*Breaking: किसानों की फसल सिंचाई के लिए बना कन्हैया बांध जल विहीन// रखरखाव के अभाव में बांध की हालत खस्ता// जल संसाधन विभाग के भ्रष्ट कमीशनखोर अधिकारियों के भेंट चढ़ रहे मऊगंज हनुमना के बड़े बांध// लोंगिट्यूडनल और क्रॉस ड्रेन के अभाव में बांधों की स्थिति खराब// रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार ने कहा रखरखाव के अभाव में बनते गए यह हालत //*
दिनांक 5 जून 2023 रीवा मध्य प्रदेश।
मऊगंज स्थित कन्हैया डैम की हालत भी जर्जर होती जा रही है। अभी हाल ही में पिछले सप्ताह जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार बिहार ने पहुंचकर ग्राउंड जीरो से बांध का मुआयना किया तो कन्हैया बांध की स्थिति दयनीय नजर आई।
गौरतलब है की रिटायर्ड अधिकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिलकर मऊगंज हनुमना क्षेत्र के सरकारी बांधों के विषय में सर्वे अभियान चला रहे हैं। जिसमें जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाए गए बांधों की दुर्दशा दिखाई जा रही है। अमूमन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए बांधों के विषय में कोई इतना रुचि नहीं लेता और यहां तक कि ग्रामीण लोग भी मामला आया गया मानकर पल्ला झाड़ लेते हैं। लेकिन शिवानंद द्विवेदी और उनकी टीम के कई रिटायर्ड वरिष्ठ अधिकारियों ने मिलकर पूरे जिले में जल संसाधन विभाग के द्वारा कराए गए कई निर्माण कार्य के पोल खोल का काम कर रहे हैं। इससे सरकारी महकमे में खलबली मची हुई है। कब किसका भ्रष्टाचार सामने आ जाए अधिकारी इसी उहापोह में बैठे हैं। अभी हाल ही में पिछले दिनों लगभग 855 करोड की लागत से बनाई जा रही नईगढ़ी माइक्रो इरीगेशन परियोजना के विषय में भी विस्तार से मामला प्रकाशित हुआ था जिसका नतीजा यह हुआ कि चीफ इंजीनियर बाणसागर मंडल गंगा कछार के द्वारा जेपी एसोसिएट्स कंपनी को 2 साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया गया। हालांकि ब्लैक लिस्ट करने से कोई समाधान नहीं निकला है क्योंकि किसानों की सिंचाई न होने के कारण जो अरबों खरबों का नुकसान हुआ उसका हिसाब अभी किया जाना बाकी है।
*मऊगंज के कन्हैया बांध की स्थिति दयनीय*
वापस लौटते हैं मऊगंज क्षेत्र में बनाए गए बांधों की स्थिति के विषय में। मौके पर पहुंच कर देखा गया तो पाया गया की कन्हैया बांध में बूंदों में पानी नहीं है और बांध के दोनों तरफ की दीवारों में पिचिंग का काम भी नहीं हुआ है और साथ में लोंगिट्यूडनल एवं क्रॉसड्रेन भी सही तरीके से नहीं बनाई गई। जगह जगह बांध के भीट में मिट्टी का कटाव देखने को मिला। जैसा पहले भी कोलहा और जूड़ा डैम में देखा गया था ठीक वैसे ही यत्र-तत्र एरिया में साफ सफाई का कार्य और मेंटेनेंस का कार्य न किए जाने के कारण बड़े पेड़ भी उग आए थे। स्वाभाविक तौर पर पिचिंग के बीच विस्तारित होकर यह पेड़ पौधे भीट को नुकसान पहुंचा रहे थे।
श्लुष क्षतिग्रस्त देखने को मिला जहां कंक्रीट में क्रैक भी देखे गए साथ में रेलिंग के अभाव में दुर्घटना होने की संभावना व्यक्त की गई।
*कन्हैया बांध के बाहर की तरफ अतिक्रमण*
बांधों की दयनीय स्थिति तो एक मुद्दा था ही यहां पर यह उल्लेखनीय है की बांध के बाहर की तरफ इंक्रोचमेंट भी देखने को मिला। लोंगिट्यूडनल एवं क्रॉस ड्रेन से लगी बांध की जमीन पर किसानों ने अतिक्रमण कर बाड़ी लगा ली है और जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी चैन की नीद सो रहे हैं। मौके बेजा अतिक्रमण देखने को मिला और भीट से लगी हुई जमीन पर तार बाड़ी की वजह से बांध की जमीन धीरे धीरे कम हो रही है। उपस्थित रिटायर्ड चीफ इंजीनियर ने कहा की बांध हमारे लिए देवता के समान हैं जो हमे जीविकोपार्जन के लिए पानी देते हैं लेकिन इन्हें जल संसाधन विभाग द्वारा खत्म किया जा रहा है।
आइए पूरे मामले में देखते हैं कि जल संसाधन विभाग के रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार ने सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी को कन्हैया बांध के विषय में क्या जानकारी दी
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*
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