दिनांक 02 जून 2018, स्थान - गढ़/सिरमौर, रीवा मप्र
(रीवा, मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले में अवैध तरीके से संचालित गिट्टी क्रेशर प्लांट अपनी काली करतूतों को अंजाम दिए जा रहे हैं लेकिन शिकायतों के वाबजूद भी कहीं कोई एक्शन होता नजर नही आ रहा. जो भी कार्यवाहियां हो रही हैं वह मात्र कागजों तक ही सीमित होती दिख रही हैं.
अभी हाल ही में पिछले वर्षों वन एवं पर्यावरण की धज्जियां उड़ाने वाले के-स्टार नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नामक फैंसी नाम से बनाये गए पनगड़ी में स्थापित क्रेशर प्लांट ने लगातार खनिज, वन एवं पर्यावरण के नियमों के विपरीत जाकर अवैध तरीके से उत्खनन तो किया ही है साथ ही वहां आसपास रहने वाले रहवाशियों की जिंदगी भी हराम कर दिया है. न तो प्रदूषण रोकने के कोई सार्थक उपाय किये गए हैं और न ही खनिज के नियमों का पालन हुआ है. जिस रकबे में खुदाई की गई है वहां बड़ी बड़ी खाई बन गई है. उत्खनन वाले रकबे में कोई सही तरीके की बाउंड्री भी नही बनाई गई है. उत्खनन क्षेत्र और क्रेशर प्लांट के नजदीक सैकड़ों की आवादी है जिसके कारण जब भी क्रेशर में पत्थर और गिट्टी तोड़ने का कार्य होता है तो पूरी डस्ट उड़कर घरों में आती है जिससे गंभेर सांस संबधी बीमारियों का खतरा बना रहता है. कई टेस्ट में ओ सिलकोसिस नामक सांस की बीमारी का होना पाया गया है.
पनगड़ी पंचायत ने किया विरोध लेकिन नही हुई सुनवाई
सिरमौर तहसील अन्तर्गत आने वाली पनगड़ी पंचायत के सरपंच, उप सरपंच और अन्य सैकड़ों सदस्यों ने के -स्टार नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड नामक फैंसी नाम से बने क्रेशर प्लांट और अन्य अवैध उत्खनन की शिकायतें की और कार्यवाही हेतु खनिज विभाग, वन विभाग और साथ ही ज़िला रीवा कलेक्टर को भी लिखा लेकिन कोई सार्थक सुनवाई नही हुई. ऐसा लगता है ज़िला कलेक्टर पहले ही बिका हुआ है।
खनिज विभाग रीवा की मिलीभगत का परिणाम अवैध उत्खनन
जब शिकायतें संबंधित खनिज विभाग रीवा को की जाती हैं तो खनिज विभाग के चमचे पहले ही संबंधित क्रेशर प्लांट के मालिकों और अवैध उत्खननकर्ताओं को सूचित कर देते हैं की आपके नाम से शिकायत आई है. इस पर कई बार तो जांच के नाम पर मात्र खानापूर्ति हुई है. साथ ही झूँठा पंचनामा बनवाकर बता दिया गया की न तो अवैध उत्खनन हो रहा है और न ही अवैध क्रेशर प्लांट लगा है. इसी प्रकार वन एवं पर्यावरण विभाग में भी धांधली चल रही है. कार्यवाही के नाम पर मात्र खानापूर्ति होती है केवल कागज़ी घोड़े दौड़ते हैं.
शिवानन्द द्विवेदी की सीएम हेल्पलाइन में कड़े शब्दों में की गई शिकायत और पीसीबी ने कहा बन्द कर दो बिजली सप्लाई, क्लोजर नोटिस जारी की फिर भी धड़ल्ले से चल रहा प्लांट
भारतीय लोकतंत्र और इसके वर्तमान भष्ट्राचार युक्त सिस्टम की दुर्दशा तो तब समझ आती है जब शक्तिप्राप्त प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्वयं भी अपने नोटिफिकेशन को फॉलो नही करवा पा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द विवेदी के सीएम हेल्पलाइन की अत्यंत कड़े शब्दों में की गई शिकायत क्रमांक 3468430 से प्रारम्भ हुई उथल पुथल के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हरकत में आया. सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा सबूतों के आधार पर बहुत ही कड़े शब्दों में शिकायत की गई जिसमे स्पष्ट रूप से लिखा गया की ज़िला रीवा का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मात्र नाम मात्र का विभाग बना है और जनता के पैसे की पूरी तरह से बर्वादी कर रहा है. क्योंकि जिस प्रकार से पिछले कई वर्षों से प्रदूषण को लेकर शिकायतें बोर्ड के समक्ष रखी गई थीं उन पर न तो कोई जांच हो रही थी और न ही कोई कार्यवाही अतः ऐसे तीखे शब्दों में शिकायत की गई. इस शिकायत के बाद शायद पीसीबी में बैठे ज़िला अधिकारियों को थोड़ी बहुत शर्म का एहसास हुआ होगा और उनका जमीर जागा होगा की नही अब ओ कुछ न कुछ किया जाना चाहिए. इस बाबत पीसीबी रीवा ने के-स्टार नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के नाम प्रदूषण के मापदंडों का पालन न करने के लिए और बिजली विभाग को भी क्रेशर प्लांट की बिजली सप्लाई बन्द करने के लिए नोटिस क्रमांक 576, 579, 3336, और 3509 जारी किया जो की सीएम हेल्पलाइन की शिकायत क्रमांक 3468430 में शिकायतकर्ता को सूचित किया गया. अब लगने लगा था की शायद कहीं जाकर समस्या को गंभीरता से लिया जाने लगा है. शिकायतकर्ता द्वारा मात्र पनगड़ी के वैध अथवा अवैध क्रेशर प्लांट को ही नही बल्कि पूरे ज़िले में हो रहे अवैध उत्खनन और प्रदूषण के नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियाँ के विषय में शिकायत रखी गई थी जिसका की दूरगामी परिणाम यह भी हुआ की पूरे ज़िले में कार्य करने वाले वैध एवं अवैध स्टोन क्रेशर जो की पर्यावरण के नियमों के विपरीत काम कर रहे थे और प्रदूषण फैला रहे थे ज्यादातर के लिए क्लोजर नोटिस जारी कर दिया. यह एक सार्थक पहल कही जा सकती है. परंतु चूंकि पीसीबी के पास कोई न्यायिक शक्ति अथवा पुलिस बल नही है उसकी सभी सूचना कलेक्टर रीवा की ओर सूचनार्थ दिया जिससे दंडाधिकारी द्वारा अग्रिम प्रशासनिक कार्यवाही की जा सके. लेकिन हुआ पूरी तरह से उल्टा. यहां कलेक्टर रीवा ने कुछ नही किया. यदि कोई सामान्य अतिक्रमण हटाना होता अथवा किसी गरीब को परेशान करना होता तो ज़िले क्या पूरे प्रदेश का शासकीय आमला हरकत में आ जाता परंतु रसूखदारों और माफिया किश्म के स्टोन क्रेशर चलाने वाले माफियाओं के क्रेशर प्लांट बन्द करने की कूबत न तो ज़िला कलेक्टर एवं दंडाधिकारी में है और न ही प्रदेश के मुखिया में. जहां तक सवाल प्रदेश के मुखिया का है यह आज एक आम बात हो चुकी है ज्यादातर ऐसे क्रेशर चलाने वाले और अवैध खनिज का काम कारने वाले लोग इन्ही मंत्रियों, और उच्चाधिकारियों के ही सरणागत होते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा फ़ाइल आर टी आई में पीसीबी ने दिया जानकारी
अभी हाल ही मे अप्रैल 2018 में सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड पीसीबी में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी चाही गई थी जिसमे पीसीबी द्वारा की गई कागज़ी कार्यवाही की जानकारी चाही गई थी जिसके जबाब में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में दिनांक 25 अप्रैल 2018 को जारी किये गए पत्र क्रमांक/906/क्षे.का/तक./प्रनिबो/2017 के माध्यम से जानकारी दी जिसमे प्रपत्र क्रमांक 576, 579, 3336 एवं 3509 संलग्न करके भेजा है जो यहां पर संलग्न है.
कलेक्टर रीवा बना मूकदर्शक
सबसे बड़ी कमी ज़िला प्रशासन की है क्योंकि ज़िला प्रशासन के पास शक्ति होती है लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास कोई शक्ति नही होती. पीसीबी मात्र जांच कर कार्यवाही करने के लिए अनुशंसा कर सकता है. पीसीबी क्रेशर प्लांट पर नियमों की अवहेलना पर डंडा नही चला सकता. सवाल इस बात का है की जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी बार बार कार्यवाही और जांच करके प्रतिवेदन कलेक्टर अथवा बिजली, खनिज विभाग को भेज रहे हैं तब फिर कलेक्टर क्यों सो रहा है. आखिर ज़िला दंडाधिकारी तो कलेक्टर ही है जिसके पास पुलिश बल भी है साथ में न्यायिक शक्ति भी है. परंतु जिस प्रकार से ज़िला प्रशासन ने पीसीबी को मजाक बनाकर रखा है ऐसा प्रतीत हो रहा है की सबकी अच्छी खासी मिली भगत है. ऐसे में इस देश में न्याय और सच्चाई की लड़ाई लड़ना असंभव हो जाएगा क्योंकि बच्चे बच्चे को पता है की यहां कुछ नही होने वाला. अब यदि रीवा कलेक्टर को थोड़ा भी शासन प्रशासन का खयाल है तो जितने भी क्लोजर नोटिस पर्यावरण नियम के उल्लंघन पर पीसीबी द्वारा ज़िला दंडाधिकारी की तरफ कार्यवाही हेतु अग्रेषित किया गया है तत्काल प्रभाव के साथ पुलिस प्रशासन के सहयोग से पूरी तरह से बन्द करके ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए और हैवी जुर्माना लगाया जाना चाहिए जिससे भविष्य में ज़िले का पूरे प्रदेश में किसी स्टोन क्रेशर संचालक की अवैध कार्य करने की हिम्मत न पड़े.
खनन ने पनगड़ी को पूरी तरह से किया खोखला
आज पनगड़ी क्षेत्र को अवैध और वैध दोनो तरह के उत्खनन कर्ताओं ने पूरी तरह से खोखला कर दिया है. पनगड़ी में पत्थर बहुतायत में है लेकिन यह क्षेत्र जंगल के पूरी तरह के करीब बसा हुआ हैं जो 250 मीटर के भी दायरे में आता है जिसका तात्पर्य यह हुआ की इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के उत्खनन के लिए आसानी से लीज नही दी जा सकती. परंतु जिस प्रकार से पिछले कुछ वर्षों में खनिज विभाग ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलकर पंजीरी की तरह लीज देने का काम किया है इससे पता चलता है की आम जनता के स्वास्थ्य और वन एवं पर्यावरण की किसी को कोई फिक्र नही है. पनगड़ी बीट के जंगलों की तरफ जाने वाले पुस्तैनी और हज़ारों वर्ष प्राचीन महादेवन शिवधाम की तरफ एक कच्ची सड़क जाती थी जो इस स्टोन क्रेशर प्लांट की वजह से पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है. अब वहां पर पैदल चलना भी मुश्किल है. इसी प्रकार वहीं पास में नाला और झरना था जो अनियंत्रित और अवैध ब्लास्टिंग की वजह के छत विछत हो चुका है. झरना समाप्त हो गया है. क्रेशर प्लांट के पास अवैध वनों की कटाई और अवैध सुअर हिरण आदि का शिकार भी बढ़ गया है. क्रेशर प्लांट के नजदीक आने वाले घरों की दीवालों और छतों में ब्लास्टिंग की वजह से दरारें आ गईं हैं. आसपास के लोगों का जीना दूभर हो गया है. ज्यादातर नजदीकी बाशिन्दे हरिजन आदिवाशी समूह के होने के कारण अपनी आवाज़ें बुलंद नही कर पाते और बुरी तरह के पीसे जा रहे हैं. जिन्होंने आवाज़ें उठाई भी हैं ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह दबा दी गई.
क्रेशर प्लांट के 50 मीटर दायरे के भीतर निवासरत है हरिजन परिवार
पनगड़ी में ब्लास्टिंग और क्रेशर प्लांट के नजदीक तो पचासों हरिजन आदिवाशी परिवार निवासरत हैं परंतु क्रेशर प्लांट के अत्यंत नजदीक ही एक हरिजन परिवार निवासरत है लेकिन उसे निरंतर वहां से भगाने का प्रयास किया जाता रहा है. वह परिवार क्रेशर प्लांट के 50 मीटर दायरे में इस प्लांट की स्वीकृति के पहले से निवासरत है फिर भी पीसीबी, वन पर्यावरण और खनिज विभाग को यह समझ नही आया की इस क्रेशर प्लांट को लीज और अनुमति किस नियम के आधार पर दी जा रही है. अब जानकारी मिली है की उसी हरिजन परिवार का पीएम आवास भी वहीं पर बन रहा है लेकिन क्रेशर संचालक जोर जबरदस्ती कर दबाब बनाकर तहसील में गलत जानकारी देकर उसका पीएम आवास न बनाये देने के लिए स्थगन भी ले लिया है जो की नियम विरुद्ध है. यह हरिजन परिवार भूमिहीन है जो सरकारी जमीन पर 40 वर्ष से ऊपर से 5 डिसमिल के दायरे में निवास कर रहा है और वासदखल कानून के अंतर्गत उसे वहां का तत्काल आवादी पट्टा दिया जाना चाहिए लेकिन क्रेशर संचालक और माफियाओं के दबाब में तहसीलदार सिरमौर बिक चुका है और बिना ठोस कारण के ही पीएम आवास जैसे महत्वपूर्ण केंद्रीय योजना के विरुद्ध क्रेशर प्लांट संचालक के गुर्गों को स्थगन आदेश हरिजन के विरुद्ध दे दिया जो घोर अन्याय है साथ ही तहसीलदार और अनुविभागीय दंडाधिकारी की शक्ति का दुरुपयोग भी है.
संलग्न - ज़िला रीवा अंतर्गत सिरमौर तहसील के पनगड़ी ग्राम पंचायत में लगे के-स्टार नेचुरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी नामक नाम से बनाये गए फैंसी स्टोन क्रेशर का दृश्य जहां पर कोई भी बाउंड्री नही बनाई गई है, और न ही खनिज, वन एवं पर्यावरण के नियमों का ओई पालन ही किया जा रहा है. साथ ही यहाँ पर संलग्न है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय से प्राप्त आर टी आई के जबाब जिसमे आवेदक शिवानन्द द्विवेदी की सीएम हेल्पलाइन की शिकायत पर अब तक आंशिक रूप से की गई जांच और कारवाही की जानकारी भेजी गई है.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, रीवा मप्र
मोबाइल - 07869992139, 09589152587
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