Friday, February 17, 2017

(Rewa, MP) यज्ञस्थली कैथा में कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई श्रीमद गौ भागवत कथा, कल दिनांक 18 से होगा पारायण और प्रवचन


दिनांक – 17/02/2017
स्थान –  (रीवा, मप्र)


यज्ञस्थली कैथा में कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई श्रीमद गौ भागवत कथा, कल दिनांक 18 से होगा पारायण और प्रवचन

(गढ़/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति अर्थात ब्रह्म एक है दूसरा नहीं. इस प्रकार समस्त स्थावर जंगम श्रृष्टि में एक वही परमेश्वर व्याप्त है. किसी भी जीव को अधार्मिक तरीके से क्षति पहुचाना उसकी हत्या करना ईश्वर के स्वरुप को ही नुकसान पहुचाना है ऐसा भारतीय संस्कृति का मूल ध्येय है. अहिंसा सिद्धांत क पीछे का यही दर्शन है की क्योंकि सर्वत्र ईश्वर ही विद्यमान है अतः किसी जीव को मारना ईश्वर के सिद्धांत के विपरीत है.

गाय सभी संपत्तियों का घर है

चलिए गौवंशों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो अथर्ववेद में कहा गया है कि धेनु सदनम रयीणम – अर्थात गाय संपत्तियों का घर है (अथर्ववेद). वास्तव में अक्षरसः सत्य है. चलिए यदि  धार्मिक दृष्टि से थोड़ा हट के भी बात करें तो वैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टि से प्राचीन समय से ही भारतीय कृषि गौवंश आधारित थी. जहाँ गाय से दुग्ध उत्पाद और गोबर प्राप्त होता था, वहीँ बैलों द्वारा किसान हल चलाकर कृषि कार्य करना, कोल्हू में लगाकर तेल उत्पादन करना, और बैलगाड़ी आदि में चलाकर अपना मशीनरी कार्य और भार ढोने में किया करता था. यदि पशु अथवा गौवंश न होते तो मानव का जीवन समाप्त हो सकता था. क्योंकि दुग्ध उत्पाद से लेकर कृषि तक के सभी कार्य असंभव बन जाते. इसीलिए ईश्वर की वाणी समझे जाने वाले चारों वेदों में से एक महत्वपूर्ण वेद अथर्ववेद में कहा गया है की गाय संपत्तियों का घर है. गाय कामधेनु है. पौराणिक ग्रंथों में कामधेनु को समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ बताया गया है. सभी कामनाओं को पूरा करने वाली अर्थात कामधेनु.

  
कैथा में कलश यात्रा का कार्यक्रम हुआ संपन्न परायण अगले दिन से

इसी गौ अर्थात गाय के महत्व और भारतीय संस्कृति में इसके अविस्मर्णीय योगदान पर एक बार पुनः प्रकाश डालते इस वर्ष 2017 के महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित होने वाले गौ भागवत कथा का कलस यात्रा का कार्यक्रम आज दिनांक 17 फरवरी को संपन्न हुआ. इस बीच क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु एकत्रित हुए. सात कन्याओं ने अपने शिर पर सात कलस और जलती हुई दीप प्रज्वलित कर कैथा श्री हनुमान मन्दिर प्रांगण से कलश लेकर कैथा के ही प्राचीन देवी मंदिर तक यात्रा किया. प्राचीन शारदा देवी मंदिर से होते हुए कलश यात्रा ग्राम कैथा के ही रिटायर्ड अध्यापक भैयालाल पाण्डेय के श्री शिवजी के मंदिर एवं बीएसएफ से रिटायर हुए निरीक्षक बुद्धसेन पटेल के घर में बने श्री देवी दुर्गा मंदिर से होकर पुनः श्री हनुमान मंदिर प्रांगण वापस लौटी.  
इस बीच कलस पुनः अपने मूल स्थान श्री हनुमान मन्दिर में स्थापित किये गए और दिनांक 18 फरवरी को वेदी में स्थापित किये जाकर उनका पूजन और प्रतिष्ठा के साथ गौ भागवत कथा का पारायण और प्रवचन आचार्य श्री के मुखारविंद से किया जायेगा जो सतत 24 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलता रहेगा.    

!!! सादर धन्यवाद !!!

संलग्न – प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण कैथा की कुछ तस्वीरें. धर्मार्थ समिति कैथा का लोगो.
             

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Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
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