Tuesday, July 31, 2018

रघुनाथगंज-मड़ना पीएम सड़क की मरम्मत में हो रही लीपापोती (मामला ज़िले के मऊगंज अनुभाग अन्तर्गत बनाई जा रही पीएम सड़कों की दुर्दशा का, एक करोड़ 78 लाख की लॉगत से की जा रही मरम्मत पर अभी से दिखने लगा घटिया कार्य, जे के एस इंफोवर्ड रीवा का कारनामा)

दिनांक 01 अगस्त 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र 

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

   ज़िले में बनाई जा रही प्रधानमंत्री सड़कों के नवनिर्माण और मरम्मत दोनो प्रकार के कार्यों में ठेकेदारों और पीएम सड़क विभाग की मिलीभगत के चलते पलीता लग रहा है. आमतौर पर किसी भी ठेकेदारी प्रथा में किये जा रहे कार्य का पर्यवेक्षण का जिम्मा संबंधित विभाग का होता है. यह तो स्वाभाविक है की कोई ठेकेदार आज इतना ईमानदार नही है की राष्ट्रहित की भावना से प्रेरित होकर समाजहित में काम करेगा. तो प्रश्न यह है की ठेकेदारों की मनमानी पर नियंत्रण का जिम्मा किसके सिर पर होना चाहिए. यह कार्य होता है संबंधित विभाग का जिसके पर्यवेक्षक सतत कार्य की गुणवत्ता की निगरानी करें और देखें की जहां भी ठेकेदार मनमानी करे, कार्य की गुणवत्ता के साथ समझौता करें वहां तत्काल कार्य को रिजेक्ट किया जाय, पैसा रोक दिया जाय, साथ ही रेकवरी की जाय. लेकिन यहां तो सब उल्टा है क्योंकि बारी ही खेत खा रही हैं. आज प्रत्येक सिविल कंस्ट्रक्शन के कार्यों में विभागों की संलिप्तता और इनके कमीशन फिक्स होने के चलते ये विभाग ठेकेदारों पर कठोर कार्यवाही नही करते. नतीज़ा आज जितनी भी पीएम सड़कें और सिविल कंस्ट्रक्शन के कार्य हो रहे हैं सभी गुणवत्ताविहीन होते हैं साथ ही बनने के एक या दो साल के भीतर ही खत्म हो जाते हैं.

रघुनाथगंज से मड़ना पीएम सड़क में घटिया मरम्मत कार्य

   अभी हाल ही में मऊगंज की तरफ रुख करने पर गढ़ से होते हुए तेंदुआ मोड़ रघुनाथगंज-मड़ना सड़क का रुख किया गया. तेंदुआ मोड़ पर ही पीएम सड़क विभाग का लगा एक बोर्ड दिखा जिंसमे बताया गया था की लगभग 13 किमी लंबी इस पीएम सड़क का मरम्मत कार्य किया जा रहा है जिसकी कुल लॉगत 1 करोड़ 78 लाख के आसपास है. पैकेज क्रमांक एमटीएन 032 नाम से मरम्मत की जा रही इस सड़क को किसी रीवा के ही जे के एस इंफोवर्ड नामक कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है. इसके कार्य प्रारम्भ होने की तिथि 2 दिसंबर 2016 बताया गया है. इतने समय से प्रारम्भ किया गया यह कार्य आज तक पूर्ण क्यों नही हुआ यह भी एक बहुत बड़ा प्रश्न है.

  प्रधानमंत्री सड़क मरम्मत में मापदंडों की अनदेखी

    टेक्निकल डिटेल को छोड़ दें तो इसकी गुणवत्ता मापदंडों के अनुरूप तो बिल्कुल ही नही है. अमूमन क्या पीएम सड़क की मरम्मत के समय सड़कों के बीच जो गड्ढे बने हुए होते हैं उन्हें नही भरा जाना चाहिए? यहां पर तो यह देखा गया की बिना सड़क की उचित सफाई किये ही बिना गड्ढों को भरे ही इमल्शन और लिक्विड डाल दिया गया था और उसके ऊपर मोबीओइल मिली हुई डामर गिट्टी की पतली परत चढ़ाई जा रही थी. कई स्थानों से तो यह सड़क पहले ही उखड़ने लगी थी. इसके अतिरिक्त पहले से चढ़ी हुई परत को भी यथावत रखा गया था जिसे नियमानुसार हटाकर नए सिरे से परत चढ़ाई जानी चाहिए जिससे मरम्मत की हुई सड़क की पकड़ मजबूत बनी रहे और साथ ही कुछ समय तक चल पाए. लेकिन इनमे से किसी मापदंड का खयाल न रखा जा कर मात्र ठेकेदारों द्वारा मनमानी पूर्वक गुणवत्ताविहीन कार्य किये जा रहे हैं जिससे स्थिति दुर्दशापूर्ण बनी हुई है.

पीएम सड़क के किनारों पर नही हो रही शौल्डरिंग, मात्र चार अंगुल चौड़ी मोरम डाल रहे  

   इस पीएम सड़क की मरम्मत के विषय में कई बातें दिखीं जिनको गौर से देखा जाए तो खामियां दिखती नज़र आईं. मसलन किसी भी सड़क की मजबूती उसके दोनो तरफ बनाये जा रहे बॉर्डर से भी देखी जाती है. बॉर्डरिंग अथवा शोल्डरिंग का कार्य सही तरीके से नही हो रहा है. शोल्डरिंग में नए सिरे के मोरम डाली जानी चाहिए जिससे किनारों पर सड़क का कटाव रुके एवं सड़क में जो वर्षों से मोरम का कटाव हुआ है उसकी भरपाई भी हो सके और आखिर यही तो मरम्मत कार्य भी है वरना फिर काहे का करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है.

इन लोगों ने बतायी समस्याएं 

    तेंदुआ मोड़ में जब वहां पहुचा गया और आसपास निवास करने वाले ग्रामीणों और दुकानदारों से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया की हम इस सड़क कार्य से बिल्कुल संतुष्ट नही है और हमने भी कई बार कार्य में लगे हुए कर्मचारियों को सड़क की मरम्मत गुणवत्तापूर्वक करने के लिए कहा है लेकिन कोई सुन नही रहा है.

   तेंदुआ मोड़ के पास उपस्थित रंगलाल कोल, नीलेश मिश्रा, विनय मिश्रा, सुजीत सोंधिया, दुर्गा प्रसाद, सुनील पटेल, दयानंद मिश्रा, लाला सिंह, रजनीश पटेल, रमा प्रताप सिंह आदि ने बताया की सड़क कार्य गुणवत्तापूर्ण नही है और इसकी सख्त जांच कर ठेकेदार से पूरे पैसे की वशूली की जानी चाहिए.

संलग्न - ज़िले के मऊगंज अनुभाग अन्तर्गत तेंदुआ मोड़ के पास रगुनाथगंज से मड़ना पीएम सड़क के मरम्मत कार्य का दृश्य तथा उपस्थित ग्रामीणजन. साथ ही पीएम सड़क के मरम्मत कार्य का लगाया गया बोर्ड जिंसमे समस्त जानकारी लिखी हुई है.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

चीफ इंजीनियर के निर्देश पर जल्द बदले जाएंगे दोनो ट्रांसफार्मर (मामला ज़िले के त्योंथर ब्लॉक कटरा डीसी अन्तर्गत जमुई ग्राम के 100 केवीए एवं करहिया के 63 केवीए के फैल ट्रंसफॉर्मेर बदले जाने संबंधी ट्विटर पर सामाजिक कार्यकर्ता के भेजे गए संदेश पर कार्यवाही पर)

दिनांक 31 जुलाई 2018, स्थान - कटरा/गढ़/गंगेव रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

    जैसे जैसे बिजली विभाग की योजनाओं का अधिक से अधिक क्रियान्वयन होने लगा है वैसे ही आम जनता की अब आवाज भी सुनी जाने लगी है.

    एक समय था जब ट्रांसफार्मर जलने पर महीनों क्या सालों इंतज़ार करना पड़ता था. कितनी शिकायतें नही जातीं थीं लेकिन कोई सुनने वाला नही होता था. बिजली विभाग से बात करो तो बिजली बिल बकाया का फण्डा सुनाया जाता था और बांकी जन प्रतिनिधि विधायक सांसदों मंत्रियों का तो कोई रता पता ही नही चलता था की आखिर सब हैं कहां. 

    अब जब मप्र का वर्ष 2018-19 में होने वाला चुनाव नजदीक आ गया है ऐसे में वर्तमान पदस्थ सरकार आम जनता को विभिन्न लोक लुभावने वादे और इरादे लेकर आई है. इसी श्रृंखला में जहां एक तरफ पुराने पेंडिंग बिजली बिल माफी स्कीम का पूरे जोर सोर से क्रियान्वयन किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ गरीबों और असंगठित श्रमिकों के लिए 200 रुपये प्रतिमाह की बिजली बिल स्कीम भी लांच हो चुकी है और ज्यादा से ज्यादा लोग भी इसका लाभ उठाने में पीछे नही हैं. 

    वर्तमान पदस्थ सरकार में पार्टी इसे भुनाने में भी लगी है और बिजली विभाग को अपने कारनामों के प्रचार का आधार भी बना चुकी है. ऐसा लग रहा है की मात्र इसी अंतिम के कुछ महीनों में ही प्रदेश का बिजली विभाग पूरे काम पर है वरना पिछले पांच वर्ष तो भगवान ही मालिक था. 

  कास यदि यही तेज़ी और इरादे पिछले पांच वर्ष भी रहते तो शायद जनता का और भी आधिक भला होता और सही मायनों में भारतीय लोकतंन्त्र एक शसक्त लोकतंन्त्र कहलाता.

चीफ इंजीनियर श्री के एल वर्मा के निर्देश पर बदला जाएगा करहिया एवं जमुई का फैल ट्रांसफार्मर

   अभी पिछले दिनों ट्विटर के माध्यम से एकबार फिर जनहित की समस्याओं को लेकर बिजली विभाग के वरिष्ठ शम्भागीय अधिकारी चीफ इंजीनियर श्री के एल वर्मा को सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी के माध्यम से ट्विटर पर संदेश भेजा गया था जिंसमे पिछले कई माह से जमुई ग्राम में स्कूल के पास के जले हुए 100 केवीए के ट्रांसफार्मर की बात रखी गई थी इसी प्रकार अभी हाल ही में दो सप्ताह पहले करहिया लोनियान टोले के भी 63 केवीए के जले हुए ट्रांसफार्मर को बदले जाने की भी बात कही गई थी. जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए श्री वर्मा ने अपने कनिष्ठ कर्मचारियों को कार्यवाही करने के निर्देश भी दे डाले.

    ट्विटर पर रिप्लाई किये गए संलग्न संदेश में के एल वर्मा ने बताया की दिनाँक 30 जुलाई के अंदर तक करहिया का ट्रांसफ़ॉर्मर बदल दिया जाएगा एवं इसी प्रकार दिनांक 2 अगस्त के भीतर जमुई का भी स्कूल के पास का 100 केवीए का फैल ट्रांसफार्मर बदल दिया जाएगा.

   जब इस संदर्भ में कटरा जेई अभिषेक गौरव सोनी एवं त्योंथर कार्यपालन यंत्री आरसी पटेल से जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा भी बताया गया की ऊपर से सख्त निर्देश आये हैं की 31 जुलाई के भीतर दोनो ट्रांसफार्मर बदले जाने हैं. जानकारी दी गई की गाड़ी को सतना स्टोर में भेजा गया है जहां से ट्रांसफार्मर लाकर बदला जाएगा.

ट्विटर पर अकौरी-गौतमान 100 केवीए फैल ट्रांसफार्मर की भी सूचना

    इसी श्रृंखला में चीफ इंजीनियर रीवा रीजन, ऊर्जामंत्री श्री पारस जैन, सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी एवं अन्य को टैग करके रीवा निवासी जितेंद्र तिवारी द्वारा भी एक संदेश भेजा गया था जिंसमे पिछले कई दिनों से फैल एवं एकमात्र 100 केवीए के ट्रांसफार्मर की भी बात आई थी. जिस पर स्वयं भी संज्ञान लेते हुए सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा संबंधित गंगेव डीसी के कनिष्ठ यंत्री मनीष जोशी से बात की गई जिंसमे पता चला की पिछले 20 जुलाई को ही 100 केवीए का यह ट्रांसफ़ॉर्मर फैल हुआ है जिसका डिटेल लेकर संबंधित मनगवां अस्सिटेंट इंजीनियर प्रशांत नागेश को भेज दिया गया है और ट्रांसफार्मर सतना स्टोर से मिलने पर बदलने की कार्यवाही भी की जाएगी.

  आजकल चुनावी माहौल को देखते हुए बिजली विभाग की ताबड़तोड़ सर्विस

    इस प्रकार देखा जा सकता है की आम जनता के लिए वर्तमान मप्र सरकार नित नई स्कीम ला रही है और ज्यादा से ज्यादा जनता को संतुष्ट करने का प्रयाश कर रही है, आखिर ऐसा करे भी क्यों नही. मप्र विधानसभा का चुनाव तो बस कुछ ही महीने बचा हुआ है ऐसे में सरकार में पदस्थ पार्टी कोई कोर कसर भी नही छोड़ना चाहती.

    मामला चाहे राजनीतिक हो अथवा कैसा भी हो इससे एक सामाजिक कार्यकर्ता को क्या लेना देना. हमे तो जनता की सेवा और उसके कार्य से मतलब है. जनता की आवाज सामने आती है तो उसे संबंधित फोरम तक सफलता पूर्वक पहुचा देना और आस लगाए बैठी जनता के किसी भी काम आ जाना एक ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ता का उद्देश्य होना चाहिए. और इस सेवाभाव में विभागों और मंत्रालयों से तालमेल बैठा कर रखना और जनता का काम करवाते रहना वास्तविक कुशलता है.

जय श्रीराम

संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीर में देखने का कष्ट करें जमुई ग्राम का कई महीनों के जला ट्रांसफार्मर, इसी प्रकार करहिया ग्राम का भी जला हुआ ट्रांसफार्मर.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

Wednesday, July 18, 2018

न्यायालय के आदेश के बाद भी सरहंगई पूर्वक पैतृक संपत्ति को कब्जाने का प्रयाश (मामला ज़िले के मऊगंज तहसील अन्तर्गत ग्राम खुजवा सुअरहा का जहाँ भूषण सिंह भुवनेश्वर सिंह वगैरह के द्वारा सरहंगई पूर्वक पीड़ित की पैतृक जमीन को अवैध कब्जा करने का प्रयाश किया जा रहा)

दिनांक 18 जुलाई 2018, स्थान - लौर थाना, मऊगंज, रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र)

        ज़िले के मऊगंज तहसील एवं लौर थाना अन्तर्गत खुजवा सुअरहा ग्राम में आवेदक पीड़ित रमाप्रताप सिंह पिता मुनेंद्र सिंह भूमिस्वामी 13 किता 9 एकड़ 14 डिसमिल को वहीं के निवासी भूषण सिंह भुवनेश्वर सिंह वगैरह द्वारा जबरन पैतृक संपत्ति को कब्जाने, धमकी देने, अवैध अतिक्रमण करने का मामला प्रकाश में आया है.

        रमाप्रताप सिंह पिता मुनेंद्र सिंह द्वारा जानकारी दी गई की उनकी माता स्व. गौरी देवी अपने पिता श्रीमहादेव सिंह की इकलौती संतान थीं. महादेव सिंह 4 भाई थे जिंसमे उनके नाम एक चौथाई हिस्सा आया था. महादेव सिंह की मृत्यु उपरांत उनकी सारी जायदाद उनकी इकलौती बेटी गौरी देवी के नाम नामान्तरित हुई जिसके बारिस गौरी देवी के एकमात्र सुपुत्र रमा प्रताप सिंह बने. अब वर्तमान में सम्पूर्ण 13 किता जमीन जिसका रकबा 9 एकड़ 14 डिसमिल है इसके बारिस एवं हकदार रमा प्रताप सिंह हैं जिनके नाम पर राजस्व विभाग की ऋण पुस्तिका, बी वन और अन्य समस्त दस्तावेज मौजूद हैं. लेकिन पीड़ित रमा प्रताप एवं मुनेंद्र सिंह द्वारा बताया गया की विरोधी भूषण सिंह भुवनेश्वर वहैरह द्वारा तहसीलदार तहसील मऊगंज, सिविल न्यायालय से जमीनी मुकदमा हारने के बाद भी जबरन सरहंगई पूर्वक पीड़ित रमा प्रताप की उक्त 13 किता जमीन रकबा 9 एकड़ 14 डिसमिल कब्जाने का प्रयाश किया जा रहा है. इस विषय में पीड़ित द्वारा जानकारी दी गई की वर्तमान समय पर स्वत्व एवं अधिपत्य भी पीड़ित के नाम पर ही है जिसका सिविल कोर्ट मऊगंज द्वारा एक बार पुनः स्थायी निषेधाज्ञा रमा प्रताप सिंह पिता मुनेंद्र सिंह के पक्ष में ही दिया गया है जिस पर मऊगंज सिविल कोर्ट ने बड़े ही स्पष्ट शब्दों में लेख किया है की भूषण सिंह वगैरह द्वारा किसी प्रकार से पीड़ित की ग्राम खुजवा सुअरहा जनरल नंबर 201 के स्वत्व एवं अधिपत्य की जमीन खसरा क्र. 40/1, 42/2, 69, 79, 111, 156, 166, 167, 169, 214, 220, 271, 269 हल्का पटवारी घोरहा 5, सर्किल देवतालाब मऊगंज में कब्जा करने का प्रयाश न किया जाए अन्यथा कानूनी कार्यवाही की जाएगी. भूषण सिंह वगैरह ने भी मामला अपने तरफ से एक फ़र्ज़ी वसीयत के आधार पर मामला तहसीलदार न्यायालय से लेकर सिविल न्यायालय मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी तक रखा था जिस पर क्रमवार भूषण सिंह भुवनेश्वर सिंह वगैरह मुकदमा हार चुके हैं और फैसला रमा प्रताप सिंह पिता मुनेंद्र सिंह के पक्ष में आ चुका है. कोर्ट ने भूषण सिंह वगैरह की मनगढंत वसीयत को ही फ़र्ज़ी घोषित कर दिया और इस प्रकार हर न्यायालय से भूषण सिंह वगैरह मात खा चुके हैं लेकिन फिर भी पीड़ित रमा प्रताप सिंह को बेबजह परेशान करते रहते हैं. 

पीड़ित रमा प्रताप सिंह को सिविल कोर्ट से भी मिल चुकी है दीवानी स्थायी निषेधाज्ञा 

    सिविल कोर्ट में हारने के बाद भी जब भूषण सिंह वगैरह जबरन पुनः रमा प्रताप सिंह की स्वत्व एवं अधिपत्य की उक्त जमीन पर दखलंदाजी करने लगे तो पीड़ित रमा प्रताप एवं उनके परिवार द्वारा एकबार पुनः सिविल कोर्ट की शरण ली गई जिंसमे स्थायी निषेधाज्ञा के लिए दीवानी दावा दायर किया गया. जिस पर दिनांक 18/04/2016 को पीड़ित रमा प्रताप सिंह के नाम पर स्थायी निषेधाज्ञा सिविल न्यायालय द्वारा पीड़ित के पक्ष में देते हुए आदेश जारी किया गया की पीड़ित के नाम पर जो कुल 13 किता जमीन जिसका रकबा 9 एकड़ 14 डिसमिल ग्राम खुजवा सुअरहा जनरल नंबर 201, हल्का पटवारी घोरहा क्र. 5  ज़िला रीवा में स्थित है इस प्रकरण के निराकरण तक प्रतिवादी भूषण सिंह भुवनेश्वर सिंह वगैरह न तो स्वयं एवं न ही किसी अन्य के माध्यम से किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप न करें.

   परंतु लगातार सरहंगई पूर्वक जिस प्रकार से भूषण सिंह भुवनेश्वर सिंह वगैरह द्वारा पीड़ित रमा प्रताप सिंह एवं उनके परिवार को परेशान कर पीड़ित के स्वत्व एवं अधिपत्य की जमीन को सरहंगई पूर्वक हड़पने का प्रयाश किया जा रहा है इसके विषय में पीड़ित द्वारा उसके पक्ष में न्यायालय के आदेश संबंधित जानकारी थाना प्रभारी लौर को दिनांक 9/7/16, दिनांक 18/7/2017 शिकायत क्रमांक 2654 के माध्यम से ज़िला कलेक्टर रीवा एवं पुलिश अधीक्षक रीवा, दिनांक 27/01/2018 को न्यायालय नायाब तहसीलदार देवतालाब को भी सूचित किया गया है. जिस पर दिनांक 27/01/2018 को न्यायालय नायाब तहसीलदार द्वारा आदेशित किया गया की सिविल कोर्ट का पीड़ित के पक्ष में दीवानी स्थायी निषेधाज्ञा का निर्णय ही सर्वमान्य है.

   फिर भी उपरोक्त आदेशों एवं न्यायालयीन निर्देशों के वावजूद भी सरहंगों द्वारा निरन्तर पीड़ित रमा प्रताप सिंह एवं उनके परिवार को धमकी दी जा रही है और साथ ही उनके स्वत्व एवं आधिपत्य की जमीन को कब्जाने का प्रयास किया जाता रहा है. जिस पर पीड़ित ने मौके पर पुलिश सहायता की माग की है.

संलग्न - संलग्न दस्तावेजों में सिविल न्यायालय मऊगंज से दीवानी स्थायी निषेधाज्ञा की प्रति, न्यायालय नायाब तहसीलदार की स्थायी निषेधाज्ञा को मान्य करने वाली टीप, लौर थाना प्रभारी, कलेक्टर रीवा, एसपी रीवा को पीड़ित द्वारा दिए शिकायत की प्रति सहित पीड़ित के पिता मुनेंद्र सिंह की फ़ोटो भी संलग्न है.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

Tuesday, July 17, 2018

इलाहाबाद बैंक ने दिया 30 हज़ार और बता रहा 50 हज़ार (मामला कटरा इलाहाबाद बैंक का जहां पर मुख्यमंत्री आवास योजना के हितग्राही प्राणाधार नापित को मिले मात्र 30 हज़ार पर बैंक ने भेजी 57900 रुपये की वशूली नोटिस, पीड़ित भटक रहा दर दर, नही हो रही कोई सुनवाई)

दिनाँक 17 जुलाई 2018, स्थान - कटरा, रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

    ज़िले के कटरा स्थित इलाहाबाद बैंक में मुख्यमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी की शिकायत का मामला सामने आया है. 

    पीड़ित हितग्राही प्राणाधार सेन पिता राजमणि सेन उम्र लगभग 33 वर्ष निवासी करहिया त्योंथर ब्लॉक रीवा द्वारा बताया गया की उसने वर्ष 2015-16 में मुख्यमंत्री आवास योजनान्तर्गत इलाहाबाद बैंक घूम-कटरा से एक लाख बीस हज़ार रुपये के लोन के लिए अप्लाई किया था लेकिन पीड़ित द्वारा बताया गया की उस समय इलाहाबाद बैंक में कार्यरत बैंककर्मी चंदन द्वारा कहा गया की तुम्हे 10 हज़ार रुपये देने पड़ेंगे तभी लोन सैंक्शन होगा. तब पीड़ित प्राणाधार ने कहा की मैं एक पैसे घूस नही दूंगा चाहे आप लोन दो या न दो. 

   इसके बाद सीईओ जनपद पंचायत त्योंथर को भी आवेदन देकर 6 मार्च 2017 को सूचित किया गया था. पीड़ित ने बताया की उसे मात्र दो क़िस्त में 15 हज़ार रुपये प्रत्येक किश्त के हिसाब से कुल 30 हज़ार मिले और उसके बाद कोई एक पैसा नही आया. लेकिन पीड़ित ने बताया की जब उसको दिनाँक 24/04/2017 को बसूली का नोटिस आया तब उसमे 57 हज़ार रुपये की बसूली के हिसाब से व्याज सहित 57900 रुपये का नोटिस आया. पीड़ित प्राणाधार द्वारा आगे बताया गया की वशूली नोटिस में दर्ज उसका बैंक खाता भी भिन्न और खाता क्रमांक 320971617 दर्ज है. पीड़ित द्वारा बताया गया की दिनांक 27/06/2017 को इलाहाबाद बैंक प्रबंधक घूम-कटरा के नाम लिखे पत्र में पीड़ित द्वारा लेख किया गया है की अतिरिक्त 27 हज़ार रुपये बैंक ने किसे अदा किया है यह पीड़ित को पता नही क्योंकि पीड़ित को कभी भी 30 हज़ार रुपये के अतिरिक्त कोई अन्य राशि नही मिली है अतः इसकी विधिवत जांच कर पीड़ित के साथ न्याय करें. पीड़ित द्वारा आगे बताया गया इलाहाबाद बैंक द्वारा अनायास ही पीड़ित को परेशान किया जा रहा है जिस पर पीड़ित ने कड़ी कार्यवाही की माग की है. जबकि संलग्न पासबुक में देखने पर पता चला कि कागज़ी तौर पर बैंक बिल्कुल दुरुस्त है। मसलन फर्जीवाड़ा तो प्राणाधार द्वारा बताया गया लेकिन प्राणाधार से सभी जरूरी आहरण फॉर्म में हस्ताक्षर करवा लिया गया होगा क्योंकि एक तरफ पीड़ित प्राणाधार द्वारा तो बताया जा रहा है कि उसे 30 हज़ार से अधिक एक पैसे नही मिले लेकिन दिनांक 6/2/16 को खाता क्रमांक 503209971817 जो कि इनका लोन एकाउंट है इसखाते से 50 हज़ार अंतरित हुआ बताया गया है साथ ही दिनांक 6/2/16 एवं 8/2/16 को ही राशि तीन बार में 15 हज़ार दो बार एवं 30 हज़ार एकबार में निकाली जा चुकी है। इस प्रकार कुल जमा 50 हज़ार निकाल लिए गए। अब प्रश्न यह है कि यदि 50 हज़ार की निकासी हुई तो किसने निकाला क्योंकि पीड़ित प्राणाधार सेन का कहना है कि उसे तो मात्र 30 हज़ार ही मिला है तो आखिर 8 फरवरी 2016 को अतिरिक्त 20 हज़ार रुपये किसने निकाल लिए।

संलग्न - पीड़ित को वशूली नोटिस, प्रार्थी द्वारा सीईओ त्योंथर सहित इलाहाबाद बैंक को दिए गए विभिन्न आवेदनों की प्रतियां साथ ही पीड़ित प्राणाधार सेन पिता राजमणि सेन थाना गढ़, रीवा मप्र की शिकायत के साथ फ़ोटो.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

अखण्ड मानस कार्यक्रम का हुआ आयोजन (सरई हनुमान मंदिर, तहसील सिरमौर, ज़िला रीवा मप्र)

आनन्दमय मानश मंडली ग्राम पंचायत सरई।कला ब्लाक गंगेव जिला रीवा मध्य प्रदेश 


        दिनाँक 16/7/18

को अखंड  मानस का प्रयोजन किया जाता है अध्यछ श्री सतेन्द्र तिवारी ,रामनिवास तिवारी,बालेन्द्र शेखर पाण्डे अखिल पाण्डेय,नरेंद्रप्यासी,संतोष पाण्डे ,अशोक,सोनू,अनिल पाण्डेय,अवनीश ,बिंदु,ललिमन् पाण्डेय,राकेश दुबे,श्रीअश्वनी द्विवेदी,राघवेंद्र द्विवेदी, बबलू,बबलू ,छोटन,लप्पू,रजनीश,श्री भैयालाल द्विवेदी, रमाकान्त, उमनिवास,श्रीनिवास,सभी ग्रामवासियो के सौजन्य से अखण्ड मानश पाठ एवं भंडारे का आयोजन किया गया। व्यवस्थापक समाज सेवक आनन्द कुमार द्विवेदी।

Monday, July 16, 2018

वन समितियों के मानसेवियों के मानवाधिकार का निरंतर किया जा रहा हनन, नही हो रही सुनवाई, सबसे ज्यादा जिम्मेदार रीवा वन विभाग (मामला ज़िले के विभिन्न ग्राम वन समितियों में कार्य करने वाले मानसेवी सुरक्षा वन कर्मियों का जिनका की वर्षों से मात्र 3 हज़ार रुपये में मासिक पेमेंट नही दी जा रही मात्र उनसे काम लिया जा रहा, शिकायत पहुची वन मंत्रालय नई दिल्ली)

दिनांक 16 जुलाई 2018, स्थान - लालगांव, रीवा मप्र 

(कैथा श्री हनुमान मंदिर से, शिवानन्द द्विवेदी)

    ज़िले के मानसेवी सुरक्षा वनकर्मियों की मुसीबत निरंतर बढ़ती जा रही है और इस पर वन विभाग निरंतर उदासीन बना हुआ है. आखिर क्या वजह है की वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा संवैधानिक नियमानुसार दशकों पूर्व लाई गई ग्राम वन समिति की परिकल्पना और योजना पर वन विभाग ही पानी फेर रहा है? आखिर ग्राम वन समितियों के नष्ट होने से वन विभाग को क्या फायदा होने वाला है? अभी हाल ही में आपने देखा होगा की किस तरह से वन रक्षकों और रेंजर वगैरह ने महीने भर हड़ताल किया जिस पर वन एवं पर्यावरण का अतुलनीय नुकसान हुआ. वनों की धुआंधार अवैध कटाई की गई, अवैध शिकार हुए, अवैध उत्खनन एवं परिवहन हुए, वनों में आग लगी उसे बुझाने में महीनों लग गए. लेकिन यदि वन संपदा की उस दरम्यान थोड़ी भी सुरक्षा हुई तो वह मात्र इन्ही 3 हज़ार रुपये प्रतिमाह पाने वाले ग्राम वन समितियों के मानसेवी सुरक्षा चौकीदारों से. तब फिर आखिर वन विभाग की इन लेबरों से क्या दुश्मनी है? वन एवं पर्यवरण विभाग ग्राम वन समितियों को और अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की अपेक्षा क्यों नष्ट करने में तुला है? 

लेबर के ह्यूमन राइट्स का भी घोर हनन

    बात मात्र सिरमौर वन रेंज अथवा रीवा डीएफओ और सीसीएफ तक ही सीमित नही रहा है. अब यह मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुच चुका है क्योंकि इसमे सीधा सीधा लेबर के लेबर राइट्स का हनन है. आखिर दुनिया का कौन से संविधान और नियम है, आखिर दुनिया का कौन सा ऐसा लोकतांत्रिक देश होगा जहां लेबरों से ऑफिशियली काम तो करवाया जा रहा है लेकिन उनकी पेमेंट नही दी जा रही है. यह सब मात्र भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ही संभव हो सकता है.

ट्विटर पर मामला पहुचा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार तक

     ग्राम वन समितियों के माध्यम से नियुक्त मानसेवी सुरक्षा वनकर्मियों को उनकी पेमेंट न दिए जाने का मामला अब ट्विटर के माध्यम से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय एवं क्लाइमेट चेंज मंत्रालय भारत सरकार के साथ साथ मप्र शासन वन विभाग भोपाल तक पहुच चुका है. निश्चित ही इस पर अब कार्यवाही भी प्रारम्भ हो चुकी है क्योंकि कुछ मानसेवी वन कर्मियों ने सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को जानकारी दी है की मानसेवियों से इस बाबत अब विभाग द्वारा जानकारी भी माँगी जाने लगी है की कौन कितने दिनों तक कार्य किये हैं. मानसेवियों ने आगे बताया की रेंज कार्यालय से उन्हें बताया गया है की उनकी अभी तीन माह की पेमेंट का बाउचर बनाया जा रहा है बांकी आखिर कौन देगा?

वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था लोकतंत्र पर काला धब्बा

   यह तो अच्छी बात है की मानसेवियों की आवाज सुनी जाने लगी है लेकिन क्या यही कार्य पहले नही हो सकता था? आखिर यदि इन निचले स्तर के छोटे वनकर्मियों के पास कोई सोर्स और इनकी आवाज़ नही होती तो क्या इनकी आवाज़ कभी भी इस भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में सुनी जाती? यह सब प्रश्न हैं जो भारतीय प्रशासनिक एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही चैलेंज करते हैं. इस बात पर विभाग और सरकार दोनो को ध्यान देने की आवश्यकता है.

संलग्न - रीवा सिरमौर रेंज के अन्तर्गत आने वाली पनगड़ी, देउर, रुझौही, सरई ग्राम वन समिति के मानसेवी वनकर्मी अपने अपने आवेदन और पीड़ा लिए हुए फ़ोटो के साथ.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

गोरगांव-165 मनिकवार डीसी का 2 दिन में बदला जाएगा ट्रांसफार्मर (मामला ज़िले के मनिकवार डीसी अन्तर्गत आने वाले ग्राम गोरगांव-165 के फैल ट्रांसफार्मर का जिसको 2 दिनों में बदल दिया जाएगा, सामाजिक कार्यकर्ता के ट्विटर संदेश पर ऊर्जामंत्री श्री पारस जैन एवं चीफ इंजीनियर रीवा श्री वर्मा द्वारा कार्यवाही)


दिनांक 16 जुलाई 2018, स्थान - मनगवां/मनिकवार रीवा मप्र

(कैथा श्री हनुमान मंदिर से, शिवानन्द द्विवेदी)

     सोशल मीडिया और सोशल एक्टिविटी का तालमेल अब बैठने लगा है. ट्विटर पर दिए जा रहे संदेश का प्रभाव अब ऐसा होता है की जनहित के ज्यादातर कार्य अब सम्भव होते नज़र आ रहे हैं. मप्र के ऊर्जामंत्री श्री पारस जैन के निर्देश पर ज़िले में बिजली की समस्या पर तत्काल समाधान किया जा रहा है. यह आम जनता और गरीब किसान के लिए बहुत ही राहत देने वाला है. जहां एक तरफ मुख्यमंत्री मप्र शासन की जनकल्याण संबल योजना एवं सरल बिजली बिल स्कीम काफी राहत देने वाली है वहीं दूसरी तरफ जले हुए ट्रांसफार्मर बदले जाने से किसानों की सिंचाई संभव हो रही है जिससे ज़िले की सूखती खरीफ फसल को जीवन मिलेगा।

   पत्रिका समाचार रीवा में छपी थी गोरगांव-165 में जले ट्रांसफार्मर की न्यूज़

     रीवा के मनिकवार डीसी अन्तर्गत गोरगांव-165 नामक ग्राम में जले हुए ट्रांसफार्मर की न्यूज़ रीवा से प्रकाशित होने वाले पत्रिका समाचार पत्र में अभी पिछले ही दिनों छपी थी जिस पर संज्ञान लेते हुए सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा ट्विटर के माध्यम के ऊर्जामंत्री श्री पारस जैन एवं संबंधित बिजली विभाग के उच्चधिकारियों प्रमुख सचिव आईसीपी केशरी, चीफ इंजीनियर रीवा श्री के एल वर्मा सहित सीएम मप्र शासन को ट्वीट किया गया था जिस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए चीफ इंजीनियर रीवा रीजन ने मनगवां सहायक अभियंता प्रशांत नागेश को कार्यवाही करने के निर्देश दिए. इस पर दिनांक 16 जुलाई को एई प्रशांत नागेश द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता को सूचित किया गया की 2 दिनों में सतना से मंगवाकर ट्रांसफार्मर बदल दिया जाएगा. साथ ही दिनांक 16 जुलाई को ही संलग्न ट्विटर संदेश के माध्यम से चीफ इंजीनियर आफिस रीवा रीजन श्री के एल वर्मा के ऑफिसियल ट्विटर एकाउंट के माध्यम से सूचित किया गया की ट्रांसफ़ॉर्मर बदला जा रहा है.

 ज़िले और संभाग के सभी फैल ट्रांसफार्मर बदले जाने चाहिए

    इस वर्ष खरीफ 2018 में धान की फसल की खेती रीवा संभाग के किसानों के लिए काफी चिंतनीय है क्योंकि अच्छी मानसूनी वर्षा अब तक नही हुई है. जहां भी बारिस हो रही है मात्र खंड वृष्टि ही हो रही है. इस पर यदि फैल और जले हुए ट्रांसफार्मर नही बदले गए तो किसानों के लिए मुसीबत का बढ़ना स्वाभाविक है अतः ऐसे में विभाग को चाहिए की संबंधित जेई एवं लाइनमैन की मदद से गांव गांव चिन्हित कर संभाग और यहां तक की प्रदेश के ग्रामों के सभी फैल  ट्रांसफार्मर एक बार नए  सिरे से बदले जाने चाहिए. जिससे किसानों और आम आदमी को राहत मिल सके.

संलग्न - कृपया संलग्न देखें, ट्विटर के माध्यम से ऊर्जामंत्री श्री जैन और अन्य उच्चधिकारियों को भेजे गए ट्विटर संदेश एवं साथ ही चीफ इंजीनियर आफिस से प्राप्त रिप्लाई जिंसमे गोरगांव 165 का फैल ट्रांसफार्मर बदले जाने की बात कही गई है.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587

Sunday, July 15, 2018

सिरमौर के सरई बीट जंगल में चल रही धांधली, वृक्षारोपण के नाम पर चल रही औपचारिकता, चेक डैम गायब (मामला ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अन्तर्गत सरई बीट के जंगलों का जहां पर वृक्षारोपण कार्य में अनियमिता, अवैध तरीके से वनों की कटाई, और साथ ही चेक डैम निर्माण में हुई है धांधली)

दिनांक 15 जुलाई 2018, स्थान - सिरमौर वन परिक्षेत्र, रीवा मप्र 

(कैथा श्रीहनुमान मंदिर से, शिवानन्द द्विवेदी)

    कहां से बरसें बदरा, कैसे आये समय पर मानसून. जब जंगल पर्वत और पेंड़ पौधे ही नही रहे तो कैसे बनेगा प्राकृतिक संतुलन और कैसेl जीवित रहेगी हमारी धरती.

    आज जिस प्रकार से निरंतर वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है, जंगल पहाड़ को उत्खनन करके उजाड़ा जा रहा है स्वाभाविक है आने वाला समय हमारे लिए काफी मुश्किल होने वाला है.

सिरमौर सहित पूरे ज़िले के वनों में चल रहा वृक्षारोपण 

    जानकारी मिली की सिरमौर वन परिक्षेत्र सहित पूरे ज़िले के जंगलों में आजकल वृक्षारोपण का कार्य किया जा रहा है. इसी बाबत भौतिक धरातल पर स्थिति देखने लालगांव उप वनपरिक्षेत्र के सरई बीट एरिया में जाया गया तो वहां जो देखा गया वह काफी चौकाने वाला मिला. सरई बीट के जंगलों के बीच खाली पड़े लगभग 30 हेक्टेयर के भूभाग में आंवला और शीशम के पेंड़ लगाए जा रहे हैं. यद्यपि इसकी कोई गारंटी नही की इनमे से कोई भी पेंड़ सर्वाइव कर पाएंगे. क्योंकि अभी पिछले दो से तीन सप्ताह से प्रारम्भ हुआ वृक्षारोपण का कार्य चल रहा है गड्ढे खोदे जा रहे हैं बाड़ियाँ लगाई जा रही है लेकिन जो पेंड़ पिछले हफ्ते लगाए गए हैं वह अभी से उजड़ गए हैं, सूख गए हैं. पेड़ों को ठेकेदार द्वारा लगवाया जा रहा है. यह जानकारी नही मिल पायी है की कितने पेंड़ लगाए जा रहे हैं और इसकी लॉगत कितनी है. पेड़ों को लगाने के लिए खोदे गए गड्ढों में न तो कोई खाद डाली गई है और न ही कोई कीटनाशक. सीधे गड्ढों को खोदकर पेड़ों को रख दिया गया है जबकि सिंचाई का तो प्रश्न ही उठता। सवाल यह है कि बिना अच्छी मानसूनी बारिस के कैसे शूखे में वृक्षारोपण किया जा रहा है।

हरे पेंड़ काटकर बनाया बाड़ी

    बता दें की जो देखा गया उसमे किये जा रहे पौधरोपण को सुरक्षित करने की औपचारिकता में आसपास के हरे धवैया के जंगली पेंड़ काटकर लगभग 30 हेक्टेयर की बाड़ी लगाई गई है. जब बीट के मुंसी प्रवीण गौतम से इस विषय में विस्तृत जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा बताया गया की इसकी हमे जानकारी नही की कितना बजट आया है लेकिन कार्य ठेकेदार द्वारा करवाया जा रहा है साथ ही जो बाड़ी लगाई जा रही है वह पेड़ों को छांटकर लगाई जा रही है न की काटकर. लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा जो देखा गया वह सब अपने कैमरे में कैद कर लिया गया उसमे साफ दिख रहा था की मृत हो चुके और लगाए जा रहे इन पौधों के लिए पहले से ही मौजूद जंगल की हरियाली को किस तरह नष्ट किया जा रहा है. मुंसी प्रवीण गौतम द्वारा जिस प्रकार से बताया गया वैसा तो कुछ भी नही था बल्कि अंधाधुंध तरीके से उपस्थित पेड़ों की जमकर कटाई की गई है और उन्ही धवैया के काटे हुए पेड़ों की बाड़ी लगा दी गई है. इस बात की कोई गारंटी नही की लगाए गए एक भी पेंड़ जीवित रह पाएंगे लेकिन वृक्षारोपण के नाम पर पूरे सरई के जीवित पेड़ों की ऐसी की तैसी तो कर ही दी गई. 

चेक या स्टॉप डैम के नाम पर हुआ भ्रष्ट्राचार

    मात्र बात वृक्षारोपण में अनियमितता तक ही सीमित नही है यहां और भी मामले हैं जिनके कारण वन विभाग हमेशा की तरह कठघरे में है. आखिर गर्मियों में चेक अथवा स्टॉप डैम के नाम पर किया जाने वाला हर वर्ष के कार्य का क्या होता है? कहाँ चले जाते हैं चेक डैम के पत्थर? क्या वास्तव में यह कार्य होता भी है की बस सब कागजों में ही चलता है. 

     सिरमौर के सरई बीट एरिया में मानसेवी सुरक्षा वन कर्मियों बाबूलाल यादव एवं दसरथ यादव के साथ भ्रमण के दौरान पाया गया की इन दोनो मानसेवियों के अतिरिक्त अन्य कोई भी जंगल विभाग का कर्मचारी मौजूद नही था. जानकारी मिली की काम तो यहां कुछ न कुछ हर वर्ष होता है लेकिन सुरक्षा कर्मियों के अभाव में आसपास के रसूखदार अपने ट्रेक्टर ट्राली में सब भर ले जाते हैं.

    जब यह पूंछा गया की आखिर आप लोग भी तो समितियों के माध्यम से तैनात किये गए वन सुरक्षा कर्मी ही तो हैं तो उनके द्वारा बताया गया की हम मात्र नाम के सुरक्षा कर्मी हैं यहां हमारी कुछ नही चलती. वन समिति के सचिवों मुंसियों के द्वारा हमारी डेढ़ दो साल से पेमेंट रोककर रखी गई है. मुंसी रेंजर कहते हैं की हमे पेमेंट ही नही मिलेगी तो हम क्या करें? क्या हम मुफ्त में काम करते रहें? फिर भी हम दिन में भ्रमण करते रहते हैं और प्रयाश कर रहे हैं की कोई जंगल को नुकसान न पहुचा पाए. लेकिन जब भी हम कार्यवाही करवाते हैं तो मुंसी और डिप्टी रेंजर पैसे लेकर छोंड़ देते हैं तो हम क्या करें.

मानसेवियों की 2 साल से नही मिली पेमेंट

   जंगल विभाग में ग्राम वन समितियों के माध्यम से कार्यरत मानसेवी वन सुरक्षा कर्मियों की 2 साल से पेमेंट नही मिली है. मानसेवी दसरथ यादव, बाबूलाल यादव, कौशल यादव आदि द्वारा बताया गया की उनकी 2 वर्षों से रुकी हुई 3 हज़ार प्रतिमाह की पेमेंट नही दी जा रही है जबकि सभी ने नियमित रूप से कार्य किया हुआ है. पनगड़ी ग्राम वन समिति के राघुवेन्द्र पांडेय एवं रामसिया साकेत द्वारा भी बताया गया की उनकी भी 2 वर्षों के कोई पेमेंट नही मिली है जबकि सभी वनकर्मी नियमित कार्य कर रहे हैं. 

    बता दें की रीवा ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र के विभिन्न बीटों की ग्राम वन समितियों में कार्य कर रहे दर्जनों मानसेवी चौकीदारों की पेमेंट को वर्षों से नही दिया गया है जिसकी वजह से उनके परिवार के लिए भी भीषण समस्या की स्थिति निर्मित हो चुकी है. उनके अनुसार उनका परिवार दानों दानों के लिए मोहताज़ हो रहे हैं. इस बाबत सभी मानसेवियों ने व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से भी शिकायतें और आवेदन भी संबंधित वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष रखा है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हो रही है. जब इसके विषय में रेंजर, एसडीओ एवं डीएफओ से बात की गई तो उनके द्वारा बताया गया की यह कार्य समितियों का है की किसे रखें और किसे न रखें साथ ही चौकीदारों की पेमेंट भी समितियों के माध्यम से होता है. जिन जिन समितियों का गठन हर पांच वर्ष में नही हो रहा है उनके चौकीदारों को कार्य करने के वावजूद भी पेमेंट संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. इस बाबत सभी मानसेवी चौकीदारों ने एक स्वर में कार्यवाही की आवाज़ उठाई है.

संलग्न - संलग्न तस्वीरों में देखें -

  1) रीवा सिरमौर के जंगलों में सरई बीट वन क्षेत्र में औपचारिकता के तौर पर हो रहा वृक्षारोपण का कार्य.

   2) सरई बीट के जंगलों की कटाई की फ़ोटो.

    3) बनाये गए चेक और स्टॉप डैम की फ्लॉप स्थिति को बयान करते टूटे आउर उखड़े चेक डैम.

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोब 7869992139, 9589152587