Monday, July 9, 2018

अब तक रीवा में सूखा जैसे हालात, कहाँ गए फसल बीमा करवाने वाले विभाग? (मामला ज़िले में अऋणी किसानों की प्रधानमंत्री फसल बीमा की दयनीय स्थिति की जहां अब तक न तो ग्राम सेवक, कृषि विभाग और न ही सहकारिता विभाग का है कोई रता पता, ज़िले में सूखा जैसे हालात, यदि अऋणी किसानों की फसल बीमा नही हुई तो होगी भीषण समस्या)

दिनांक 09 जुलाई 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

  रीवा ज़िले में बारिस की स्थिति अब तक चिंतनीय बनी हुई है. औसत से काफी कम बारिस होने की वजह से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्वाभाविक है. जहां एक तरफ बोवनी लेट हो रही है वहीं दूसरी तरफ कुछ किसान उहापोह में झुरिया धान का ही छिटाव शुरू किये हुए हैं. पर यदि बारिस नही होती अथवा कम बारिस होती है दोनो ही स्थितियों में विशेषकर असिंचित क्षेत्रों में किसानों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.

  प्रधानमंत्री फसल बीमा की स्थिति दयनीय

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रारम्भ से लेकर अब तक रीवा संभाग में फसल बीमा की स्थिति दयनीय बनी हुई है. या यूं कहें की प्रधानमंत्री फसल बीमा ने किसानों की स्थिति ही दयनीय बना दी है. पिछले कुछ सालों में रीवा संभाग में मात्र किसानों से फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम की उगाही की गई है उसके एवज में उन्हें मिला कुछ नही है अथवा यदि कुछ तहसीलों में मिला भी है तो बहुत कम जिंसमे किसान की लॉगत तक नही निकल पायी है. रीवा ज़िले के मनगवां तहसील में प्रधानमंत्री फसल बीमा के आने के अब तक मात्र किसानों को अंगूठा ही दिखाया गया है.

90 प्रतिशत किसानों को पता ही नही फसल बीमा क्या है?

   बड़े ही आश्चर्य की बात है की ग्रामीण अंचलों के बहुत से किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की कोई विशेष जानकारी नही है. जब कभी टीवी अथवा रेडियो के माध्यम से सुन देख लिया उसके अतिरिक्त न तो समिति प्रबंधकों का कोई रता पता है और न ही ग्राम सेवकों का. कृषि और सहकारिता विभाग के ऊपर फसल बीमा कराने और जानकारी देने का ज्यादा से ज्यादा दारोमदार होता है लेकिन आज भी यदि गंगेव ब्लॉक अथवा किसी भी ब्लॉक के कृषि कार्यालय में जाया जाए तो वहां बहुतायत में पुराने पड़े पैम्फलेट और पोस्टर मिल जाएंगे जो पिछले 3 वर्षों से ब्लॉक कृषि विभाग के गोदाम और कमरों अलमारियों में धूल फांक रहे होंगे. वैसे यह सभी योजनाओं के पोस्टर बैनर और पैम्फलेट किसानों और ग्रामीणों को वितरित करने जन जागरूकता फैलाने के लिए आये हैं. 

आरएईओ और ग्राम सेवकों का नही कोई रता पता कौन कराए अऋणी किसानों की फसल बीमा

    कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक 4 से 5  ग्राम पंचायतों के बीच एक ग्राम सेवक अथवा आरएईओ रखा जाता है जिसका काम होता है की किसानों के हित संबंधी सभी योजनाओं की जानकारी गांव गांव जाकर उपलब्ध कराना, किसानों को फसल बीमा योजना के बारे में अवगत कराना, उन्हें फॉर्म भरवाकर प्रीमियम जमा करवाकर फसल बीमा का फॉर्म भरना, समय समय पर खरीफ और रवी सीजन में आने वाले खाद बीज कीटनाशक एवं अन्य जानकारी उपलब्ध कराना. परंतु यहां तो पूरा उल्टा होता है और ग्राम सेवकों का कोई रता पता ही नही रहता है. यदि कोई जल क्षमता प्रमाण पत्र अथवा कृषि से संबंधित कोई जरूरी कागज़ात में ग्राम सेवकों के हस्ताक्षर करवाने होते हैं तो ग्राम सेवक को सीधा पिसान लेकर ढूंढना पड़ता है. 

समिति प्रबंधक बोलते हैं फसल बीमा का फॉर्म ही नही

  किसान के पास तो बस दो ही विकल्प बचते हैं. एक ग्राम सेवक को ढूंढे और दूसरा समिति सेवक को. न तो ग्राम सेवक फसल बीमा कराने में सहयोग कर रहा और न ही समिति सेवक. यह दोनो ही सेवक अब सेवक से मालिक बन चुके हैं और आम जनता स्वयं नौकर बनकर इन मालिको को ढूंढे.

  जहां ग्राम सेवक का कोई पता ही नही वहीं समिति सेवक के पास कृषि विभाग के फॉर्म ही उपलब्ध नही. समिति सेवक बोलता है की उसके पास फसल बीमा कराने के लिए कोई जानकारी नही आई है और न ही कोई अऋणी किसानों के फॉर्म ही उपलब्ध हैं.

   स्वाभाविक रूप से किसान ऐसे में कहाँ जाए और क्या करे. कृषि विभाग के ग्राम सेवकों और सहकारिता विभाग के समिति सेवकों ने गरीब किसान की धुरचट बिगाड़ कर रख दिया है.

95 प्रतिशत आऋणी किसानों की नही हुई फसल बीमा

    मनगवां तहसील के 95 प्रतिशत के आसपास किसानों की फसल बीमा खरीफ 2018 में अब तक नही हो पायी है. न तो इसमे सहकारिता विभाग कोई रुचि ले रहा है और न ही कृषि विभाग. 

    ऐसे में यह स्प्ष्ट दिख रहा है की यदि इस वर्ष खरीफ 2018 में सूखा पड़ता है अथवा कम बारिस होती है तो किसानों के लिए एक बार फिर भारी मुश्किल होने वाली है. क्योंकि फसल बीमा के अभाव में और समय पर फसल बीमा न करवा पाने की स्थिति में उन्हें अपने फसलों की नुकसानी की कोई भरपाई नही हो पाएगी और एकबार फिर किसान इस सरकारी योजना का समुचित लाभ न ले पाने के कारण ठगा सा रह जाएगा. 

  संलग्न - मनगवां तहसील ज़िला रीवा क्षेत्र के कैथा और उसके आसपास के क्षेत्र में बारिस न होने से मायूस किसान और खाली पड़े खेतों की तस्वीरें. साथ मे सूखे पड़े कुएं जो बता रहे क्षेत्र के जलस्तर को।

-----

शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोब 7869992139, 9589152587

No comments: