*Breaking: छुहिया बांध की स्थिति दयनीय, मेंटेनेंस न करने के कारण बांध जर्जर// जगह जगह पानी रिसाव के चलते भीट की सेवा समाप्त// 60-70 के दशक में बनाए गए छुहिया बांध के मेंटिनेंस का पैसा डकार गए कमीशनखोर अधिकारी // पूरे बांध के अंदर तक किया जा चुका है अतिक्रमण // रिटायर्ड चीफ इंजीनियर के साथ अतिक्रमण के बनाए गए वीडियो//*
दिनांक 06 जून 2023 रीवा मप्र।
जल जीवन जागरण यात्रा का दौर जारी है और इस बीच जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों एवं गणमान्य नागरिकों के साथ सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी मऊगंज क्षेत्र के बांधों का दौरा कर रहे हैं। इसी श्रृंखला में पिछले दिनों मऊगंज के छुहिया बांध का जायजा लिया गया।
*छुहिया बांध के कैचमेंट एरिया में बेजा अतिक्रमण, भीट और किनारों में पानी रिसाव*
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि छुहिया बांध के अंदर तक वेजा अतिक्रमण किया जा चुका है जहां आसपास के किसानों ने बांध के अंदर खेत जैसी आकृतियां बनाकर जुताई बुवाई कर रहे हैं और चारों तरफ बाड़ी लगा ली है। बांध के दूसरी तरफ भी आसपास के लोगों ने अतिक्रमण कर रखा था। बांध के अंदर बूंद में पानी नहीं मिला। इसके पीछे का कारण बांध के आसपास उपस्थित ग्रामीण जनों से पूछा गया तो बताया गया कि बांध के भीट में रिसाव होने के कारण पानी टिक नहीं पा रहा है। बहुत सटीक जानकारी तो नहीं मिल पाई लेकिन स्थानीलोगों द्वारा बताया गया कि बांध का निर्माण 60-70 के दशक में पहली बार किया गया था। निर्माण होने के बाद बांध के रखरखाव में ध्यान नहीं दिया गया और कई बार मेंटेनेंस और रखरखाव के लिए आने वाली राशि जल संसाधन विभाग के कमीशनखोर अधिकारी ठेकेदारों से मिलकर हजम कर गए। बांध के भीट में कॉम्पेक्शन के कारण कई जगह जमीन बैठ गई थी और पिचिंग के पत्थर बाहर आ गए थे। बांध के बाहर की तरफ लोंगिट्यूडनल और क्रॉस ड्रेन अभी भी स्पष्ट तौर पर देखी जा सकती थी लेकिन सफाई नहीं की गई थी जिसके विषय में उपस्थित रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार ने बताया कि यह पुराने कार्य है जो निष्ठा और ईमानदारी के साथ किए गए थे जिसमें अधिकारियों ने मापदंडों का पालन किया था लेकिन समय के साथ अधिकारियों और शासन प्रशासन का चरित्र बदलता गया और अब वर्तमान में इतना व्यापक भ्रष्टाचार हो चुका है की रखरखाव की तो छोड़िए अधिकारी पूरे निर्माण कार्य की राशि हजम कर जाते हैं और निर्माण कार्य देखने को नहीं मिल रहे।
*इन ग्रामीणों ने बताई छुहिया बांध की सच्चाई*
छुहिया बांध के नजदीक स्थित कुछ घरों में जब संपर्क किया गया तो नजदीक निवासी कमला प्रसाद साकेत ने बताया की छुहिया बांध का निर्माण काफी समय पहले हुआ था और इसके रखरखाव के लिए जल संसाधन विभाग ने ठेकेदार को काम दिया था लेकिन थोड़ा बहुत खुदाई करने के बाद काम बंद कर दिया गया और पानी का रिसाव बंद नहीं हुआ और इस प्रकार मेंटेनेंस के लिए सरकार ने जो पैसा ठेकेदार को दिया उसको हजम कर लिया गया। कमला प्रसाद साकेत ने कहा कि छुहिया बांध से न तो उनके खेत की कोई सिंचाई हो पाती और न ही आसपास के अन्य ग्रामीणों की भी कोई सिंचाई हो पा रही है।
*पूर्व जनपद उपाध्यक्ष ने बता दी सच्चाई*
मऊगंज जनपद के पूर्व जनपद उपाध्यक्ष और बन पाडर ग्राम के निवासी पुण्य प्रताप पटेल ने बताया की वह इस क्षेत्र के लिए काफी समय से काम कर रहे हैं और चुने गए जनपद सदस्य भी रहे हैं और ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर हमेशा आवाज उठाई है। उन्होंने कहा यही आस पास के कुछ ठेकेदारों को जल संसाधन विभाग द्वारा छुहिया बांध के मेंटेनेंस का कार्य समय-समय पर दिया गया लेकिन कमीशनखोर अधिकारियों की मदद से ठेकेदार सब चट कर गए और बांध की स्थिति जर्जर हो चुकी है। बांध से लगी हुई नहर भी खत्म हो चुकी है जबकि बांध में बूंदों में पानी नहीं रुकता क्योंकि चारों तरफ रिसाव है।
विशेषज्ञ इंजीनियर द्वारा बताया गया की रिसाव को बंद करने के लिए अमूमन काली मिट्टी का छोप बांध की अंदर की दीवाल और तलहटी में लगाया जाता है जिसकी वजह से पानी का रिसाव नहीं होता है लेकिन क्योंकि 60-70 के दशक का बना हुआ बांध के कई बार मेंटिनेंस की राशि चट कर ली गई इसलिए आज बांध की हालत खस्ता हो चुकी है।
*बड़ा सवाल: आखिर इतने अर्से से बांध की कंडीशन पर आला अधिकारियों की क्यों नही पड़ी नजर*
अब बड़ा सवाल यह है कि आए दिन निरीक्षण के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा मऊगंज और हनुमना क्षेत्र में बनाए गए बड़े बांधों की स्थिति दयनीय देखी जा रही है और उनके रखरखाव मेंटेनेंस के लिए आने वाली राशि भ्रष्टाचार की बलि चल रही है तो फिर आखिर सरकार में बैठे हुए वरिष्ठ अधिकारी क्या कर रहे हैं? इससे स्पष्ट तौर पर समझा जा सकता है कि इस पूरे व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार में निचले से लेकर ऊंचे स्तर तक बैठे हुए वरिष्ठ अधिकारियों का भी हाथ है तभी इतने व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा की जल संसाधन विभाग के द्वारा बनाए गए बांधों का वर्षा के पूर्व और बाद में अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किए जाने का प्रावधान होता है कि आखिर देखा जाए कि वर्षा के पूर्व और बाद में बांधों की क्या स्थिति है? कहीं पानी के प्रेशर में कोई क्षति तो नहीं हुई है अथवा पानी का कोई रिसाव तो नहीं हुआ है तो जाहिर है ऐसे में यदि बांध में पानी नहीं रुक पा रहा है तो इसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दिया जाकर निरीक्षण प्रतिवेदन सौंपा जाना चाहिए था।
*मिलीभगत के चलते निर्मित हुई यह स्थिति*
लेकिन जिस प्रकार से कई दशकों से बांध के अंदर रिसाव होने के कारण और साथ में बांध के अंदर के भाग में अतिक्रमण किए जाने के कारण यह जानकारी ऊपर वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंची अथवा नहीं पहुंची और फिर इस पर क्या कार्यवाही हुई इन सब को लेकर बड़ा प्रश्न खड़ा होता है। इन सब से यही स्पष्ट होता है कि निश्चित तौर पर इस पूरे व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार में कमीशनखोर वरिष्ठ अधिकारियों की भी सहभागिता है।
*संलग्न*- कृपया संलग्न रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस परिहार जल संसाधन विभाग की बाइट वीडियो आदि प्राप्त करें।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*
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