Sunday, September 9, 2018

गंगेव अस्पताल भवन की हालात जर्जर, कभी भी हो सकता है धराशायी, मरीजों के जीवन को उत्पन्न हुआ संकट (मामला रीवा ज़िले के गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जिंसमे 5 साल पूर्व आई 35 लाख के लगभग राशि मरम्मत में नही हो पायी उपयोग, ठेकेदार का पता नही, पीडब्ल्यूडी ने छोड़ा बीच मझधार में)

दिनांक 09 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

  ज़िले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति निरंतर दयनीय बनी हुई है. गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत के लिए आई 35 लाख रुपये के आसपास की राशि आज तक उपयोग नही हो पायी है. गंगेव अस्पताल की संलग्न तस्वीर से स्पष्ट है की यहां मॉनव का नही बल्कि कुत्ते बिल्लियों का राज है और संभवतः पशुओं के लिए ही यह अस्पताल है. गंगेव अस्पताल की अंदरूनी स्थिति देखकर विश्वास ही नही होता की यह मानवों के लिए बनाया गया अस्पताल है की जानवरों के लिए. शायद आज वेटेरिनरी औषधालय की गई गुजरी बिल्डिंग भी इतनी जर्जर और घटिया स्थिति में नही होगी जितनी की गंगेव का मानवों के लिए बनाया गया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है.

बीएमओ ने बताया राशि सैंक्शन के वावजूद भी निर्माण नही हुआ

  गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक लंबे अरसे के पदस्थ खंड चिकित्सा अधिकारी श्री देवव्रत पांडेय ने बताया की पिछले पांच वर्ष पूर्व ही 35 लाख के आसपास की भारी भरकम राशि मात्र गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रखरखाव और मेंटेनेंस के लिए स्वास्थ्य विभाग भोपाल द्वारा दी गई थी जिस पर टेंडर प्रक्रिया के तहत पीडब्ल्यूडी एवं ठेकेदार द्वारा कुछ कार्य भी 2 वर्ष पहले प्रारम्भ हुआ लेकिन फिर उस कार्य का जो हाल है वह सामने है. ठेकेदार ने कुछ समय बाद काम छोड़ दिया और अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार ठहराया वहीं दूसरी तरफ जब बीएमओ एवं अस्पताल प्रबंधन से बात हुई तो उनके द्वारा बताया गया की यह सब पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार की कारगुजारी है जिसके कारण पूरा गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कबाड़खाना बन चुका है.

जगह जगह उखड़े फर्स, टूटी छतें दे रही मौत को आमंत्रण

  अस्पताल के अंदर घुसने पर डर सा महसूस होता है क्योंकि पूरा अस्पताल की बिल्डिंग बुरी तरह से क्षतिग्रस्त समझ आती है. फर्स और टाइल्स बुरी तरह से उखड़ी हुई है. जगह जगह कुत्ते बिल्ली यहां वहां बैठे नजर आते हैं जिन्हें देखकर ऐसा प्रतीक होता है मानो यही कुत्ते ही अब इस गंगेव अस्पताल की जिम्मेदारी लिए हुए हैं.

   मुख्य वृहद कक्ष के स्थान पर नर्स आफिस की गैलरी में कुछ दो चार बिस्तर लगाए गए हैं जिनमे कुछ मरीज देखे जा सकते हैं. उस गैलरी की फर्स और उसकी टाइल्स भी बुरी तरह से उखड़ी हुई है.

अस्पताल भवन के बाहर नही हुई कभी पुताई

   भवन की बाहर की दीवाल भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसे मरम्मत कार्य करवाया गया है लेकिन वह भी उसमे कोई पेंट पोलिश नही कराया गया. कुलमिलाकर सम्पूर्ण अस्पताल भवन देखकर इसका कतई अंदाजा नही लगाया जा सकता की यह अस्पताल ही है. ऐसा प्रतीत होता है जैसे 19 वीं सताब्दी के भुतहे किसी खंडहर में घुस चुके हैं जिंसमे से फिल्मी स्टाइल में मृत आत्माओं की आवाज़ जैसे महसूस होता है. 

   बहुत बड़ा दुर्भाग्य है की 35 लाख रुपये आने के बाद भी आज अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग गंगेव अस्पताल को ठीक नही करवा पाया इससे बड़े दुख की बात और क्या हो सकती है जहां पर मरीजों का इलाज करके उन्हें स्वास्थ्य लाभ देकर वापस घर भेजा जाता है आज वही गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वयं ही बीमार पड़ा है जो अपने स्वयं के लिए किसी उचित शासन प्रशासन रूपी डॉक्टर की तलास में है की कहीं से कोई तो ध्यान दे दे जिसमे यह गंगेव का बीमार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुरुस्त हो जाए.

बीएमओ पांडेय ने बताया ठेकेदार उठा ले गया पुरानी टाइल्स और बिल्डिंग मटेरियल

  गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत ब्लॉक मेडिकल अफसर श्री देवव्रत पांडेय ने आगे जानकारी दी की पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा जिस हिनौती पंचायत के ठेकेदार को मरम्मत का कार्य दिया गया था उसने हद ही कर दी. स्वास्थ्य केंद्र में पुराने लगाए हुए टाइल्स और बिल्डिंग मटेरियल को भी ठेकेदार ट्रेक्टर में भरकर लेजाकर बेंच लिया. एक बार की इसी प्रकार की घटना स्वयं बीएमओ श्री पांडेय के आंख के सामने घटित हुई जिस पर श्री पांडेय ने बताया की उन्होंने ठेकेदार को सख्त हिदायत दी की यदि एक भी पत्थर यहां से उठाया तो सीधे एफआईआर दर्ज करवा दूंगा. यहां तक की बीएमओ ने लिखित रूप से शिकायत भी ठेकेदार के खिलाफ कर दिया था लेकिन बाद में जब ठेकेदार कुछ सामग्री वापस कर दिया तो मामला जाकर शांत हुआ और फिर ठेकेदार काम छोड़कर चला गया.

   इस प्रकार बीएमओ के खुलासे से एक बात तो समझ आती है की निश्चित रूप से कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग, ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी विभाग में तालमेल न बैठ पाने की वजह से गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की भारी दुर्दशा हो चुकी है जिस पर तत्काल एक्शन लिया जाना अनिवार्य है अन्यथा ब्लॉक में एकलौते गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीमार बने रहने से यहां के लोगों को रीवा इलाहाबाद भागने के अतिरिक्त और प्राइवेट झोलाछाप डॉक्टरों को अच्छी मोटी रकम खिलाने के अलावा कोई दूसरा तरीका शेष नही बचेगा क्योंकि बदलते पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के चलते विभिन्न प्रकार की साध्य अथवा असाध्य बीमारियों को फैलने से कोई रोंक न पायेगा और ऐसे में बीमार व्यक्ति डॉक्टरों की तरफ ही दौड़ेगा चाहे वह झोलाछाप हों अथवा सरकारी डिग्री धारक.

संलग्न -  कृपया संलग्न तस्वीर में देखने का कष्ट करें किस तरह से गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है जिंसमे मॉनव नही कुत्ते बिल्लियां रहते हैं. उखड़ी टाइल्स, टूटी छतें, उखड़ी फर्स गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली की दुर्दशा की बखान कर रही हैं.

------------------

शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा, मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139

No comments: