दिनांक 20 दिसंबर 2019, स्थान - कटरा/नईगढ़ी, रीवा मप्र
जिले एवं प्रदेश में सरकार द्वारा बनाई जा रही गोशालाओं के निर्माण में देरी होने के एक बार फिर गोवंशों का जीवन संकट बना हुआ है.
यद्यपि मप्र की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी एजेंडे में बेसहारा गोवंशों और फसल नुकसानी बचाने के लिए 1000 गोशालाएं बनाए जाने के दावे किये थे लेकिन आज साल भर बाद भी इस को जमीनी स्तर पर पूरा नही किया गया लिहाजा गोवंशों और किसानों दोनो की दुर्दशा बनी हुई है.
पुरानी गोशालाएं बनी नहीं, आ गए नए प्रपोजल
अभी हाल ही में रीवा जिले में 33 गोशालाएं और पूरे प्रदेश में लगभग 900 गोशालाएं खोले जाने के लिए कार्ययोजना बनाई गई थी और यह कार्य मनरेगा योजना द्वारा किया जाना था जिसके बाद कार्य तो प्रारम्भ हुआ लेकिन पूरा न हो सका. अभी रीवा में 33 में से मात्र 2 ही गोशालाओं का लोकार्पण हो पाया है जबकि विदित हो की तत्कालीन रीवा कलेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा इन्हें 30 नवंबर तक पूरे करने के निर्देश दिए गए थे.
जहां 28 सामान्य और 3 वृहद गोशालाएं अभी भी पूरी नही हो पायी हैं शासन प्रशासन से प्राप्त जानकारी से पता चला है की सरकार सभी पंचायतें जिनके पास की सरकारी 6 एकड़ तक का भूभाग है उनसे प्रपोजल मंगाया जा रहा है.
रीवा जिले के प्रत्येक ब्लॉक में बननी हैं अन्य 12 गोशालाएं
इसके अतिरिक्त रीवा जिले के प्रत्येक ब्लॉक में 12 अतिरिक्त गोशालाओं का प्रपोजल मागा गया है जिनके लिए प्रत्येक जनपद पंचायत सीईओ को इस कार्य के लिए बोला गया है साथ ही संबंधित वेटेरिनरी विभाग के वीईओ को डेटा और प्रपोजल कलेक्ट करके शासन तक पहुचाने का जिम्मा दिया गया है.
बतौर वेटेरिनरी एक्सटेंशन अफसर गंगेव एसके पांडेय एवं वीईओ त्योंथर पी के मिश्रा उन्होंने अपने अपने ब्लॉक में सीईओ और सरपंचों से गोशाला का प्रपोजल कलेक्ट कर शासन तक पहचाने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है. इस प्रपोजल में बताया गया है कि पंचायत के पास कम से कम 6 एकड़ की सरकारी जमीन होनी अनिवार्य है साथ ही उस जमीन का नक्सा, खसरा एवं बी1 ग्रामसभा के प्रस्ताव के साथ देना अनिवार्य है।
पनगड़ी में बनेगी 1 करोड़ लागत की गोशाला
जिले के गंगेव ब्लॉक एवं सिरमौर तहसील अन्तर्गत आने वाले पनगड़ी कला पंचायत में लगभग 60 एकड़ के सरकारी भूभाग में एक करोड़ रुपये की लागत से गोशाला निर्माण किये जाने का प्रावधान है जिसके लिए प्राप्त जानकारी अनुसार टेंडर प्रक्रिया भी चल रही है. बताया जा रहा है की जिले एवं प्रदेश की वृहद किश्म की बनाई जा रही कुछ गोशालाएं टेंडर प्रक्रिया से बनाई जाएंगी न की मनरेगा योजना द्वारा. ज्ञातव्य हो की सामान्य गोशालाएं जिनका प्रत्येक का टीएस 27 लाख 62 हज़ार का हुआ है यह सभी गोशालाएं मनरेगा और पंचायत द्वारा बनाई जा रही है.
गोवंश प्रताड़ना पर हाईकोर्ट की नोटिस का नही दिया जबाब
सूत्रों से जानकारी मिली है की सामाजिक कार्यकर्ता एवं गोवंश के अधिकारों के लिए लड़ने वाले शिवानन्द द्विवेदी द्वारा अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा के माध्यम से हाई कोर्ट जबलपुर में लगाई गई जनहित याचिका का जबाब अभी भी कई संबंधित विभागों ने नही दिया है. पशु चिकित्सा विभाग को हाईकोर्ट की नोटिस जारी हुई थी जिसमे जिले और प्रदेश में अवैध बाड़ों और घाटियों जलप्रपातों में हो रही पशु क्रूरता के विषय में जबाब देना था लेकिन अभी तक कई नोटिस जारी करने के बाबजूद भी इन विभागों ने कोर्ट के समक्ष जबाब प्रस्तुत नही किया है.
अभी भी नही रुक रही पशु क्रूरता
वैसे जिले एवं प्रदेश में पशु क्रूरता रुकने का नाम नही ले रही है. जहां तहां अवैध बाड़ों में कैद गोवंश अपने जीवन की अंतिम सांसें गिन रहे हैं. लोग अवैध बांडे तो बना देते हैं लेकिन इस भीषण ठंड में उनके लिए कोई समुचित व्यवस्था नही करते हैं जिससे उनका जीवन संकट बना हुआ है.
जिले की शायद ही कोई ऐसी पंचायत हो जहां बिना किसी समुचित व्यवस्था, बिना शेड के अवैध किश्म के बाड़े न बने हों. इन बाड़ों में मवेशी ठंड में तड़प कर मर रहे हैं लेकिन कोई देखने वाला नही है.
बाड़ा बनाने किसान बताते हैं मजबूरी
इसके दूसरे पहलू पर नजर डालें तो उधर से भी बड़ी दुखद और भयानक स्थिति नजर आती है. किसानों और पशुपॉलकों द्वारा गांव गांव में बेसहारा छोड़ दिए गए मवेशियों की स्थिति यह है की जब इनको भूख प्यास लगती है तब यह मवेशी किसी न किसी किसान की हरी भरी फसल को देखकर टूट पड़ते हैं और चट कर जाते हैं. स्वाभाविक है सैकड़ों भूखे प्यासे मवेशी जिस किसी भी खेत में पड़ेंगे तो नुकसान पहुचाना तो निश्चित ही है. ऐसे में मौसम और सरकार की मार झेल रहे किसान भी न आव देखते हैं न ताव बस मवेशियों को समेटा और ठूस दिया कटीले तारों से बनाये अवैध बाड़ों में जहां स्वाभाविक तौर पर बिना किसी समुचित व्यवस्था में ठंड में भूख प्यास से घुट घुट कर यह सब काल के गाल समा जाते हैं.
पशु क्रूरता है कानूनन अपराध, है दंड का प्रावधान
बता दें की पशु क्रूरता करना अपराध की श्रेणी में आता है. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 एवं 429 के तहत यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार से किसी भी पशु को नुकसान पहचाने के उद्देश्य से उसे मारता पीटता है अथवा उसका अंग प्रत्यंग बांधता है या तोड़ता है तो उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करके कार्यवाही होगी. इसी प्रकार मप्र के प्रावधानों के अनुसार मप्र गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम के तहत गोवंशों जिसमे की बैल भी सम्मिलित हैं यदि उनका वध किया जाता है तब इसके लिए अर्थदंड के साथ साथ अधिकतम 10 वर्ष के कारावास का भी प्रावधान है.
इसके साथ भारतीय दंड विधान में पशु अतिचार निवारण अधिनियम एवं पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के तहत भी यह अपराध की श्रेणी में आता है जिंसमे हैवी जुर्माना के साथ साथ जेल तक का प्रावधान है.
संलग्न - कृपया बाड़ों में कैद बेजुबान मवेशियों को देखने का कष्ट करें.
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शिवानन्द द्विवेदी
सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता
जिला रीवा मप्र, मोबाइल 9589152587
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