दिनांक 11 जुलाई 2018, स्थान - गंगेव ब्लॉक रीवा MP,
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
मलमास उतरा नही की ज़िले में इस समय विवाह का मानसूनी मुहूर्त बना हुआ है. भले ही प्राइवेट शादियां कम ही हो रही हों लेकिन सरकारी सदियों का तो ऐसा लग रहा है जैसे माहौल बना हुआ है.
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना 2018 अन्तर्गत गरीब परिवार के सदस्यों के लिए जिनमे बहुतायत में हरिजन आदिवाशी सम्मिलित हैं ब्लॉक लेवल पर शादी समारोह का आयोजन किया जा रहा है. जानकारी के अनुसार पता चला की गंगेव ब्लॉक में लगभग 90 जोड़ों की शादियाँ करवाई गईं हैं.
मानसून वेडिंग के इस दौर में कोई भी सरकारी योजना के लाभ से वंचित नही होना चाह रहे थे. बहुतायत में हरिजन आदिवाशी जोड़े दिखे. जानकारी पर बताया गया की काफी लोगों को लेट जानकारी मिली फिर भी योजना का लाभ लेने के लिए ब्लॉक पहुचे हुए थे.
हज़ारों की भीड़ में दिखे कुछ शादीसुदा जोड़े
गंगेव ब्लॉक कार्यालय में उपस्थित हज़ारों जोड़ों में आधे से अधिक ऐसे दिखे जिनके पास एक या दो बच्चे भी थे जो बच्चों को लटकाए बाहर घूम रहे थे. यद्यपि यह जानकारी कईयों ने छुपाने का भी प्रयाश किया. लेकिन उपस्थित समूह के हाव भाव से अच्छी तरह से समझ आ रहा था इनमे से ज्यादातर की शादी हो चुकी है और योजना के लाभ लेने के लिए आये हुए हैं.
मंडप में बैठे जोड़ों के भी चेहरे उम्र बयां कर रहे थे
आम तौर पर यह देखा जाता है की ग्रामीण अंचलों में हरिजन आदिवाशी वर्ग के बच्चों की शादियाँ सामान्य वर्ग के बालिगों की शादियों से पहले कर दी जाती हैं. ग्रामीण स्तर की परंपरा ही कहें की यहाँ काफी शादियां अंडर एज हो जाती हैं लेकिन उन्हें छुपाने का प्रयाश किया जाता है. यदि किसी खुफिया एजेंसी से गुपचुप यह सर्वे कराया जाय तो स्वयं ही सारी सच्चाई का पता चल जाएगा. इस प्रकार पाएंगे कि ग्रामों में आज भी कम पढ़े लिखे वर्ग में नाबालिग शादियाँ हो रही हैं।
इस प्रकार मंडप में बैठे जोड़ों को स्वयं ही देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता था की कुछ की शादियां पहले ही हो चुकी थीं. ब्लॉक स्तर से जो जानकारी दी गई थी उसमे बताया गया था की जिनकी शादियां वर्ष 2018 में ही हुई हैं और उनके बच्चे पैदा न हुए हों उन्हें ही लाया जाय और दूसरे वह लोग जिनकी अभी तक शादियां न हुई हों वह लोग तो सम्मिलित हो ही सकते हैं।
परंतु जिस प्रकार से देखा गया उससे साफ लग रहा था की कई जोड़े तो ऐसे रहे जिनकी शादियां वर्षों पहले हो चुकीं थीं फिर भी 20 हज़ार की मुख्यमंत्री द्वारा दी जाने वाली एफडी और कुछ विदाई सामग्री को लेने की होड़ में अच्छा खासा जमावड़ा लगा हुआ था. ऐसा लग रहा था बस किसी तरह से एक एक एलजी का कुकर और कुछ अन्य सामग्री मिल जाए और बस काम बन जाए.
विदाई में दिया एलजी कुकर और साड़ी और 100 रुपये तक के बर्तन
इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित जोड़ों को जो सामग्री वितरित की गई उसमे एक साड़ी, कुछ 100 रुपये की कीमत के बर्तन जिंसमे एक दो गिलास और एक थाली समिलित थी. सभी जोड़ों को मौर के अतिरिक्त एक 3 लीटर का एलजी कुकर दिया गया. जब कुछ जोड़ों से इसके बारे में जानकारी चाही गई तो नाम न उजागर किये जाने की शर्त में बताया की हमने अपने सरपंच और सचिव की मदद से पंजीयन कराया था जिसके एवज में हमने उनको पैसे भी दिए थे. कुछ हितग्राहियों को 2 चार सौ रुपये के चांदी के पायल भी मिले ऐसा उनके द्वारा बताया गया.
बफेट का भोजन रहा स्कूलों के मध्यान भोजन जैसा
आजकल ग्रामीण अंचल की स्कूलों में जिस प्रकार बहुतायत मे चावल दाल अथवा खिचड़ी वितरित की जा रही है और स्कूल के मीनू का कोई खयाल नही रखा जाता उसी प्रकार मुख्यमंत्री कन्यादान योजना 2018 के इस कार्यक्रम में भी आयोजित बफेट सिस्टम में भी ज्यादातर हितग्राही और उपस्थित उनके परिजन बस चावल दाल ही खाते मिले. कुछ लोगों ने बाद में पूड़ी शब्जी का भी शायद स्वाद लिया लेकिन बहुतायत में जब प्लेटों का मुआयना किया गया तो उसमे प्लेन चावल और दाल ही दिखा.
कुल मिलाकर सम्मेलन में आयोजित बफेट का स्टैण्डर्ड बहुत घटिया कहा जा सकता है और इसके बजट को लेकर भी प्रश्न खड़ा होना भी स्वाभाविक है. प्रश्न उठता है की बफेट के मीनू में क्या क्या भोजन रखा गया था? इसका कितना बजट था? क्या वास्तविक बजट यही था जो खिलाया गया की बजट कुछ और था और खिलाया कुछ और गया.
भोजन की हुई अच्छी खासी बर्वादी
एक चीज और भी इस कार्यक्रम के दौरान देखने को मिली जो की सामाजिक कार्यकर्ता के मोबाइल कैमरे में कैद होने से नही बच सकी. वह थी भोजन की बर्वादी. लगाए गए बफेट के बाजू में ही न्यायालय नायाब तहसीलदार गंगेव के कार्यालय के सामने ही टैंकर के पास कई क्विंटल छोड़ा गया भोजन बर्वाद होता दिखा जिसे आदमी से लेकर माल मवेशी तक कचर रहे थे. यह स्थिति थोड़ा दुखद थी क्योंकि अन्न देवता की इस प्रकार की बर्वादी बिल्कुल ही उचित नही कही जा सकती और वह भी पैरों तले कुचलना तो बिल्कुल ही अनुचित है. इस बाबत वहां उपस्थित कर्मचारियों से पूंछा भी गया की क्या उनके पास इस वेस्ट फ़ूड को मैनेज करने के लिए डस्ट बिन नही है. इस पर उनके द्वारा कहा गया की हमे डस्ट बिन उपलब्ध नही कराया गया. इस बात से यह बात सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है की सरकारी स्तर पर भी इतने अधिक बजट आवंटन के बावजूद किस प्रकार भ्रष्ट्राचार व्याप्त होने के साथ साथ मिस मैनेजमेंट भी व्याप्त है.
काफी जोड़े लौटे खाली हाँथ, राजेश सोनी ने संभाला था रजिस्ट्रेशन काउंटर
वहां भीड़ में उपस्थित कई जोड़ों से जानकारी लेने का प्रयाश किया तो पता चला की जितनी वहां भीड़ दिख रही थी उतने जोड़ों को तो योजना का लाभ नही मिल पाया था. रजिस्ट्रेशन काउंटर पर उपस्थित गंगेव ब्लॉक का बहुचर्चित बाबू राजेश सोनी था. जिसके ऊपर कई जोड़ों ने अनियमितता का भी आरोप लगाया. जोड़ों ने बताया की उनके फॉर्म काफी समय से जमा थे लेकिन उनके नामों को नही बुलाया गया. जिनका मामला पहले से फिक्स था उन्हें ही बस योजना का लाभ मिला. इस बीच कैथा और हिनौती पंचायत से भी कुछ जोड़े पहुचे थे जो बाद में मायूस होकर लौटे.
पंचायत सचिवों ने समय पर नही कराया पंजीयन
उपस्थित कई जोड़ों ने बताया की उनका पहले से पंजीयन नही हुआ था और जानकारी मिलने पर वह सभी सीधे गंगेव ब्लॉक कार्यालय में विवाह सम्मेलन पर पहुचे थे. उनके पास सभी कागज़ात जैसे जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, आधार कार्ड, बीपीएल राशन कार्ड, समग्र आईडी, दोनो पक्षों की फ़ोटो और वर बधू और अन्य जरूरी दस्तावेज भी मौजूद थे लेकिन इसके वावजूद भी उनका फॉर्म जमा नही किया गया. उन्हें कहा गया की अब बहुत लेट हो चुका है अब यहां आने से कोई फायदा नही है. फॉर्म पहले भरवाकर रजिस्ट्रेशन कराया जाना था अतः अब रजिस्ट्रेशन नही हो पायेगा. इस प्रकार बिना पहुच और जुगाड़ वाले जोड़े खाली हाँथ ही लौट आये.
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना एक औपचारिकता, जमकर हुई धांधली
वास्तव में जो स्थिति रीवा के गंगेव ब्लॉक कार्यालय में आयोजित मुख्यमंत्री कन्यादान योजना 2018 में दिखी उससे यह बात समझ आई की यह सब दिखावा मात्र था क्योंकि इसमे ज्यादातर तो फ़र्ज़ी शादियां हुईं हैं और जो वास्तविक हितग्राही थे उनके फॉर्म तक नही लिए गए. इस पूरे कार्यक्रम में जमकर धांधली होती है. यह मात्र इस वर्ष के कार्यक्रम की बात नही है बल्कि हर वर्ष यही होता है. थर्ड क्वालिटी का उपहार देकर ज्यादा बिल बनाकर सरकार के ख़ज़ाने में चुना लगाया जा रहा है. जो वास्तविक बजट इस कार्यक्रम के लिए आवंटित हो रहा है उसका मात्र कुछ प्रतिशत ही उपयोग हो रहा है बांकी का फ़र्ज़ी बिल बाउचर बना कर राशि का बन्दरवाट कर लिया जाता है.
सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की थी आरटीआई
गंगेव ब्लॉक में हो रहे लार्ज स्केल फर्जीवाड़ों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा पहले भी सीईओ जनपद गंगेव के नाम आर टी आई दायर की जा चुकी है जिसका जबाब आज तक लंबित है. इसी प्रकार के पिछले 4 या 5 वर्ष के हो रहे मुख्यमंत्री योजना के अन्तर्गत विवाहों, छात्रवृत्ति, कर्मकार, मजदूर सुरक्षा आदि के कार्यक्रम को लेकर हुए खर्चे, हितग्राहियों की सूची आदि के विषय में आर टी आई दाखिल किया गया है जिसकी की अपील राज्य सूचना आयोग भोपाल में भी की गई है.
संलग्न - मुख्यमंत्री कन्यादान योजना वर्ष 2018 में आयोजित जनपद स्तर के सामूहिक विवाह कार्यक्रम का दृश्य. कई जोड़े शादीसुदा बाल बच्चे वाले दिख रहे हैं. बफेट सिस्टम में चावल दाल परोषा जा रहा है. ज्यादातर भोज्य पदार्थ की बर्वादी हो रही है. पैरों तालों कचरा जा रहा है. पंजीयन काउंटर में भारी भीड़ उर अव्यवस्था.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोब 7869992139, 9589152587
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