Monday, June 25, 2018

हिन्दू बाहुल्य समाज में गाय के साथ क्रूरता, जिम्मेदार मात्र हिन्दू (मामला ज़िले के थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी एवं देउर ग्राम का जहां पर गायों को दो अलग अलग घटनाओं में धारदार हथियार से मारा)

दिनांक 26 जून 2018, स्थान - गढ़, रीवा-मप्र

(कैथा, शिवानन्द द्विवेदी, रीवा-मप्र)

   हे भगवान क्या तूने इस कलयुग में ऐसे ही दिन देखने के लिए मॉनव को पैदा किया था की भारतीय संस्कृति में पूज्य माता और देव स्वरूप उपमा प्राप्त गोमाता को आज अपने ही हिंदुओं से बर्बरता और क्रूरता का शिकार होना पड़ेगा.

   मानाकि यदि कोई दूसरा सम्प्रदाय वर्ग होता जहां पर गाय को मात्र उपभोग की पशु समझा जाता है वहां गोवंशों के मांस भक्षण की परंपरा तक है परंतु क्या हिन्दू बाहुल्य समाज जहां पर आज से कुछ वर्षों पहले इन्ही गोवंशों को खेत खलिहान से लेकर हरछठ में पूजने तक की परंपरा थी आज अपने ही लोगों से इन बेजुबान मूक पशुओं की जान में बन आई है.

  आये दिन हो रही पशु क्रूरता

   आज रीवा संभाग में जहां पर कभी राजशाही हुआ करती थी और हिन्दू धर्म के गो-ब्राह्मण को सुरक्षा मिलनी थी आज उसी रीवा राज्य में आये दिन पशु क्रूरता बढ़ती जा रही है. पिछले 5 वर्षों का अनुभव यह बताता है की ज्यादातर फसल नुकसानी के नाम पर शासन प्रशासन की अनदेखी और अव्यवस्था की वजह से अवैध बाड़ों में गोवंशों को कैद कर बिना चारा पानी और भूषा के छोंड़ दिया जा रहा जिससे घुट घुट कर उनकी जान जा रही है. इसके पीछे का तर्क आवारा पशुओं की वजह से किसान की फसल नुकसानी बताया जाता है लेकिन यह नही बताया जाता की आखिर किसान की इस समस्या का मानवीय समाधान क्या है और साथ ही यह भी नही बताया जाता की आखिर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का क्या हुआ? चलिए गाय को माता न भी माना जाए, हिन्दू संस्कृति का हवाला न भी दिया जाए तो यह कोई बताए की क्या इस संविधान की किताब और आई पी सी के सेक्शन में पशुओं का कोई अधिकार नही है?

  पनगड़ी में कुएं में गिरकर गायों की हुई मौत 

   थाना गढ़ अंतर्गत पनगड़ी ग्राम के आसपास अक्सर ही गोवंशों से साथ क्रूरता की वारदातें सामने आती रहती है. अभी पिछले दिनों ही निकटतम ग्राम कठमना में पैर में चोट लगी गाय मिली थी जिसके इलाज के लिए रीवा से डॉक्टर आये थे. फिर पनगड़ी में ही दो अलग अलग घटनाओं में कुएं में गाय गिरने से एक को जीवित निकाल लिया गया था जबकि एक अन्य संकरी कुआं होने की वजह से मर गई थी.

पनगड़ी भलघटी में सैकड़ों गायों को उतारा था मौत के घाट 

  पनगड़ी से ही लगे भलघटी नामक जंगली पहाड़ी और गहरी खाईं में सैकड़ों गायों को पहाड़ के ऊपर से फेंकने का मामला सामने आया था जिंसमे पिछले वर्ष ठंड के मौसम में दिल्ली से पीपल फ़ॉर एनिमल्स, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया, एनिमल हसबेंडरी विभाग सहित एन जी ओ ध्यान फाउंडेशन तक के लोग आये थे और घटना का संज्ञान लेकर जांच पड़ताल हुई थी. जिले की थाना गढ़ और लाल गांव चौकी की पुलिश, वेटेरिनरी विभाग, फारेस्ट विभाग और राजस्व अमला सहित घटनास्थल का निरीक्षण किया था. अज्ञात के ऊपर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश भी दये गए थे. इसके बाद क्या हुआ इसका किसी को रता पता नही है.

पनगड़ी और देउर में फिर मारा गायों को

   अभी फिर दो अलग अलग घटनाओं में दो गायों के साथ क्रूरता होने का मामला प्रकाश में आया है.


    प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना गढ़ एवं तहसील त्योंथर अंतर्गत देउर ग्राम में समाजसेवी दिलीप सिंह ने जानकारी दी की उन्हें कहीं रास्ते में एक गाय घायल एवं लावारिश अवस्था में मिली है जिसके पीछे के पैर में खुर के पास चोट लगी है साथ ही ऊपर कूल्हा बुरी तरफ टूटा हुआ है जिससे गाय चलने में असमर्थ थी. इस जानकारी के आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा संबंधित गढ़ वेटेरिनरी सर्जन विवेक मिश्रा को जानकारी दी गई जिसके बाद कटरा अंतर्गत आने वाले कम्पाउण्डर जायसवाल को घायल गाय का इलाज करने के लिए कहा गया. तब डॉक्टर के आने के बाद सामान्य तौर पर घाव की मलहम पट्टी और इलाज हुआ.

 इसी प्रकार एक अन्य घटनाक्रम में पनगड़ी पनगड़ी निवाशी लाला शुक्ला और दिनेश त्रिपाठी द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता एवं गोवंश राइट्स एक्टिविस्ट द्विवेदी को फ़ोन करके जानकारी प्रदान की गई की सुदामा यादव निवासी पनगड़ी की गाय को किसी हत्यारे ने पेट में कुल्हाड़ी से हमला करके बुरी तरह से घायल कर दिया है. जानकारी मिलने के बाद हिनौती पशु औसधालय में कार्यरत समयलाल साहू को बताया गया जिस पर साहू घटनास्थल पर पहुच कर घायल गाय का दवा इलाज किये. यद्यपि देउर और पनगड़ी दोनो ही घटनाओं में घायल गायों को मात्र दवा और मलहम पट्टी की नही बल्कि पूरे सर्जरी की आवश्यकता है जिसके लिए पशु संजीवनी हेल्पलाइन 1962 को भी सूचित कर दिया गया है. यद्यपि अभी तक कोई सर्जन उपस्थित नही हुए हैं.

सरकार और प्रशासन को संज्ञान लेकर गोवंश प्रताड़ना बन्द करवानी चाहिए

    जिस प्रकार से रीवा ज़िले में पशुओं के साथ क्रूरता दिनो दिन बढ़ रही है सरकार को चाहिए ऐसे मामलों पर तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों के ऊपर एफआईआर दर्ज करवा कर कानूनी कार्यवाही करे. दुर्भाग्य तो यह है की सरकार से ऐसी क्या उम्मीद की जाए. यहां तो रीवा ज़िले में हो रही पशु क्रूरता की वारदातों पर एफआईआर तक दर्ज नही होती. भलघटी पनगड़ी का  मामला अभी ज्यादा पुराना नही हुआ है जहां पर सैकड़ों गायों को क्रूरता पूर्वक घाट के नीचे मौत के घाट उतार दिया गया था लेकिन दो चार दिन उथल पुथल के बाद सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया. इसी प्रकार अवैध बाड़ों में होरही गोवंशों की मौत पर भी लिखित शिकायतों के वावजूद भी आज तक किसी मामले में एफआईआर दर्ज नही हुई है। शायद गोवंश और पशु न बोल सकते और नही वोट दे सकते इसलिए नेताओं और इस सरकार के लिए किसी काम के नही।


  संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखने का कष्ट करें ज़िले के थाना गढ़ अन्तर्गत देउर और पनगड़ी ग्राम की दो अलग अलग घटनाओं में किस प्रकार से गायों के आठ क्रूरता की गई है जिंसमे एक गाय का पैर और कूल्हा टूटा हुआ है और दूसरी के पेट में कुल्हाड़ी मार दी गई है.

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शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,


ज़िला रीवा मप्र, मोब - 7869992139, 9589152587


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