Wednesday, June 13, 2018

मानसेवियों की वर्षों से बन्द पेमेंट की हुई जांच (मामला ज़िले के ग्राम वन समितियों में कार्यरत मानसेवी सुरक्षा कर्मियों का जिनकी वर्षों से मात्र 3 हज़ार रुपये की मासिक पेमेंट रोक कर रखी गई है, सामाजिक कार्यकर्ता की सीएम हेल्पलाइन की शिकायत की हुई विधिवत जांच)

दिनांक 13 जून 2018, स्थान - सिरमौर वन परिक्षेत्र, लालगांव रीवा मप्र

(कैथा, शिवानन्द द्विवेदी, रीवा-मप्र)

   ज़िले के कई वन परिक्षेत्रों में मानसेवी वन सुरक्षा कर्मियों के रोंके गए पेमेंट संबंधी मामले पिछले कुछ महीने से निरंतर ज़िले और प्रदेश से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में छपे थे जिस पर संबंधित वन मंडलाधिकारी और मुख्य वन संरक्षक सीसीएफ से लेकर अन्य अधिकारियों को लिखित और साथ ही अन्य संपर्क माध्यमो से निरंतर सूचित किया जाता रहा है. लेकिन जब मामला निपटता नही समझ आया तो सिरमौर वन परिक्षेत्र अन्तर्गत आने वाले क्योटी, रुझौही, सरई, पनगड़ी, देउर, घूमा, सर्रा आदि वन समितियों में कार्य कर रहे मानसेवी कर्मियों को पेमेंट न मिलने की शिकायत सीएम हेल्पलाइन 181 में भी दिनांक 31 मई 2018 को दर्ज की गई थी जिसकी शिकायत क्रमांक 6172305 एवं 6172406 थी. जिस पर प्रथम लेवल जांच के लिए आये जांचकर्ता डिप्टी रेंजर राममणि तिवारी ने शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी सहित उपस्थित सभी एक दर्ज़न मानसेवी कर्मियों के कथन बयान रिकॉर्ड किये. जांच के दौरान जांचकर्ता अधिकारी डिप्टी रेंजर राममणि तिवारी द्वारा सभी मानसेवी कर्मियों को आश्वस्त किया गया की जांच के बाद प्रतिवेदन संबंधित विभाग को सौंपकर सभी पीड़ितों को जल्द से जल्द पेमेंट दिलाये जाने के प्रयास किये जाएंगे.

पेमेंट रुकने का एक महत्वपूर्ण कारण ग्राम वन समितियों का लंबित चुनाव 

    बता दें की आज ज़िले एवं प्रदेश भर के कार्य कर रहे ग्राम वन समिति के सुरक्षा चौकीदारों की जो पेमेंट रुकी हुई है उसके पीछे एक बड़ा कारण कई ग्राम वन समितियों की आंतरिक प्रणांली है जिसमे कई समितियों में पिछले कई वर्षों से चुनाव तक नही हुए हैं जिससे कार्यकारी तौर पर पिछले गठन में ही नियुक्त किये गए ग्राम वन समिति अध्यक्ष आदि कार्य कर रहे हैं जिससे कागज़ी कार्यवाही में भी वाधा उत्पन्न हो रही है. यद्यपि उपस्थित ग्राम वन समिति के कर्मियों और अध्यक्षों द्वारा यह बताया गया की सुरक्षा कर्मियों के बिल बाउचर पहले से ही संबंधित सचिवों को भेजे जा चुके हैं. अब मात्र विभाग और सचिवों में लेटलतीफी और कुछ नियम विरुद्ध अपेक्षाओं के चलते गरीब और मात्र 3 हज़ार रुपये मासिक वेतन पाने वाले मानसेवी कर्मियों के पेमेंन्ट को रोक कर रखा गया है. कई ग्राम वन समितियों के अध्यक्ष और सहसचिव ने जानकारी दी की उनके समितियों में पर्याप्त पैसे भी हैं जिनसे ग्राम वन समिति के वन चौकीदारों को पेमेंट दी जा सकती है लेकिन फिर भी बिना किसी कारण के रोक कर रखा गया है. जहां तक प्रश्न ग्राम वन समितियों के हर पंचवर्षीय चुनाव की बात आई तो बताया गया की यह विभाग और पंचायत के द्वारा सम्पन्न होता है. जहां वन विभाग ने पंचायतों पर आरोप लगाया वहीं पंचायतों ने वन विभाग पर. इस प्रकार देखा जा सकता है की वन विभाग और पंचायत विभाग में तालमेल न बन पाने के कारण शासन स्तर की इतनी महत्वाकांशी योजना जिसमे उसी ग्राम से संबंधित वन समिति को गठित कर वनों की सुरक्षा और देखरेख की बात कही गयी थी आज पूरी तरह से एक फ्लॉप शो साबित हो रही है जिस पर शासन प्रशासन को गंभीरता से कार्य करने की जरूरत है.


    वहरहाल देखना यह होगा की मीडिया में काफी खबरों के बाद और साथ ही सीएम हेल्पलाइन पोर्टल में भी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जनहित को ध्यान में रखकर दर्ज की गई शिकायत पर कब तक समुचित और न्यायोचित कार्यवाही होकर वर्षों से लंबित मात्र 3 हज़ार प्रतिमाह की पेमेंट मानसेवी सुरक्षा कर्मियों को मिल पाती है.

संलग्न - ज़िला रीवा के सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम वन समितियों के मानसेवी सुरक्षा कर्मियों की रुकी हुई वर्षों से पेमेंट की जांच करने आये जांचकर्ता डिप्टी रेंजर राममणि तिवारी और साथ में आसपास की दर्जनों ग्राम वन समितियों के मानसेवी चौकीदार. साथ में जांचकर्ता दवारा बनाया गया मौका पंचनामा और साथ में शिकायतकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता का कथन बयान की फ़ोटो एवं सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायत की भी छायाप्रति.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता, 

ज़िला रीवा मप्र, मोब - 07869992139, 09589152587

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