दिनांक 08 सितंबर 2018, स्थान- रीवा मप्र
(कैथा से, शिवानन्द द्विवेदी)
मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों के कर्मचारियों के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्रमांक 5285-5287/2016, एवं 9146-9148/2018 दायर की गई थी जिंसमे आरईसी सोसाइटी रीवा ज़िले में कर्मचारियों को पांचवें एवं छठे वेतन आयोग का लाभ से वंचित करने की बात कंपनी द्वारा रखी गई थी. साथ ही कुछ अन्य मुद्दे थे जिनमे उस समय तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार द्वारा घाटे में देखकर मप्र में संचालित 17 में से 14 ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों को मूलतः मप्र विद्युत मंडल में सम्मिलियन कर लिया गया था. लेकिन सम्मिलियन के वावजूद भी मप्र सरकार के बिजली विभाग द्वारा सम्मिलियित कर्मचारियों को मूल संस्था एमपीईबी द्वारा प्रदत्त लाभ नही दिया जा रहा था.
आरईसी सोसाइटी कर्मचारियों ने मामला रखा हाई कोर्ट में
इस बात को लेकर समय समय पर ग्रामीण सहकारी समितियों के कर्मचारियों ने शिकायत शिकवे तक किये. यहां तक की मामला कुछ व्यक्तिगत तौर पर कर्मचारियों द्वारा उच्च न्यायालय में भी रखा गया था. ऐसी जानकारी प्राप्त हुई की कुछ कर्मचारियों को पदोन्नति संबंधी लाभ भी प्राप्त हुआ था जिनमे से कुछ ऐसे कर्मचारी आज डीई तक के पद पर हैं जिसको आधार बनाकर रीवा मप्र में कार्यरत वर्तमान कनिष्ठ यंत्री उमाशंकर द्विवेदी जो इस समय लालगांव में जेई के पद पर कार्यरत हैं उन्होंने ने भी मामला उच्च न्यायालय में दायर किया था जिंसमे समस्त अन्य मुद्दों के साथ मूलतः यह माग रखी थी की क्योंकि ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों को सरकार द्वारा एमपीईबी में सम्मिलियन कर लिया गया है अतः सहकारी समितियों के कर्मचारियों के साथ भेदभाव कर उन्हें ईपीएफ का लाभ न देना, वेतन आयोग का लाभ न देना, अथवा पदोन्नति रोंका जाना अनुचित और सम्मिलियित कर्मचारियों के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन भी है क्योंकि संविधान स्पष्ट कहता है की एक विभाग के अंदर कार्यरत कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन और समान पदोन्नति के अवसर मिलने चाहिए. इस बाबत दायर किये गए हाई कोर्ट के प्रकरण में कनिष्ठ यंत्री उमाशंकर द्विवेदी को राहत मिली और हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में निर्णय दिया. इस प्रकार चूंकि हाई कोर्ट का निर्णय किसी एक व्यक्ति विशेष के लिए नही होता बल्कि उस प्रदेश के उस संस्थान में कार्यरत सभी कर्मचारियों के लिए लागू होता है, ऐसा देख मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने झट से मामला खींच कर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर डाली. चूंकि कंपनी को लगा की यदि उन्होंने हाई कोर्ट जबलपुर की बात मान ली और एक कर्मचारी को लाभ दे दिया तो आदेश के तहत सभी कर्मचारियों पर लागू करना पड़ेगा अतः अच्छा खासा पैसा बर्वाद करते हुए उच्च कोटि के वकील और एटॉर्नी टाइप के महगे वकील करके सुप्रीम कोर्ट में उमाशंकर या यूं कहें की पूरे ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों के विरुद्ध ही कंपनी ने मामला की अपील कर डाली.
सुप्रीम कोर्ट में वर्ष 2016 में अपील हुई
इस प्रकार अपील क्रमांक याचिका क्रमांक 5285-5287/2016, एवं 9146-9148/2018 के माध्यम से दर्ज अपील में भी भी मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को हार का ही सामना करना पड़ा क्योंकि मामला मानवाधिकार के घोर उल्लंघन का था साथ ही संविधान के नियमों के समान काम समान वेतन के भी विरुद्ध था. इस प्रकार एक लंबी प्रक्रिया के बाद दिनाँक 05 सितंबर 2018 को ग्रामीण विद्युत सहकारी समिति रीवा के जेई उमाशंकर द्विवेदी के पक्ष में निर्णय करते हुए सुप्रीम कोर्ट के युगल खंडपीठ जजों श्रीमान कुरियन जोसफ एवं श्री किशन कौल ने निर्णय दिया की इस बात पर कोई दुविधा अथवा विवाद नही है की सम्मिलियित कर्मचारियों को सम्मिलियन के नियमों के विरुद्ध रखा जाए अथवा उन्हें सम्मिलियित नियमों में प्रावधानों का लाभ न दिया जाए.
पांचवें, छठे एवं सातवें वेतनमान का भी मिले लाभ
साथ ही जस्टिस कुरियन जोसफ और श्री किशन कौल ने यह भी बड़े स्पष्ट सब्दों में कहा की रीवा ज़िले की ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों में कार्यरत सभी कमर्चारियों सहित अन्य सोसाइटी कर्मचारियों को शासकीय स्तर से लागू समस्त वेतनमान चाहे वह पांचवां हो अथवा छठा सातवां सभी का लाभ दिया जाना चाहिए. इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट की युगल खंडपीठ ने रेस्पोंडेंट उमाशंकर द्विवेदी के माध्यम से काफी हद तक आरईसी सोसाइटी के कर्मचारियों को राहत दी है.
अब देखना यह होगा की मानवाधिकारों के हनन संबंधी इस मसले पर मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी कितना जल्दी एक्शन लेती है और जिस प्रकार से तीन माह के भीतर पांचवें छठे एवं सातवें वेतनमान का लाभ देने का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया है उसे कितने समय में पूरा करती है.
चीफ इंजीनियर ने जारी किये आदेश, जल्द जमा होंगे ईपीएफ खातों में पैसे
अभी हाल ही में पिछले कुछ माह पूर्व इन्ही ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों के कर्मचारियों के मानवाधिकारों के हनन संबंधी एक अन्य समस्या भी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा प्रकाश में आई थी जिंसमे रीवा संभाग के कई सहकारी बिजली कमर्चारियों द्वारा पीड़ा व्यक्त की गई थी की उन्हें पिछले छः वर्षों से उनके ईपीएफ एकाउंट में पेमेंट से काट लिए जाने के वावजूद भी पैसा ईपीएफ खाते में जमा नही किया जा रहा है. इस बाबत कुछ कर्मचारियों जैसे भूपेंद्र सिंह बघेल, भूपेंद्र सिंह सेंगर, उमाशंकर द्विवेदी सहित लगभग 7 कमर्चारियों ने पीड़ा व्यक्त की थी और यह भी कहा था की यदि इस दरम्यान उन्हें कुछ हो जाता है अथवा दुर्घटना बस मृत्यु ही हो जाती है तो ऐसे कर्मचारियों के परिवार का भरण पोषण कौन करेगा. यह पूरा मामला रीवा और मप्र से प्रकाशित होने वाले राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में भी रखे गए थे, ट्विटर के मॉध्यम से उर्जामंत्री एवं मुख़्यमंत्री तक रखे गए थे इसके बाद बिजली विभाग कुछ हरकत में आया जिसके बाद मामला पिछले 19 जुलाई 2018 को मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग के समक्ष भी प्रस्तुत किया गया था जिस पर तत्काल ही श्रीमान आध्यक्ष महोदय मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल ने मप्र पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को नोटिस जारी कर तत्काल जबाब भी मागा था जिसके मार्फत सूचना पत्र भी आयोग द्वारा सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को दिया गया था.
मप्र पूर्व क्षेत्र बिजली कंपनी से आयोग ने मांगा जबाब
अब तक प्राप्त जानकारी अनुसार बिजली विभाग द्वारा बताया गया है की आयोग का नोटिस जबलपुर जोनल बिजली विभाग के महाप्रबंधक को में प्राप्त होने के बाद रीवा संभागीय बिजली अधिकारी चीफ इंजीनियर कार्यालय से कार्य प्रारम्भ भी किया जा चुका है और चीफ इंजीनियर द्वारा इस मार्फत आरईसी सोसाइटी के पीड़ित कर्मचारियों के ईपीएफ खातों में काटी जाने वाली राशि जमा करने के आदेश भी जारी किये जा चुके हैं.
संलग्न - कृपया संलग्न देखें दिनांक 05 सितंबर 2018 को माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के युगल खंडपीठ के जजों कुरियन जोसफ एवं श्री किशन कौल द्वारा ग्रामीण विद्युत सहकारी समितियों के पक्ष में दिया गया निर्णय की प्रति. साथ ही रेस्पोंडेंट जेई उमाशंकर द्विवेदी की फ़ोटो जिनके पक्ष में निर्णय भी आया है।
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शिवानन्द द्विवेदी, समाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता,
ज़िला रीवा, मप्र, मोबाइल 9589152587, 7869992139
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