दिनाँक 21 दिसंबर 2019, स्थान - गढ़/कोट/भठवा, रीवा मप्र
खरीफ धान की खरीदी के साथ ही खरीदी केंद्रों में धांधली और अव्यवस्था भी फैल चुकी है. आर्द्रता और कंडों रोग के नाम पर किसानों को जमकर लूटा जा रहा है. किसान आवाज उठा रहे हैं लेकिन कोई अधिकारी सुनने को तैयार नही है.
आर्द्रता बताकर ले रहे ज्यादा धान
जब किसान खरीदी केंद्रों पर जाते हैं तो उन्हें बताया जाता की है की आपकी धान अभी गीली है अतः आपको ज्यादा देनी पड़ेगी. किसानों का कहना है की हमारी धान 15 से 18 के बीच में आर्द्रता टेस्ट में रहती है. 95 प्रतिशत धान 17 पॉइंट आर्द्रता के भीतर रहती है फिर भी उनसे बोरी और बारदाना की वजन के नाम पर ज्यादा धान ली जा रही है. बताया गया की एक बोरी में मात्र 40 किलो और 600 ग्राम भरे जाने का प्रावधान है जबकि इसका भराव ज्यादा किया जा रहा है. कई किसानों ने बताया की उनसे 41 से 42 किलो के बीच में धान ली जा रही है.
सैंपल के नाम पर हिनौती समिति में चल रही लुटाई
गंगेव ब्लॉक अन्तर्गत आने वाले हिनौती ए और बी दोनो ही खरीदी केंद्रों में सैंपल लिए जा रहे हैं. खरीदी केंद्र प्रबंधक राजेन्द्र सिंह एवं वर्कर कोटेदारों द्वारा बताया गया की यह सैंपल तीन भागों में में रखा जाता है. जबकि खाद्य विभाग में फ़ूड कंट्रोलर राजेन्द्र सिंह ठाकुर और गंगेव फ़ूड इंस्पेक्टर गौरी मिश्रा से पूंछने पर पता चला की सैंपल जैसी कोई बात नही है. सैंपल लेकर उसकी आर्द्रता देखी जाती है और इसके बाद उसे किसान को वापस कर दिया जाता है. जबकि हिनौती खरीदी केंद्रों में पॉलीथिन में प्रति किसान तीन किलो धान लेकर पता नही कहां रखा जाता है. कुछ लोगों ने बताया की सैंपल वैम्पल कुछ नही रहता है रात के अंधेरे में एकत्रित की गई धान को बोरी में भरकर किसी चमचे वाले किसान के खाते में डाल दिया जाता है जिससे किसानों को पता भी नही चल पाता कि क्या घालमेल है. वैसे यह कोई नई प्रथा नही है और पुराना पैसा कमाने का जरिया है सब.
कोटेदार यहां भी किसानों को नही बख्शते
बताया गया की जिले के ज्यादातर खरीदी केंद्र कोटेदारों के हवाले रहता है. यही कोटेदार खरीदी में समिति प्रबंधकों की मदद करते हैं. सामान्यतया नपाई तुलाई में जो सिस्टम इनका कोटों में रहता है वही खरीदी केंद्रों में भी रहता है. यहां भी कांटों के माध्यम से भी किसानों की लूट हो रही है. किसान यदि बोलते हैं तो उनकी धान को वापस कर देने और पैसे रोकने की धमकी दी जाती है. किसानों ने इसकी सख्त जांच की माग की है.
प्रासंगिक व्यय के नाम पर भी लूट
मात्र नपाई तुलाई तक ही बात नही रह जाती. यदि देखा जाय तो लुटाई काफी आगे तक है. बता दें की प्रत्येक खरीदी केंद्रों को बारदाने की सिलाई, ढुलाई, एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने लेबर चार्ज, किसानों को छाया उपलब्ध कराने, जनरेटर, शेड, बिजली पानी की व्यवस्था करने, उचित रेट पर भोजन चाय की व्यवस्था करने आदि के लिए प्रासंगिक व्यय के नाम से राशि प्रत्येक समिति के खरीदी केंद्रों में सरकार द्वारा भेजी जाती है जो लाखों में होती है लेकिन उसका कोई उपयोग नही किया जाता सब समिति प्रबंधक और खरीदी केंद्र प्रबंधक अपने पास रखकर हजम कर लेता है जिसकी जांच की माग भी किसानों ने की है.
किसानों से प्रति बोरी 5 से 10 रुपये एक्स्ट्रा
बात यहीं आकर नही रुकती बताया गया की जब किसान ट्रेक्टर में धान लेकर खरीदी केंद्रों पर जाते हैं तो उनको बताया जाता है की या की खुद तौल कराओ नही तो एक्स्ट्रा 5 से लेकर 10 रुपये प्रति बोरी तक चार्ज दो. किसान यदि यह राशि देने से मना करता है तब उसकी धान वापस कर दी जाती है. जबकि इस विषय में जब खाद्य विभाग से जानकारी चाही गई तो खाद्य नियंत्रक राजेन्द्र सिंह ठाकुर द्वारा बताया गया की ऐसी कोई राशि किसानों को देने की जरूरत नही है. क्योंकि किसान से कोई राशि वसूली नही जाएगी और जहां भी ऐसा हो रहा है वह गलत है. तुलावटी और नापतोल करने वाले लेबरों को पहले से ही खरीदी केंद्रों द्वारा सरकार के व्यय से राशि दी जाती है.
खरीदी केंद्रों पर डंप पड़ी है धान, उठाव नही
बता दें कुछ खरीदी केंद्रों में अभी भी दर्जनों ट्रक धान डंप पड़ी हुई है जिसकी खरीदी के बाद उठाव नही हो पाया है. वैसे भी मौसम काफी खराब चल रहा है ऐसे में पता नही कब इंद्र देव का मूड बिगड़ जाए और किसानों से 17 की आर्द्रता की कहकर खरीदी गई धान 50 पॉइंट की आर्द्रता हो जाए.
धान सड़ाने और भींगाने से प्रबंधकों को होता है लाभ
बता दें की धान सड़ाने का भी एक फंडा होता है. जानकार सूत्रों ने बताया की जब धान खरीदी 17 और उसके नीचे की आर्द्रता में की जाती है तब उसमे ज्यादा मात्रा चढ़ती है पर जैसे ही शीत अथवा पानी गिरने से धान भीग जाएगी तो स्वाभाविक रूप से उसकी आर्द्रता बढ़ने से धान कम मात्रा में तौल होगी जिससे समिति प्रबंधक बोरियों से धान निकाल लेंगे और उनको उसी धान का भी फायदा हो जाएगा.
पूरा सिस्टम लगा है काले धंधे में
यदि सूत्रों की माने तो इस धंधे में नीचे से लेकर ऊपर तक के लोग लगे हुए हैं. यह कार्य मात्र समिति प्रबंधक अथवा खरीदी केंद्रों का मुखिया बस नही करता है बल्कि इसमे फ़ूड और नागरिक आपूर्ति निगम से लेकर सहकारिता विभाग तक के कर्मचारी अधिकारी मिले हुए रहते हैं.
जब इसकी शिकायत की जाती है तो जांच के नाम पर मात्र खानापूर्ति होती है. नियमतः जब धान खरीदी हो तो उसी रात इसका उठाव भी सुनिश्चित हो जाए. यदि किसी कारण बस उठाव नही भी हो पाया तो उस रात धान को ढकने और शीत पानी से बचाने के उचित प्रबंध करने चाहिए लेकिन ऐसा कुछ होता नही है और किसानों से उच्च गुणवत्ता बताकर खरीदी गई धान निम्न गुणवत्ता में नॉन को भेजी जाती है.
संलग्न - कृपया संलग्न खरीदी केंद्रों की फ़ोटो देखें जहां पर धान खरीदी के नाम पर धांधली चल रही है. किसान परेशान हैं लेकिन कोई सुनने वाला नही.
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शिवानन्द द्विवेदी
समाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587
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