दिनांक 27 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
आज आजादी के 70 साल बाद भी यदि आम भारतीय नागरिकों को पीने का स्वच्छ जल नही मिले तो इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है. देश में विकाश के नाम पर नित नए दावे किये जा रहे हैं, हरिजन आदिवाशियों की सुरक्षा और विकाश के नाम पर एससी एसटी एक्ट और आरक्षण की बातें तो की जाती हैं लेकिन वास्तव में इन सबका लाभ आज देश का गरीब तबका नही ले पा रहा है. सभी योजनाओं का लाभ वही हरिजन आदिवाशी ले रहे हैं जो पहले से सक्षम हैं जिसे क्रीमी लेयर के नाम से जाना जाता है. एक कलेक्टर हरिजन आदिवाशी का बच्चा जरूर कम योग्यता में ही कलेक्टर बन जाएगा लेकिन एक गरीब हरिजन आदिवाशी कुछ नही बन सकता, उसका जीवन मजदूरी करने और अंधेरे में ही व्यतीत होने वाला है.
और वास्तव में यही सच्चाई भी है. क्योंकि यदि किसी को विश्वास न हो तो वह स्वयं भी ग्रामों में आकर देख ले की आज 70 वर्षों की आजादी के बाद भी गांव का गरीब हरिजन आदिवाशी परिवार गरीब ही बना हुआ है उसे किसी भी सरकारी योजना का लाभ मिलना समझ नही आता. यहां तक की ऐसे भी हरिजन आदिवाशी परिवार अभी भी हैं जिन्हें मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजनान्तर्गत दिया जाने वाला अनाज भी नही मिल रहा है.
नेवरिया ग्राम के 50 हरिजनों के बीच नही है कोई नलकूप
जनपद पंचायत गंगेव अन्तर्गत आने वाले नेवरिया ग्राम के 50 हरिजन परिवारों के बीच में आज तक पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नही है. रामदुलारे साकेत, रामलोचन साकेत बाबूलाल साकेत आदि के रहने वाले परिवारों के लिए न तो पंचायत विभाग और न ही किसी विधायक अथवा सांसद निधि से ही कोई नलकूप उत्खनन नही हुआ जबकि देखा जाए तो हरिजनों का समूह कई बार जाकर मनगवां विधायक के समक्ष अपनी बातें रख चुका है. जहां तक सवाल सरपंच से आवेदन का है तो उसके लिए लोग लगभग हर महीने ही जाकर नलकूप उत्खनन की माग करते हैं. लेकिन दुर्भाग्य इस देश में व्याप्त भस्ट्राचार का की जहां आवश्यकता है वहां नलकूप नही हुआ परंतु ऐसे घरों के आंगन में नलकूप हो गए जिन्हें न तो नलकूप की जरूरत थी और न ही वह इतने अक्षम थे की नलकूप न करवा सकें. आज यह भलीभांति स्पष्ट है की जितने भी सरकारी नलकूप हो रहे हैं उनका वास्तविक तौर पर अच्छा खासा दुरुपयोग किया जा रहा है. घर आंगन और खेतों के बीच कराए जा रहे इन नलकूपों में स्वयं के मोटर पंप डाले जा रहे हैं और गांव के गरीब लोगों को पानी पीने से रोंका जा रहा है.
आम नागरिक को पानी से वंचित रखना मानवाधिकार का घोर उल्लंघन
जिस प्रकार से गंगेव ब्लॉक अन्तर्गत सेदहा पंचायत नेवरिया ग्राम के 50 की आवादी वाले हरिजन परिवारों को नलकूप की व्यवस्था सरकार एवं पंचायत द्वारा नही की गई है जबकि इसकी गुहार के मर्तबा लगाई जा चुकी है इससे स्पष्ट है की सेदहा पंचायत और पीएचई विभाग मानवाधिकार के घोर उल्लंघन के लिए सीधे जिम्मेदार है. पीएचई विभाग में कार्यरत नलकूप मैकेनिक एवं अन्य इंजीनियर वगैरह का दायित्व बनता है की वह समय समय पर ग्रामों बस्तियों का दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करते रहें और सरकार को भेजते रहें जिससे अगली कार्ययोजनाओं में सरकार अथवा विभाग नवीन नलकूप उत्खनन करवाता रहे. जिस प्रकार से नेवरिया हरिजन बस्ती का मामला सामने आया है उससे स्पष्ट है गरीबों की मूलभूत मनवाधिकरों की समस्याओं जैसे पानी, बिजली अथवा सड़क की फिक्र न तो पंचायत को है और न ही लोकल प्रशासन को वरना कैसे हो सकता है की जब आज घर आंगन में रसूखदारों के पट्टे में विधायक एवं सांसद निधि से सरकारी नलकूप उत्खनन करवाकर उनके मोटर पंप डाल लिए जा रहे हैं तो भला ऐसे वंचित हरिजनों के लिए पीने के पानी की सुविधा क्यों मुहैय्या न कराई जाती. इस सबसे से स्पष्ट है की राजनीति एवं अकर्मण्यता के चलते ही ऐसे 50 की आवादी वाले हरिजनों को पीने के पानी से वंचित रखा गया है. सही मायनों में मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाकर ऐसे मानवाधिकार के घोर उल्लंघन की मामलों पर दोषियों के ऊपर दंडात्मक कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए.
इन हरिजनों को चलने के लिए रास्ता तक नही
सेदहा पंचायत के नेवरिया हरिजन बस्ती में रहने वाले लगभग 50 हरिजनों के परिवारों को चलने के लिए रास्ता तक नही है. जो परिवार नेवरिया हरिजन बस्ती में निवासरत है उनमे से कुछ की प्राप्त जानकारी में बताया गया की बाबूलाल साकेत के घर में 4 सदस्य, रामदुलारे साकेत के घर में 2 सदस्य, पुष्पराज साकेत के घर में 5 सदस्य, रजनीश साकेत के घर में 8 सदस्य, रंजीत साकेत के घर में 5 सदस्य अभी भी वहां मौके पर निवासरत हैं जबकि लगभग इतने ही परिवार अभी कामकाज के सिलसिले में बाहर गए हैं जो समय समय पर पलायन करते रहते हैं. क्योंकि ग्राम पंचायत में मनरेगा का कोई भी कार्य इन मजदूरों को नही मिलता एवं जेसीबी एवं मसीनों सके करवाया जा रहा है जिसकी वजह से इन्हें कार्य के सिलसिले में बाहर शहरों की तरफ पलायन करते रहना पड़ता है.
हरिजनों ने पानी और सड़क की लगाई गुहार
इन सभी हरिजन परिवारों ने एक स्वर में बताया की इन्हें न तो पीने के लिए पानी है और न ही इनको चलने के लिए आवागमन मार्ग. यह सभी परिवार जमीदारों के खेतों के बीच में फंसे हुए हैं जिससे आवागमन में असुविधा के साथ अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सभी ने सरकार प्रशासन से पानी और सड़क की माग की है.
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखने का कष्ट करें नेवरिया हरिजन बस्ती में निवासरत कुछ हरिजन परिवार जिन्हें न तो पीने का पानी है और न ही चलने के लिए सड़क मार्ग.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा, मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139
1 comment:
Aise Sarpanch aur unke pratinidhi ko jail honi chahiye.
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