हिनौती के पास बने अवैध बाड़े में एकसाथ फिर मरीं दर्ज़न भर गायें
(गढ़, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) सुबह यूँ तो सैर के लिए कई लोग जाते हैं पर कभी कुछ उद्येश्य लेकर चलने में दोनों कार्य सफल हो सकते हैं. एक तो सैर का आनन्द मिलता है दूसरा अन्य कार्य भी लगे हाथ हो जाता है. पर कुछ कार्य ऐसे होते हैं जहाँ आनंद तो कम और दुःख-दर्द ज्यादा महसूस होता है.
मामला है गंगेव ब्लाक अंतर्गत आने वाली हिनौती ग्राम पंचायत का जहाँ ग्राम हिनौती के पास कैथा मोड़ में पाण्डेय ढाबा के पास बनाये गए अवैध बाड़े में दिनांक 07 फरवरी की सुबह लगभग सात बजे बाड़े में एकसाथ दर्जन भर गौवंश मृत पाए गए जिसका की घटना स्थल पर पहुच कर विडियो और फोटो भी लिया गया जो की संलग्न है. मामला पूरा दिल दहला देने वाला था जिसमे चार छोटे बछड़े तो एकसाथ मौत के घाट उतर गए. यह स्पस्ट नहीं हो पाया की बछड़ों की मौत किस कारण से हुई. क्योंकि एकसाथ इतने अधिक गौवंशों का मरना स्वाभाविक रूप से संदेह प्रकट कर्ता है. कुछ लोगों का तो यहाँ तक कहना है की इन्हें यूरिया अथवा दूसरे पेस्टिसाइड देकर मारा जा रहा है.
घटना की जानकारी गढ़ थाना प्रभारी बी आर सिंह सहित डायल 100 को
उक्त गौवंशों के मरने की जानकारी पुनः एक बार गढ़ थाना प्रभारी बी आर सिंह को दे दी गयी. साथ ही घटना को मध्य प्रदेश शासन की डायल 100 सेवा एवं आपातकाल पुलिश व्यवस्था को भी दे दी गयी परन्तु दोनों ही जगहों से आश्वाशन के अतिरिक्त कुछ नहीं हुआ. गौवंश प्रताड़ना सम्बन्धी घटना की डायल 100 में सूचना क्र. P17038001580 है जो की दिनांक 07 फरवरी को सुबह 07:32:30 बजे दर्ज कराई गयी है. थाने वालों के लिए तो यह आम बात हो गयी है. चाहे कोई कितना भी डायल 100 में कंप्लेंट करे कोई फर्क नहीं पड़ता साथ ही गढ़ थाना प्रभारी भी गौवंशों वाले मामले में अपना हाँथ सकेलते ही नज़र आये. क्योंकि अब तक जितने भी पशु क्रूरता के प्रकरण सामने आये हैं उन सबमे कोई विशेष कार्यवाही दोषिओं के ऊपर नहीं हो पाई है. जबकि देखा जाए तो आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा स्वयं ही इस प्रकरण में कई लिखित आवेदन प्रस्तुत किये जा चुके हैं. यद्यपि इनमे क्या कार्यवाही हुई इस पर आर टी आई लगाना बांकी है.
मप्र एवं भारत के पशु सुरक्षा और पशु क्रूरता सम्बन्धी सभी अधिनियम धराशायी
कहने को तो पशुओं और गौवंशों की सुरक्षा के लिए इतने कानून बने हैं पर देखना होगा की उन नियमों का पालन क्या कहीं भी पूरे मप्र में सही तरीके से हो पा रहा है. मप्र में विशेष तौर पर गौवंश प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक वर्ष 2010/12 में पारित किया गया जिसमे गौवंशों के वध पर और प्रताड़ना पर पांच हज़ार तक का जुर्माना और अधिकतम सात साल के कैद का प्रावधान है और यह अपराध संज्ञेय भी है साथ ही आरोपी को अपने आप को दोषमुक्त सिद्ध करना पड़ेगा ऐसा प्रावधान है. इसी प्रकार पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 के अंतर्गत भी कई प्रावधान हैं जिन्हें यदि कड़ाई से लगाया जाये तो पशुओं और गौवंशों के विरुद्ध अत्याचार और क्रूरता काफी हद तक बंद की जा सकती है. भारतीय दंड संहिता की धारा 428 एवं 429 के अंतर्गत भी पशुओं के विरुद्ध क्रूरता पर एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही करने का प्रावधान है.
गौवंशों और बेजुबान पशुओं के साथ क्रूरता मानवीय संवेदनाओं के अंत का द्योतक
यह भारतीय संस्कृति का दुर्भाग्य है की आज मात्र गौवंशों और पशुओं की सुरक्षा के लिए भी राजनीति की जा रही है. अब कम से कम आम जनता के समक्ष यह बात भली-भांति स्पष्ट हो जाएगी की क्या यह राजनीतिक पार्टियाँ मात्र मानवीय संवेदनायों को आधार बनाकर ही तो राजनीतिक लाभ ले रही हैं. न ही इन्हें गौवंशों की सुरक्षा से कोई लेना देना है और न ही आम किसान और आम जनता से.
यह बात सत्य है की आवारा पशुओं से आज हर एक किसान और कास्तकार त्रस्त है परेशान है पर प्रश्न यह भी है की क्या आवारा पशुओं और गौवंशों को अवैध रूप से बनाये गए बिना किसी उचित व्यवस्था के बांडो में चारा, पानी, भूसा, छत बिना कड़ाके की ठण्ड में तड़पने मरने के लिए छोंड देने से किसानों की समस्या का समाधान हो जायेगा? किसान यह कैसे भूल सकता है की यही गौवंश हैं जिनके दूध, दही, घी, और दुग्ध उत्पाद खा पीकर वह पला बढ़ा है और उसके बाल बच्चे इन्ही गौवंशों के दुग्ध उत्पाद से पल बढ़ रहे हैं. क्या हर सुबह जब हम एक कप चाय पीते हैं तो इस बात का एहसास नहीं करते की इस चाय में डाला गया दूध किसी
दुधारू पशु से ही प्राप्त हुआ होगा?
आखिर इन गौधनों की इतनी बड़ी दुर्दशा क्यों? क्या यही हमारे ग्रामीण किसान भाई हर एक ग्राम पंचायत में स्वयमेव ऐसी व्यवस्था नहीं बना सकते कि एक-दो पशु सभी लोग अपने घरों में बाँध लें और अन्य पशुओं की तरह ही इनकी भी व्यवस्था बना लें?
पशु और गौवंश न होने पर प्राकृतिक पर्यावरण पर पड़ेगा प्रतिकूल असर
आज अज्ञानता अथवा हेकड़ी बस भले ही किसानों और भारतीयों को यह बात समझ न आ रही हो पर यह बात तय है की यदि गौवंश और पशुधन न रहेंगे तो पूरी भूमि बंजर हो जाएगी. प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जायेगा. उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. शांस लेने के लिए हवा न मिलेगी और पीने के लिये पानी नहीं होगा. ऐसा समय आयेगा की मानवता एक-एक दाने के लिए तरस जाएगी. क्योंकि आज विज्ञान भी इस बात को मान रहा है की रासायनिक खादों के हो रहे निरंतर प्रयोग से भूमि की उपजाऊ शक्ति कमजोर पड़ रही है जिससे हर वर्ष भूमि में पिछले वर्षों की तुलना में अधिक उर्वरक और रासायनिक तत्वों का प्रयोग करना पड़ रहा है. आज कृषि विज्ञान जो गोबर अथवा बायो-खाद और बायो-उत्पाद की निरंतर बात कर रहा है वह इसी वजह से कर रहा है कि लगातार बढ़ रही मानवीय आवादी के पालन-पोषण के लिए निरंतर बंजर हो रही भूमि की उर्वरा शक्ति कैसे बढ़ाई जाए.
प्रदेश के हर जिले में कलेक्टर के संज्ञान में है पशुपालन एवं पशु संवर्धन समिति
जिला स्तरीय समितियों की यदि बात किया जाए तो गौधन और पशुधन के पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के हर जिले में विशेष निगरानी समितियों का गठन होता है जो सदैव जिला कलेक्टर के संज्ञान में रहता है. जिला कलेक्टर यदि चाहे तो या की मनरेगा की उप योजना अंतर्गत अथवा पशुपालन विभाग द्वारा तीन-चार पंचायतों के बीच में आवारा गौवंशों की सुरक्षा और किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए बजट का आवंटन करवा कर इस समस्या का दीर्घकालीन समाधान कर सकता है. परन्तु यह सब इच्छाशक्ति और योजनायों के सही क्रियान्वयन पर निर्भर करता है. आज यह जिले में भली भांति विदित है की पशु चिकित्सा विभाग की मदद से कई पंचायतों में गौ संवर्धन केंद्र बनाने बाबत बजट दिया गया था परन्तु वह सब भ्रष्ट्राचार की बलि चढ़ गया. क्या यह सब देखने वाला कोई नहीं है? आखिर क्या जिला कलेक्टर के संज्ञान में यह बातें नहीं हैं? क्या किसानों की आवारा पशुओं सम्बन्धी समस्या जो किसी न किसी माध्यम से रोज ही मीडिया में छाई रहती है जिला प्रशासन अथवा प्रदेश स्तर पर ज्ञात नहीं है? सबको सब कुछ ज्ञात है, मात्र आवश्यकता है उसके सही क्रियान्वयन की और समस्या के उचित निराकरण की.
संलग्न – 1) नीचे अवैध बांडो में कैद पशुओं के देखें संलग्न यूट्यूब विडियो जो की पशुओं के विरुद्ध अत्याचार और क्रूरता को दर्शाते हैं. 2) इसी विषय में अवैध बांडो के लिए गए फोटोग्राफ जिनमे कुछ पशु मृत पड़े हैं तो कुछ मरने की कगार पर खड़े हैं.
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Shivanand Dwivedi,
Mob - 07869992139,
09589152587,
Rewa, madhya Pradesh,
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