Thursday, January 12, 2017

(Rewa, MP) जनहित के प्रयास को मिली सफलता - रीवा के सैकड़ों ग्रामों के लिए नहर परियोजना स्वीकृत, मानवाधिकार आयोग भोपाल एवं जल संसाधन विभाग रीवा का पत्र


Dated 13/01/2017,
Rewa Madhya Pradesh, INDIA.
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जनहित के प्रयास को मिली सफलता - रीवा के सैकड़ों ग्रामों के लिए नहर परियोजना स्वीकृत: मानवाधिकार आयोग भोपाल एवं जल संसाधन विभाग रीवा का पत्र


(गढ़, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) वर्ष 2014-15 के दौरान जब देश में भीषण सूखा-अकाल की स्थिति बनी तो मानव से लेकर जीव जंतु तक त्राहि-त्राहि करने लगे. पेंड-पौधे खड़े-खड़े सूखने लगे. ऐसा लगा जैसे महाकाल इस कलयुग में जल्दी ही प्रलय लाना चाह रहे हैं. पर स्थिति सुधरी और अगले वर्ष ही 2016 में खरीफ के दौरान अच्छी बारिश हुई और यहाँ तक की कई जगहों में बारिश से तो पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड भी टूट गए.
वहरहाल जब अकाल पड़ा तो मात्र एक ही शब्द हर दिशा में गूंजमान था और वह था पानी-पानी. अब यह पानी कहाँ से आता क्योंकि जलवृष्टि तो नहीं ही हुई साथ ही नदी, नाले, हैंडपंप, बोरेवेल, तालाब, पोखार कूप सब सूखने लगे. ऐसे में रहीम दास जी का बस वह एक दोहा बहुत याद आ रहा होगा जिसमे कहते हैं – “रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून”. जी हाँ यदि पानी नहीं है तो कुछ नहीं है. चाहे वह मनुष्य का पानी (मान-सम्मान) हो, चाहे मोती की चमक बरक़रार रखने वाला पानी हो अथवा चूना में डाल कर उसे जगाने वाला पानी हो अथवा फिर जीवन रक्षक पानी हो. शब्द जलवायु में दो शब्द आते हैं एक जल और दूसरा वायु. यह वातावरण अर्थात जलवायु जल और वायु से ही मिलकर बना है. और यही जल और वायु सभी जीव जंतुओं, मानव, पेंड़-पौधों के जीवन के लिए आवश्यक है. आज जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उसका खामियाजा ही है की कहीं ज्यादा गर्मी कहीं ज्यादा ठंडी और कहीं सूखा तो कहीं अकाल. यह सब जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की वजह से ही हो रहा है पर आह! यह मानव है की समझने का नाम नहीं ले रहा है.

सामाजिक कार्यकर्ता का जनहित की दृष्टि से प्रयाश सैकड़ों ग्रामों को मिली नहर

सबसे पहले तो धन्यवाद के पात्र हैं मप्र मानवाधिकार आयोग भोपाल जिनके समक्ष रखे जनहित के प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने सतत रूप से जल संसाधन विभाग मप्र को नोटिस जारी की जिसके फलस्वरूप नहर परियोजना के कार्य में तेजी आई और अंततः अधीक्षण यंत्री श्री आर.एस. शर्मा के कार्यालय अधीक्षण यंत्री बाणसागर नहर मण्डल रीवा (मप्र ) का पत्र पृष्ठ क्र. 7493, एल.सी.सी./430/2016-17रीवा दिनांक 09/12/2016 प्राप्त हुआ जिसमे माननीय मानवाधिकार आयोग मप्र भोपाल के पत्र क्र. 30151/मा.आ.अ./रीवा-4199/16/2211/भोपाल दिनांक 16.11.2016 एवं पत्र क्र. 31441/मा.आ.अ./रीवा-4199/16/2012/भोपाल दिनांक 28.11.2016 का सन्दर्भ दिया गया और बताया गया की मनगवां तहसील के इटहा हल्का नं. 2, त्योंथर तहसील के जमुई हल्का नं. 31 और सिरमौर तहसील के हिनौती हल्का नं. 39 और इन हलकों के आसपास के अन्य कई हलकों के वास्ते आसपास के सैकड़ों ग्रामों के लिए वर्ष 2017-18तक उद्वहन या दबाब पद्धति द्वारा नहर पंहुच जाएगी और सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति हो चुकी है (कृपया देखें संलग्न प्रपत्र की फोटो).

सामाजिक एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा मप्र मावाधिकार आयोग सहित जल संसाधन विभाग भोपाल, पीएमओ नई दिल्ली समेत कई फोरम में लगाई गई थी याचिका 

वर्ष 2014-15 का भीषण सूखा-अकाल देखते हुए पानी की भीषण समस्या को कई सरकारी फोरम/विभाग में रखा गया था जिसमे मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल, श्री राधेश्याम जुलानिया जल संसाधन विभाग भोपाल, पीएमओ नई दिल्ली, समेत सीजी नेट स्वर मुख्य थे. अन्य विभागों द्वारा क्या संज्ञान लिया गया यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया क्योंकि याचिकाकर्ता  को अन्य विभागों द्वारा कोई जानकारी लिखित में उपलब्ध नहीं कराई गयी पर अभी हाल ही में पिछले वर्ष 2016 के दिसम्बर में एक संलग्न-प्रपत्र जल संसाधन विभाग के संभागीय कार्यालय रीवा से प्राप्त हुआ जिसमे मानवाधिकार कार्यकर्ता द्वारा मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल के समक्ष प्रेषित की गयी याचिका को आधार बनाकर श्रीमान अध्यक्ष महोदय मप्र राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल के कई पत्र जो की दिनांक 16.11.2016 एवं 28.11.2016को मानवाधिकार आयोग द्वारा जल संसाधन विभाग रीवा को संलग्न-पत्र में भेजा बताया गया है द्वारा सतत प्रयास किया गया जिसके फलस्वरूप व्यापक जनहित से सम्बंधित और मानवाधिकारों में से एक पानी की समस्या का निराकरण सैकड़ों ग्रामों के लिए कर दिया गया है. निश्चित रूप से इस कार्य के लिए बंधाई के पात्र तो सभी सम्बंधित विभाग हैं पर सबसे ज्यादा यदि कोई है तो वह हैं मप्र. राज्य मानवाधिकार आयोग भोपाल जिन्होंने इस प्रकरण की गंभीरता को लेते हुए सतत रूप से जल संसाधन विभाग को नोटिसें जारी कीं जिसके फलस्वरूप कार्य में अत्यधिक तेज़ी आयी.
इस प्रकार इस उद्वहन पद्धति की सिंचाई परियोजना से कैथा, पडुआ, इटहा, अमिलिया अकलसी, अगडाल, लौरी, बांस, करहिया, मिसिरा, हिनौती, सेदहा, बम्हनी, बड़ीयोर, डाढ, जमुई, दुवगमा, कांकर, नेवरिया, सर्रा, लोटनी, कठमना, मदरी, हीरूडीह, बरहट, देउर, कटरा, कलवारी, चियार, क्योटा, भठवा, पनगड़ी, पताई, सहित सैकड़ों ग्रामों को इससे लाभ मिलेगा. इस सिचाई परियोजना से निश्चित रूप से क्षेत्र में हरित क्रांति आ जायेगी और मानव से लेकर जीव-जंतु पेंड़-पौधे सभी को राहत मिलेगी और क्षेत्र का जलस्तर में भी सुधार होगा जिससे कम वृष्टि अथवा सूखा की स्थिति में जमीन का जलस्तर बना रखने में काफी मदद मिलेगी.                 

संलग्न – 1) अधीक्षण यंत्री श्री आर.एस. शर्मा के कार्यालय अधीक्षण यंत्री बाणसागर नहर मण्डल रीवा (मप्र ) का पत्र पृष्ठ क्र. 7493, एल.सी.सी./430/2016-17रीवा दिनांक 09/12/2016. 2) मानवाधिकार कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा श्रीमान अध्यक्ष महोदय समेत कई विभागों को भेजे गए पत्र की प्रतिलिपि भी संलग्न है.


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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
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