Wednesday, September 5, 2018

एनआरसी गंगेव में मात्र 2 भर्ती, क्षमता 15 कुपोषितों की (मामला ज़िले के गंगेव ब्लॉक में बनाये गए पोषण और पुनर्वास केंद्र का जिंसमे सैकड़ों आंगनवाड़ी केंद्रों से मात्र मिले दो बच्चे, क्षमता 15 बच्चों के भर्ती की)

दिनांक 05 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

      ज़िले के गंगेव ब्लॉक में स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में 15 कुपोषित बच्चों को एकसाथ रखे जाने की सुविधा होते हुए भी दिनांक 04 सितंबर 2018 की शाम मात्र 2 कुपोषित बच्चे भर्ती मिले.

      गंगेव जनपद कार्यालय के सामने स्थित पोषण एवं पुनर्वास केंद्र में प्रवेश पर वहां कुछ महिला कर्मचारी मिलीं साथ ही दो अन्य महिलाएं भी अपने भर्ती किये हुए कुपोषित बच्चों के साथ दिखीं जिनसे जब जानकारी चाही गई तो बड़ा ही आश्चर्यचकित करने वाला वाकया सामने आया. उपस्थित महिला कर्मचारियों द्वारा सामाजिक एवं मानवाधिकार एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी को बताया गया की एनआरसी केंद्र में कुल 10 कुपोषित बच्चों को एकसाथ रखे जाने का बिस्तर एवं सुविधाएं उपलब्ध है जबकि यदि संख्या ज्यादा हो जाए तो 15 तक भी रखे जा सकते हैं.

04 सितंबर को भर्ती मिले मात्र 2 कुपोषित बच्चे

  सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा जब पूछा गया तो जानकारी मिली की दिनांक 04 सितंबर को दो कुपोषित बच्चे भर्ती हैं बांकी अन्य सभी बिस्तर खाली पड़े हैं. ग्राम बुसौल-बेला से रीतू पाठक नामक महिला ने बताया की उनका 22 माह का बच्चा है जिसे 29 अगस्त 2018 को एनआरसी केंद्र गंगेव में भर्ती कराया गया था जिसकी भर्ती के समय बजन मात्र 8 किलोग्राम था और अब 04 सितंबर की डेट में बजन बढ़कर 8 किलो 785 ग्राम हो गया था. इसी प्रकार ग्राम नीवी निवासी विमला देवी कोल द्वारा बताया गया की उन्होंने 04 सितंबर को ही अपना लगभग डेढ़ साल का बच्चा एनआरसी केंद्र गंगेव में भर्ती कराया है. उनका बच्चा भी कुपोषित था जिसका पोषण चल रहा है।

15 दिन तक भर्ती का है प्रावधान

   एनआरसी केंद्र गंगेव में कार्यरत महिला कर्मियों द्वारा जानकारी दी गई की केंद्र में प्रथम बार 2 सप्ताह तक की भर्ती का प्रावधान है जिंसमे बच्चे का बजन और पोषण संबंधी जानकारी लेकर 15 दिनों तक डॉक्टर निरंतर कस्टडी में रखते हैं और इस बीच यदि आवश्यक बजन बढ़कर बच्चा पोषित हो गया तो परिजनों को छुट्टी दे दी जाती है अन्यथा भर्ती आगे भी बढ़ाई जा सकती है.

15 बिस्तर की क्षमता और भर्ती मात्र 2

  सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है की गंगेव एनआरसी केंद्र की कुल क्षमता 10 से लेकर अधिकतम 15 बिस्तर तक बतायी गई है लेकिन जिस प्रकार से दिनाँक 04 सितंबर की शाम को मात्र 2 बच्चे भर्ती मिले इससे साफ जाहिर है की गांव गांव जाकर एएनएम और आशा कार्यकर्ता कोई भी कार्य नही कर रही हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा भी ग्रामीण महिलाओं की मदद नही की जा रही अन्यथा मात्र 10 से 15 बिस्तर की क्षमता वाला एनआरसी केंद्र कैसे खाली रहता. सबसे बड़ी बात यह है की यदि सही तरीके से सर्वे किया जाए तो किसी एक ग्राम में ही 10 से 15 तक कुपोषित बच्चे मिल सकते हैं. सबसे बड़ा प्रश्न यह है की एक तरफ तो सरकारें गांव गांव विकाश, कुपोषण मुक्त समाज और बच्चों-माताओं के लिए कागजों पर इतनी अधिक स्कीमें चला रही हैं दूसरी तरफ वास्तविक धरातल पर सब शून्य जैसा प्रतीत हो रहा है. जो एनआरसी केंद्र पूरी तरह से भरे रहने चाहिए वहां पर मात्र 2 कुपोषित बच्चे पाये जाने का क्या तात्पर्य है. क्या इतने बड़े गंगेव ब्लॉक में मात्र एक समय में 2 ही कुपोषित बच्चे हैं? एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता क्या कर रही हैं? क्या इनके क्षेत्र में कोई कुपोषित बच्चे नही बचे? क्या मात्र गंगेव ब्लॉक में 2 ही कुपोषित बच्चे हैं? सरकार प्रशासन को मात्र कागजों पर योजनाएं लागू नही करना चाहिए बल्कि यह भी देखना चाहिए की इन योजनाओं का वास्तविक भौतिक धरातल पर सही तरीके से क्रियान्वयन हो पा रहा है की नही.

संलग्न - संलग्न तस्वीर में देखें पोषण एवं पुनर्वास केंद्र गंगेव में भर्ती दो कुपोषित बच्चों की फ़ोटो साथ ही फ़ोटो में दिख रही महिला कर्मी. बाहर से लिया गया पोषण एवं पुनर्वास केंद्र की फ़ोटो.

------------------

शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139

No comments: