दिनांक 30 मई 2018, स्थान - गढ़/गगेव, रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
प्रदेश में प्रत्येक जिलान्तर्गत ग्राम स्तर पर गठित की गई वन समितियों की स्थिति दयनीय हो चली है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम वन समितियों द्वारा मनोनीत किये गए मानसेवी चौकीदारों की सालों से पेमेंट रोक कर रखी गई है. जबकि देखा जाए तो पूरे जंगल की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों के ही कंधों पर है.
सर्रा ग्राम वन समिति के चौकीदारों की व्यथा
सर्रा ग्राम वन समिति में पदस्थ मानसेवी चौकीदारों दद्दू सिंह एवं अयोध्या केवट द्वारा बताया गया की उनकी 6 माह से अधिक समय से मात्र 25 सौ अथवा 3 हज़ार रुपये मिलने वाली मासिक तनख्वाह उन्हें नही मिल रही है जबकि इस बाबत शिकायत कई मर्तबा डीएफओ सहित अन्य उच्चधिकारियों तक की गई है.
रुझौही ग्राम वन समिति के मानसेवियों की रोकी पेमेंट
ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले रुझौही ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों जैसे दसरथ यादव द्वारा बताया गया की वह समिति में वर्ष 2002 से मानसेवी चौकीदार के रूप में कार्यरत हैं. प्रारम्भ में ग्राम वन समिति के चौकीदारों की पेमेंट 900 रुपये प्रतिमाह थी बाद में धीरे धीरे बढ़कर अब 3 हज़ार रुपये प्रतिमाह हो चुकी है. मानसेवी दिलीप मिश्रा द्वारा बताया गया की वह ग्राम वन समिति में पिछले 5 वर्ष से पदस्थ हैं. प्रारम्भ में दिलीप मिश्रा को 15 सौ रुपये प्रतिमाह दिए जाते थे. मानसेवी दसरथ यादव द्वारा बताया गया की उन्हें मई 2017 से लेकर मई 2018 तक पूरे 13 माह उन्हें कोई पेमेंट नही दी गई है. मानसेवियों का कहना है की वन समिति यदि उनसे काम नही लेना चाहती तो उसे लिखित सूचना और कारण सहित बताना चाहिए जिससे मानसेवी अपनी रोजी रोटी के लिए आगे प्रयास करें. वन विभाग और वन समिति द्वारा मानसेवी चौकीदारों का निरंतर शोषण किया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पता चला की रुझौही ग्राम वन समिति में अर्चना सिंह अध्यक्ष हैं और सहसचिव पंकज सिंह हैं. इनसे प्राप्त जानकारी के अनुसार रुझौही वन समिति में पिछले 2 माह पहले तक समिति के खाते में लगभग ढाई लाख रुपये तक था लेकिन जब मानसेवी चौकीदारों को उनका मेहनताना देने की बात आती है तो बताया जाता है की समिति के खातों में पैसे ही नही है.
सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चैकीदारों के मानवाधिकारों का हो रहा हनन
सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों की भी स्थिति दूसरी अन्य समितियों जैसी ही बनी हुई है. सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदार बाबूलाल यादव द्वारा बताया गया की चौकीदार के तौर पर वर्ष 1999 से अपनी सेवा दे रहे हैं. बाबूलाल यादव द्वारा बताया गया की उन्हें भी मई वर्ष 2017 से लेकर अब तक पूरे 13 माह की 3 हज़ार रुपये के हिसाब से 39 हज़ार रुपये की पेमेंट रोक कर रखी गई है जबकि उनके बच्चे भूंखे मर रहे हैं. सरई ग्राम वन समिति की अध्यक्ष शशि सिंह पति लक्ष्मीनारायण सिंह हैं जबकि सहसचिव एवं चौकीदार को गोपनीय तौर पर रखे गए हैं जो अध्यक्ष के फेवर के हैं और बताया गया कि कुछ ऐसे कर्मचारी बिना काम के ही माल उठा रहे हैं।
क्योटी ग्राम वन समिति के मानसेवियों की स्थिति
क्योटी ग्राम वन समिति के अध्यक्ष बैद्यनाथ तिवारी हैं. सहसचिव उनके भाई संतोष तिवारी को रखा गया है. जबकि संतोष तिवारी का एक अन्य भाई चौकीदार के पद पर है जिससे कार्य में घोलमोल चल रहा है जिसके कारण समिति के कार्य प्रभावित हो रहे हैं.
क्योटी क्षेत्र में वन संपदा और वन संबंधी खनिज संपदा का निरंतर दोहन किया जा रहा है लेकिन इस बात पर वन विभाग अज्ञान बना हुआ है कोई कार्यवाही नही की जा रही है. सबकी मिलीभगत से पूरे वन क्षेत्र में माफिया कब्जा किये हुए है और पूरे जंगली क्षेत्र की ऐसी की तैसी कर दी है.
ग्राम वन समिति के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट रोके जाने से वन संपदा को बना खतरा
आज पूरे रीवा ज़िले और यहां तक की पूरे प्रदेश में मात्र 3 हज़ार रुपये मासिक तनख्वाह पाने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट को जिस प्रकार से वर्षों से रोक कर रखा गया है इससे साफ जाहिर है की वन संपदा की सुरक्षा सही तरीके से नही हो पाएगी. क्योंकि मानसेवी चौकीदार अपने घर परिवार की रोजी रोटी और गृहस्थी की व्यवस्था करेगा की मुफ्त में जंगल की निगरानी करेगा. फिर भी देखा जाय तो इस आशा के साथ की आज नही तो कल इन मानसेवियों को रुकी हुई पेमेंट मिलेगी अभी भी सभी मानसेवी कर्मी अपने अपने कार्य में मुस्तैद हैं.
जंगल की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मात्र 3 हज़ार प्रतिमाह पाने वाले मानसेवी चौकीदारों के बलबूते
अब हाल यह है की पूरे ज़िले में जबकि मुंसी एवं वन रक्षकों की हड़ताल चल रही है वन में कहीं आग लग रही है तो कहीं अवैध कटाई हो रही है तो कहीं जंगल में अवैध परिवहन हो रहा है तो कहीं जंगली जानवरों का शिकार हो रहा है ऐसे में मात्र जंगलों की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी वर्षों से कार्यरत और वर्षों से रुकी पेमेंट के वावजूद भी निरंतर काम करने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों के ही बलबूते है.
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा वन अपराध रोकने को लेकर मुहिम
इस बाबत देखा जाए तो पिछले कई वर्षों से रीवा सर्किल के अंदर और विशेषतौर पर सिरमौर वन परिक्षेत्र में हो रहे वन अपराध की निरन्तर निगरानी की जा रही है जिसकी शिकायतें समय समय पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा सीएम हेल्पलाइन मप्र शासन से लेकर वन मंत्रालय नई दिल्ली एवं क्षेत्रीय फारेस्ट कार्यालय भोपाल सहित स्थानीय स्तर पर ज़िले में वन मंडलाधिकारी, मुख्य वन संरक्षक, एवं उप वन मंडलाधिकारी आदि तक की जाती रही है लेकिन मात्र कागज़ी कोरम पूर्ति और आश्वासन के अतिरिक्त कहीं कुछ हुआ नही है.
बारी ही खा रही खेत
सही मायनों में यदि देखा जाए तो आज बारी ही खेत खा रही है. जिस वन विभाग को वन संपदा की सुरक्षा के लिए रखा गया है वह स्वयं ही वन संपदा को नष्ट कर रहा है. वन परिक्षेत्र के नियमति सरकारी अधिकारी कर्मचारी जैसे रेंजर, डिप्टी रेंजर, मुंसी आदि माफियाओं से सीधे मिले होते हैं और कमीशन का खेल खेल रहे हैं. कई मर्तबा सामाजिक कार्यकर्ता के समक्ष ही यह बात आई है जब रंगे हांथों वन मफ़िया के गिट्टी पत्थर से भरी अवैध ट्रेक्टर ट्राली पकड़ी गई लेकिन कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई. इसी प्रकार कई मर्तबा अवैध शिकार और अवैध वनों की कटाई के भी मामले रखे गए लेकिन सभी में मात्र कोरम पूर्ति ही हुई कहीं कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई. होता क्या है की जो नियमति अधिकारी कर्मचारी हैं वह वन माफियाओं से मिलकर लेन देन कर मामलों को रफा दफा कर देते हैं जबकि मानसेवी चौकीदार अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने ही ग्राम और और आसपास के अवैध कार्य में संलिप्त लोगों से पंगा ले लेते हैं. ऐसे में जहां अपने ही लोकल लोगों से उन्हें एक दीर्घकालीन दुश्मनी की गुन्जाईस बनी रहती है वहीं दूसरी तरफ नियमित वन अधिकारियों की नमकहरामी की वजह से इन बेचारे मानसेवी चौकीदारों की सामाजिक तौर पर भी भर्तस्ना का शिकार होना पड़ता है जबकि माफिया किश्म के लोग धौस भी जमाते कहते हैं की चलो चले थे कार्यवाही करवाने और हुआ कहीं कुछ नही.
मानसेवियों की पेमेंट बनाने वास्ते माग रहे पैसा
आज कितनी बड़ी विडंबना है की भ्रष्ट्राचार का आलम यह है की व्यक्ति आज अपने जमीर को भी बेंच देने में पीछे नही हट रहा है. मात्र 3 हज़ार रुपए मासिक तनख्वाह पाने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट बंनाने के लिए बाउचर रोक कर रखे गए हैं. पेमेंट बनाने के लिए मानसेवियों से घूस की माग की जा रही है. ग्राम वन समितियों रुझौही, सरई आदि के उपस्थित मानसेवी चौकीदारों द्वारा बताया गया की उन्हें यह कहा जा रहा है की कुछ खर्चा दो तो बाउचर आगे बढ़ाएं बिना खर्चे के कुछ नही होता. बताया गया की इसमे ऊपर तक शेयर बंधा रहता है और डिप्टी और अन्य अधिकारियों को भी देना पड़ता है अतः जब तक ऊपर का खर्चा नही मिलेगा तब तक पेमेंट नही बन पाएगी.
संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें की रीवा ज़िला अंतर्गत आने वाले सिरमौर वन परिक्षेत्र के रुझौही और सरई ग्राम वन समिति के मात्र 3 हज़ार रुपये मासिक पाने वाले उपास्थित मानसेवी चौकीदार जिनकी पेमेंट आज पिछले वर्षों से रुकी हुई है. मानसेवी चौकीदारों के नाम क्रमशः - 1) दसरथ यादव पिता दीनदयाल यादव 2) दिलीप कुमार मिश्रा पिता मोहन लाल मिश्रा 3) बाबूलाल यादव पिता श्रीरामगोपाल यादव.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र
मोबाइल - 07869992139, 09589152587