Sunday, July 15, 2018

सिरमौर के सरई बीट जंगल में चल रही धांधली, वृक्षारोपण के नाम पर चल रही औपचारिकता, चेक डैम गायब (मामला ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अन्तर्गत सरई बीट के जंगलों का जहां पर वृक्षारोपण कार्य में अनियमिता, अवैध तरीके से वनों की कटाई, और साथ ही चेक डैम निर्माण में हुई है धांधली)

दिनांक 15 जुलाई 2018, स्थान - सिरमौर वन परिक्षेत्र, रीवा मप्र 

(कैथा श्रीहनुमान मंदिर से, शिवानन्द द्विवेदी)

    कहां से बरसें बदरा, कैसे आये समय पर मानसून. जब जंगल पर्वत और पेंड़ पौधे ही नही रहे तो कैसे बनेगा प्राकृतिक संतुलन और कैसेl जीवित रहेगी हमारी धरती.

    आज जिस प्रकार से निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जंगल पहाड़ को उत्खनन करके उजाड़ा जा रहा है स्वाभाविक है आने वाला समय हमारे लिए काफी मुश्किल होने वाला है.

सिरमौर सहित पूरे ज़िले के वनों में चल रहा वृक्षारोपण 

    जानकारी मिली की सिरमौर वन परिक्षेत्र सहित पूरे ज़िले के जंगलों में आजकल वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है. इसी बाबत भौतिक धरातल पर स्थिति देखने लालगांव उप वनपरिक्षेत्र के सरई बीट एरिया में जाया गया तो वहां जो देखा गया वह काफी चौकाने वाला मिला. सरई बीट के जंगलों के बीच खाली पड़े लगभग 30 हेक्टेयर के भूभाग में आंवला और शीशम के पेंड़ लगाए जा रहे हैं. यद्यपि इसकी कोई गारंटी नही की इनमे से कोई भी पेंड़ सर्वाइव कर पाएंगे. क्योंकि अभी पिछले दो से तीन सप्ताह से प्रारम्भ हुआ वृक्षारोपण का कार्य चल रहा है गड्ढे खोदे जा रहे हैं बाड़ियाँ लगाई जा रही है लेकिन जो पेंड़ पिछले हफ्ते लगाए गए हैं वह अभी से उजड़ गए हैं, सूख गए हैं. पेड़ों को ठेकेदार द्वारा लगवाया जा रहा है. यह जानकारी नही मिल पायी है की कितने पेंड़ लगाए जा रहे हैं और इसकी लॉगत कितनी है. पेड़ों को लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों में न तो कोई खाद डाली गई है और न ही कोई कीटनाशक. सीधे गड्ढों को खोदकर पेड़ों को रख दिया गया है जबकि सिंचाई का तो प्रश्न ही उठता। सवाल यह है कि बिना अच्छी मानसूनी बारिस के कैसे शूखे में वृक्षारोपण किया जा रहा है।

हरे पेंड़ काटकर बनाया बाड़ी

    बता दें की जो देखा गया उसमे किये जा रहे पौधरोपण को सुरक्षित करने की औपचारिकता में आसपास के हरे धवैया के जंगली पेंड़ काटकर लगभग 30 हेक्टेयर की बाड़ी लगाई गई है. जब बीट के मुंसी प्रवीण गौतम से इस विषय में विस्तृत जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा बताया गया की इसकी हमे जानकारी नही की कितना बजट आया है लेकिन कार्य ठेकेदार द्वारा करवाया जा रहा है साथ ही जो बाड़ी लगाई जा रही है वह पेड़ों को छांटकर लगाई जा रही है न की काटकर. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा जो देखा गया वह सब अपने कैमरे में कैद कर लिया गया उसमे साफ दिख रहा था की मृत हो चुके और लगाए जा रहे इन पौधों के लिए पहले से ही मौजूद जंगल की हरियाली को किस तरह नष्ट किया जा रहा है. मुंसी प्रवीण गौतम द्वारा जिस प्रकार से बताया गया वैसा तो कुछ भी नही था बल्कि अंधाधुंध तरीके से उपस्थित पेड़ों की जमकर कटाई की गई है और उन्ही धवैया के काटे हुए पेड़ों की बाड़ी लगा दी गई है. इस बात की कोई गारंटी नही की लगाए गए एक भी पेंड़ जीवित रह पाएंगे लेकिन वृक्षारोपण के नाम पर पूरे सरई के जीवित पेड़ों की ऐसी की तैसी तो कर ही दी गई. 

चेक या स्टॉप डैम के नाम पर हुआ भ्रष्ट्राचार

    मात्र बात वृक्षारोपण में अनियमितता तक ही सीमित नही है यहां और भी मामले हैं जिनके कारण वन विभाग हमेशा की तरह कठघरे में है. आखिर गर्मियों में चेक अथवा स्टॉप डैम के नाम पर किया जाने वाला हर वर्ष के कार्य का क्या होता है? कहाँ चले जाते हैं चेक डैम के पत्थर? क्या वास्तव में यह कार्य होता भी है की बस सब कागजों में ही चलता है. 

     सिरमौर के सरई बीट एरिया में मानसेवी सुरक्षा वन कर्मियों बाबूलाल यादव एवं दसरथ यादव के साथ भ्रमण के दौरान पाया गया की इन दोनो मानसेवियों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जंगल विभाग का कर्मचारी मौजूद नही था. जानकारी मिली की काम तो यहां कुछ न कुछ हर वर्ष होता है लेकिन सुरक्षा कर्मियों के अभाव में आसपास के रसूखदार अपने ट्रेक्टर ट्राली में सब भर ले जाते हैं.

    जब यह पूंछा गया की आखिर आप लोग भी तो समितियों के माध्यम से तैनात किये गए वन सुरक्षा कर्मी ही तो हैं तो उनके द्वारा बताया गया की हम मात्र नाम के सुरक्षा कर्मी हैं यहां हमारी कुछ नही चलती. वन समिति के सचिवों मुंसियों के द्वारा हमारी डेढ़ दो साल से पेमेंट रोककर रखी गई है. मुंसी रेंजर कहते हैं की हमे पेमेंट ही नही मिलेगी तो हम क्या करें? क्या हम मुफ्त में काम करते रहें? फिर भी हम दिन में भ्रमण करते रहते हैं और प्रयाश कर रहे हैं की कोई जंगल को नुकसान न पहुचा पाए. लेकिन जब भी हम कार्यवाही करवाते हैं तो मुंसी और डिप्टी रेंजर पैसे लेकर छोंड़ देते हैं तो हम क्या करें.

मानसेवियों की 2 साल से नही मिली पेमेंट

   जंगल विभाग में ग्राम वन समितियों के माध्यम से कार्यरत मानसेवी वन सुरक्षा कर्मियों की 2 साल से पेमेंट नही मिली है. मानसेवी दसरथ यादव, बाबूलाल यादव, कौशल यादव आदि द्वारा बताया गया की उनकी 2 वर्षों से रुकी हुई 3 हज़ार प्रतिमाह की पेमेंट नही दी जा रही है जबकि सभी ने नियमित रूप से कार्य किया हुआ है. पनगड़ी ग्राम वन समिति के राघुवेन्द्र पांडेय एवं रामसिया साकेत द्वारा भी बताया गया की उनकी भी 2 वर्षों के कोई पेमेंट नही मिली है जबकि सभी वनकर्मी नियमित कार्य कर रहे हैं. 

    बता दें की रीवा ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र के विभिन्न बीटों की ग्राम वन समितियों में कार्य कर रहे दर्जनों मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट को वर्षों से नही दिया गया है जिसकी वजह से उनके परिवार के लिए भी भीषण समस्या की स्थिति निर्मित हो चुकी है. उनके अनुसार उनका परिवार दानों दानों के लिए मोहताज़ हो रहे हैं. इस बाबत सभी मानसेवियों ने व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से भी शिकायतें और आवेदन भी संबंधित वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष रखा है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हो रही है. जब इसके विषय में रेंजर, एसडीओ एवं डीएफओ से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया की यह कार्य समितियों का है की किसे रखें और किसे न रखें साथ ही चौकीदारों की पेमेंट भी समितियों के माध्यम से होता है. जिन जिन समितियों का गठन हर पांच वर्ष में नही हो रहा है उनके चौकीदारों को कार्य करने के वावजूद भी पेमेंट संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत सभी मानसेवी चौकीदारों ने एक स्वर में कार्यवाही की आवाज़ उठाई है.

संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें -

  1) रीवा सिरमौर के जंगलों में सरई बीट वन क्षेत्र में औपचारिकता के तौर पर हो रहा वृक्षारोपण का कार्य.

   2) सरई बीट के जंगलों की कटाई की फ़ोटो.

    3) बनाये गए चेक और स्टॉप डैम की फ्लॉप स्थिति को बयान करते टूटे आउर उखड़े चेक डैम.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोब 7869992139, 9589152587

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