दिनांक 24 जून 2018, स्थान - उमरी कैप, सिरमौर रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
सरकार ने गेहूं की खरीदी तो कर ली है पर उसकी व्यवस्था कैसे करनी है शायद शासन में बैठे नुमाइईंदों को यह पता नही है. मप्र सरकार कहती है की हमारे पास पर्याप्त वेयर हाउसेस हैं जहाँ पर गेहूं और चावल को स्टोर किया जा सकता है परंतु सरकार के दावे तब खोंखले दिखते हैं जब सिरमौर के पास उमरी कैप और रीवा के हृदय में स्थित करहिया मंडी की तरफ ध्यान जाता है. तब समझ आता है की मात्र कह देने भर से कुछ नही होता. शुक्र है की मीडिया की तीसरी आंख पूरे खरीदी से लेकर उठाव और भंडारण करने तक के पूरे घटनाक्रम में नजर बैठाए हुए रहती है वरना यदि सब कुछ सरकार की मान ली जाए तो कल्याण ही हो जाए,
उमरी कैप में खुले में पड़ा सड़ रहा है अन्नदाता की गाढ़ी कमाई
अभी हाल ही में दिनांक 22 जून को सिरमौर होते हुए बैकुंठपुर वाले रास्ते से उमरी पहुचा गया. पूंछने पर पता चला की उमरी चौराहे से दांए स्थित है उमरी कैप जहां पर धान और गेहूं की खरीदी के बाद डंप किया जाता है और फिर वहीं से या की सीधे राइस मिल में धान को भेज दिया जाता है या फिर कैप में सड़ने के लिए रख दिया जाता है. जहां तक गेहूं का सवाल है तो वहां कार्यरत सुरक्षा चौकीदारों जन्मेजय कुमार तिवारी, विजय कुमार यादव, राजभान लोद, सत्यभान लोद, कृष्णकांत मिश्रा, लंकेश मिश्रा से जानकारी मिली की इस वर्ष अभी भी स्टोर हाउसेस खाली न मिल पाने की वजह से गेहूं की वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर वहीं पर खुले में डंप किया गया है जिसे वेयर हाउस खाली होने के साथ ही उठाव कर लिया जाएगा.
परंतु वर्तमान में जो स्थिति दिखी वह संतोषजनक तो बिल्कुल नही कही जा सकती है. यद्यपि बारिश के मौसम में भी पन्नी और प्लास्टिक आदि की पर्याप्त व्यवस्था की हुई दिखी जिसमे गेहूं को ढका हुआ था फिर भी यदि मूसलाधार बारिस होने लगे तो ऐसे में पानी को संभालना और साथ ही आर्दता से गेहूं को बचा पाना काफी मुश्किल पड़ जाएगा. यदि किसी तरह से पन्नी वगैरह लगाकर गेहूं को ढक भी लिया गया तो कई दिनों तक चलने वाली बारिश की वजह से आने वाली आर्दता से गेहूं को बचा पाना मुश्किल ही नही असंभव कार्य है. आर्दता की वजह से गेहूं में कीड़े लग जाते और देखते ही देखते पूरा गेहूं सड़ जाता है.
कहां गए सरकार के वेयर हाउस
सरकार कहती है की हमारे पास खरीदे गए अनाज के भंडारण की पर्याप्त और समुचित व्यवस्था है लेकिन प्रश्न यह है की यदि पर्याप्त और समुचित व्यवस्था होती तो आखिर गेहूं धान को इस प्रकार उमरी कैप अथवा करहिया मंडी में खुले में क्यों रखा जाता. सरकार की महत्वाकांशी और किसान को राहत देने वाली योजनाएं जिनमे धान-गेहूं की खरीदी की जाकर सरकार उसकी व्यवस्था देखे उचित और सराहनीय है, परंतु सरकार को इस खरीदे हुए अनाज के समुचित भंडारण में विशेष ध्यान देने की जरूरत है. यदि सरकार के पास स्वयं के वेयर हाउस न भी हों तो प्राइवेट वेयर हाउस को को किराये में लेकर अनाज का समुचित भंडारण करना चाहिए. किसान के खून पसीने से पैदा हुआ एक-एक दाना बहुत ही महत्वपूर्ण है जिसे नष्ट होने से बचाया जाना चाहिए.
उमरी कैप के कर्ताधर्ता मात्र कुछ चौकीदार
ज़िले के सिरमौर स्थित उमरी कैप में पहुच कर जानकारी प्राप्त करने पर पता चला की कैप प्रबंधक मौजूद नही थे और मात्र पूरे सुरक्षा की जिम्मेदारी चंद लोगों के हवाले थी जिंसमे जन्मेजय कुमार तिवारी, विजय कुमार यादव, राजभान लोद, सत्यभान लोद, कृष्णकांत मिश्रा, लंकेश मिश्रा थे जिन्हें बारी बारी से सुरक्षा का जिमा दिया गया था साथ ही सावित्री साकेत, साधना साकेत नामक दोनो महिला झाड़ू और साफ सफाई कर्मचारी के रूप में थीं. वहीं पर वृष्णुदत्त महाराज नामक पुजेरी भी मिले जिन्होंने बताया की वह सिद्ध दानव मामा गंगा बहरी में पूजा अर्चना का कार्य करते हैं.
शुक्ला वेयर हाउस के पास ट्रकों में लदा अनाज खा रहा पानी
सबसे बड़े ताज्जुब की बात तो यह है की उमरी कैप के नजदीक ही स्थित शुक्ला वेयरहाउस है जिसके पास दर्जनों लोडेड ट्रक खड़े मिले. जानकारी प्राप्त हुई की यह ज्यादातर ट्रक उमरी गेहूं कैप से ही लोड हुए हैं जो हफ्तों से अनलोड होने का इंतज़ार कर रहे हैं और साथ ही मौसम की बारिश खाते हुए खड़े हैं जिंसमे गेहूं बुरी तरह भींग रहा है. मात्र प्रबंधन की अनदेखी और लापरवाही की वजह से किसान के खून पसीने की गाढ़ी कमाई की ऐसी तैसी की जा रही है.
चारों तरफ से खुला है उमरी कैप, कोई पुख्ता सुरक्षा नही
देखने पर पता चला की उमरी कैप जहां पर इतनी अधिक मात्रा में गेहूं और अनाज को खरीदी के बाद डंप किया हुआ है उसकी बाउंड्री वाल नही है. सुरक्षा गार्ड जन्मेजय तिवारी द्वारा उमरी कैप के प्राँगण में अंदर घुसे हुए पशुओं और सुअर की तरफ इशारा करते हुए बताया गया की चारों तरफ से सही फेंसिंग व्यवस्था न हो पाने की वजह के यह जानवर कैप के अंदर घुसे रहते हैं जिससे खुले में रखा हुआ अनाज खाते और नुकसान पहुचाते रहते हैं.
बाउंड्री के तौर पर देखा जाए तो मात्र कटीले तार लगे हुए थे जो की खंभों में बांधकर लगाए गए थे. चेक पॉइंट अथवा चुंगी के पास तो खम्भे भी धराशायी हो गए थे जिससे कटीले तार भी जमीदोंज हो गए थे जहां से मवेशियों का आना जाना ज्यादा सुलभ था. जन्मेजय तिवारी और उनके अन्य सुरक्षा गार्ड साथियों द्वारा माग की गई की उमरी कैप के चारों तरफ बाउंड्री वाल बनाई जानी चाहिए जिससे खरीदी के समय खुले में रखे हुए अनाज की सुरक्षा की जा सके.
संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें उमरी कैप के अंदर का दृश्य जहां पर खुले आसमान के नीचे हज़ारों टन गेहूं पड़ा सुरक्षा की गुहार लगा रहा है साथ ही हमारे किसानों के खून पसीने की कमाई नष्ट हो रही है. एक अन्य तस्वीर में देखें शुक्ला वेयरहाउस के पास खड़े दर्जनों ट्रक जिन्हें अनलोड नही किया गया. साथ ही सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी लिए हुए चौकीदार और टूटी पड़ी बाउंड्री.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल - 7869992139, 9589152587
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आखिर कब होगा शासन प्रशासन सग्जान
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