Friday, September 7, 2018

गंगेव जनपद में कूड़े में डाल दिया मनरेगा प्रचार सामग्री, जमकर हो रहा मजदूरों के मानवाधिकारों का हनन (मामला रीवा ज़िले के गंगेव जनपद अन्तर्गत का जहां पर मनरेगा और अन्य सरकारी योजनाओं की प्रचार प्रसार सामग्री को कूड़े के ढेर में डाल दिया, गैलरी में लात धूल खाती पड़ी है मजदूरों और मेटों के अधिकार के पोस्टर बैनर और पैम्फलेट)

दिनांक 07 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र

(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)

   मजदूरों के अधिकारों की बात करने वाली सरकारें क्या कभी यह जान पाती हैं की आखिर मजदूरों के नाम पर इतने अधिक बनाई गई योजनाओं के बाबजूद भी क्यों मजदूरों के हित में कुछ भी अच्छा सरकारें भौतिक धरातल पर नही कर पा रही हैं. क्या बजह है की मनरेगा जैसी योजनाओं के बाबजूद भी उसका लगभग किसी भी स्तर पर सही क्रियान्वयन नही दिख रहा है. कागजों पर तो कुछ और ही लिखा होता है लेकिन वास्तविक धरातल पर मजदूरों का तो शोषण ही किया जा रहा है. मजदूरों के नाम पर निकाली जा रही मनरेगा की मजदूरी मजदूरों को नही मिल पा रही है. 

फ़र्ज़ी मस्टर रोल और एटीएम कार्ड से निकाली जा रही मजदूरों की मजदूरी

    फ़र्ज़ी मस्टर रोल जारी करना और मजदूरों के नाम पर फ़र्ज़ी तरीके से मजदूरी किसी और के खाते में डालकर निकाल लेना, अथवा मजदूरों को दो चार सौ रुपये पकड़ाकर बांकी का पैसा सरपंच सचिवों और उनके चमचों दलालों द्वारा अपनी जेब में रख लेना आज आम बात है. सरकार मनरेगा की मजदूरी दिए जाने के नाम पर तो बड़े बड़े दावे करती है लेकिन पंचायतों में कोई भी कार्य मजदूरों द्वारा नही करवाया जाता बल्कि सभी कार्य मसीनों और जेसीबी द्वारा कराए जाकर फ़र्ज़ी मस्टर रोल जारी कर कुछ ऐसे मजदूरों के नाम पर मजदूरी का भुगतान किया जाता है जो सरपंच सचिवों के खास होते हैं. उन खास लोगों द्वारा निरंतर मजदूरी का भुगतान होता है और वह खास लोग ऐसे होते हैं जो अपना मुँह भी नही खोलते. क्योंकि उन खास दलालों को दो चार सौ रुपए दिए जाकर उनका मुँह बन्द करवा दिया जाता है.

   साथ ही कई केसों में तो आज बैंकिंग सेक्टर भी पंचायत विभाग और सरपंच सचिवों के साथ मिलकर घोटाला करवा रहा है. रीवा ज़िले के ऐसे कई बैंक सामिल हैं जो रुपये कार्ड अथवा अन्य एटीएम कार्ड चुपके से जारी करके सरपंच सचिवों को दे देते हैं जिसका की मजदूरों को पता तक नही चलता और इसी एटीएम कार्ड से पूरे मजदूरी के पैसे की निकासी सरपंच सचिव अथवा उनके दलाल करते रहते हैं.

जनपद गंगेव की गैलरी में फेंक दिया मनरेगा की सामग्री

   जनपदों और ज़िले से लेकर राज्यस्तर तक बैठे इन सरकारी अधिकारियों की कारगुजारी का पता इसी से लगाया जा सकता है की मजदूरों और उनके अधिकारों के प्रति यह सरकारी नुमाइंदे कितने अधिक सचेत हैं और किस गंभीरता से मामले को लेते हैं. इनकी गंभीरता का अंदाज़ा गंगेव जनपद की गैलरी में लात और पैर के जूते चप्पल से कुचले जा रहे रास्ते में पड़े हुए लाखों रुपये के मनरेगा के प्रचार प्रसार की सामग्री से लगाया जा सकता है. जो मनरेगा के प्रचार प्रसार की सामग्री गांव गांव मजदूरों और मेटों और साथ ही आम जनता को बांटने के लिए उन्हें जागरूक करने के लिए हर वर्ष आती है उसे किस तरह से गंगेव जनपद भवन की गैलरी में नीचे पैरों के तले खुले में फेंक दिया गया है जिसे वहां से निकलने वाला हर सख्स अपने पैरों तले कुचल रहा है.

  इतेफाक से वहीं उसी गैलरी से निकलते समय इस पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी का ध्यान अकृश्ट हो गया जिसे बाकायदा निकालकर देखा गया और पढ़ा गया साथ ही उसकी कुछ फ़ोटो भी ली गई. उन पैम्फलेट और प्रचार प्रसार की सामग्री में बहुत ही सुंदर तरीके से मनरेगा के मजदूरों के अधिकारों की बातें लिखी थीं साथ ही कुछ अन्य पैम्फलेट में मनरेगा के मेटों के भी अधिकारों की बातें लिखीं हुई थीं. यह सब देख जान कर बड़ा ही आश्चर्य हुआ की इतनी अधिक जानकारी की सामग्री जिसे की हर पंचायत द्वारा गांव गांव में मजदूरों और पंचायत निवासियों को वितरित किया जाना चाहिए और उनके अधिकारों के प्रति उन्हें जानकारी देकर सचेत किया जाना चाहिए वह किस प्रकार से लात जूते खाते हुए जनपद की गैलरी में उपेक्षित डस्ट बिन की तरह फेंक दी गई है. 

   ऐसे में यह साफ पता चलता है की क्यूंकि मनरेगा और शासकीय योजनाओं के प्रति सरकारी अफसरों का नजरिया ही दोषपूर्ण हैं, भस्ट्राचार फैलाने वाला है अतः उन्हें इस बात से कोई फर्क नही पड़ता की मजदूर को उसका अधिकार मिले की न मिले और साथ ही लोग मनरेगा के बारे में जाने अथवा न जाने. इन्ही बातों से सरल ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है की क्यों मनरेगा जैसे अधिनियम में इतना भस्ट्राचार क्यूं हो रहा है. 

संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीर में देखने का कष्ट करें किस तरह से जनपद पंचायत कार्यालय गंगेव की गैलरी में मनरेगा योजना की प्रचार प्रसार की सामग्री लात और डस्ट धूल खाती हुई पड़ी है।

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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,

ज़िला रीवा, मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139

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