दिनांक 08 जुलाई 2018, स्थान - गढ़/लालगांव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
तकनीक के अविष्कार के साथ ही समस्याएं भी बढ़ रही हैं. तकनीक मशीन पर निर्भर है अब यदि मशीन ही धोखा दे दे तो किसे दोष दिया जाए.
आज कल मनी ट्रांसक्शन के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके ईजाद किये जा चुके हैं. कैश प्राप्ति और जमा के लिए एटीम मशीनें तो थीं ही अब आजकल ऑनलाइन और मोबाइल ट्रांसक्शन के लिए भी एप्प आ चुके हैं जिससे सेकंडों में कोई भी मोबाइल के माध्यम से ट्रांसक्शन कर सकता है. अब गौर करें की क्या हो यदि इस पूरे सिस्टम में कोई वायरस आ जाए अथवा ट्रांसक्शन फैल हो जाए अथवा कोई पासवर्ड हैक कर ले. इनमें से किसी भी स्थिति में समस्या बढ़ना स्वाभाविक है. क्योंकि यदि बैंक में कैशियर से कम पैसा मिला अथवा मानवीय भूल हो गई तो समस्या को लेकर सीधे बैंक पहुच जाएं और समस्या का समाधान हो जाएगा. लेकिन यदि मशीनी गड़बड़ी के चलते अथवा एटीएम फ्रॉड के चलते कुछ गड़बड़ हुआ तो उसे पकड़ने के लिए अभी भी भारतीय और प्रदेश की पुलिश और बैंक व्यवस्था उतनी मुस्तैद समझ नही आती. मानाकि तकनीकी विकास अच्छा है लेकिन उनके लिए तो बेकार ही है जिन्हें तकनीक का ज्यादा ज्ञान ही नही और उतने चलते पुर्जे के नही. इसलिए अभी भी भारत और विशेष तौर पर गांव के लोगों के लिए इस तकनीक का क्या मतलब है स्पष्ट नही हो पा रहा है.
कीओस्क संचालकों की भी आ रही शिकायतें
आज बैंक के कीओस्क में गांव के लोगों को खड़े खड़े वेवकूफ बना दिया जा रहा है. कीओस्क केंद्रों के बहुत से मामले आज प्रकाश में आ रहे हैं. गांव के बुजुर्ग, कम पढ़े लिखे अथवा अनपढ़ लोग जब कीओस्क में पैसा निकालने अथवा जमा करने जाते हैं तो उन्हें कोई पर्ची अथवा रसीद नही दी जा रही है. तत्काल ही उनके पासबुक में एंट्री नही की जा रही. इससे कई बार कीओस्क संचालक अधिक पैसे की निकासी को कम बताकर कुछ अपने पास रख लेते हैं और जब हो हल्ला होता है तब जाकर कहीं पता चलता है. बैंकिंग सिस्टम में ही यदि विश्वसनीयता नही रही तो कैसे जनता का हित होगा, कैसे जनता का कल्याण होगा और कैसे जनता की समस्याओं का समाधान होगा.
यूनियन बैंक लालगांव का एटीएम फ्रॉड
दिनाँक 22 मई 2018 को कठमना निवासी संजय कुमार गौतम लगभग ढाई बजे के आसपास लालगांव एटीएम से पैसा निकालने गए. उन्होंने अपने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बैंक खाते क्रमांक 580502010005679 से एटीएम के माध्यम से 10 हज़ार रुपये निकालने के लिए पिन और अमाउंट मशीन में डाला. लेकिन इसके वावजूद भी एटीएम से पैसा नही निकला. संजय गौतम द्वारा बताया गया की एटीएम मशीन हैंग कर गई और उसमे कोई प्रतिक्रिया ही नही हुई. प्रतिक्रिया न होने की स्थिति में संजय ने पुनः वही प्रक्रिया अपनाई लेकिन फिर से पैसा एटीएम से नही निकला. इस पर वहीं कुछ दो तीन लोग उनके पीछे खड़े थे. जिंसमे से एक व्यक्ति पूरा वाकया देख रहा है. उसने एटीएम मशीन की किसी बटन को दबाया और बोला की ट्रांसक्शन फैल हो गया है अब आप साइड हो जाएं हम पैसा निकालते हैं. इस पर उन लोगों ने कुछ किया और उनका रुपया निकल आया. पीड़ित संजय गौतम यह समझ कर की उनका ट्रांसक्शन फैल हो गया है वहां से चले आये और बैंक में जानकारी लेने का प्रयाश किया. जब संजय ने पासबुक में एंट्री कराई तो पता चला की ट्रांसक्शन फैल नही हुआ है बल्कि क्लियर बताया जा रहा है और दिनांक 22 मई 2018 के दिन को 10 हज़ार रुपये उनके एकाउंट से उसी एटीएम द्वारा निकले हुए बताए जा रहे हैं.
बैंक प्रबंधन बना लापरवाह
पूरा वाकया संजय गौतम ने यूनियन बैंक मैनेजर को बताया. लेकिन बैंक से कोई मदद नही मिली. बैंक ने बताया की पैसा निकल चुका है अतः इसमे बैंक की कोई जिम्मेदारी नही. इस पर संजय गौतम थाना गढ़ और लालगांव चौकी जाकर दिनाँक 01 जून 2018 को रिपोर्ट दर्ज करवाई. जहां पर काफी समय बाद कोई सिपाही जांच के लिए यूनियन बैंक आया और बैंक मैनेजर से मिला. बैंक मैनेजर ने दिनांक 22 मई का सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराया तो पता चला की लगभग ढाई बजे तीन लोग संजय गौतम के बाद एटीएम से पैसा निकालने का प्रयास कर रहे हैं जिनमे से एक व्यक्ति सीसीटीवी कैमरे की तरफ काफी संदिग्ध परिस्थिति में देख रहा है. पुलिश ने जानकारी ले ली लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही की. सीसीटीवी फुटेज में आया फ़ोटो भी संजय गौतम ने बैंक मैनेजर यूनियन बैंक से ले लिया है.
यूनियन बैंक प्रबंधन गैरजिम्मेदार
दिनाँक 7 जुलाई 2018 को एकबार फिर पीड़ित संजय गौतम ने यूनियन बैंक जाकर बैंक मैनेजर को लिखित शिकायत दर्ज कराई है. लेकिन बैंक मैनेजर ने अपने जबाब में उसी शिकायत की पावती के पीछे अंग्रेज़ी भाषा में स्पष्ट रूप से लिख दिया है की एटीएम से पैसे निकल चुके हैं अतः बैंक की कोई जिम्मेदारी नही है. बैंक ने पुलिस को सीसीटीवी फुटेज और संदिग्धों की फ़ोटो उपलब्ध करवा दी है अतः अब आगे का कार्य मात्र पुलिश का है की वह जांच कर कार्यवाही करे यह कहना है बैंक प्रबंधन का।
एटीएम फ्रॉड लालगांव यूनियन बैंक में हुआ लेकिन बैंक प्रबंधन नही ले रहा कोई जिम्मेदारी
यदि देखा जाए तो यदि एटीएम फ्रॉड अंदर हो रहा है तो कस्टमर सपोर्ट के लिए बैंक को स्वयं चाहिए की अपने उपभोक्ता हितग्राही की हर संभव मदद करे. जिस प्रकार के संजय गौतम के केस में बैंक मैनेजर लालगांव यूनियन बैंक ने पीड़ित के साथ ट्रीट किया है उससे पीड़ित संजय गौतम स्वयं भी काफी व्यथित है. पीड़ित का कहना है की न तो हमारा पुलिश सुन रही और न ही बैंक प्रबंधन, ऐसे में वह गरीब कहां जाए. बताया गया की संजय गौतम ने यह पैसा कहीं से उधार लिया हुआ था जिसको उसकी बच्ची के फीस के लिए देना था. अब उसके लिए बच्चों के फीस देने की समस्या भी उत्पन्न हो चुकी है जबकि विद्यालय प्रारम्भ हो चुके हैं. पीड़ित संजय गौतम ने इस बाबत यूनियन बैंक के कस्टमर केयर के टोल फ्री नंबर पर भी शिकायत दर्ज करवाई है लेकिन वहां से भी अब तक कोई सार्थक निराकरण नही हुआ है.
सीसीटीवी फुटेज में पीड़ित ने पैसा नही निकाला तब पैसा कहाँ गया?
प्रश्न यह उठता है की जब सीसीटीवी फुटेज में पीड़ित ने स्वयं भी पैसा नही निकाला और एटीएम हैंग कर गया तो पैसा आखिर गया कहाँ? एटीएम ट्रांसक्शन क्लियर बता रहा है फिर पैसा गया कहाँ? स्वाभाविक है की इसके ठीक बाद जिस व्यक्ति ने उस एटीएम का प्रयोग किया उसी ने पैसा निकाला. तब आखिर बैंक प्रबंधन यह क्यों नही बता रहा की किस एकाउंट नंबर के किस व्यक्ति का अगला एटीएम कार्ड यूनियन बैंक लालगांव के उस एटीएम मशीन में डाला गया. जो भी बाद का एटीएम कार्ड डाला गया पैसा उसी व्यक्ति ने निकाला. अब यदि अगले व्यक्ति के खाते से पैसे कटे हैं तब कौन पैसा निकाला इसकी जांच हो अन्यथा यदि अगले व्यक्ति के एटीएम एकाउंट से पैसे कटे ही नही और पैसे 10 हज़ार निकल गए तो स्वाभाविक रूप के पैसा उसी अगले व्यक्ति ने ही निकाला.
संभव है सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा तीसरा व्यक्ति ने किया हो फ्रॉड
अब जैसा की यूनियन बैंक लालगांव द्वारा उपलब्ध कराए गए सीसीटीवी फुटेज में स्पष्ट रूप से दिख रहा है की वहां पर गेट के पास एक तीसरा संदिग्ध व्यक्ति भी मौजूद है जो वहीं आसपास घूम रहा है और फिर वही व्यक्ति एटीएम मशीन के पास आकर एटीएम मशीन के कुछ छेड़खानी कर रहा है. वह तीसरा व्यक्ति कौन है और क्या कर रहा है? जो अन्य दो व्यक्ति एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं उनका इस तीसरे व्यक्ति से क्या संबंध है? क्यों यह तीसरा व्यक्ति उन अन्य दो व्यक्तियों की पैसे निकलने में मदद कर रहा है? आखिर क्या माजरा है? वास्तव में यह सब तत्काल ही स्पष्ट हो जाए लेकिन न तो पुलिश को हो कोई रुचि है और न ही यूनियन बैंक प्रबंधन को ही.
सामाजिक कार्यकर्ता का लिया अंतिम सहारा
इस बीच पीड़ित संजय कुमार गौतम निवासी कठमना दर दर की ठोकर खाने मजबूर है और इसी तारतम्य में दिनाँक 7 जुलाई 2018 को पीड़ित ने अंततः सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी से संपर्क किया. इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के हेड ब्रांच को भी लिखित रूप से ईमेल भेज दया गया है और जांच कर कार्यवाही की माग की गई है. मामला चाहे करोड़ों अरबों का हो अथवा सैकड़ों और हज़ार रुपये का. फ्रॉड तो फ्रॉड ही है. मानाकि की रसूखदार और अरबपतियों के लिए हज़ारों अथवा लाखों का कोई मायना न होगा परंतु एक गरीब व्यक्ति के लिए तो एक एक पैसे का काफी महत्व है. आखिर उधार लिए हुए पैसे से पीड़ित संजय गौतम अपने बच्चों के फीस की व्यवस्था करना चाह रहा था तो उसकी भरपाई कौन करेगा. बैंक ही अपने फण्ड से गरीब संजय गौतम को क्यों नही दे देता 10 हज़ार रुपये. और यदि नही देता तो वैधानिक जांच कर कार्यवाही करवाये बैंक स्वयं तह तक जाए। क्योंकि इस प्रकार के बैंक एटीएम फ्रॉड में बैंक प्रबंधन की ज्यादा गलती है उपभोक्ता की कम. फ्रॉड बैंक प्रेमिसेस एटीएम मशीन के भीतर से हुआ है न की एटीएम मशीन के बाहर से. यहाँ एटीएम मशीन की गड़बड़ी की वजह से पैसा नही निकला न की उपभोक्ता की गलती की वजह से. यदि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया लालगांव शाखा को ऐसा लगता है की उपभोक्ता की गलती थी तो यह सिद्ध करे की गलती उपभोक्ता की थी. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की एटीएम मशीन ने अमाउंट और कोड डालने के बाद भी 10 हज़ार रुपये बाहर क्यों नही निकाले, क्योंकि यदि निकाले होते तो उपभोक्ता संजय गौतम सीसीटीवी फुटेज में पैसा लेकर बाहर निकला होता. इसलिए पूरे मामले में खामी बैंक प्रबंधन की है. बैंक प्रबंधन को एटीएम मशीन के अंदर एक सुरक्षा गॉर्ड सह हेल्पर बैठाना चाहिए जो कम पढ़े लिखे तकनीकी दृष्टि से कम शिक्षित ग्रामीण उपभोक्ताओं की मदद करें.
संलग्न - 1) संलग्न तस्वीरों में देखें ज़िला रीवा अंतर्गत लालगांव यूनियन बैंक के हितग्राही संजय कुमार गौतम पीड़ित की शिकायत के साथ तस्वीर. 2) पीड़ित संजय गौतम द्वारा संबंधित थाना गढ़ और लालगांव चौकी में दिनाँक 1 जून 2018 को दिए गए लिखित शिकायत की प्रति. 3) बैंक प्रबंधन लालगांव द्वारा पीड़ित संजय गौतम को सीसीटीवी फुटेज से उपलब्ध करायी गई संदिग्धों की तस्वीर. 4) पीड़ित द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बैंक प्रबंधक के नाम दिनांक 7 जुलाई 2018 को दिए गए शिकायत की प्रति.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला - रीवा मप्र, मोब 7869992139, 9589152587
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