*Breaking: जेपी एसोसिएट्स नईगढ़ी 855 करोड़ की माइक्रो इरिगेशन से किया गया ब्लैकलिस्ट// प्रेशराइज पाइप लाइन सिस्टम से 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की थी बड़ी परियोजना// कमीशनखोर अधिकारियों और भ्रष्ट सिस्टम की भेंट चढ़ी महत्वाकांक्षी नईगढ़ी सूक्ष्म दवाब सिंचाई परियोजना // 3 वर्ष का काम 5 वर्ष 8 माह में भी अधूरा // जल संसाधन विभाग गंगा कछार के मुख्य अभियंता जे एस कुसरे ने 29 मई को जारी किया ब्लैक लिस्ट करने का आदेश//*
दिनांक 2 जून 2023 रीवा मध्य प्रदेश।
बाणसागर से जुड़ी हुई महत्वाकांक्षी नहर परियोजनाओं में ग्रहण लगता लग रहा है। एक-एक कर सभी नहर परियोजनाएं चाहे वह त्यौंथर बहाव परियोजना हो अथवा बहुती कैनाल सिस्टम अथवा नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज वन एवं फेज टू सभी भ्रष्टाचार की बलि चढ़ रही हैं। अभी कुछ समय पूर्व त्यौंथर बहाव परियोजना से संबंधित मामला प्रकाश में आया था जिसमें संविदाकार को ब्लैक लिस्ट किए जाने का नोटिस जारी किया गया था और इसके बाद अपील उपरांत पुनः उसी भ्रष्ट संविदाकार को त्यौंथर बहाव परियोजना का कार्य सौंप दिया गया है जो काफी चर्चा में रहा लेकिन अभी भी काम कछुए की ही चाल से चल रहा है। अब एक ताजा उदाहरण सामने आ गया है जिसमे 855 करोड़ की लागत से बनाई जा रही नईगढ़ी सूक्ष्म दवाब परियोजना जिसमें प्रेशराइज पाइपलाइन सिस्टम के द्वारा किसानो के खेतों में जल प्रदाय किए जाने का प्रावधान रखा गया था।
*मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी और वरिष्ठ रिटायर्ड विभागीय अधिकारियों के अभियान का नतीजा*
गौरतलब है कि इस विषय पर मामले को एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी द्वारा काफी गंभीरता से उठाया था और जल संसाधन विभाग में कई महत्वपूर्ण आरटीआई आवेदन भी दायर किए हैं। बाणसागर परियोजना से जुड़े हुए नहरों बांधों और नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना को लेकर रिटायर्ड चीफ इंजीनियर एसबीएस सिंह परिहार एवं अधीक्षण अभियंता नागेंद्र मिश्रा के साथ में एक जबरदस्त अभियान भी चला रखा है। शायद यदि यह अभियान नहीं चलता तो न तो विभाग के कान में जूं रेंगती और शायद जनता को भी कभी पता नहीं चलता की उनके जिले में कितनी नहर परियोजनाएं हैं और उनकी वास्तविक भौतिक धरातल परिस्थिति क्या है। मीडिया के माध्यम से सतत प्रकाशित किए गए इस अभियान का ही आज यह परिणाम हुआ कि भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही हो रही है और कमीशनखोर अधिकारी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं उनके खेमें में अब खलबली मची हुई है। सबसे बड़ी जीत तो यह होगी कि अब जनता स्वयं जागृत होकर अपने गांव क्षेत्र में नहर परियोजनाओं को लेकर आंदोलन करे और घर घर अभियान चलाए।
*मैसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड नोएडा के पंजीयन की स्थिति*
मैसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड नोएडा उत्तर प्रदेश का पंजीयन जोकि ए सिविल श्रेणी में केंद्रीयकृत पंजीयन प्रणाली प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग मध्यप्रदेश के आदेश क्रमांक ईसी170021238 दिनांक 30 मार्च 2017 के द्वारा किया गया था उसी श्रृंखला में अनुबंध क्रमांक 2 वर्ष 2017-18 दिनांक 25/09/2017 एवं टर्नकी के आधार पर बाण सागर परियोजना की बहुती मुख्य नहर की डगमगपुर डिस्ट्रीब्यूटरी की आरडी 13050 मीटर से जल उद्वहन कर 25 हजार हेक्टेयर सीसीए में किसानों के खेतों तक प्रेशराइज पाइपलाइन सिस्टम द्वारा जल प्रदाय करने हेतु नईगढ़ी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य अनुबंध क्रमांक 3 वर्ष 2017-18 दिनांक 25/09/2017 तथा जल संसाधन संभाग सतना अंतर्गत बाणसागर जलाशय से 20 हजार 20 हजार हेक्टेयर सीसीए में किसानों के खेत तक पाइप लाइन द्वारा जल प्रदाय करने हेतु रामनगर सूक्ष्म सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 2017-18 दिनांक 25/09/2017 हेतु अनुबंध किया गया था।
*जेपी एसोसिएट्स के लिए निविदा की शर्तें और कार्य आदेश के अनुसार काम को पूर्ण करने की शर्तें*
इन परियोजनाओं के विषय में प्रथम यूएसआर 2016 पर प्राकल्लित लागत राशि रुपए लगभग 417 करोड़ से 16.15 प्रतिशत कम, इसी प्रकार करीब 350 करोड़ परियोजना द्वितीय की स्वीकृत राशि 327 करोड़ निविदा राशि जो 2016 पर प्राकल्लीत लागत राशि लगभग 372 करोड़ से 12.15 प्रतिशत कम है तथा इसी प्रकार रामनगर सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की राशि 306 करोड़ की निविदा जोकि एसआर 2016 पर पप्राकल्लित लागत राशि लगभग 326 करोड से 6.32 प्रतिशत कम है। इस प्रकार लो टेंडर पर मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स को अनुबंध दिया जाकर कार्य संपादित करने के लिए कार्यपालन यंत्री नईगढ़ी सूक्ष्म दवाब सिंचाई परियोजना संभाग रीवा के अनुबंध क्रमांक 2 वर्ष 2017-18 दिनांक 25/09/2017 एवं अनुबंध क्रमांक 3 वर्ष 2017-18 दिनांक 25/09/2017 कान बंद कार्यपालन यंत्री नईगढ़ी सूचना दबाव सिंचाई परियोजना द्वारा दिया गया और इसी प्रकार जल संसाधन विभाग द्वारा अनुबंध संपादित किए जाने का कार्य आदेश जारी किया गया।
चीफ इंजीनियर के आदेश में बताया गया कि इस कार्य को पूर्ण करने की अवधि वर्षाकाल सहित कुल 36 माह अर्थात दिनांक 24/09/2020 तक अनुबंध अनुसार रखी गई थी। इस प्रकार मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग गंगा कछार रीवा के द्वारा जारी किए गए ब्लैकलिस्ट आदेश में बताया गया कि उक्त अनुबंधों में कुल 70 हजार हेक्टेयर कमांड एरिया सिंचाई के लिए विकसित करना था।
*अनुबंध अनुसार 3 वर्ष के कार्य को 5 वर्ष 8 माह में भी नहीं पूरा कर पाई जेपी एसोसिएट्स*
कार्यालय मुख्य अभियंता गंगा कछार जल संसाधन विभाग के आदेश क्रमांक/सा./2017-11-6-1/4652 रीवा दिनांक 29/05/2023 के अनुसार मुख्य अभियंता जे एस कुसरे ने जारी किए गए इस आदेश में लिखा कि उक्त अनुबंधित कार्य को संविदाकार द्वारा पूर्ण नहीं किया गया और न ही कार्य पूर्ण करने में कोई रुचि दिखाई गई। फलस्वरूप इस कार्यालय के पत्र क्रमांक सा./2017-11-6-1/2856,2858 एवं समसंख्यक 2862 रीवा दिनांक 25/04/2023 द्वारा अनुबंध में कारण बताओं नोटिस जारी किए गए थे। आदेश में बताया गया कि कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने के उपरांत भी संविदाकार द्वारा कार्य में वांछित रूचि नहीं ली गई एवं मैन पावर, मशीनें कार्यस्थल पर नियोजित नहीं किए गए संविदाकार द्वारा कार्य पूर्ण करने में कोई रुचि नहीं है। मुख्य अभियंता ने लिखा कि इस कार्यालय द्वारा जारी कारण बताओ सूचना पत्र का उत्तर संविदाकार से दिनांक 04/05/2023 को प्राप्त हुआ। प्राप्त उत्तर का समग्र परीक्षण किया गया और संविदाकार द्वारा अपने उत्तर में दिए गए विलंब का जो तर्क प्रस्तुत किया गया वह तथ्यों पर आधारित होना नहीं पाया गया जिसे अमान्य कर दिया गया।
*जेपी एसोसिएट्स को नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का काम न करने के लिए 2 वर्ष के लिए डाला गया काली सूची में*
गंगा कछार जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता जेएस कुसरे ने बताया कि पूर्ण विचारोपरांत मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड नोएडा उत्तर प्रदेश का पंजीयन क्रमांक ईसी 170021238 दिनांक 30/03/2017 का पंजीयन 2 वर्ष के लिए निलंबित कर काली सूची में सूचीबद्ध किया गया है। इस अवधि में आदेश जारी होने के दिनांक से कई प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनमें नवीन निविदा प्रतिस्पर्धा में जेपी एसोसिएट्स स्वयं के नाम पर अथवा अपने भागीदारों संचालकों के नाम पर भाग नहीं ले सकेंगे, निलंबन अवधि में नवीन पंजीयन अथवा पंजीयन नवीनीकरण नहीं होगा, फर्म के निलंबित किसी भी भागीदार का भी किसी दूसरे के नाम से पंजीयन नहीं होगा, नवीन निविदा प्रतिस्पर्धा में स्वयं के नाम पर अथवा भागीदारों के नाम पर जेपी एसोसिएट्स भाग नहीं ले सकेंगे, किसी भी अन्य फर्म के भागीदारी उभयनिष्ठ होने/संचालक मंडल में नियुक्त होने/अथवा व्यक्तिगत पंजीयन होने पर वह फर्म भी निविदा प्रतिस्पर्धा से प्रतिबंधित रहेगी, किसी भी श्रेणी में निविदा प्रपत्र क्रय की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी, यदि निविदा प्राप्त होती है तो वह निविदा भी अयोग्य मानी जाएगी एवम पुनः निविदा आमंत्रित की जावेगी और निविदा स्वीकृत होने के पश्चात अथवा अनुबंध होने के पश्चात यदि यह पाया जाता है कि ठेकेदार का पंजीयन अनुबंध के दिनांक को या उसके पूर्व निलंबित किया गया है तथा प्रभावी है तो ऐसे निविदा स्वीकृत आदेश अथवा ऐसे कार्य आदेश को विधि शून्य माना जाएगा और ऐसे अनुबंध की मान्यता नहीं होगी तथा ऐसी निविदाएं पुनः आमंत्रित की जाएंगी।
इस प्रकार उत्तर प्रदेश नोएडा की कंपनी मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स को 2 वर्ष की काली सूची में परिबद्ध करते हुए उक्त शर्तों के आधार पर महत्वाकांक्षी नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना से हटा दिया गया है और संविदाकार को प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल के समक्ष उक्त आदेश के 90 दिवस की काल अवधि में अपील करने की स्वतंत्रता दी गई।
*बड़ा सवाल क्या 90 दिवस के अंदर अपील पर लेनदेन कर पुनः जेपी एसोसिएट्स को काम सौंप दिया जाएगा?*
अभी तक तो मात्र नियमानुसार काली सूची में परिबद्ध करने और कारण बताओ सूचना पत्र जारी करने के मामले हैं। अब जाहिर है मुख्य अभियंता गंगा कछार जल संसाधन विभाग रीवा जे एस कुसरे के उपरोक्त आदेश के आधार पर मेसर्स जेपी एसोसिएट्स को 2 वर्ष की कालावधी के लिए ब्लैक लिस्ट किया गया है और कुछ शर्ते लगा दी गई है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि संविदाकार को 90 दिवस का समय भी दिया गया है कि वह इस बीच प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल के समक्ष इस मामले की अपील भी प्रस्तुत करें। लेकिन जैसा कि त्योंथर बहाव परियोजना के प्रकरण में भी यही हुआ था और संविदाकार को टर्मिनेट और ब्लैक लिस्ट किए जाने के बाद उसने प्रमुख अभियंता जल संसाधन विभाग भोपाल को अपील प्रस्तुत की जिसके बाद उसे वापस बहाल कर दिया गया और अभी भी काम कछुआ चाल से चल रहा है। कई बार इस प्रकार की डील विभागों में बैठे हुए दलाल और वरिष्ठ अधिकारी कर लेते हैं इसमें लेनदेन कर मामले को निपटा देते हैं और वापस वही भ्रष्टाचार देखने को मिलता है। गौरतलब है कि त्यौंथर बहाव परियोजना और बहुती कैनाल सिस्टम का काम भी आज तक पूरा नहीं हो पाया है जबकि संविदाकारों की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
विशेषज्ञों की मानें तो टर्मिनेशन और ब्लैक लिस्ट करने का खेल यहीं पर नहीं खत्म होता। सबसे बड़ा सवाल ये है कि बिना फाइनल बिल पास किए हुए कैसे मामलों की पुनः टेंडर कर दिए जाते हैं और कैसे राशि को करोड़ों रुपए अधिक बताकर घालमेल किया जाता है। पुराने और नए कार्यों को किस प्रकार समायोजित कर वारे न्यारे किए जाते हैं। यह अपने आप में ही बड़ा विषय है लेकिन फिलहाल यह देखना पड़ेगा कि किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी और सरकार की महत्वाकांक्षी नईगढ़ी सूक्ष्म दबाव पर परियोजना का अब क्या होगा?
*संलग्न* - मामले से जुड़े हुए 29/05/2023 के मुख्य अभियंता गंगा कछार जल संसाधन विभाग के आदेश की प्रति और साथ में नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन के कुछ वीडियो फुटेज और विशेषज्ञों सामाजिक कार्यकर्ताओं के बयान प्राप्त करें।
*स्पेशल ब्यूरो रिपोर्ट रीवा मध्य प्रदेश*
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