Monday, January 29, 2018

त्योंथर ब्लॉक - सूचना के अधिकार की उड़ाई जा रही धज्जियां, मांगा कुछ और जाता है जबाब कुछ और मिलता है

रीवा मप्र, दिनांक 30 जनवरी 2018, स्थान - त्योंथर ब्लॉक, रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)
भारत सरकार ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू करके देश की जनता को सशक्त बनाने का अच्छा अवसर प्रदान किया था लेकिन आज पूरे देश मे सूचना के अधिकार की सरकारी विभागों द्वारा धज्जियां उड़ाई जा रही है।
    अभी हाल ही में आवेदक पुष्पराज तिवारी निवासी डाढ़ पंचायत ब्लॉक त्योंथर रीवा द्वारा ब्लॉक में आर टी आई लगाकर मनरेगा के जॉब कार्ड सहित मनरेगा सम्बंधित जानकारी चाही गई थी जिस पर आवेदक को अब आवेदक से पीड़ित बना दिया गया है। जी हां! अब पीड़ित जनपद त्योंथर से प्राप्त और सीईओ का हस्ताक्षरित प्रपत्र लेकर घूम रहा है जिसमे सूचना देने के एवज में 85626 रुपये की फीस की माग की गई है। जबकि पीड़ित का कहना है कि उसने जो जनकारी माँगी थी वह मुश्किल से हज़ार रुपये के अंदर राशि जमा करके दी जा सकती थी। अतः सीईओ त्योंथर के प्रपत्र दिनांक 19 जनवरी 2018 से स्पष्ट है कि वांछित जानकारी उपलब्ध न करवाने और भ्रमित करने के उद्देश्य से पीड़ित आवेदक को 85626 रुपये जमा किये जाने हेतु कहा गया है।

     आज दिनांक 30 जनवरी को जब पूरा देश महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाने में जुटा हुआ है, ऐसे में देखना यह होगा कि गरीबों मजदूरों के हित और उनके अधिकार के लिए प्रारम्भ की गई महात्मा गांधी ग्रामीण राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के नाम पर मजदूरों को वेवकूफ बनाने और उनके शोषण का जो जरिया पंचायतों ने खोज निकाला है इस पर क्या कुछ किया जाएगा? क्या गरीबों मजदूरों को रोजगार की गारंटी के नाम पर फ़र्ज़ी मस्टर रोल और फ़र्ज़ी बैंक खाते बनाकर राशि की अंधाधुंध निकासी इसी प्रकार जारी रहेगी?
    जितना काम उतना दाम जैसे वैधानिक जुमलों का क्या होगा? क्या 167 रुपये की दिन भर की मजदूरी ही बस मजदूरों को दी जाती रहेगी? जब आज दिन भर का लेबर चार्ज 300 सौ रुपये के आसपास है ऐसे में इतने कम 167 रुपये सरकारी रेट पर कौन मजदूर दिन भर पंचायती कार्यों में झक मरायेगा और काम करने के बाद पूरे छः माह अथवा साल भर इंतज़ार करेगा?

       आज सरकारें कॉर्पोरेट के लिए बिक चुकीं हैं। सभी सरकारी योजनाओं में मात्र स्मार्ट सिटी, स्मार्ट शहर, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट, नौकरी पेशे वालों के लिए नए नए पैकेज, नए वेतन आयोग और बहुत कुछ लेकिन किसानों और मजदूरों के लिए कहीं दूर दूर तक कुछ नही। जो भी योजनाएं आती भी हैं तो मनरेगा की तरह भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही हैं। सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि किसानों और मजदूरों का कोई सशक्त संगठन भी नही है जो इनकी गांव गांव आवाज उठाये जिससे इनको न्याय मिल पाए। ग्रामीणों मजदूरों और किसानों की आवाज सुनने वाला कोई नही है।
      और कब तक किसान मजदूर का शोषण होता रहेगा?

संलग्न - आवेदक पीड़ित पुष्पराज तिवारी निवासी डाढ़ पंचायत एवं मनरेगा मजदूर इंद्रलाल साकेत की फ़ोटो तथा आवेदकों द्वारा लगाया गया सूचना अधिकार आवेदन।

  - शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Rewa, MP - पावन यज्ञस्थली कैथा के श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया गणतंत्र दिवश

दिनांक 29 जनवरी 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र) 

    यज्ञों की पावन स्थली कैथा के अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में 69 वां गणतंत्र दिवश बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

     कैथा का अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर राष्ट्रीयता की मिसाल बन कर उभरा है जहां पूरे वर्ष भर धार्मिक सांस्कृतिक आयोजन के साथ स्वतंत्रता दिवश एवं गणतंत्र दिवश जैसे अति विशिष्ट राष्ट्रीय पर्वों पर झंडारोहण कर पर्व मनाए जाते हैं। इस बीच 26 जनवरी गणतंत्र दिवश के दिन मुख्य अतिथि कैथा के रिटायर्ड आर्मी कप्तान श्री आर डी पांडेय ने झंडारोहण के उपरांत सैकड़ों की संख्या में उपस्थित गणों को संबोधित करते हुए गणतंत्र के महत्व और इतिहास पर प्रकाश डाला।

     कार्यक्रम का संयोजन एवं प्रबंधन  सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया।

    संलग्न - गणतंत्र दिवश के दिन कैथा की पावन भूमि पर झंडारोहण में उपस्थित लोगों की तस्वीर।

    - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Rewa, MP - रीवा के किसानों का खरीदी केंद्रों में फसा करोड़ों रुपये, स्वयं अपनी बेची धान के पैसे के लिए लगा रहे बैंकों के चक्कर

दिनांक 29 जनवरी 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र।

  (शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

        ज़िले के खरीदी केंद्रों में किसानों का पैसा पिछले कई महीनों से फसा हुआ है। किसान अपनी धान बेचकर फुरसत हो गया लेकिन खरीदी केंद्रों से समय पर इस धान का उठाव न हो पाने की वजह से किसानों के खातों में बेंची गई राशि समायोजित नही हो पाई है। कुछ समितियां जैसे हिनौती आदि की धान का पूरी तरह से उठाव हो जाने पर भी नागरिक आपूर्ति निगम की लापरवाही की वजह से राशि किसानों के खाते में नही आ पा रही है।

      दिनांक 29 जनवरी को डिप्टी जीएम केंद्रीय सहकारी बैंक मर्यादित रीवा देवेश पांडेय से प्राप्त जानकारी में बताया गया कि कुल 100 करोड़ से अधिक की राशि अभी सरकारी पेंच में फसी हुई है। 55 करोड़ रुपये 25 जनवरी को एस बी आई रीवा को भोपाल से भेजे गए थे लेकिन छुट्टी होने के कारण राशि समितियों के खातों में नही पहुच पायी है। 29 जनवरी को रीवा में टीएल मीटिंग में प्रभारी कलेक्टर रीवा द्वारा राशि को समायोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। बताया गया है कि कुछ जरूरी कागज अभी भी भोपाल से अप्राप्त हैं इस कारण 25 जनवरी को भेजी गई 55 करोड़ की राशि संबंधित समितियों में नही भेजी जा सकी है जिस कारण पूरे जिले के किसानों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है। देवेश पांडेय का कहना था कि समस्या का समाधान अगले 3 या 4 दिनों में कर दिया जाएगा और 55 करोड़ की राशि किसानों के खातों में भेज दी जाएगी।

      आगे बताया गया कि किसानों की ज़िले की समितियों द्वारा खरीदी गई धान की लगभग 65 करोड़ रुपये की राशि अभी और अपेक्षित है जो भोपाल से भेजी जानी है।

     - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र।

Sunday, January 28, 2018

पावन यज्ञस्थली कैथा के अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में दिनांक 31 जनवरी से 13 फरवरी तक आयोजित होगा महाशिवरात्रि महोत्सव 2018

दिनांक 28 फरवरी 2018, स्थान - गढ़ गंगेव रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी रीवा मप्र) 

        पावन यज्ञस्थली कैथा में परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के पुनीत अवसर पर आयोजित होने वाला श्रीरामचरितमानस एवं श्रीशिवमहापुराण दोनो का कार्यक्रम महाशिवरात्रि महोत्सव 2018 में दिनांक 31 जनवरी से 13 फरवरी तक आयोजित होगा।

       दिनांक 31 जनवरी से 1 फरवरी तक संगीतमय श्रीरामचरितमानस का आयोजन, दिनांक 2 फरवरी को कलस यात्रा एवं दिनांक 3 फरवरी से 13 फरवरी तक श्री शिवमहापुराण का आयोजन होगा। दिनांक 13 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन सम्पूर्ण महोत्सव का विसर्जन हवन एवं विशाल भंडारे के साथ होगा।

       बता दें कि पावन यज्ञस्थली कैथा के अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में सभी सार्वजनिक आयोजन एनजीओ श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत के तत्वावधान एवं  कलयुग के देवता पवन पुत्र श्री बजरंग बली जी के संरक्षण में सम्पन्न होते हैं।

         इस विशेष कार्यक्रम की अध्यक्षता भी पवन पुत्र हनुमान ही करेंगे।

         महोत्सव के प्रमुख कार्यकर्ताओं में भैयालाल द्विवेदी, सिद्धमुनि द्विवेदी, विशेषर केवट, बृजभान केवट, नन्दलाल केवट, संतोष केवट, रोहित मिश्रा, अरुणेंद्र पटेल, राजबहोर पटेल, गणेश पटेल, मतिगेंद पटेल, शिवेंद्र सिंह, मुनेंद्र सिंह, संपूर्णानंद द्विवेदी, उग्रभान केवट, शैलेन्द्र पटेल, लाल बहादुर पटेल सहित अन्य भक्त श्रद्धालु रहेंगे।

       अति प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण में दिनांक 31 जनवरी से 13 फरवरी तक आयोजित होने वाले महाशिवरात्रि महोत्सव 2018 में सभी भक्त श्रद्धालुओं को सादर आमंत्रित किया जाता है।

    संलग्न - कृपया संलग्न अति प्राचीन श्री बजरंग बली जी की प्रतिमा देखने का कष्ट करें।

  - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं राष्ट्रीय संयोजक श्रीमद भगवद कथा धर्मार्थ समिति भारत

Friday, January 26, 2018

Rewa, MP - दिनांक 26 जनवरी 2018 को प्रताप गोशाला झोटिया का प्रथम स्थापना दिवश मनाया गया

दिनांक 26 जनवरी 2018, स्थान - त्योंथर रीवा मप्र।

    जहां पूरे जिले एवं प्रदेश में गोवंशों के साथ निरंतर क्रूरता होती दिख रही है वहीं पर त्योंथर ब्लॉक एवं त्योंथर तहसील अंतर्गत झोटिया पंचायत में एक वर्ष पूर्व स्थापित निजी गोशाला प्रताप गोशाला झोटिया गोवंशों की सुरक्षा एवं संवर्धन के लिए एक आशा की किरण बन कर आई है।
     ज्ञातव्य है कि प्रताप गोशाला झोटिया का गठन एक समिति गठित करके बनाया गया है जिसके संचालक विंध्य किसान परिषद के प्रदेश अध्यक्ष डॉ रोहित तिवारी हैं। इस गोशाला हेतु लगभग 6 बीघा जमीन का दान झोटिया निवासी अरिमर्दन सिंह द्वारा किया गया है। अब तक जानकारी प्राप्त होने तक प्रताप गोशाला के लिए कोई शासकीय अनुदान नही मिला है और यह गोशाला पूरी तरह से समिति के सदस्यों के सहयोग एवं जन सहयोग से संचालित हो रही है।
    आसपास के गोभक्त ग्राम क्षेत्रवासी पियरा, चारा, भूषा और अन्य सहयोग प्रदान करते हैं। जब भूषा पैरा की व्यवस्था नही हो पाती उस स्थिति में समिति अपने सदस्यों कज मदद से और समिति के फण्ड से गोवंशों के चारा पानी कक व्यवस्था करती है। प्रताप गोशाला झोटिया में अब तक लगभग 50 गोवंशों को रखा गया है।
     इस प्रकार देखा जाय तो प्रताप गोशाला झोटिया  वोवंशों के लिए एक आशा की किरण के रूप में सामने आयी है लेकिन बिना शासकीय सहयोग एवं मद से इस गोशाला में गोवंशों की संख्या सीमित ही रह जायेगी अतः अब देखना यह पड़ेगा कि जो भी इस प्रकार की गोशालाएं अपनी स्वेक्षा से गोवंशों की सेवा और संवर्धन हेतु आगे आ रही हैं उन्हें जन सहयोग के साथ साथ शासन प्रशासन का भी पूरा सहयोग मिले तभी ज्यादा से ज्यादा गोवंशों की सेवा सुरक्षा हो पाएगी।

   - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र 7869992139

Rewa, MP - (पशु क्रूरता) त्योंथर तहसील एवं ब्लॉक के झोटिया एवं मनिका पंचायत में अवैध कैद किया गोवंशों को, सैकड़ों की संख्या में चारे पानी भूषा बिना मरीं, स्थानीय प्रशासन की सहायता से किया गया आज़ाद, तोड़ा गया अवैध बाड़ा

दिनांक 26 जनवरी 2018, स्थान - त्योंथर रीवा मप्र।

   (शिवानंद द्विवेदी रीवा मप्र) देश मे मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवश शायद सभी के लिए उतना शुभ नही रहा है, विशेष तौर पर हमारी गौमाताओं के लिए न ही यह नया वर्ष ही मंगलमय रहा और न ही यह गणतंत्र दिवश।

        ज़िले में पशु क्रूरता थमने का नाम नही ले रही है। हाल ही में सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत पनगड़ी बीट के भलघटी में सैकड़ों मवेशियों को घाट के नीचे जीवित फेंकने का मामला ज्यादा पुराना नही हुआ है एक बार पुनः जगह जगह पशु क्रूरता देखने को मिलने लगी है। 

   कहीं पशुओं के मुह पैर तार से बांधकर मरने के लिए  छोड़ दिया जाता है तो कहीं अवैध बाड़ों में बिना किसी समुचित चारे पानी और छाया की व्यवस्था के मरने के लिए छोड़ दिया जाता है।

       अभी हाल ही में त्योंथर ब्लॉक और त्योंथर तहसील पहुचा गया तो पचामा पुल के आगे झोटिया एवं मनिका ग्राम के मध्य किसी विजय बहादुर सिंह, शैलेन्द्र सिंह, झोटिया सरपंच धिरंजन सिंह, भुआल सिंह, उमेश सिंह आदि के सहयोग से बबूल से भरी जमीन में लगभग 5 एकड़ के क्षेत्र में अवैध तरीक़े से कटीले तार लगाकर बाड़ा बनाया गया था जिसमें किसी भी प्रकार की पानी चारे अथवा भूषा पैरा की कोई व्यवस्था नही की गई थी। दिनांक 26 जनवरी को दोपहर 2 बजे झोटिया जाते समय देखा गया कि वहीं रोड में कार्य करने वाले  मिक्सर प्लांट के पास मनिका और झोटिया ग्राम के दबंगों ने यह गैर कानूनी कदम उठाकर गायों के लिए मौत का कैदखाना बनाया हुआ था। जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने यह पूरा वाकया देखा तो दिल दहला देने वाला था और बर्दास्त से बाहर भी था। सभी गायें भूंख प्यास से तड़प रही रंभा रही थीं और वहीं पर बाड़े के अंदर तीन बछिया मृत सी दिखीं। जब करीब जाकर देखा गया तो वहीं पर कुछ कुत्ते उनको नोच नोच कर खा रहे थे। उनमे से एक बछिया पूरी तरह से मर चुकी थी जिसकी जीवित में ही आंख की चील कौवों ने खा लिया था और दो बछिया अभी जीवित थीं जिनमे हल्की हल्की सांस चल रही थी और इनकी भी आंखों को चील कौवों ने नोच कर खा लिया था। जो कुत्ते पास में बैठे थे वह इसी ताक में दिख रहे थे कि उनको मौका मिले और वह जीवित ही इन बछियों को खा जाएं।

      सारा वाकया सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा प्रताप गोशाला झोटिया के संचालक एवं विंध्य किसान परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी को भी बताया गया जिस पर संबंधित एस डी एम त्योंथर को सामाजिक कार्यकर्ता एवं परिषद के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा अवगत कराया गया जिस पर एस डी एम त्योंथर ने तहसीलदार त्योंथर एवं जनेह थाना प्रभारी को तत्काल भेजने का अस्वासन दिया। इतने में ही एस डी ओ पी त्योंथर को भी सूचित किया गया जिस पर अगले एक घंटे में एस डी ओ पी पुलिस अनुभाग त्योंथर, तहसीलदार त्योंथर एवं संबंधित पटवारी, वेटेरिनरी सर्जन आदि पहुचे एवं त्वरित कार्यवाही करते हुए मौका पंचनामा बनाया और जे सी बी से कटीले तार हटाकर बाड़ा हटाया गया और संवंधित दोषियों के ऊपर एफ आई आर दर्ज करने के निर्देश भी दिए। 

      पूरे रेस्क्यू आपरेशन एवं बाड़े को हटाने की प्रक्रिया  में प्रताप गोशाला झोटिया के संचालक एवं विंध्य किसान परिषद के अध्यक्ष रोहित तिवारी का अच्छा सहयोग रहा साथ ही विश्व हिंदू परिषद के जिला उपाध्यक्ष राजकुमार जी सहित अन्य लोग भी मौके पर उपस्थित हुए।

       इस प्रकार पुलिश प्रशासन, तहसील प्रशासन एवं वेटेरिनरी विभाग सहित क्षेत्रीय लोगों की उपस्थिति मद जेसीबी लगाकर कटीले तारों को पूरी तरह से हटाया गया। साथ ही ऐसे कृत्य करने वालों को स्पष्ट बताया गया कि अवैध बाड़ों को न बनाएं अन्यथा सख्त कानूनी कार्यवाही की जाएगी। 

     वहरहाल, पूरे मामले की जांच चल रही है और उपस्थित प्रशासनिक अमले द्वारा कहा गया कि जो भी दोषी हैं उन्हें बख्सा नही जाएगा।

    संलग्न - झोटिया एवं मनिका ग्राम में बनायी गयी अवैध बाड़े की फ़ोटो एवं कार्यवाही करवाता त्योंथर अनुभाग के प्रसाशनिक अमला।

   - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Thursday, January 25, 2018

Rewa, MP - ज़िले में मनगवां तहसील के इटहा हल्का 2, सिरमौर के हिनौती हल्का 39 एवं त्योंथर के जमुई हल्का 31 एवं अन्य पास के हल्कों के लिए एवं सैकड़ों ग्रामों के लिए नहर 2020 तक

दिनांक 25 जनवरी 2018, स्थान रीवा मप्र।
   (शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)
   ज़िले के वंचित किसानों के लिए अब खुसी की बात है कि उनके भी खेतों में नहर का पानी जल्दी ही आएगा।
     अधीक्षण यंत्री बाणसागर नहर मंडल रीवा संभाग के पत्र क्रमांक 495 दिनांक 25 जनवरी 2018 के द्वारा सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता को भेजे गए ईमेल के द्वारा सूचित किया गया कि जल संसाधन विभाग के पूर्व के पत्र क्रमांक पृ क्र. 7493/एल सी सी /430/2016-17  दिनांक 09/12/2016 में मनगवां तहसील से हल्का इटहा 2, त्योंथर तहसील के जमुई हल्का 31 एवं सिरमौर तहसील के हिनौती हल्का 39 एवं आसपास के अन्य कई हल्कों सहित सैकड़ों ग्रामों के लिए नहर के पानी लाये जाने का प्रावधान है जिसके लिए एजेंसी चिन्हित कर कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
      इस विषय मे सूचनार्थ प्रपत्र यहां पर संलग्न है।

   - शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Wednesday, January 24, 2018

Rewa, MP - बिजली विभाग का बिल नही फतवा, जारी हुआ तो भरना ही पड़ेगा

दिनांक 25 जनवरी 2018, रीवा/कटरा मप्र
(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र) ज़िले में बिजली विभाग का कहर निरंतर जारी है। कटरा डीसी सहित अन्य वितरण केंद्रों में बिना कनेक्शन और मीटर बैठाए ही औसत बिलिंग की जा रही है। हफ्ते की तरह उपभोक्ताओं से उगाही की जा रही है।
    अभी हाल ही में सूचना मिलने पर त्योंथर तहसील एवं ब्लॉक के जमुई पंचायत में पहुचा गया तो पाया गया कि जमुई ग्राम के हरिजन आदिवासी बिजली विभाग के औसत बिलिंग से परेशान थे। सभी ने अपना बिजली का बिल दिखाया और बताया कि राजीव गांधी विद्युतीकरण मिशन के तहत उनके घरों में बकायदे मीटर लगाकर बिजली कनेक्शन दिया जाना था लेकिन बिजली ठेकेदार द्वारा उल्टा सभी से 100 रुपये प्रत्येक के हिसाब से लिये गए और केवल कुछ घरों में खराब मीटर का डिब्बा तो बिठा दिया गया लेकिन उन्हें कोई कनेक्शन नही दिया गया।
     आज 6 माह से ऊपर हो रहे हैं और औसत बिलिंग की जा रही है लेकिन किसी भी घर मे मीटर से लाइन सप्लाई नही हो रही है।
     अब यदि देखा जाए तो यह किस्सा मात्र कटरा डीसी अथवा जमुई ग्राम का ही नही है बल्कि रीवा के बिजली विभाग में आम व्यक्ति का निरंतर शोषण चल रहा है। लगभग सभी ग्रामों में निवासरत गरीबों के यहां मुश्किल से 1 य 2 एल ई डी बल्ब और वह भी रात में जलते हैं, साथ ही ग्रामों में बड़े ही मुश्किल से 6 से 8 घंटे भी लाइन नही दी जाती ऐसे में लाइन लॉस और औसत बिलिंग के नाम पर गरीबों के नाम हज़ारों का फतवा जारी करना कहां तक उचित है।
     कटरा डीसी में पूरे जिले के ग्रामों की ही तरह 90 प्रतिशत से अधिक घरों में मीटर नही लगाए गए हैं और मात्र औसत बिलिंग की जा रही है। केबलिकरन, फीडर सेपरेशन और मीटर बैठाने की पूरी राशि हजम कर ली गई है।
     जहां तक जमुई ग्राम के हरिजन अदिवशिओं का मामला था उनका कहना था कि उन्होंने तो अब तक कोई बिजली ही नही जलाई है फिर भी उनके नाम पर कैसे बिजली बिल भेजे जा रहे हैं
    हरिजन  बस्ती के लालमणि, रामसखा, रमेश, उमेश, दिलराज, सूर्यभान, रामावतार, रामकरण आदि ने बताया कि वह सभी बिना मीटर रीडिंग के औसत बिलिंग से पीड़ित है  और सभी ने यह बात कटरा डीसी में उठाई है लेकिन कोई नही सुन रहा और बस मनमाना बिल भेजे जा रहे है। सभी ने एक स्वर में सभी घरों में मीटर लगाकर रीडिंग के आधार पर बिलिंग की माग की है।
संलग्न - हरिजन बस्ती जमुई के हरिजनों की सामूहिक फ़ोटो जो बिजली बिल से प्रताड़ित है।
    - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक आर टी आई कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139








Tuesday, January 23, 2018

Rewa, MP -लौरी अगडाल कैथा प्रधानमंत्री सड़क में की जा रही गुणवत्ता की अनदेखी, घटिया पुल निर्माण के बाद अब सड़क पर अमानक सामग्री का हो रहा प्रयोग

दिनांक 23 जनवरी 2018, स्थान - गढ़/गंगेव रीवा मप्र
    (शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र) 
         ज़िले के मऊगंज प्रधानमंत्री सड़कों पर ध्यान नही दिया जा रहा है।  निर्माण की जा चुकी सड़कें पहले से ही उखड़ रही हैं और जो निर्माणाधीन हैं उनकी गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है।
          पुलों के निर्माण से लेकर सड़क में निर्माण सामग्री बिछाने तक के कार्य मे मापदंडों की निरंतर अनदेखी हो रही है।
          प्रधानमंत्री सड़क के जिम्मेदारों के समक्ष इस बात को रखा गया है लेकिन कोई सार्थक कार्यवाही नही हुई है। अभी हाल ही में प्रदेश में इस बात को उठाया गया और पीएम सड़क के प्रभारी जे एस सिकरवार को अवगत कराया गया है। सिकरवार का कहना था कि जीएम मऊगंज से संपर्क कर जानकारी चाही गयी है। दिनांक 21 एवं 22 जनवरी को "मेरी सड़क" नामक ऐप्प की मदद से प्रतिक्रिया प्रेषित की गई थी जिस पर कार्यवाही होना शेष है।
         मऊगंज प्रधानमंत्री सड़कों की स्थितियां सबसे खराब है, जिनमे से कई सड़कें जो पिछले वर्षों बनाई गई थीं वह उखड़ चुकी हैं। जो सड़कें वर्तमान में बनाई जा रही हैं उनमे मापदंडों की अनदेखी चल रही है जबकि देखा जाय तो समस्या को विभाग के संज्ञान में निरंतर रखा जाता रहा है। अब सवाल यह उठता है कि विभाग और संबंधित ठेकेदार को निरंतर सूचित किये जाने के वावजूद भी यदि कोई सार्थक कार्यवाही नही हो रही है तो संदेह विभाग की संलिप्तता पर ही जाता है।
   देखिए जब जीएम प्रधानमंत्री सड़क श्री निगम से इस संदर्भ में बात की गई तो जनका क्या कहना था।
    "जी हम स्वयं ही इस विषय मे आपसे बात करना चाह रहे थे, अच्छा हुआ आपका काल आ गया, देखिए मैं लौरी-गढ़ से कैथा वाली पीएम सड़क देखने गया था और ठेकेदार को अनियमितता में रिमाइंडर दिया है और साथ ही सही सामग्री उपयोग किये जाने के लिए कहा गया है । मैं आपके क्षेत्र में आऊंगा और फिर देखूंगा की कैसा काम चल रहा है। हैमर और कोर कटिंग टेस्ट के लिए कुछ पुलों का सैंपल भेजा है लेकिन आपके क्षेत्र की सड़क इसमे अभी शामिल नही है।" - जीएम, मऊगंज प्रधानमंत्री सड़क श्री निगम।
 संलग्न - कृपया लौरी-गढ़ से कैथा प्रधानमंत्री सड़क की वर्तमान तस्वीरें देखें जिनमे अमानक निर्माण सामग्री गलत अनुपात में उपयोग की जा रही है। इसी प्रकार कार्यवाही की डर से पुलों के ऊपर सफेद छुही चढ़ाई जा रही है।
    - शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक आर टी आई कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139





Monday, January 22, 2018

Rewa, MP - (पशु क्रूरता) पनगड़ी के चरखी क्षेत्र में पशुओं के साथ अत्याचार जारी, एक बार फिर मुह पैर बांधकर छोड़ा, ग्रामीणों ने तार काटकर गाय को किया आज़ाद

दिनांक 23 जनवरी 2018, स्थान - भठवा/गढ़ रीवा मप्र।
   (शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)
   ज़िले में निरंतर पशु क्रूरता बढ़ रही है। फसल नुकसानी के नाम पर असामाजिक तत्वों ने एक बार फिर भरतीय संस्कृति में माता की उपमा प्रात गोमाता के साथ क्रूरता की है।
    मामला है सिरमौर तहसील के उसी स्थान का जहां अभी कुछ सप्ताह पूर्व भलघटी पहाड़ के नीचे सैकड़ों की तादाद में गोवंशों को पहाड़ के नीचे धकेल दिया गया था जिसमे दर्ज़न भर तो बीच मे फसे थे और पचासों मौत के घाट उतार दिए गए थे।
      दिनांक 22 जनवरी को भठवा निवासी प्रमोद सिंह को एक बार पुनः ग्राम पनगड़ी के ही रेनू यादव और उसके साथियों से सूचना मिली कि गाय का मुह, पैर और सींग बांधकर छोंड़ दिया गया है। गोसेवक प्रमोद सिंह तत्काल घटनास्थल पर पहुचे और उन्होंने घटना का फोटो वीडियो बनाकर सामाजिक कार्यकर्ता को सूचित किया जिसकी जानकारी तत्काल संबंधितों को दी गई और घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए शासन स्तर से पुख्ता कार्यवाही की एक बार फिर माग की गई।
     वहरहाल, जानकारी के अनुसार बताया गया कि घटनास्थल पर एकत्रित ग्राम वाशियों ने मिलकर रस्सी तार को काटकर गाय को स्वतंत्र कराया और गाय को पानी पिलाया।
     संलग्न - संलग्न तस्वीर में देखें किस तरह बेजुबान गाय का मुह5 पैर बांधकर छोड़ा गया था और ग्राम के युवकों ने तार काटकर स्वतंत्र कराया।
     - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक आर टी आई कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

Saturday, January 20, 2018

Rewa, MP - कटरा विद्युत वितरण केंद्र की मनमानी जारी, बिना मीटर कनेक्शन के ही भेजे जा रहे मनमाने बिल।


दिनांक 20 जनवरी 2018, रीवा मप्र

रीवा मप्र। (शिवानंद द्विवेदी)

    गरीबों पर विजली विभाग रीवा का कहर निरंतर जारी है।

              गरीब तबके के भूमिहीन हरिजन आदिवासियों जिनके घर की वासिन्दगी जमीन के पट्टे तक नही और जो एक दो कमरों के मकान में कहीं बसे टिके हुए हैं और मेहनत मजदूरी करके किसी प्रकार जीवन यापन कर रहे हैं , उनके ऊपर भी बिजली विभाग का सितम जारी है।

    इस फोटो में पीड़ित सोमधर आदिवाशी पिता जेठू आदिवाशी निवाशी भमरिया पंचायत सेदहा ब्लॉक गंगेव रीवा मप्र का निवासी है। 

    इस व्यक्ति के घर आजतक कोई बिजली नही जली परंतु औसत बिलिंग जारी है। 

     जिस व्यक्ति की सालाना कमाई ही 10 हज़ार रुपये के अंदर हो वह चार हज़ार का बिल और वह भी बिना बिजली जलाए कैसे दे इस प्रकार कहना था जेठू आदिवाशी का।

     जानकारी अनुसार देखा जाय तो बीपीएल और एस सी एस टी  आदि गरीब वर्गों हेतु सरकार का विशेष प्रावधान है जिसमे विशेष छूट भी मिलती है।

   राजीव गांधी विद्युतीकरण मिशन, दीनदयाल योजना और सौभाग्य योजना आदि से घर घर मीटर लगाकर बिजली सप्लाई की जा रही है जिसमे बिजली विभाग को सख्त निर्देश है कि घर घर जाकर मीटर लगाया जाए और मात्र मीटर रीडिंग के अनुसार ही बिजली बिल भेजा जाए।

     पीड़ित द्वारा बताया गया कि उसके घर के सामने एक डिब्बा लगाया गया था जो ठप्प पड़ा है लेकिन न तो कोई केबल खींची गई और न ही कोई बिजली सप्लाई दी गई लेकिन जैसा कि हर स्थान पर हो रहा है मनमुताबिक औसत बिलिंग प्रारम्भ कर दी गई।

     क्या बिजली विभाग में इतना दम है कि इंडस्ट्रियल क्षेत्र को दी जाने वाली हाई सब्सिडी को बंद करवा दे? 

    क्या बिजली विभाग में इतना दम है कि गाँव गाँव मे घर घर मीटर लगाकर मीटर रीडिंग के आधार पर बिलिंग करे?

    क्या बिजली विभाग नगर निगम रीवा, सहित रीवा के सरकारी कार्यालयों , तथाकथित बड़े अफसरों के बंगलों के लाखों में लंबित बिल की वसूली करने की ताकत है?

    नही मात्र गरीबो, किसानों और ग्रामीणों को ही सताने और लूटने के लिए यह सभी विभाग बने हैं।

    क्या यही है सुशासन और सबसे बड़ा लोकतंत्र?

   - शिवानंद द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

   संलग्न - कृपया संलग्न फ़ोटो में देखें पीड़ित सोमधर का पिता जेठू आदिवाशी निवासी भमरिया पंचायत सेदहा हिनौती गंगेव ब्लॉक कटरा डीसी रीवा मप्र और साथ मे बिना बिजली जलाए उसके घर का बिल।

Thursday, January 18, 2018

Rewa, MP - (पशु क्रूरता) पनगड़ी ग्राम में फिर दिखी पशु क्रूरता, मवेशियों के तार से मुह पैर बांध कर छोड़ा।

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दिनांक 19 जनवरी 2018, स्थान भठवा, गढ़ रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र) ज़िले के सिरमौर वन परिक्षेत्र अंतर्गत आने वाले पनगड़ी बीट के भलघटी पहाड़  मे सैकड़ों मवेशियों को जीवित घाट के नीचे धकेले फेंके जाने का मामला अभी ज्यादा पुराना नही हुआ है, इसी पनगड़ी क्षेत्र में गोहत्यारों द्वारा फिर बेजुबान पशुओं के साथ अमानवीय और पाशविक क्रूरता का मामला प्रकाश में आया है। 

      पनगड़ी क्षेत्र से मिली जानकारी अनुसार भठवा निवासी पत्रकार प्रमोद सिंह द्वारा अपने फेसबुक और व्हाट्सएप्प के जरिये मुह पैर बुरी तरह बधे हुए मवेशियों के फोटो और वीडियो शेयर किए गए हैं जिसमे उनके द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से मुह पैर खोलकर मवेशियों को आज़ाद किया गया

       वास्तव में देखा जाय तो इस प्रकार की घटना कोई नई नही है। पूरे रीवा जिले से जगह जगह गोवंशों के साथ निरंतर क्रूरता के प्रकरण सामने आ रहे हैं जिसके संदर्भ में देश भर में पशु अधिकारों के लिए कार्य करने वाली विभिन्न संस्थाओं जैसे श्रीमती मेनका गांधी का पीपल फ़ॉर एनिमल्, ध्यान फाउंडेशन, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया सहित अन्य संस्थान इस प्रकार की पशु क्रूरता बंद किये जाने और दोषियों के ऊपर वैधानिक कार्यवाही किये जाने के लिए निरंतर प्रयाशरत हैं। सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा ज़िले के समय समय पर पशु क्रूरता के प्रकरण उक्त सभी संस्थानों को सूचित किये जाते रहे हैं।

        सबसे बड़ा आश्चर्य तो यह है कि पिछले कई वर्षों से पशुओं के साथ क्रूरता बढ़ती जा रही है लेकिन ज़िला एवं प्रदेश के शासन प्रशासन द्वारा अब तक कोई सार्थक कार्यवाही नही की गई है।

      ज़िला प्रशासन पशु क्रूरता रोक पाने और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करवा पाने में पूरी तरह अक्षम साबित हुआ है। प्रदेश और ज़िले में बने गोसंवर्धन बोर्ड मात्र औपचारिक बोर्ड हैं जिसमे पशुओं की देखभाल और सुरक्षा के लिए आने वाले करोड़ों का बन्दरवाट कर लिया जाता है और कोई भी कार्य नही किये जा रहे हैं।

     प्रश्न यह भी उठता है कि प्रदेश सरकार द्वारा गोवंशों की रक्षा सुरक्षा के लिए बनाये गए इतने अधिनियमों के वावजूद भी आज मवेशियों की इतनी अधिक दुर्दशा क्यों है?

संलग्न - कृपया संलग्न फ़ोटो में देखें किस प्रकार सिरमौर वन परिक्षेत्र और तहसील अंतर्गत आने वाले पनगड़ी ग्राम में गोवंशों का मुँह पैर बांध कर छोड़ दिया जाता है।

   - शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139।

"(पशु क्रूरता) चरनोई तो ख़त्म ही हो गयी, पशुओं को पैरा एवं भूषा से भी किया जा रहा वंचित, गहाई-मिजाई के बाद किसान मार देता है माचिस, पूरा पैरा धू धू करके जाता है जल"

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(शिवानन्द द्विवेदी, रीवा मप्र) चलिए आज  किसान और गोवंशों की दुर्दशा पर थोडा आगे प्रकाश डालते हैं और शोध करते हैं की इस समस्या की जड़ कहाँ है.
     चाहे मानव कितनी भी लच्छेदार बातें करे. चाहे मानव कितना भी मशीनी उपकरण का अविष्कार अपने विलासिता के लिए कर ले, फसल और उपज की सुरक्षा की बात करे, और अपनी भूंख का कितना भी रोना रोये शायद आज क्या कभी भी मानव की भूंख को न तो इंसान और और न ही भगवान् शांत कर सकता है. इतिहास, शास्त्र, ग्रन्थ इस बात के गवाह हैं की मानव का पेट और भूंख जब दोनों बढ़ने लगी तो मानव मानव न रहकर हैवान और राक्षस बन गया. रावण, कुम्भकर्ण, कंस, हिरनकश्यप, और पता नहीं कितने राक्षसों की कहानियां मानव से राक्षस बनने की हैं और अंततः उनके अंत की हैं. और आज फिर वही इतिहास दोहराए जाने की स्थिति में खड़ा है. किसी ने बिलकुल ठीक ही कहा है की इतिहास हमेशा अपने आप को दोहराता है. चाहे इतिहास में बुरा से बुरा हुआ रहा हो वह भी और चाहे अच्छा से अच्छा हुआ रहा हो वह भी दोनों ही दोहराए जाते हैं.
     अच्छा तो जो होना था वह भारत वर्ष में हो चूका अब तो शायद बुरे का ही समय आ चुका है. तभी तो शास्त्रीय ढंग से अच्छा और धार्मिक काम करने वाला हर वह शख्स दुनिया की नजर में मूर्ख, ढोंगी, दिखावटी कहलाता है और तथाकथिक गोमांस, मांसाहार, शराब नशा करने वाला समाज या व्यक्ति एडवांस्ड पढ़ा लिखा और मॉडर्न कहलाता है तो भला आज जब ज्यादातर समाज बीफ ईटर हो चूका है गोवंशों की सुरक्षा के लिए लड़ने वाला और उनके अधिकार की बात करने वाला व्यक्ति वेवकूफ मूर्ख नहीं कहलायेगा तो भला और क्या कहलायेगा?
   
मानव के अतिक्रमण ने समाप्त कर दिया चरनोई की भूमि, पशुओं के लिए नहीं है धरती में अब कोई स्थान शेष -
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  जी हाँ हकीकत आज यही है की जो कभी गोचर और चरनोई की भूमि हुआ करती थी वह शासकीय माफिया एवं प्राइवेट माफिया ने मिलकर पूरी तरह से समाप्त कर दिया. कहीं कुछ नहीं बचा है. यदि बचा है तो मात्र पथरीला स्थान और वह भी आज माइनिंग के नाम बुरी तरह से दोहन किया जा रहा है. किसान के लिए कभी पशु पशुधन की श्रेणी में आते थे लेकिन आज कितना बड़ा दुर्भाग्य है की यही पशु चूँकि किसान के लिए दूध के अतिरिक्त खेती किसानी के लिए उपयोगी नहीं रहे तो सबके लिये बोझ बन गए. मानाकि मशीन का अविष्कार मानव जीवन के लिए वरदान साबित हुआ है और उसकी ज्यादातर भौतिक शुख सुविधाओं विलासिता की पूर्ती करने में सहायक सिद्ध हुआ है पर क्या यह मशीन सब कुछ कर पाएंगी? क्या वास्तव में गोवंशों अथवा पशुओं के बिना मानव धरती पर अकेले रह पायेगा? क्या गोवंशों के बिना भारतीय संस्कृति का वजूद रह पायेगा? बहुत सारे अनुत्तरित प्रश्न है जो आज भारतीय मानव से जबाब तलास रहे हैं.
  
  खर पतवार के नाम पर किसान पैरा भूषा में खेत में ही लगा देता है आग, जल जाता है सब धू धू करके -
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पशुओं का पूरा अधिकार छीन लिया गया है. पहले उनको अनुपयोगी बताकर घर से खदेड़ दिया गया अब वह मारे मारे फिर रहे हैं. मानव को मात्र दूध, दही घी, पनीर, मक्खन ही बस पसंद है बांकी पशु उसे पसंद नहीं. जिस प्रकार से आज के वर्तमान विकसित समाज में बूढ़े हो चले माँ बाप हमे पसंद नहीं आते और भार लगते हैं वैसे ही गोवंश भी हमारे लिए अब पूरी तरह से भार बन चुके हैं. पहले मानव ने उनकी चरनोई और गोचर भूमि को समाप्त किया और अब उनके लिए शेष बचे पैरा भूषा को भी अपने लिए अनुपयोगी समझ कर माचिस मार रहा है. आज कहीं भी किसी भी गाँव में चले जाएँ तो देखने को मिलता है की आज जो स्वार्थी किसान अपनी फसल की दुहाई दे रहा है वह बिना विचार किये हुए जैसे ही फसल की मिजाई गहाई पूरी होती है बचे हुए भूषे एवं पैरा में माचिस मारकर जला देता है. आज कहीं कोई हरियाली नहीं है क्योंकि गोचर भूमि ही नहीं बची हुई है तो भला हरियाली कहाँ बचेगी. यदि हरियाली है भी तो वह है फसल की खेतों में हरियाली जिस पर किसान का पहरा है, और पहरा होना भी चाहिए. अब यदि वही किसान गहाई के बाद बचे हुए पैरे एवं भूषे में माचिस मार देगा तो भला मवेशिओं के लिए क्या ख़ाक बचेगा खाने के लिए? मवेशी दर दर की ठोकर मारे फिर रहे हैं. उन्हें खाने पीने के लिए कहीं कुछ नहीं बचा है. इस स्वार्थी मानव द्वारा दूध पीकर घी, दही मट्ठा खाकर आवारा छोड़ दिए गए इन गोवंशों के लिए न तो इस धरती में कोइ जगह है न ही कहीं अन्यत्र. आखिर यह बेचारे बेजुबान पशु जांए तो जाएँ कहाँ? कौन है इनका मालिक? क्या अहिंसा और सभी जीवों में एक ही ईश्वर का पाठ पढ़ाने वाली भारतीय संस्कृति का यही हाल होगा? क्या कभी भारतीय संस्कृति में माता की उपमा प्राप्त गौ माता की इसी भारतीय समाज मे इससे भी अधिक और दुर्दशा देखने को मिलेगी? क्या भगवान् शिव के वाहक नंदी के लिए भगवान् भोलेनाथ के बानाये इस संसार में और और जगह नहीं बची है? अपने स्वार्थ और पेट की दुहाई देने वाले इस कलयुगी मानव के लिए  यह सब प्रश्न है जिनका जबाब इसे देना पड़ेगा अन्यथा वह समय दूर नहीं जब भारतीय संस्कृति विलुप्त प्राय संस्कृतियों में शामिल हो जाएगी. क्योंकि जब गोवंश ही नहीं रहे तो भारतीय संस्कृति कहलाने का ही क्या औचित्य होगा.

  - शिवानंद द्विवेदी 7869992139

Wednesday, January 17, 2018

Rewa, MP - नेवरिया ग्राम विकास से वंचित, ग्रामीणों ने लगाया पंचायत पर आरोप, बताया सभी सरपंचों ने उनके ग्राम के साथ द्वेष भावना से किया काम

दिनांक 18 जनवरी 2018, स्थान - गंगेव ब्लॉक, रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी, रीवा मप्र)

    ज़िले के गंगेव ब्लॉक अंतर्गत आने वाली सेदहा पंचायत के ग्राम नेवरिया की जनता ने सरपंच और पंचायत विभाग पर साइड लाइन करने का आरोप लगाया है।

          दिनांक 17 जनवरी 2018 को सामाजिक कार्यकर्ता के समक्ष दिए गए अपने साक्षात्कार में ग्राम नेवरिया के दर्ज़न भर हितग्राहियों ने पंचायत पर आरोप लगाते हुए बताया कि जब से सरपंची नेवरिया ग्राम से दूसरे ग्रामों में गई है तब से सभी सरपंचों ने नेवरिया के साथ सौतेला व्यवहार किया है जो कि पंचायतीराज और इस लोकतंत्र के लिए भी बुरा है क्योंकि जहां सरकार सब के विकास और सबका साथ जैसी जुमलेवजी कर रही हैं वहीं ग्राउंड लेवल पर कहीं कुछ होता नजर नही आ रहा है। 

       उपस्थित ग्रामीणों जय प्रकाश त्रिपाठी, जमुना प्रसाद त्रिपाठी, रोहिणी प्रसाद गौतम, रामविलाश गौतम, वेदमणि त्रिपाठी, श्रीनिवास त्रिपाठी, राजेश्वर त्रिपाठी, कैलाश त्रिपाठी, शुभ करण त्रिपाठी, कृष्ण कुमार त्रिपाठी सहित अन्य कई गणमान्य ग्रामीणों ने बताया कि उनके घर में बनाये गए शौचालय की 12000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी उन्हें अबतक नही मिली है।

       जय प्रकाश त्रिपाठी के घर के पास पिछले वर्ष पंचायत द्वारा बनाई गयी नाली की तरफ सभी ने एक स्वर में इशारा करते हुए बताया कि यह नाली छः माह में ही उखड़ चुकी है। इसी प्रकार नेवरिया ग्राम का पहुच मार्ग पिछले दश वर्ष से मरम्मत के अभाव में चलने लायक तक नही बचा है। सभी का कहना था कि जहां घर घर पीसीसी और आरसीसी सड़कें बनाई जा रही हैं उनके ग्राम के साथ सरपंचों द्वारा राजनीति की जा रही है।

     उपस्थित सदस्यों ने एक स्वर में कहा कि सेदहा पंचायत में मनरेगा एवं पंच परमेश्वर की राशि का गलत उपयोग किया जा रहा है। सेदहा पंचायत में बने शान्तिधाम, ग्रेवल सड़क और अन्य कार्यों की गुणवत्ता आवंटित राशि के हिसाब से नही है अतः सभी ने समस्त कार्यों की जांच की भी माग की है।

      ज्ञातव्य हो कि सेदहा और हिनौती दोनो ही पंचायतों में मनरेगा और पंच परमेश्वर के कार्यों में व्यापक अनियमितता प्रकाश में आई थी जिस पर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा भी आरटीआई पिछले वर्ष दायर की गई थी जिसका समय पर जबाब न मिलने से प्रथम अपील सीईओ जनपद गंगेव एवं द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग भोपाल में की गई थी। परंतु आज पूरा वर्ष व्यतीत होने के बाद भी उस आरटीआई का जबाब नही दिया गया है। सूचना के अधिकार के अंतर्गत चाही गई जानकारी छुपाने के पीछे मात्र एक ही उद्देश्य हो सकता है कि जानकारी सार्वजनिक होने से कहीं पंचायतों के काले चिठ्ठे न खुल जाए।

  वहारहाल, नेवरिया ग्राम के ग्रामीणजनों ने एक स्वर में बताया कि उनके पंचायत सेदहा में ग्राम सभा भी कभी नही लगती और साथ ही पंचायत का कार्य वहां का सरपंच नही बल्कि सरपंच के दलाल करते हैं।

     संलग्न - ग्राम पंचायत सेदहा अंतर्गत आने वाले ग्राम नेवरिया के ग्रामीणजनों की फ़ोटो जहां पर बीच सड़क पर खड़ा होकर सभी पंचायती कार्यों में भररेशाही की शिकायत कर रहे हैं। साथ ही यूट्यूब का अपलोड किया गया वीडियो का लिंक भी यहां पर दिया जा रहा है।

     - शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139

[1/18, 8:43 AM] Shivanand Dwivedi: https://youtu.be/yXjSeUyrMcA

[1/18, 8:43 AM] Shivanand Dwivedi: https://youtu.be/343D9yLk5Os

[1/18, 8:43 AM] Shivanand Dwivedi: https://youtu.be/GG3tazJ3okU

Rewa, MP - मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ में सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने वाले वृद्ध, दिव्यांग, एवं विधवाओं को किया जा रहा परेशान, सिर्फ मंगलवार को 3 घंटे दी जाती है पेंशन, कीओस्क सेंटर वाले लेते हैं एक्स्ट्रा पैसे

दिनांक 17 जनवरी 2018, गढ़ रीवा मप्र।

(शिवानंद द्विवेदी रीवा मप्र)

      ज़िले के मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ में  महज 300 से 500 रुपये प्रतिमाह  सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्राप्त करने वाले हितग्राहियों को बेतहासा परेशान किया जा रहा है। कई बैंक हितग्राहियों ने कीओस्क संचालकों पर भी मनमानी करने एवं पैसे निकासी पर अतिरिक्त चार्ज लगाने की भी शिकायतें की हैं। वहीं इस विषय पर सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मध्यांचल ग्रामीण बैंक के जिला प्रबंधक से बात करने पर ज्ञात हुआ कि सभी कीओस्क संचालकों को बैंक द्वारा बेतन दिया जाता है अतः अतिरिक्त चार्ज लगाने का प्रश्न नही उठता। वहीं कैथा ग्राम से बैंक पहुची एक हितग्राही शुखमंती केवट पति स्व. साधूलाल केवट का कहना था कि वह वृद्ध विधवा महिला पिछले 4 माह से अधिक समय से बैंक के चक्कर लगा रही है परंतु उसके मृतक पति के बैंक खाते में जमा राशि पति के मरणोपरांत पीड़ित महिला को नही दी जा रही जबकि उसने सभी कागजात नोटरी से बनाकर मृत्यु प्रमाण पत्र सहित लिए हुए है लेकिन बैंक मैनेजर द्वारा उसे घुमाया जा रहा है।

     दिनांक 16 जनवरी 2018 को दोपहर 2 बजे के आसपास मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ के प्रांगण में उपस्थित हितग्राहियों द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता को अपने साक्षात्कार में बैंक संबंधी कई समस्याओं का जिक्र किया गया जिनमे से बैंक प्रांगण में वृद्धों, विधवाओं दिव्यांगों के लिए बैंक परिसर में कोई उचित व्यवस्था का न होना, मात्र सप्ताह के मंगलवार को ही पेंशन दिया जाना, पास ही संचालित कीओस्क केंद्रों द्वारा स्वयं की भी राशि निकासी पर अतिरिक्त 10 रुपये से लेकर ज्यादा तक राशि लिया जाना और साथ ही पहुच वाले लोगों का काम फटाफट कर गरीब विकलांग और वृद्ध हितग्राहियों को शुबह से शाम तक कतार में खड़े रहकर इन्तज़ार करवाना और दोपहर दो बजे के बाद उन्हें वापस भेज देना आदि समस्याएं प्रकाश में आईं।

    इन पीड़ित हितग्राहियों द्वारा माग की गई कि बैंक प्रबंधन सहित सरकार इस पूरे मामले में हस्तक्षेप कर वृद्धों, दिव्यांगों और विधवाओं के लिए बैंक में अलग से व्यवस्था करे जिससे उन्हें परेशान नही होना पड़े और साथ ही पेंशन सप्ताह के सभी दिनों वितरित किये जाने की भी माग की गई है। सभी ने एक स्वर में बैंक प्रबंधन के सप्ताह में मात्र एक दिन मात्र 3 घंटे के लिए पेंशन वितरित किये जाने संबंधी तुगलकी फरमान की निंदा की और इसे बदले जाने की माग रखी।

 संलग्न - मध्यांचल ग्रामीण बैंक शाखा गढ़ के बाहर परेशान दिव्यांगों, वृद्धों एवं विधवाओं के फोटो ग्राफ। साथ मे यूट्यूब वीडियो का भी लिंक।

- शिवानंद द्विवेदी सामाजिक कार्यकर्ता रीवा मप्र। 7869992139