Monday, December 30, 2019

(MP News) काल बनकर आई ठंड ले रही गोवंशों की जान (मामला जिले और प्रदेश में गोवंशों की स्थिति पर जहाँ भीषण ठंड में अवैध बाड़ो में कैद मवेशी मर रहे बेमौत, किसान और गोवंश दोनो की स्थिति हुई दयनीय, 1000 गोशालाओं का सपना अभी भी अधूरा)

दिनांक 30 दिसंबर 2019, स्थान - रीवा मप्र

   प्रदेश में निर्माणाधीन 900 सरकारी गोशालाओं का कार्य पूरा न होने से गोवंशों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.
   जगह जगह बेसहारा मवेशी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं, अवैध बाड़ो में चारा पानी, छाया बिना दम तोड़ रहे हैं तो कहीं नहरों घाटियों और जलप्रपातों में जीवित ही झुंडों में फेंके जा रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे घोर कलयुग आ चुका है जब गोवंशों को पूरी तरह से समाज से बहिष्कृत किया जा चुका है. 

  खा रहे लाठी डंडे, कुल्हाड़ी से हो रहा स्वागत

   गोवंशों को यत्रतत्र क्रूरता का शिकार होना पड़ रहा है. अवैध बांडे तो आज आम बात हो चुके हैं, इसके साथ साथ गोवंशों को धारदार हथियारों से नुकसान पहुचाया जा रहा है. उनके पैरों और मुह जीभ को भी निर्दयी लोग तार से बांध देते हैं जिससे खानापानी न ले पाने के चलते मर जाते हैं. घाव में कीड़े पड़ जाते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. लाठी डंडे कुल्हाड़ी से पैर और शरीर में घाव कर दिया जाता है. यह वाकया आजकल आम हो चला है. ऐसा लगता है जैसे मानवता समाप्त हो चुकी है.

 जगह जगह हो रहे दुर्घटना का शिकार 

  मवेशी सड़कों में भी झुंड लगाकर बैठ जाते हैं जिससे आने जाने वाले वाहनों से टकराकर भी दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं. यह एक बड़ी समस्या है. अमूमन वाहनों की गर्मी और प्रकाश के चलते मवेशी सड़कों पर आ जाते हैं जिससे दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं.

  अवैध बाड़ो का लग गया अंबार

   फसल नुकसानी को बचाने के लिए किसान अवैध तरीके से बाड़ो का निर्माण करते हैं जहां न तो समुचित छाया की व्यवस्था होती है और न ही पानी भूषा की व्यवस्था, जिसके चलते मवेशी अवैध बाड़ो में मरने लगते हैं. यह एक बड़ी समस्या है जिसको देखने वाला कोई नही है. इन बाड़ो में ठंड के मौसम में सबसे अधिक तकलीफ का सामना करना पड़ता है क्योंकि न तो इनके खाने के लिए कुछ होता है और न ही छाया होती है.

  नहरों में फेंक रहे जीवित गोवंशों को

   बकिया बराज नहर और उसके आसपास के ग्रामों से लगे क्षेत्र में निर्दयी तत्व मवेशियों को लाकर नहरों में धकेल देते हैं जिसके कारण 40 से 50 फीट गहरी नहर से बाहर न आ पाने के कारण यह मवेशी झुंड में वहीं नहर के बीचोंबीच ठंड और भूंख से तड़प कर मर जाते हैं. रीवा के टीएचपी और चचाई पावर प्लांट में लगे छन्ने में प्रतिदिन ऐसे दर्जनों मृत मवेशियों को देखा जा सकता है.
  सरकार तो बस वादा करती है

   जहां तक गोवंशों के प्रति दया की बात है तो सरकार से दया की अपेक्षा करना ही बेमानी है क्योंकि आज दया होती तो शायद भारत विश्व के सबसे अग्रणी बीफ या गोमांश उत्पादक देशों की श्रेणी में नही होता. पर फिर भी यदि सरकार के वादे की बात करें तो कम से कम मप्र सरकार को तो 1000 गोशालाओं को पूर्ण कर ही देना चाहिए था मगर अब तक गोशालाओं का निर्माण कार्य अधर में लटके रहने के कारण हालात यह हैं की न तो किसान खुश है और न ही गोवंशों को राहत है. दोनो का ही जीवन संकट बरकरार है.
  गांव गांव बने गोशालाएं

   वास्तव में देखा जाए तो आज एक ब्लॉक में मात्र 3 या 4 गोशालाएं बनाने से कुछ खास नही होने वाला है क्योंकि जिस तरह से गोवंशों का झुंड बेसहारा गांव गांव घूम रहा है इससे साफ जाहिर है की यहाँ गांव गांव गोशालाएं बनाये जाने की आवश्यकता है.
  हर ब्लॉक में 12 अन्य गोशालाएं बनेगी

  अभी हाल ही में मप्र सरकार द्वारा पुनः एकबार हर एक ब्लॉक में 12 अन्य गोशालाएं खोले जाने सम्बन्धी प्रपोजल लांच किया गया है जिसमे संबंधित पंचायतों से जानकारी माँगी जा रही है. जिसके तहत हर एक ऐसी पंचायतों से ग्राम सभा का प्रस्ताव मंगवाया गया है और साथ में उन सभी पंचायतों से जमीन के कागजात भी चाहे गए हैं. बताया गया है की जिन पंचायतों को गोशालाएं चाहिए उन्हें कम से से 6 एकड़ जमीन देनी पड़ेगी.
  हिनौती गोशाला का काम अधूरा

   गंगेव ब्लॉक की हिनौती ग्राम पंचायत अन्तर्गत आने वाली गदही ग्राम की निर्माणाधीन 27 लाख और 62 हजार की लागत से बनाई जा रही गोशाला का कार्य अभी भी अधूरा है. दिनांक 30 दिसंबर 2019 की स्थिति में हिनौती गोशाला मात्र दीवाल स्तर तक ही पूर्ण हो पायी है. वहां पर उपस्थित रोजगार सहायक प्रकाश उपाध्याय ने बताया की 5 जनवरी 2020 को गोशाला का लोकार्पण किया जाना है इसके संबंध में अभी हाल ही में जिला पंचायत सीईओ अर्पित वर्मा द्वारा नईगढ़ी ब्लॉक में विजिट के दौरान सभी जनपद सीईओ को कारण बताओं नोटिस भी जारी की जा चुकी है. अब देखना यह होगा की कारण बताओ नोटिस का कोई प्रभाव पड़ता है की नही. ज्ञातव्य है कि पूरे जिले में प्रथम फेज में 33 गोशालाए बनाई जानी हैं जबकि पूरे प्रदेश में इनकी संख्या 900 के पार जानी है।
  संलग्न -  सड़कों और बाड़ो में अपनी मौत की बारी का इंतजार करते गोवंश.

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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587

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