दिनांक 26 सितंबर 2018, स्थान - गढ़/गंगेव, रीवा मप्र
(कैथा से शिवानन्द द्विवेदी)
ज़िला रीवा में थाना गढ़ अन्तर्गत स्थित आयुष औषधालय जमुई मात्र नाम का अस्पताल है जहां कोई परमानेंट डॉक्टर नही है. मात्र बाबुओं, सेवादारों और चपराशियों के हवाले पूरे अस्पताल को छोड़ दिया गया है.
विभिन्न बीमारियों के इलाज के दावे
जमुई शासकीय आयुष अस्पताल के सामने दीवाल पर लगाए गए नोटिस में कई बीमारियों के इलाज के दावे किये गए हैं जिनमे सोमवार से लेकर शुक्रवार तक अलग अलग दिनों के हिसाब से अलग अलग बीमारियों के इलाज की सूचना लगायी हुई है.
असंचारी बीमारियों के इलाज के लिए सोमवार को उच्च रक्तचाप क्लिनिक, मंगलवार को संधिवात-आमवात क्लिनिक, बुधवार को मधुमेह क्लिनिक, वृहस्पतिवार को अर्श क्लिनिक एवं शुक्रवार को रक्ताल्पता क्लिनिक नाम से नोटिस चस्पा किया गया है. वहीं संचारी रोग के इलाज के विषय में डेंगू, मलेरिया एवं फ्लू की बात कही गई है. साथ ही मातृ कल्याण योजना में एएनसी एवं प्रसव सुविधा की बात भी नोटिस बोर्ड में चस्पा है. शिशु कल्याण के नाम पर टीकाकरण एवं बाल कुपोषण सम्बधी सूचना भी चस्पा की गई है.
ग्रामीणों का कहना है की सब दिखावा है, कहीं कुछ नही होता
अब बात करते हैं वास्तविक धरातल पर नोटिस बोर्ड में चस्पा की हुई बीमारियों के इलाज और शासकीय आयुष अस्पताल में मिलने वाली शुविधाओं की तो वहीं पास ही स्थित ग्रामीणजनों द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को अवगत कराया गया की शासकीय आयुष आयुर्वेद अस्पताल जमुई में जो भी बातें नोटिस बोर्ड में चस्पा कर बीमारियों के इलाज किये जाने की बातें कहीं गई हैं वह सब हवा हवाई हैं. वास्तव में कहीं कुछ नही होता. जमुई के रामाधार साकेत द्वारा बताया गया की यहाँ डॉक्टर ही नही हैं तो इलाज कौन करेगा. साथ ही जिस कंपाउंडर को चार्ज दिया गया है वह ज्यादातर समय अनुपस्थित रहती हैं, यहां आम जनता को कोई सुविधा उपलब्ध नही है. यहां तक की यदि पेट में गड़बड़ी और सामान्य गैस की बीमारियों के चूर्ण भी लेने जाते हैं तो बता दिया जाता है की यहां पर उपलब्ध नही है रीवा से आ नही रहा है. इसी प्रकार वहीं पास ही स्थित एक अन्य जमुई निवासी जिनकी दुकान भी जमुई मंदिर के पास है दिनेश कुमार कोल का कहना था की न तो यहाँ डॉक्टर हैं और न ही दवाईयां, और आज तक जमुई और आसपास के लोगों को समझ नही आया की आयुष विभाग से किस प्रयोजन के लिए यह आयुर्वेदिक औषधालय खोला हुआ है. यहां पर कुछ नही मिलता, और जो भी जानकारी नोटिस बोर्ड में चस्पा की गई है वह मात्र एक दिखावा है.
कार्यस्थल पर मात्र महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता मिलीं
जब शासकीय आयुष औषधालय जमुई में दिनाँक 24 सितंबर को दौरा किया गया तो शुबह लगभग साढ़े दस बजे मात्र महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता श्रीमती राजकुमारी सिंह उपस्थित मिलीं. वहीं पर एक सफाई कर्मी भी मिले जिनका नाम विनायक कोल बताया. इस प्रकार जब सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा पूंछा गया की अस्पताल में क्या कुछ सुविधाएं उपलब्ध हैं और क्या कुछ बीमारियों के इलाज किये जा रहे हैं तो कोई स्पष्ट उत्तर नही मिल पाया और बताया गया की वह मात्र स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं इन सबकी ज्यादा जानकारी मात्र डॉक्टर से ही मिल पाएगी. परंतु आयुष अस्पताल जमुई में कोई डॉक्टर उस समय उपलब्ध नही था और साथ ही यहां पर पदस्थ भी नही, मात्र एक कम्पाउण्डर लेडी है. पूंछा गया की आप लोगों की ड्यूटी कब से कब तक रहती है तो उनके द्वारा बताया गया की शुबह साढ़े आठ से 12 बजे तक और इसके बात 2 से 4 बजे तक. पास ही नोटिस बोर्ड में देखा गया तो कुछ अस्पताल में कार्यरत कर्मचारियों के पद एवं उनके नंबर दिए गए थे जिनमे श्रीमती कल्पना सिंह कंपाउंडर, रामलाल पांडेय औषधालय सेवक, विनायक कोल चपरासी एवं सफाई करता, एवं श्रीमती राजकुमारी सिंह स्वास्थ्य कार्यकर्ता जिन्होंने यह सब जानकारी दी.
जीर्णशीर्ण है जमुई आयुष अस्पताल की स्थिति
जमुई ग्राम में स्थित शासकीय आयुष औषधालय में डॉक्टर और दवा का टोंटा तो था ही लेकिन इसमे सबसे बड़ी समस्या यह भी थी की इस अस्पताल में लगता है कभी पुताई तक नही हुई थी. अस्पताल का नाम तक स्पष्ट लिखा नही दिख रहा था. कुलमिलाकर अस्पताल की स्थिति अच्छी नही थी. ऐसा लगा बाहरी और आंतरिक तौर पर जमुई आयुष अस्पताल की कभी पुताई तक नही हुई थी जो अस्पताल को देखकर बहुत स्पष्ट दिख रहा था.
आयुर्वेद के प्रति समाज में जनजागरूकता का भी अभाव
आज सबसे बड़ा प्रश्न यह भी है आयुर्वेद भारतीय चिकित्सा परंपरा से उठती सी जा रही है. आज एलोपैथी एवं अंग्रेज़ी दवाइयों के चक्कर में पड़कर सब बीमारियों का फटाफट इलाज चाह रहे हैं जबकि देखा जाए तो आयुर्वेदिक दवाओं के उपयोग से बीमारी से निजात पाने में थोड़ा समय तो लगता है ऐसे में आज आयुर्वेदिक परंपराओं से लोगों का मोहभंग हो रहा है. आयुर्वेद मात्र चटनी चूर्ण तक ही सीमित रह गया है जहां पेट अथवा गैस संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए लोग त्रिफला अथवा हरड़ के चूर्ण लेकर फुरसत हो जाते हैं बांकी आयुर्वेद की शक्ति का न तो उन्हें कोई पता है और दुर्भाग्य से स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं अथवा सरकारों द्वारा इस विषय में कोई प्रचार प्रसार भी नही किया जा रहा. ऐसे में मात्र जमुई आयुष अस्पताल ही नही बल्कि देश के ऐसे बहुत से आयुर्वेदिक अथवा आयुष अस्पताल गुमनानी के अंधेरे में डूबे अपने अस्तित्व की तलास कर रहै हैं.
संलग्न - कृपया संलग्न तस्वीरों में देखें शासकीय आयुष अस्पताल जमुई की गुमनान पड़ी बिल्डिंग और वहां पर नोटिस बोर्ड में लिखी जानकारियां. अस्पताल प्रबंधन की नाकामी के चलते आज यह आस्पताल अपना अस्तित्व खोने की कगार पर है.
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शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्त्ता,
ज़िला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139
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