दिनांक 14 दिसंबर 2019, स्थान गंगेव/नईगढ़ी, रीवा MP
आज स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से लेकर सात दशक बीत जाएं और आपके गांव में चलने लायक सड़क न हो तो आप इसे क्या कहेंगे? विकास कहेंगे, लोकतंत्र कहेंगे या कुछ और? जी हां कुछ ऐसा ही हाल है नईगढ़ी ब्लॉक में टिकुरी 37 में प्रणामी मंदिर ट्रस्ट के पास से होते हुए सथनी प्रधानमंत्री सड़क की तरफ न मुड़कर वहां से बाएं हाँथ मुड़ने पर आपको टिकुरी नंबर 37 की ग्राम बस्तियों जिनमे से कुसवाहा बस्ती, दुबे बस्ती, यादव बस्ती, कंहार बस्ती, गौतमान बस्ती, यादव बस्ती, प्राथमिक पाठशाला कहरान टोला (टिकुरी नंबर 37) से होते हुए पकड़ियार नदी, बाणसागर नहर पुल से होते हुए खरहना ग्राम के पहले पुल क्रासिंग से होते हुए पुनः बाणसागर के पास खरहना में रामनिहोर गौतम, रामसजीवन गौतम के घर से होते हुए श्यामलाल जगदीश, तीर्थ प्रसाद, सच्चीदानंद पांडेय, रमेश गौतम से होते हुए प्राथमिक एवं माध्यमिक पाठशाला ग्राम खरहना (मढ़ी खुर्द पंचायत) से होते हुए झिरिया नाला, हरिजन बस्ती से आते हुए दिवाकर सिंह ग्राम नीबी तहसील नईगढ़ी की पट्टे की लगभग 650 मीटर की अराजी जिसमे मेढ़ से होकर रास्ता गुजरता है इस प्रकार लगभग 7.2 किमी लंबा यह मार्ग है जिसमे दिवाकर सिंह की जामीन मेढ़ को छोंड़कर सब शासकीय है और वर्ष 2008 से पीडब्ल्यूडी के शिकंजे में है जिसके निर्माण बाबत करोड़ों रुपये निकल भी चुके हैं लेकिन अब तक इस रास्ते का कोई विधिवत जीएसबी और डामर डालकर निर्माण नही कराया गया है.
क्या कहना है ग्रामवासियों का
जब इस विषय में ग्रामवासियों से संपर्क किया गया और उनसे कीचड़ से सनी हुई सड़क के विषय में जायज़ा लिया गया तो यह कहना था ग्रामीणों का-
1-”आज जब से हमारा जन्म हुआ है हमारे ग्राम में पक्की सड़क नसीब नही हुई है. हमारा पूरा जीवन इसी कीचड़ में सनते हुए निकल रहा है. पता नही टिकुरी नंबर 37 से लेकर खरहना तक की यह सड़क कब तक बनेगी.”- ददन कुसवाहा, कुसवाहा बस्ती टिकुरी नं 37 नईगढ़ी.
2-”मैं पेशे से लाइनमैन हूँ. चाहे बरसात के 4 महीने हों अथवा बीच में असमय बारिश यहां टिकुरी नंबर 37 से लेकर खरहना और उधर प्रणामी मंदिर तक घर से निकलना दूभर हो जाता है. पूरी पगडंडी कीचड़ से सराबोर हो जाती है. यदि कोई बीमार हो जाए अथवा कोई डिलीवरी केस आ जाए तो सिर पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है.”- अमृतलाल दुबे, दुबे बस्ती टिकुरी नंबर 37 नईगढ़ी.
3-”हमारा जॉब सहकारी बैंक में है और हमे कार्य के सिलसिले में हर मौसम में आना जाना पड़ता है. शुबह 9 बजे खरहना से निकलते हैं और शाम को 7 या 8 बजे आते हैं. अब गौर करिए की बरसात के चार महीनों में हमारी सबकी क्या दुर्दशा होती होगी. हम कीचड़ में सनकर बाहर निकलते हैं. यह हालात बचपन से है. लगभग साढ़े सात किमी सड़क निर्माण का जिम्मा पीडब्ल्यूडी को वर्ष 2008 में मिला था लेकिन इस सड़क पर एक मुठ्ठी गिट्टी तक नही पड़ी है. पता नही करोड़ों रुपये कहां चले गए.’ -गौतम जी, ग्राम खरहना ब्लॉक गंगेव.
4-”हम अब उम्मीद छोड़ चुके हैं की इस रोड को कोई बनाएगा. कई बार सीएम हेल्पलाइन में लोगों द्वारा शिकायत भी की गयी है लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा भ्रामक और गलत निराकरण करके छोड़ दिया जाता है. सीएम हेल्पलाइन से ही पता चला था की इस सड़क का टेंडर और राशि 2008 में स्वीकृत की गई थी लेकिन साढ़े सात किमी के आसपास सड़क पर कोई कार्य नही हुआ और करोड़ों के प्रोजेक्ट का क्या हुआ आपके सामने है. हम आज भी कीचड़ पर चलने को मजबूर हैं.”- राघव शरण गौतम, भूतपूर्व सरपंच.
5-”हमारी यही माग है की सरकार हमारी टिकुरी 37 से लेकर खरहना तक की सड़क को जल्दी बनवाये जिससे हमे राहत मिल सके. हमारे छोटे छोटे बच्चे कीचड़ में सनकर स्कूल जाते हैं. एम्बुलेंस और जननी की गाड़ियां यहां घुस नही सकतीं. कोई बीमार हो जाए तो सिर में उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. यह सब अच्छा नही है. हमे तो अब लगता है जैसे शासन प्रशासन सब मर चुके हैं कोई देखने सुनने वाला नही है. हमारी समस्या का कोई तो समाधान करवा दे. हमे पक्की सड़क बनवा दे.”- शिवबालक यादव, टिकुरी 37.
सीएम हेल्पलाइन में ऐसे शुरू हुआ खोज का सिलसिला
चूंकि टिकुरी 37 ग्राम पंचायत नईगढ़ी ब्लॉक में आती है और खरहना ग्राम गंगेव ब्लॉक में आता है इसलिए यह किसी को पता नही चल रहा था की आखिर इस सड़क को बना कौन रहा है और अंतरब्लोकीय सड़क का जिम्मेदार है कौन. इस बाबत एक शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दिनांक 22/05/2019 को खरहना पंचायत मढ़ी खुर्द निवासी प्रमोद गौतम द्वारा क्रमांक 8387450 से दर्ज कराई गई. इस शिकायत में सभी बातों को स्पष्टतः रखा गया लेकिन सड़क कौन बना रहा था इसकी जानकारी किसी को नही थी.
सीएम हेल्पलाइन में चालू हुआ स्थानांतरण का खेल
इस शिकायत क्रमांक 8387450 को दर्ज होने के बाद पहले इसे ग्रामीण यांत्रिकी सेवा को भेजा गया. वहां से जबाब आया की यह सड़क आरईएस द्वारा नही बनाई जा रही है. अतः यह दूसरे विभाग को भेजी जाए. इसके बाद शिकायत को पीएम सड़क विभाग को भेजा गया जिसमे इसे बताया गया की पीएमजीएसवाई यूनिट 2 मऊगंज द्वारा बनाई जा रही होगी अतः वहां स्थानांतरित किया जाय. वहां से भी जबाब मिला की यह सड़क पीएमजीएसवाई द्वारा नही बनायी जा रही है.
इस प्रकार यह शिकायत के स्थानांतरण का खेल पूरे 27 नवंबर तक अर्थात 6 माह तक चलता रहा लेकिन यह पता नही कर पाया प्रशासन की आखिर इस सड़क का मालिक कौन था जो अपने आप में सीएम हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली को दर्शाता है.
27 मई को पीडब्ल्यूडी का आया जबाब
अंततः पूरे 6 माह अंदर ही अंदर विभागीय चक्कर लगाने के बाद पीडब्ल्यूडी को जब शिकायत पहुची तो उनका जबाब आया जो अक्षरसः नीचे है - “ कार्यपालन यंत्री से प्राप्त जानकारी अनुसार शिकायतकर्ता से दिनांक 28.11.2019 को दोपहर 1.10 बजे दूरभाष पर संपर्क किया गया। शिकायतकर्ता द्वारा वर्णित गंगेव टिकुरी मार्ग लंबाई 7.20 किमी. लागत 136.85 लाख की स्वीकृति प्रमुख अभियन्ता लो.नि.वि. भोपाल के पत्र क्रमांक 1454-55/842/19/यो./2008 भोपाल दिनांक 06.3.2008 के द्वारा नावार्ड योजना के तहत प्राप्त हुई थी। उपरोक्त मार्ग में 650 मीटर पर निजी आराजी होने तथा भू-अर्जन की स्वीकृति न होने के कारण एवं मान्नीय न्यायालय द्वारा स्टे दिये जाने से 650 मीटर में तत्कालीन मार्ग निर्माण नहीं हो सका था। वर्तमान में अब शिकायतकर्ता के द्वारा मार्ग निर्माण की मांग की जा रही है। वर्तमान में उक्त मार्ग निर्माण की कोई स्वीकृति विभाग को प्राप्त नहीं है। मार्ग निर्माण की स्वीकृति शासन स्तर से संबंधित है। शिकायतकर्ता को जानकारी दे दी गई है। अतः शिकायत विलोपन योग्य है।
एक करोड़ 36 लाख 85 हज़ार कहाँ गए?
जिस प्रकार से उपरोक्त शिकायत में देखा जा सकता है की पीडब्ल्यूडी के कर्यपालन यंत्री द्वारा निराकरण में यह स्वीकार किया गया की 1 करोड़ 36 लाख और 85 हज़ार रुपये की स्वीकृत हुई थी लेकिन विवादित 650 मीटर दिवाकर सिंह ग्राम नीबी की जमीन का भूअर्जन न हो पाने के चलते सड़क निर्माण पूरा नही हो पाया.
यह बात तो ठीक है की 650 मीटर भूमि का भूअर्जन नही हो पाया पर क्या प्रशासन और पीडब्ल्यूडी विभाग यह बताएगा की 7 किमी और 200 मीटर स्वीकृत मार्ग में से यदि 650 मीटर विवादित मार्ग को हटा दिया जाए तो शेष उसका निर्माण क्यों नही किया गया? और मात्र इस सड़क के कुछ ही भाग में मात्र कुछ गिट्टी मोरम डालकर ही क्यों पीडब्ल्यूडी विभाग फुरसत हो गया।
सच्चाई यह की पीडब्ल्यूडी विभाग सब खा गए
खरहना और टिकुरी 37 ग्राम के ग्रामीण बताते हैं की सच्चाई यह है की यह राशि 2008 में मप्र शासन द्वारा स्वीकृत हुई थी जिसमे विवादित 650 मीटर के अतिरिक्त पीडब्ल्यूडी विभाग ने सड़क बनी हुई है इस प्रकार दर्शा कर अन्य सड़कों की भांति पूरी राशि हजम कर ली. और शायद यह भी जानकारी नही मिलती पर चूंकि ग्रामीण निरंतर परेशान होते रहे और आवाजें उठाई, सरकार भी इस बीच बदल गयी तो पीडब्ल्यूडी विभाग को जबाब देना पड़ा.
अब ग्रामीण चाहते हैं की पीडब्ल्यूडी बताये की आखिर 1 करोड़ 36 लाख और 85 हज़ार की स्वीकृत राशि आखिर गई तो गई कहाँ?
सड़क की जांच नही हुई तो ग्रामीण बैठेंगे आमरण अनशन पर, करेंगे कलेक्टर बंगले का घेराव
इस बीच दोनो ब्लॉकों गंगेव एवं जुड़े हुए नईगढ़ी ब्लॉक से मढ़ी खुर्द स्थित खरहना और टिकुरी 37 नईगढ़ी के ग्रामीणों ददन कुसवाहा, प्रमोद गौतम , अमृतलाल दुबे, शिवबालक यादव, लोकनाथ गौतम, भूतपूर्व सरपंच राघवशरण गौतम, रामनिहोर गौतम, तीरथ प्रसाद गौतम, सच्चीदानंद, जगदीश, रमेश गौतम आदि ने बताया की यदि इस सड़क घोटाले की विधिवत कमेटी बनाकर जांच कर पीडब्ल्यूडी से जुड़े भ्रष्टाचारी अधिकारियों और इंजीनियर के ऊपर रिकवरी की कार्यवाही नही होती तो सभी ग्रामीण कलेक्टर के बंगले का घेराव करेंगे और वहीं पर आमरण अनशन करेंगे।
सड़क है समाज का मानवाधिकार
वास्तव में यूएनएचआरसी, एनएचआरसी, एमपीएचआरसी के परिपेक्ष्य में देखा जाय तो बिजली पानी सड़क स्वास्थ्य और शिक्षा किसी भी लोकतांत्रिक देश की सिविल सोसाइटी की जनता के मूलभूत मानव अधिकारों में से एक हैं. अतः इन मानवाधिकारों की सुरक्षा करना किसी भी देश और प्रदेश की लोकतांत्रिक चुनी हुई सरकार का संवैधानिक दायित्व है।
आज भारत और इसके विभिन्न राज्यों में जिस प्रकार से आम और ग्रामीण जनता को इन सभी मूलभूत मानवाधिकारों से वंचित किया जा रहा है यह काफी विचारणीय मुद्दा है जिसे हरहाल में शासन सत्ता पर बैठी सरकारों को देखना पड़ेगा. आखिर उस माँ का क्या दोष जिसे बरसात में डिलीवरी हो जाए, कैसे जाएगी वह अस्पताल? आखिर उन बुजुर्गों का क्या दोष जिन्हें बरसात के समय बीमार होने पर एम्बुलेंस गांव तक नही पहुच सकती? आखिर उन स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों का क्या दोष जो कीचड़ में सनकर स्कूल जाते हैं?
आखिर आज 21 वीं सदी में जब की मॉनव चंद्रमा और मंगल एवं अंतरिक्ष में घर बनाने, पानी खोजने, रास्ता बनाने की सोच रहा है ऐसे में क्या इस धरती में इन मूलभूत मानवाधिकारों के लिए कोई जगह नही है? इससे बेहतर तो कह सकते हैं की स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व की स्थिति रही होगी जब जगह जगह ट्रांसपोर्टेशन के लिए रेल की पटरियों का ईजाद कर लिया गया था. आखिर स्वतंत्रता प्राप्ति के 7 दशकों के बाद भी यदि आमजन और ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की चलने योग्य सड़कें न बन पाएं तो भला इस लोकतंत्र के लिए उससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।
आखिर आज 21 वीं सदी में जब की मॉनव चंद्रमा और मंगल एवं अंतरिक्ष में घर बनाने, पानी खोजने, रास्ता बनाने की सोच रहा है ऐसे में क्या इस धरती में इन मूलभूत मानवाधिकारों के लिए कोई जगह नही है? इससे बेहतर तो कह सकते हैं की स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व की स्थिति रही होगी जब जगह जगह ट्रांसपोर्टेशन के लिए रेल की पटरियों का ईजाद कर लिया गया था. आखिर स्वतंत्रता प्राप्ति के 7 दशकों के बाद भी यदि आमजन और ग्रामीण क्षेत्रों में पक्की चलने योग्य सड़कें न बन पाएं तो भला इस लोकतंत्र के लिए उससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है।
उम्मीद है शासन प्रशासन जल्द ही पक्की सड़क बनवायेगा
यद्यपि मायूसी और लाचारी के बीच अभी भी खरहना और टिकुरी 37 के ग्रामीणों का मन टूटा नही है और उन्हें उम्मीद है की सरकार बदलने के साथ ही मप्र में शायद सड़क बनाने की प्रक्रिया में तेजी आये और उनके ग्राम में भी पक्की सड़क बन पाए. लोगों का मानना है की ग्रामीणों ने दिवाकर सिंह निवासी नीबी से भी निवेदन किया है और वह भी अब चाहते हैं की जो 650 मीटर रुकी हुई सड़क का भूअर्जन नही हुआ है वह अब हो जाए क्योंकि दिवाकर सिंह के परिवार के सदस्यों से बात करने पर यह पता चला की यह रास्ता दसकों से चल रहा है और इस सड़क के अधूरे पड़े रहने से उनकी फसल का भी नुकसान हो रहा है जिससे अब वह भी चाहते हैं की यह छूटी हुई 650 मीटर जमीन का भूअर्जन होकर पक्की सड़क बन जाए जिससे वह भी अपनी जमीन का सदुपयोग कर पाएं. क्योंकि कहीं न कहीं पक्की सड़क से जुड़ने के बाद उसी जमीन की कीमत भी कई गुना बढ़ जाती है.
संलग्न - दिनांक 14 दिसंबर 2019 दिन शनिवार की स्थिति में ओला और बारिश होने के बाद सड़क की कीचड़ से सनी हुई स्थिति.
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शिवानन्द द्विवेदी
1 comment:
one of the best example of bjp's 10 years good governance in mp
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