दिनांक 05 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िले के गंगेव ब्लॉक अन्तर्गत जनपद कार्यालय में जमकर लुटाई चल रही है. जनपद कार्यालय में सीईओ की नही बल्कि बाबुओं की चलती है. इन सबका हेड राजेश सोनी नामक बाबू है जो पिछले कई वर्षों से जनपद कार्यालय गंगेव में टिका हुआ है.
कलेक्टर रेट के बाबुओं ने गंगेव जनपद को किया हाईजैक
यदि सही मायनों में देखा जाए तो समग्र परिवार आई डी सुधरवाने से लेकर कोई भी श्रमिक पंजीयन अथवा किसी भी प्रकार के कंप्यूटर फीडिंग के कार्य मात्र इन्ही कलेक्टर रेट के बाबुओं के हवाले है जिनका शेयर भी बंधा हुआ है इस शेयर में बड़े बाबुओं से लेकर उच्चाधिकारी तक सम्मिलित हैं.
यदि कोई ग्रामीण हितग्राही अपने पंचायत का कोई भी छोटा से छोटा कार्य अथवा फीडिंग करवाने के लिए ब्लॉक जाता है तो उसे बिना चढ़ोत्तरी चढ़ाए कार्य करवा पाना असंभव है. हर कार्य के लिए 100 रुपये से लेकर आगे हज़ार तक फिक्स होते हैं. यह राशि कार्य की इंटेंसिटी के हिसाब से तय होती है. छोटे कार्य के लिए 100 से 200 रुपये और बड़े कार्यों के लिए हज़ारों तक देना पड़ता है. यदि हितग्राही आवेदक ने माल नही दिया तो उसके कार्य होने की कोई गारंटी नही है.
सरकारी बाबुओं का विभागीय समय 12 से 2 बजे तक
सबसे बड़ी विडंबना तो यह है की जनपद कार्यालय में सरकारी बाबू अनुपस्थित रहते हैं. इनका समय दोपहर 12 बजे से प्रारम्भ होकर 2 बजे तक चलता है. इनका बहाना होता है की इन्हें दूर से कहीं रीवा अथवा दूसरे जगह से आना होता है इसलिए बस की वजह से लेट हो जाते हैं. इसके बाद मुश्किल से 2 घंटे काम करते हैं और 2 बजे के बाद इन्हें कार्यालय में ढूंढ पाना टेढ़ी खीर है. इस पर भी आधा समय गंगेव ब्लॉक जनपद कार्यालय के सामने बने हुए चाय और समोसे की दुकानों और होटल में ही इन्हें पाया जा सकता है.
कार्यालय में पावती तक पाना है मुश्किल
जनपद कार्यालय में सामान्य आवेदक को पावती तक ले पाना मुश्किल है, यदि कोई सामान्य आवेदक आवेदन लेकर जाता है और अपने आवेदन की पावती चाहता है तो उसे पावती तक नही मिलती. इन बाबुओं द्वारा कहा जाता है की पहले जाकर सीईओ से हस्ताक्षर करवाकर लाएं. सीईओ यदि अपनी कुर्सी में बैठा है तो ठीक है वरना फिर घर वापसी ही हो सकती है काम नही.
बाबू राजेश सोनी के इशारे पर चल रहा काला कारोबार
गंगेव जनपद के फाइनेंसियल सेक्शन की ज्यादातर जबाबदेही सरकारी बाबू राजेश सोनी की है उसी के द्वारा काफी कुछ कार्य किये जाते हैं. इन सबमे कमीशन का जमकर खेल चल रहा है. राजेश सोनी द्वारा पंचायत के सरपंचों, सचिवों से माल ऐंठकर परसेंटेज फिक्स किया हुआ होता है. इसमे पंचायत इंस्पेक्टर, उपयंत्री, सीईओ और अन्य उच्चधिकारियों का शेयर बना हुआ है.
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हुआ जमकर फर्जीवाड़ा
वर्ष 2018 में अभी हाल ही में मुख्यमंत्री कन्यादान योजनान्तर्गत सामूहिक विवाह सम्मेलन रखा गया था जिंसमे मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे और देखा गया की मंडप पर ऐसे महिला पुरुष दिखे जिनके विवाह पहले से तो हुए ही थे साथ ही उनके बच्चे भी पैदा हो चुके थे. कई महिलाएं अपने बच्चों को गोद में लिए हुए घूम रही थीं जिनकी की सामाजिक कार्यकर्ता ने फ़ोटो भी ली है. बाद में इनमे से कई महिलाएं मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में बनाये गए मंडप में बैठीं दिखी. इस बाबत सामाजिक कार्यकर्ता ने ज़िला पंचायत सीईओ मयंक अग्रवाल को भी सूचित किया गया था.
कलेक्टर रेट के इन बाबुओं की चल रही धांधली
कंप्यूटर में कार्य करने वाले जिन कलेक्टर रेट के बाबुओं की इस समय जमकर धांधली चल रही है उनमे से पुष्पेंद्र सिंह, ऋषिकेश वर्मा, सूरज सोनी मुख्य हैं. इनमे से कोई भी ऐसा नही जिनमे मानवता शेष बची हुई हो. सबसे बड़ा दलाल इस समय सूरज सोनी है जो राजेश सोनी नामक सरकारी बाबू का चहेता है. इन दोनो सोनी ने गंगेव ब्लॉक जनपद पंचायत कार्यालय को सुनार की दुकान बना डाली है जहां सोने के भाव पर सामान्य डेटा फीडिंग, रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन के कार्य हो रहे हैं. इस समय गंगेव जनपद में इन बाबुओं की दलाली और हीलाहवाली अपने चरम पर है.
कलेक्टर रीवा द्वारा इन्हें तत्काल हटाए जाए
अब ऐसे में इन डेटा ऑपरेटरों को कलेक्टर रीवा तकाल प्रभाव के साथ हटाएं. इनकी जांच किया जाए और घूस लेने के लिए इनके ऊपर कंनूनी कार्यवाही किया जाए. सबसे पहले राजेश सोनी को गंगेव जनपद से हटाया जाय क्योंकि राजेश सोनी ने गंगेव जनपद में सबसे ज्यादा गंदगी फैला करके रखी है. बिना किसी मेहनत के किसी भी व्यक्ति को जब अनुकंपा नियुक्ति से कोई पद दे दिया जाता है उसका परिणाम यही होता है जो राजेश सोनी के केस में दिख रहा है. राजेश सोनी ने गंगेव जनपद की सभी पंचायतों में इस कदर भष्ट्राचार फैलाया हुआ है की पूरा जनपद भष्ट्रचार की गंध से प्रदूषित हो चुका है. आश्चर्य की बात तो यह है यह जानकारी जनपद से लेकर ज़िला लेवल तक होते हुए भी इस पर कोई कार्यवाही नही हो रही है. आखिर क्या कारण है की इतनी शिकायतों इतनी कमियों के वावजूद भी न तो कोई प्रशासनिक कार्यवाही हो रही है और न ही इसे यहां से हटाया जा रहा है.
ईओडब्लू करे जांच, सामने आएगी वित्तीय आनियमितता
वास्तव में देखा जाए तो जनपद पंचायत गंगेव सहित समस्त पंचायतों में पिछले पांच वर्षों में हुए व्यापक भष्ट्राचार की ईओडब्लू की जांच होनी चाहिए साथ ही सभी कार्यों की कैग रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए. यदि कंपट्रोलर एवं ऑडिटर जनरल से ऑडिट रिपोर्ट तैयार करवाई जाए तो सभी कुछ स्पष्ट हो जाएगा की जनपद के विकाश कार्य कागजों में तो कुछ और हैं लेकिन वास्तविक धरातल पर पंच परमेश्वर, मनरेगा से लेकर विधायक एवं संसद निधि के कार्यों में भी जमकर भ्रष्ट्राचार हुआ है. सरकार यदि वास्तव में समाज एवं देश को भष्ट्राचार मुक्त करना चाह रही है तो शासन स्तर से कैग और अन्य माध्यमो से एजेंसी तैयार कर सही तरीके की जांच कराए जाकर कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए.
संलग्न - ज़िले के गंगेव जनपद में कार्यरत कलेक्टर रेट के बाबुओं की फ़ोटो, जनपद कार्यालय की फ़ोटो, कुछ सरकारी बाबुओं की फ़ोटो और साथ ही सीईओ जनपद प्रमोद ओझा की फ़ोटो.
-----------------------
शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 7869992139, 9589152587
No comments:
Post a Comment