Tuesday, December 31, 2019

(Rewa, MP) पूर्वा 310 में ठंड में ही बांध दिए गए गोवंश (मामला जिला रीवा के गंगेव जनपद अन्तर्गत आने वाले पूर्वा 310 ग्राम पंचायत का जिंसमे की सरपंच अजय गुप्ता के द्वारा पिछले वर्षों की भांति मवेशियों को खुले में बांधकर छोड़ दिया गया, यद्यपि यदाकदा पैरा डाला जाता है लेकिन पानी और छाया की व्यवस्था का बना है अभाव, मवेशी ठंड में दे रहे जान)

दिनांक 31 दिसंबर 2019, स्थान - रीवा मप्र

  जैसे ही आप नए ईसवी वर्ष 2020 के आगोश में समा रहे होंगे शायद ही आपको पता होगा की मांसाहारी समाज के लिए कितनो जीवों को इस जश्न के लिए बलि चढ़ाया जा रहा होगा. विश्व की 8 अरब को छूती आबादी में से मात्र 5 प्रतिशत से भी कम आबादी शुद्ध शाकाहारी हो सकती है इसमें से यद्यपि अन्य 10 प्रतिशत के आसपास की आबादी शायद बीफ यानी गोवंश और भैंस -भैसों की मांस न खाती हो फिर भी विश्व की 85 प्रतिशत के आसपास की आवादी अभी भी ऐसी हो सकती है जो बीफ का सेवन करती है.

एशिया समेत यूरोप अमेरिका अफ्रीका और अरब देश बीफ पर आश्रित

  बताते चलें की एशिया समेत विश्व के बड़े महाद्वीपों जैसे ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अरब देश और अफ्रीका यह सब देश ऐसे हैं जहां हिन्दू अथवा अन्य शाकाहारी भोजन को मान्यता देने वाले सम्प्रदाय के लोग कम ही रहते हैं. ऐसे में यहां पाए जाने वाले बहुतायत लोग बीफ अर्थात गोवंशों के मांस, बहिंसों के मांस और पोर्क अर्थात सुअर के मांस को खाना प्रेफर करते हैं. कारण यह अपनी संस्कृति बताते हैं और साथ में ठंडा क्लाइमेट का होना बताते हैं. लेकिंन सच्चाई यह है की इनकी संस्कृति ही पूरी इस प्रकार से मांसाहारी किश्म की है जो शायद ही पुराने सनातन धर्म को मानने वाले और जैन धर्म को मानने वालों को राश आये.

  गंगेव के पूर्वा 310 में भी सड़क के किनारे बांधा है गोवंशों को

   गंगेव निवासी सामाजिक कार्यकर्ता धीरेंद्र शेखर पांडेय द्वारा प्राप्त जानकारी से पता चला की गंगेव से पूर्व की तरफ देवतालाब की तरफ जाने वाली सड़क के किनारे पुरवा 310 ग्राम पंचायत सरपंच द्वारा पूर्व की भांति इस वर्ष भी बिना किसी समुचित व्यवस्था के ही सड़क के किनारे रस्सी में बांधकर पशुओं को छोड़ दिया गया है. किसी प्रकार की छाया की व्यवस्था न होने से हाड़ गला देने वाली ठंड में पशु तड़प कर जान दे रहे हैं. यद्यपि लोगों ने बताया की पशुओं को खाने के लिए धान के पैरे की व्यवस्था समय समय पर की जाती है जिससे उनको खाने के लिए कुछ मिल पा रहा है. लोगों ने माग की है की इन्हों ठंड से बचाव के लिए भी शेड की व्यवस्था की जाए साथ में इनको समय समय पर पीने के पानी की भी व्यवस्था की जाय. लोगों ने माग की है की जल्द से जल्द गोशालाओं का कार्य समाप्त कर इसमे पशुओं के लिए व्यवस्था की जाय.

  गोशालाओं का कार्य अभी भी अधूरा

  बता दें की मप्र शासन की तरफ से प्रदेश में बनाई जाने वाली 900 गोशालाओं का कार्य अभी भी पूरा नही होने के चलते जगह जगह पशु क्रूरता का शिकार हो रहे हैं.
   इस विषय में बता दें की किसानों और पशु पलकों द्वारा बेसहारा छोड़ दिए गए गोवंशों को कोई ठिकाना नही मिलने से यह बेसहारा पशु जब भ्रमण करते हुए चारा पानी की तलास में खेतों में पहुचते हैं तो किसानों की खड़ी फसल को नुकासन पहुचा देते हैं जिससे क्रोधित होकर यह किसान न आव देखते न ताव बस झुंड के झुंड मवेशियों को पकड़कर तार की बाड़ियों में कैद कर देते हैं जिंसमे न तो समुचित छाया की व्यवस्था होती है और न ही चारा पैरा और पानी की व्यवस्था जिससे पशु तड़प कर जान दे देते हैं. 
  किसानों और गोवंशों दोनो का जीवन संकट

    इस प्रकार की पशु क्रूरता की घटनाएं आमतौर पर फसल के सीजन में ज्यादा देखने को मिल रही है. अब जब इस समय किसानों ने गेहूं और अन्य फसलों की बोवनी की हुई है वह उसको रात रात भर ठंड में सींचकर उगा रहे हैं ऐसे में स्वाभाविक है की जब यह बेसहारा गोवंश खेतों को नुकसान पहुचाते हैं तो किसान को गुस्सा आ जाता है. गुस्से में किसान अनर्थ कर डालते हैं. आज इसके लिए यदि कोई सबसे अधिक जिम्मेदार है तो वह हैं पशुपालक. क्योंकि पशुपालक गॉयों को तब तक रखते हैं जब तक वह दूध दे रही होती हैं और जैसे ही गायें दूध देना बन्द कीं अथवा उनके बछड़े पैदा हुए वैसे ही वह उन्हें छोड़कर फुरसत हो जाते हैं जिसका खामियाजा किसानों को बेसहारा पशुओं को भुगतना पड़ रहा है.

 हर जनपदों में बनेगी अतिरिक्त 12 गोशालाएं

   बता दें की मध्य प्रदेश के हर जनपद में इन 900 गोशालाओं के अतिरिक्त भी अन्य 12 नयी गोशालाओं को बनाये जाने का प्रावधान बन चुका है जिसके सिलसिले में पशु चिकित्सा विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार सभी ऐसी ग्राम पंचायतों को चिन्हित कर उनसे जानकारी माँगी जा रही है. इस जानकारी में ग्राम सभा का प्रस्ताव, सरकारी 6 एकड़ की खाली पड़ी जमीन प्रमुख है. यह जानकारी संबंधित ब्लॉक सीईओ के माध्यम से पशु चिकित्सा विभाग को प्रेषित किया जाना है जहां इसका निर्धारण होगा की किन 12 पंचायतों का चयन किया जाय. यद्यपि पशु चिकित्सा विभाग द्वारा यह भी जानकारी मिली है की अब सरकार हर ग्राम पंचायत से यह जानकारी माग रही है जिससे भविष्य में ऐसी समस्त ग्राम पंचायतों को इन कार्ययोजना में सम्मिलित किया जा सके. अब देखना यह होगा की पहले प्रथम चरण में निर्माणाधीन 900 गोशालाएं कब तक पूर्ण हो पाती हैं.
  संलग्न  - कृपया संलग्न देखने का कष्ट करें खुले में रखे हुए मवेशी जो बिना किसी समुचित व्यवस्था के ही हैं.

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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता 
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587

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