दिनांक 14 जून 2018, स्थान - लालगांव/भठवा/गढ़/गंगेव रीवा मप्र
(कैथा, रीवा-मप्र, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले के सिरमौर तहसील एवं थाना गढ़ अंतर्गत आने वाले पनगड़ी कला ग्राम में एक और गाय के सूखे कुएं में गिरकर मरने की खबर है. अभी पिछले दिनों पनगड़ी ग्राम में ही एक बछिया एक सूखे कुएं में गिर गई थी जिसे ग्राम के लोगो के सहयोग और साथ ही वन विभाग के मानसेवी कर्मियों राघुवेन्द्र पांडेय एवं रामसिया साकेत के सहयोग से निकाल लिया गया था. लेकिन शायद दिनांक 13 जून की शाम को बृजवासी विश्वकर्मा के घर के पास स्थित पनगड़ी ग्राम के नर्मदा कुशवाहा पिता मिलापी कुशवाहा की पट्टे की जमीन में बनाई हुई पुरानी 3 फ़ीट व्यास की कुआं में गिरी एक बड़ी गाय की किस्मत अच्छी नही थी जिसे वेटेरिनरी, पुलिश, जंगल विभाग सहित अन्य लोगो की उपस्थिति भी बचाया न जा सका.
हादसा काफी दुःखद था जिसमे गाय अपने पिछले हिस्से के बल पर गिरी थी जो सीधे 35 फ़ीट गहरी सूखी कुआं में जा गिरी. गिरते ही शायद गाय की गर्दन टूट जाने के कारण जिस स्थिति में गिरी थी उसी स्थिति में मरते दम तक बनी रही. घटना की जानकारी पनगड़ी कला ग्राम पंचायत के उप सरपंच शिवेंद्रमणि शुक्ला ने सामाजिक कार्यकर्ता एवं गोवंश राइट्स एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी को दी जिसके बाद गिरी गाय को बचाने की जद्दोजहद प्रारम्भ हुई. तत्काल ही जानकारी पशु संजीवनी हेल्पलाइन 1962 में दी गई जिस पर बताया गया की रीवा ज़िले में ऐसी कोई व्यवस्था अभी नही है जिससे कुएं में गिरी हुई गाय को जीवित निकाला जा सके. इसके बाद संबंधित पशु चिकित्सा विभाग गंगेव ब्लॉक में पशु चिकित्सा अधिकारी एस के पांडेय को की गई. साथ ही जंगल विभाग पनगड़ी के मानसेवी कर्मियों राघुवेन्द्र पांडेय एवं रामसिया साकेत को दी गई जो तत्काल ही घटनास्थल पर पहुचे. डायल 100 में सूचना देने के बाद लालगांव चौकी के सहायक उप निरीक्षक शिवकुमार राठिया भी अपनी डायल 100 टीम के साथ घटनास्थल पर पहुचे. लेकिन कोई टेक्निकल व्यवस्था न होने के कारण सभी के प्रयाश असफल रहे. सबसे बड़ी कठिनाई तो इस बात की थी की कुआं अत्यंत संकरी थी जिसमे नीचे उतर पाना काफी कठिन कार्य था. मानसेवी वनकर्मी पनगड़ी राघवेंद्र पांडेय की पीठ पर रस्सी बांधकर नीचे उतारा गया लेकिन आधे कुएं में पहुचने के बाद उनकी सांस फूलने लगी. उन्होंने बताया की दम घुट रहा था. शायद जहरीली गैस लीक होने की शिकायत रही होगी. इस बात की पुष्टि के लिए बाद में एक लालटेन जलाकर नीचे उतारा गया जो दो तीन बार बुझ गई जिससे इस बात की पुष्टि हो गई की भले ही जहरीली गैस लीक न हो रही हो लेकिन ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम थी. इसके बाद किसी की हिम्मत नही हुई की वह व्यक्ति गाय को बचाने के लिए कुएं में उतर सके.
गाय को बचाने रात 1 बजे तक चलती रही जद्दोजहद
संकरी कुएं में गिरी श्याम वर्ण गाय को बचाने के प्रयाश पूरी रात भर चलते रहे. देर रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक गाय की अंतिम सांस तक लोगों ने जुगुत लगाने के प्रयास किये लेकिन तकनीक के अभाव से सफलता प्राप्त नही हुई. यदि ऑक्सीजन मास्क होती तो भी किसी व्यक्ति को नीचे उतारा जा सकता था। इस बीच गाय के शरीर में हलचल बन्द होने और आंख बाहर निकल आने के बाद अंदाजा लगाया गया की गाय मर चुकी है.
पनगड़ी ग्राम के नर्मदा कुशवाहा परिवार की सूखी कुएं में गिरी थी गाय
गाय की मृत्यु तक पनगड़ी ग्राम के नर्मदा कुशवाहा पिता मिलापी कुशवाहा परिवार का कोई भी सदस्य घटनास्थल पर उपस्थित नही हुआ. लालगांव पुलिश के बार बार बुलाये जाने के बाद भी कुशवाहा द्वारा बताया गया की उसकी पीठ में दर्द है इसलिए उपस्थित नही हो सकता. इसके बाद जैसे ही गाय मर गई तो घटनास्थल से लालगांव सहायक उप निरीक्षक शिवकुमार राठिया सहित अन्य पुलिश कर्मी एवं ग्राम पनगड़ी के गणमान्य लोग नर्मदा कुशवाहा के घर के पास और दरवाजा खटखटाकर उसे बाहर आने को कहा परंतु उसने बार बार संदेश भेजा की वह बाहर नही आएगा. इसके बाद पुलिश द्वारा कहा गया की आपकी पट्टे की कुआं में आपकी गलती की वजह से एक गाय गिरकर मर चुकी है इसलिए प्रथम दृष्ट्या आपकी जिम्मेदारी बनती है. इसलिए शिकायत के आधार पर आप लालगांव चौकी चलें और गौहत्या का प्रकरण दर्ज होगा. लेकिन कुशवाहा द्वारा विभिन्न प्रकार से बहाने बनाने का प्रयाश किया गया. जब लालगांव पुलिश द्वारा नर्मदा कुशवाहा से पूंछा गया की क्या तुम इस मरी हुई गाय की जिम्मेदारी लोगे तो कुशवाहा द्वारा जिम्मेदारी लेने से मना किया गया इस पर पुलिश द्वारा कहा गया की कल शुबह तक इस मरी हुई गाय को बाहर निकालकर इस खतरे की जगह पर स्थित कुआं को बन्द करो. इस प्रकार हिदायत देकर पुलिश घटनास्थल से प्रस्थान कर दी. पूरा वाकया होते होते रात के 1 बज चुके थे जहां पर घटनास्थल पर उपसरपंच पनगड़ी शिवेंद्रमणि शुक्ला, मानसेवी वनकर्मी राघुवेन्द्र पांडेय, रामसिया साकेत, पशु चिकित्सा विभाग के साहू सहित अन्य पुलिश एवं वनकर्मी उपस्थित थे.
मदरी-भठवा ग्राम में भी खुली सूखी कुआं में गिरकर मरा था बंदर
अभी हाल ही में पिछले सप्ताह मदरी-भठवा ग्राम में किसी सूखी पुरानी खुली कुआं में एक बंदर के भी गिरने की खबर आई थी जिस पर संबंधित वन विभाग को सूचित किया गया था. तब पनगड़ी ग्राम वन समिति के मानसेवी वनकर्मी राघुवेन्द्र पांडेय एवं रामसिया साकेत घटनास्थल पर उपस्थित होकर बंदर को बाहर निकाले थे. लेकिन घटना समय 24 घण्टे से ऊपर होने के कारण बुरी तरह से घायल हुआ बंदर बाहर निकालते ही मर चुका था. यह कोई अकेले की घटना नही है जैसा की बताया गया की ऐसी बारदतें आज आये दिन घटित हो रही है जिसे रोका जाना चाहिए.
लगातार बढ़ती घटनाओं के कारण प्रशासन को अभियान चलाकर खतरे वाली सूखी कुओं को बन्द करवाया जाना चाहिए
जिस प्रकार पिछले कुछ महीनों में लगातार सूखी और पुरानी गहरी कुओं में जंगली, आवारा और घरेलू मवेशियों के गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं उससे साफ पता चलता है की जब तक प्रशासनिक स्तर पर कठोर कार्यवाही नही की जाती तब तक ऐसी वारदाते बन्द होने वाली नही हैं. प्रशासन को चाहिए हर ग्राम पंचायत में डेटा इकठ्ठा करके पता लगाए की किस किस ग्राम पंचायत में ऐसे कितने पुराने अनुपयोगी और सूखे कुएं हैं. यदि प्रशासन जल संसाधन के हिसाब के यह मानता है की ऐसे अनुपयोगी कुएं भाठे नही जाने चाहिए तो इन्हें ढंकने का कार्य किया जाना चाहिए. सभी कुओं में लोहे की जाली लगाकर ऊपर से ढंकी जानी चाहिए जिससे न तो किस जन की हानि हो और न ही पशुओं की. जो भूमिस्वामी अपनी जमीन पर बनाई गई कुओं को न ढंके उनके ऊपर तत्काल कड़ी से कड़ी प्रशासनिक कार्यवाही की जानी चाहिए.
संलग्न - दिनांक 13 जून की शाम को पनगड़ी कला ग्राम में किसी कुशवाहा की सूखी कुएं में गिरी गाय की तस्वीर.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
रीवा मप्र, मोबाइल - 07869992139, 09589152587
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