वह स्वयं रोज देखता है की किस प्रकार इस नश्वर संसार में आने वाला हर जीव दिन प्रतिदिन यहां से पलायन कर रहा है. परंतु अज्ञान के अंधकार में जकड़ा हुआ मॉनव मोह माया के चंगुल में इस प्रकार पड़ा रहता है की वह इस नश्वर संसार को छोंड़ना नही चाहता. 

   महाराज जनक थे जीवनमुक्त

        अतः श्रीमद भगवद कथा के निरन्तर श्रवण पान करते रहने से  जीव का मोह नष्ट होकर आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है और आत्मज्ञान से ही व्यक्ति को वास्तविक मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. मुक्ति शास्त्रों में दो प्रकार की बतायी गई है. एक शरीर त्याग के बाद की मुक्ति जबकि दूसरी जीवन रहते ही मुक्ति की प्राप्ति. आचार्य जी ने बताया की राजा जनक जीवन्मुक्त के उदाहरण हैं जिन्होंने आत्मज्ञान से जीते जी ही मुक्ति प्राप्त कर ली थी इसीलिए उन्हें विदेह भी कहा जाता था. विदेह का तात्पर्य है इस शरीर में आत्मा रहते हुए भी शरीर के भाव का एहसास न होना बल्कि आत्मा में अवस्थित होना ही जीवन मुक्ति है.

   संलग्न - रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत आने वाले हिनौती-बड़ोखर ग्राम में आयोजित श्रीमद भगवद भक्ति ज्ञान यज्ञ का दृश्य.

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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत,  मोबाइल 07869992139, 09589152587 

मिसिरा ग्राम में बह रही भागवत की बयार (थाना गढ़ अंतर्गत पावन यज्ञस्थली कैथा के नजदीकी ग्राम मिसिरा में 18 से 25 मई तक आयोजित हो रही भागवत कथा, 26 को हवन एवं भंडारे के साथ विसर्जन)


दिनांक 24 मई 2018, स्थान - गढ़/गगेव रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

 हिन्दू पंचांग के पवित्र मलमास या अधिमास में जगह जगह धार्मिक आयोजनों और अनुष्ठानों का सिलसिला चल रहा है. इसी बीच थाना गढ़ अंतर्गत पावन पुनीत श्रीहनुमान जी की स्थली कैथा के अत्यंत नजदीक ही स्थित मिसिरा ग्राम में भी श्रीमद भगवद कथा का कार्यक्रम चल रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री बंसपती सिंह अपने निज निवास में दिनाँक 18 से 25 मई तक भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं एवं 26 मई को हवन एवं भंडारे के साथ कार्यक्रम का विसर्जन होगा. इस बीच सभी भक्त श्रद्धालुगणों को कथा श्रवण करने एवं भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने के लिए सादर आमंत्रित किया गया है.

  श्रीमद भगवद कथा में परायण का कार्य श्री श्री 108 श्री महेश प्रसाद शास्त्री जी महाराज एवं प्रवचन का कार्य आचार्य श्री जय प्रकाश शास्त्री जी महाराज के मुखारबिंद से किया जा रहा है.

   कार्यक्रम शुबह 8 बजे से 12 बजे तक एवं शायं 4 बजे से शाम सात बजे तक चलता है.

कथा में अब तक

मिसिरा ग्राम में आयोजित श्रीमद भगवद कथा के कार्यक्रम में अब तक सृष्टि उत्पत्ति, भगवान कृष्ण जी का जन्मोत्सव और बॉलीलायें, पूतना वध, कंस प्रसंग, मथुरा में प्रवेश, गुरुकुल में प्रवेश, विद्याध्ययन, और पुनः मथुरा वापसी, एवं जरासंध वध, द्वारिका पूरी निर्माण, समस्त मथुरा वासियों का द्वारिका पुरी में निवास, सहित अन्य कथा प्रसंग सम्मिलित हैं.

 श्रीमद भगवद में उद्वव प्रसंग

  

    जब भगवान श्रीकृष्ण जी उद्धव जी को गोपियों को तत्व ज्ञान देने के लिए भेजते हैं तो उद्धव जी को अपने वेदांत ज्ञान पर काफी अभिमान आ जाता है. उद्धव जी मन में सोचते हैं की कहां उनका यह वेदांत ज्ञान ब्राह्म ज्ञान और कहां अशिक्षित अनपढ़ गांव की गोपियाँ. वह उन अनपढ़ गोपियों को कैसे यह ब्राह्म ज्ञान दे पाएँगे.

  इसी उहापोह में उद्वव जी गोकुल के लिए प्रश्थान करते हैं. श्रीकृष्ण जी के वेश में उद्वव गोकुल पहुचते हैं तो वहां उपस्थित नन्द बाबा और अन्य लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं. उन्हें लगता है की यह हमारा कृष्ण ही है. मिलने में ज्ञात होता है की यह कृष्ण नही उनके मित्र उद्वव जी है. इस प्रकार उनको बड़े प्यार के साथ उन्हें घर में ले जाते हैं और उनका सत्कार करते हैं.

  जब उद्धव जी गोपियों से मिलते हैं तो विभिन्न प्रकार से उन्हें समझाते हैं की यह मोह माया में पड़ना उचित नही है और ईश्वर के प्रेम में ही जीवन समर्पित करना उचित है. उद्वव जी विभिन्न प्रकार से एकेश्वरवाद और वेदांत की बात करने लगते हैं परंतु गोपियों के हृदय में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नही होता, गोपिकाएं कहती हैं की हमारे लिए तो ब्राह्म श्रीकृष्ण ही हैं और वही हमारे मन और रोम रोम में बसे हुए हैं. इस प्रकार गोपियों का अगाध प्रेम देखकर उद्वव जी स्वयं अपने ज्ञान और वैराग्य से विचलित हो जाते हैं. उन्हें अपने जीवन में पहली बार पता चलता है की इस प्रेमाभक्ति के समक्ष उनका ज्ञान और वैराग्य बौना साबित हुआ है.

  इस प्रकार इस कथानक के माध्यम से श्रीमद भगवद कथा में भक्ति और प्रेम को ज्ञान और वैराग्य से भी श्रेष्ठ बताया गया है.

  कथा प्रसंग में अब आगे

    भगवद कथा प्रसंग में आगे के प्रवचन में आचार्य श्री जय प्रकाश शास्त्री के मुखारबिंद से जरासंध प्रसंग बताते हुए रुक्मिणी हरण का प्रसंग बताते हुए जरासंध आदि का वध करते हुए शिशुपाल वध एवं कृष्ण-सुदामा चरित्र का प्रसंग आएगा.

    आयोजन समिति द्वारा सभी भक्त श्रद्धालुगणों को सादर आमंत्रित किया गया है।

  संलग्न - रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत मिसिरा ग्राम में चल रही श्रीमद भगवद कथा कार्यक्रम के छयाचित्र संलग्न हैं.

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शिवानन्द द्विवेदी, संयोजक एवं प्रचारक श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत,

मोबाइल - 07869992139, 0958915258

महादेवन में अद्भुत लीला महादेव जी दिखा रहे, दूर दूर से भक्तों की टोली जंगल में बुला रहे ( ज़िला रीवा थाना गढ़ क्षेत्र के पनगड़ी महादेवन शिवधाम में सतत चल रहा सवा लाख महामृत्युन्जय जप एवं रुद्राभिषेक, 24 मई कार्यक्रम का पांचवा दिन)

दिनांक 24 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

 ज़िला रीवा अंतर्गत पनगड़ी बीट के जंगलों के बीच मंगल हो रहा है. यह मंगल कार्य दिनांक 20 मई से प्रारम्भ होकर आगे 27 मई तक चलेगा.

   ज्ञातव्य है की विश्व शांति एवं जीव कल्याणार्थ आयोजित महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान एवं रुद्राभिषेक का कार्यक्रम का यह पांचवां दिवश रहा. चौथे दिन के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धालु उपास्थित हुए. शाम को  भंडारे का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसमे 300 से ऊपर लोग सम्मिलित हुए.

  

  सवा लाख महामृत्युन्जय महायज्ञ का वेदी पूजन

    इस महामृत्युन्जय महायज्ञ में एक विशेष वेदी विधान होता है. जिसमे 16 स्तम्भों का पूजन किया जाता है जिसमे सर्वप्रथम ब्रह्मा और इसके बाद क्रमशः विष्णु, रुद्र, इंद्र, सूर्य, गणेश, यम, नागराज, स्कंध, वायु, सोम, वरुण, अष्टवशु, कुबेर, वृहस्पति, और अंत में विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है.  इसी प्रकार पांच वेदियों का पूजन होता है जिसमे क्रमशः वस्तुपीठ, चतुःखष्टि योगिनी, क्षेत्रपाल, नवग्रह, एवं प्रधानपीठ पूजन का विधान है.

   

  23 मई तक 80 हज़ार महामृत्युन्जय मंत्रों का मंत्रोंचार सम्पन्न

    प्राप्त जानकारी में उप आचार्य वरुण शुक्ला द्वारा बताया गया की महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान के चौथे दिन के अंत तक 80 हज़ार मंत्रों का उच्चारण सम्पन्न हुआ. अभी भी लगभग 45 हज़ार मंत्रोंचार पूर्ण किया जाना शेष है जबकि पूरे कार्यक्रम के मात्र 3 दिवश शेष हैं. बताया गया की प्रधान आचार्य श्री गौरीशंकर शुक्ला जी द्वारा प्रतिदिन शुबह 7 बजे से 11 बजकर 30 मिनट तक श्रीशिव जी का रुद्राभिषेक कराया जाता है.

   

  26 मई को होगा पुर्णाहुति एवं हवन का कार्यक्रम

      पुनीत पवित्र महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान के सातवें दिन विशाल हवन एवं पुर्णाहुति का कार्यक्रम आयोजित होगा. जिसमे सर्वप्रथम देव, मंडप पूजन, हवन, वसोद्वार पूर्णाहुति, उत्तर पूजन, आरती, विसर्जन, तथा अंत में ब्राह्मण दक्षिणा इत्यादि का कार्यक्रम रखा गया है.

 महायज्ञ में प्रतिदिन हो रही परिक्रमा

   सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान में प्रतिदिन भक्त श्रधालुओं का तांता लगा रहता है जिसमे भक्तों द्वारा अपनी शक्ति और श्रद्धानुरूप 11, 21, 101, एवं 108 अथवा जिसकी जितनी श्रद्धा बन पड़ती है उसी के अनुरूप यज्ञस्थल एवं शिवधाम की परिक्रमा की जा रही है.

शास्त्रों में बताया परिक्रमा का महत्व

   हिन्दू धर्म शास्त्रों में परिक्रमा का अपना विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों में कथानक आता है की जो भक्त श्रद्धालुगण आर्थिक दृष्टि से सक्षम न हों और यज्ञफल प्राप्त करना चाहते हैं तो वह श्रद्धा भक्ति पूर्वक यज्ञस्थल की परिक्रमा करें जिससे उस यज्ञ के बराबर ही फल प्राप्त होते हैं.

 गणेश जी ने किया शिव-शक्ति की परिक्रमा

    शिवमहापुराण के कथानक अनुसार एक प्रसंग आता है जब माता पार्वती जी अपने पुत्रों कार्तिकेय और गणेश को पृथ्वी की परिक्रमा कर वापस आने की बात करती हैं. इस पर कार्तिकेय अपने वाहन मयूर मे सवार होकर उड़ जाते हैं जबकि गणेश का वाहन मूसक होने से देरी लगती है. ऐसा देख अपनी कुशाग्र बौद्धिक क्षमता और तर्कशक्ति का प्रयोग कर गणेश अपने माता पिता पार्वती एवं शिवजी की ही परिक्रमा कर लेते हैं और कहते हैं की माता पिता से श्रेष्ठ तो कोई नही होता अतः मैंने आपकी  ही परिक्रमा कर मानों धरती की ही परिक्रमा कर ली.

नदियों और धर्मस्थलों की परिक्रमा करने की भी है प्रथा

   यज्ञस्थल की परिक्रमा करने की बात आयी तो प्रधान पुरोहित ने बताया की इसीलिए नदियों और धार्मिक स्थलों की भी परिक्रमा करने की परंपरा भी हमारी भारतीय और हिन्दू संस्कृति में रही है. इसी अनुरूप भक्तगण नर्मदा, गंगा, कामतानाथ स्वामी चित्रकूट सहित अन्य धार्मिक स्थलों की भी परिक्रमा की जाती है. परिक्रमा से मॉनव के त्रिदोष नष्ट होते हैं और साथ ही दैविक शक्तियों का समावेश होता है जिससे व्यक्ति के अंतर्मन में ब्रह्मज्ञान प्रस्फुटित होकर मॉनव अपने मोक्ष मार्ग की तरफ अग्रसर होता है. क्योंकि कर्मों से छुटकारा पाकर जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति ही मोक्ष है. जन्म मरण और योनियों में गमन से मुक्ति मिलती है और जीवात्मा मुक्त होकर ब्रह्मलीन होकर परम धाम में मिल जाती है एकाकार हो जाती है.

भक्त कमलेश्वर त्रिपाठी द्वारा लिखित भगवान महादेव पर 

सुंदर कविता

      महादेवन में अद्भुत लीला महादेव जी दिखा रहे,

     दूर दूर से भक्तों की टोली जंगल में बुला रहे।।

     यों तो मेला यहां पे लगता, वर्ष में पूसी तेरस को

     महादेव जी को जल मिलता रोट नारियल तेरस को।।

     निर्जन वन है जहां ये भूमि नागेश्वर महादेव की

     अनुपम दृश्य आलोकित होता मधुवन में चित चोर की।।

     धन्य भाग्य है हम सब जन की जहां मृत्युंजय जाप हुआ,

      पावन धरती पावन जीवन यह महादेवन धाम हुआ।।

संलग्न - रीवा ज़िले के पनगड़ी जंगल में स्थित महादेवन शिवधाम में चल रहे सवा लाख  महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का पांचवें दिन 24 मई का दृश्य.

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शिवानन्द द्विवेदी, राष्ट्रीय संयोजक एवं प्रचारक, श्रीमद भगवद कथा धर्माथ संतीति भारत

मोबाइल - 07869992139, 09589152587

Wednesday, May 23, 2018

वेद का हृदय है महामृत्युन्जय मन्त्र (रीवा में थाना गढ़ क्षेत्र के पनगड़ी महादेवन शिव मन्दिर में सवा लाख महामृत्युन्जय जप यज्ञ का चौथा दिवश, भारी तादाद में भक्तों का जमावड़ा)

दिनांक 23 मई 2018, स्थान - भठवा/गढ़/गगेव/कैथा, रीवा मप्र

(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)

    हिन्दू पंचांग के पवित्र पुरुषोत्तम मास या मलमास या अधिमास में जगह जगह धार्मिक आयोजन और अनुष्ठान हो रहे हैं. पूरा देश अधिमास के रंग में रंग चुका है. गर्मी और तापमान की चिंता न करते हुए भक्त श्रद्धालुगण अपने अपने पूज्य इष्टदेव की पूजा अर्चना में ज्यादा से ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं. कोई अपने घर गांव में तो कोई तीर्थस्थलों में जाकर प्रभु आराधना में लीन हैं. देश के विभिन्न कोनों में स्थित विभिन्न धार्मिक स्थलों में कोने कोने से लोग जाकर सफर कर रहे हैं और अमूल्य जीवन को धन्य बनाने में जुटे हुए हैं. 

    बाबा धाम, केदारनाथ, बद्रीनाथ, प्रयाग, काशी, मथुरा, रामेश्वरम, कामाख्या आदि के लिए बुक की गई बसों का तांता हर गांव शहर में लगा हुआ है. 

   पनगड़ी महादेवन में सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का चौथा दिवश

    दिनांक 23 मई 2018 को ज़िले के थाना गढ़ स्थित पनगड़ी महादेवन शिव मंदिर में महामृत्युन्जय जप महायज्ञ का चौथा दिवश रहा. इस बीच भारी संख्या में भक्त श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. दर्शनाभिलाषी और सत्संगाभिलाषी श्रद्धालुओं में आम नागरिक से लेकर जनप्रतिनिधि तक सम्मिलित हुए. क्षेत्र के जनपद सदस्य, ज़िला पंचायत सदस्य, सरपंच, सचिव से लेकर हर तबके के भक्तगण इस विशेष धार्मिक अनुष्ठान में सहयोगी एवं इसके साक्षी बन रहे हैं. 

  सार्वजनिक सहयोग से हो रहा आयोजन 

   यह विशेष धार्मिक अनुष्ठान सभी जनमानस के सार्वजनिक सहयोग से संचालित हो रहा है जिसमे हर  स्तर के भक्त श्रद्धालुगण अपना मनसा कर्मणा वाचा सहयोग प्रदान कर रहे हैं. जो भक्त आर्थिक दृष्टि से सक्षम हैं वह अपना आर्थिक सहयोग प्रदान कर रहे हैं, जो शारीरिक दृष्टि से सक्षम हैं वह अपना शारीरिक श्रम से योगदान दे रहे हैं. इस प्रकार यह एक ऐसा कार्यक्रम है जिसमे हिन्दू समाज के हर तबके के लोग बिना किसी भेदभाव के अपना यथासंभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं.

  प्रकृति के गोद में खेलता हुआ महादेवन शिवधाम

     रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत आने वाला महादेवन शिवधाम ऐसे मनोरम स्थल पर है जहां एक तरफ लौंगा पहाड़ और जनकहाई की हरी भरी घाटियां हैं तो दूसरी तरफ प्राकृतिक जलस्रोतों से प्रवाहित होता हुआ शानदार झरना. इस स्थान पर आने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी पिकनिक स्पॉट पर आ गए हों. पनगड़ी बीट के जंगलों के बीचोंबीच बना हुआ भगवान शिव और माता शक्ति का यह छोटा सा धाम किसी फेमस तीर्थस्थल की ही याद दिलवाता है. 

    महादेवन शिवधाम में पहुचने के लिए रीवा में कलवारी-क्योटी रोड से भठवा नामक बस स्टैंड पर उतरकर पनगड़ी वाली रुट लेते हुए पनगड़ी क्रेशर का रास्ता पकड़ा जाता है. पनगड़ी क्रेशर प्लांट के रास्ते से लगा हुआ पनगड़ी का जंगल है जिसमे अंदर कच्चा मार्ग लगभग डेढ़ किमी का है. अमूमन इस स्थल पर बरसात में छोड़कर सभी अन्य मौसमो में आया जा सकता है.

वेदों का हृदय है महामृत्युन्जय मंत्र

     शुभा दुबे के द्वारा लिखित इस लेख में महामृत्युन्जय मंत्र की विशेषता बतायी गई है जिसमे इस विशेष मंत्र को वेदों का हृदयस्थली बताया गया है.

     बताया गया कि यदि आप बहुत बीमार हैं या फिर किसी दुर्घटना के शिकार हो गये हैं या मन आशंकित है तो महामृत्युंजय जप का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। महामृत्युंजय मंत्र "मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र" है जिसे त्रयम्बकम मंत्र भी कहा जाता है। इस मंत्र में शिव को 'मृत्यु को जीतने वाला' बताया गया है। यह गायत्री मंत्र के समकालीन हिंदू धर्म का सबसे व्यापक रूप से जाना जाने वाला मंत्र है। इस मंत्र के कई नाम और रूप हैं। इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव की तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयम्बकम मंत्र और इसे कभी कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह कठोर तपस्या पूरी करने के बाद पुरातन ऋषि शुक्र को प्रदान की गई "जीवन बहाल" करने वाली विद्या का एक घटक माना गया है। ऋषि-मुनियों ने महा मृत्युंजय मंत्र को वेद का हृदय कहा है। चिंतन और ध्यान के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनेक मंत्रों में गायत्री मंत्र के साथ इस मंत्र का सर्वोच्च स्थान है।

ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम।

उर्वारुकमिव बन्धनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

 

-यदि भय से छुटकारा पाना चाहते हैं तो 1100 बार इस मंत्र का जप करें।

 

-रोगों से यदि मुक्ति पाना चाहते हैं तो 11000 मंत्रों का जप करें।

 

-पुत्र की प्राप्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप किया जाता है। अकसर इसके लिए पंडितों को संकल्प दिलाकर सवा लाख मंत्रों का जाप कराया जाता है।

 

-जपकाल के दौरान पूर्ण रूप से सात्विक रहना चाहिए।

 

-मंत्र के दौरान साधक का मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।

 

-मंत्र का जाप शिवमंदिर में रूद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए।

 

-मंत्र का उच्चारण बिल्कुल शुद्ध और सही होना चाहिए तथा मंत्र की आवाज मुंह से बाहर नहीं निकालें।

 

-इस मंत्र को करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें।

 

-महामृत्युमंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिले जल से अभिषक करते रहें।

 

-मंत्र का जाप कोई आसन या कुश का आसन बिछा कर करें।

 

-महामृत्युंजय मंत्र का जाप एक निर्धारित जगह में ही करें। रोज जगह नहीं बदलें।

 

-अमूमन व्यक्ति को सदैव ही शाकाहारी होना चाहिए पर फिर भी जितने भी दिन मंत्र का जाप करें उतने दिन मांसाहार से सर्वथा दूर रहें।

हवन एवं भण्डारा 27 मई को 

     विश्व शांति एवं जीव कल्याणार्थ आयोजित इस विशेष सवा लाख महामृत्युन्जय जप अनुष्ठान का हवन एवं विशाल भंडारे के साथ विसर्जन दिनांक 27 मई को किया जाएगा. यह एक सार्वजनिक धार्मिक अनुष्ठान है जो सभी लोगों के छोटे बड़े सार्वजनिक सहयोग से संचालित हो रहा है जिसमे सभी श्रद्धालुओं के सहयोग के साथ साथ सभी की उपस्थिति की आशा की जा रही है. हिन्दू धर्म की मान्यता अनुसार किसी भी धार्मिक अनुष्ठान के विसर्जन पर आयोजित होने वाला हवन और भंडारे का एक अति विशेष महत्व होता है अतः सभी भक्तों को नहा धोकर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर हवन सामग्री के साथ हवन प्रक्रिया में अवश्य भाग लेना चाहिए और भंडारे के प्रसाद भी ग्रहण करना चाहिए. अनुष्ठान के प्रसाद में मुक्ति का मार्ग छुपा होता है जिससे तामसिक बुद्धि शुद्ध होकर सात्विक बनती है और हम अपने मुक्ति के लिये स्वयं ही तत्पर हो जाते हैं.

संलग्न - रीवा ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी से सटे हुए महादेवन शिवधाम में आयोजित सवा लाख महामृत्युन्जय जप महायज्ञ के चौथे दिवस चल रहे कार्यक्रम की तस्वीरें.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र

मोबाइल - 07869992139, 09589152587