दिनांक – 26/02/2017
स्थान – (रीवा, मप्र)
अवैध बाड़ों में गौवंशों की करुण पुकार पहुची दिल्ली तक - श्रीमती मेनका गाँधी जी के आदेश पर कलेक्टर ने गठित की एसडीएम और डिप्टी डायरेक्टर पशु चिकित्सा विभाग की संयुक्त टीम
(गढ़/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) दिनांक 24 फरवरी महाशिरात्रि के दिन भगवान् शिव के वाहक नंदी की माता श्री गौमाता की अवैध बाड़ों में हो रही हत्याओं की करुण पुकार जब श्रीमती मेनका गाँधी जी के कार्यालय नई दिल्ली तक पहुची तो वहां से कलेक्टर रीवा को फ़ोन कर तत्काल पुनः एक जांच टीम का गठन कर संयुक्त टीम में एसडीएम मनगवां के पी पाण्डेय और डिप्टी डायरेक्टर पशु-चिकित्सा विभाग रीवा को सम्बंधित अमलों के साथ भेज दिया गया. जांच के दौरान आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को भी मोबाइल फ़ोन के माध्यम से कॉल करके घटना स्थल पर हिनौती के पास पाण्डेय ढाबा में बुलवाया गया.
श्रीमती मेनका गाँधी जी का कलेक्टर रीवा को अल्टीमेटम – तत्काल जांच कर करो कार्यवाही
जाँच के दौरान एस डी एम के पी पाण्डेय द्वारा बताया गया की यह जांच टीम केन्द्रीय मंत्री एवं पशु कल्याण विभाग की अध्यक्ष श्रीमती मेनका गाँधी जी सहित दर्ज़नों विभागों को एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा भेजे गए दर्ज़नों ईमेल जिसमे की थाना गढ़ अंतर्गत हिनौती, सोनवर्षा, हर्दी-अटरिया, लौरी, गंतीरा-कटरा, एवं लोटनी के अवैध बाड़ों की फोटो विडियो सहित सबूत के तौर पर भेजे गए साक्ष्यों पर कार्यवाही के फलस्वरूप है. श्रीमती मेनका गाँधी जी सहित अन्य विभागों को भेजे गए साक्ष्यों फोटो, विडियो आदि में दिखाए गए इंटरव्यू आदि में कई दर्ज़नों गायें बाड़ों में भूंख प्यास से बिना किसी छत्र-छाया के मृत पाए गए थे.
इस जांच के विषय में आवेदक को भी श्रीमती मेनका गाँधी जी के कार्यालय से प्राप्त ईमेल में यह जानकारी भेजी गयी थी की गौवंशों के प्रति हो रही प्रताड़ना के विषय में कलेक्टर से भी मैडम की बात की गयी थी जिसके फलस्वरूप कलेक्टर ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था और तीन दिवश के अन्दर जांच प्रतिवेदन मागा था.
गौ-अभयारण्य के लिए 1300 एकड़ से अधिक का शासकीय भूभाग उपलब्ध
इस प्रकार दिनांक 24 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन जांच हुई और जांच के दौरान आवेदक को भी घटनास्थल पर बुलाया गया. जांच में आवेदक से गौवंशों के प्रताड़ना में किये गए कार्य के विषय में जानकारी चाही गयी. आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने गौवंशों की सुरक्षा के लिए देश के उच्चतम कार्यालयों तक भेजे गए अपनी मांग और आवेदन जिसमे की सिरमौर तहसील अंतर्गत हिनौती हल्का 39 के गदही नामक स्थान में 1300 एकड़ से अधिक के शासकीय भूभाग में गौ-अभयारण्य बनाए जाने की बात कही गयी है, इस बात से भी कलेक्टर रीवा द्वारा भेजे गए दो सदस्यीय जांच दल को अवगत कराया गया. इस बीच आवेदक द्वारा कलेक्टर रीवा, पशुपालन एवं पशुसंवर्धन विभाग भोपाल, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया चेन्नई, चीफ सेक्रेटरी मप्र शासन भोपाल, एवं डीजीपी भोपाल मप्र शासन को भी भेजे गए विभिन्न आवेदनों की प्रतिलियाँ सौंपीं.
हिनौती हल्का के गदही में गौ अभयारण्य बनाया जाना
गौवंशों के लिए साबित होगी एक नवनीत पहल
इस प्रकार जांच लगभग दो घंटे के आसपास चली जिसमे आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता की भी बाड़ों के विषय में मंशा चाही गयी. इस पर सामाजिक कार्यकर्ता का स्पष्ट कहना था की ऐसे निराकरण निकाले जाने चाहिये जिसमे पशुओं के साथ क्रूरता भी न हो और साथ ही किसानों को भी नुकसान न हो. इस प्रकार तात्कालिक रूप से सभी अवैध बाड़ों में कैद पशुओं को सर्वप्रथम जिले एवं प्रदेश की गौशालाओं में पहुचाया जाना चाहिए जहाँ पर इनका इलाज़ एवं पोषण होना चाहिए जिससे अत्यंत कमज़ोर हो चुके गौवंशों की जाने बचाई जा सके और साथ ही भविष्य में गौवंशों की प्रताड़ना को रोकने और किसानों के हित की रक्षा के लिए हिनौती हल्का 39 के गदही नामक ग्राम/स्थान पर 1300 एकड़ से अधिक के शासकीय और अनुपयोगी भूभाग पर विशाल गौ अभयारण्य बनाया जाना चाहिए. ऐसा बनाया जाने वाला अभयारण्य न सिर्फ गौवंशों की सुरक्षा, पालन, पोषण एवं इलाज़ के लिए एक नवनीत पहल होगी बल्कि इस प्रकार बने गौ अभयारण्य से बायो-खाद उत्पादन, बायो-कीटनाशक, दुग्ध उत्पाद, एवं रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी जिससे लगातार रासायनिक खादों, एवं कीट नाशकों के हो रहे निरंतर प्रयोग से बंजर पड़ चुकी धरती से की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाई जा सकेगी.
सभी जांचें मात्र कागजों पर - यथार्थ में अब तक कहीं कुछ भी नहीं
वहरहाल जब तक इन पशुओं के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जाती तब तक यह सभी जांचें मात्र कागजों पर ही सीमित रह जाएँगी. यह कोई अकेली जांच नहीं है जो आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों से हो रही है. इसके पहले भी लगभग हर माह उच्चस्तरीय दो तीन जांचें होती रही हैं परन्तु कोई भी जांच का अब तक सार्थक निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. सभी अवैध बाड़े ज्यों के त्यों अपने स्थानों पर बने हुए हैं और उनमे कैद गौवंशों की निरंतर मौतें जारी हैं. मानकों की बात तो छोंड ही दें, इन मूक बेजुवान पशुओं के लिए न कोई चारा, न कोई भूषा, न ही किसी समुचित छाया की व्यवस्था बनाई गयी है. स्थिति इतनी दुखदायी है की आँखों से अंशु प्रवाहित हो चलें. शायद भगवान् के अतिरिक्त इस धरती पर इन मूक बेजुवानों की दुर्दशा को देखने सुनने वाला कोई नहीं बचा है. और जहाँ तक भगवान् का प्रश्न है तो शायद उसने तो इन पशुओं को इस पशुविक योनी में ही इसलिए कलयुग में भेजा है की के यह इसी तरह अपने पूर्व जन्मों के कर्म संस्कारों का बुरा फल भोगें. जहाँ तक मानव द्वारा इनकी निरंतर की जा रही प्रताड़ना का प्रश्न है तो कहना यह होगा की मानव अपने कुकर्मों और दुष्कर्मों से भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्म के अनुसार यह सब गौहत्या आदि घृणित कृत्या करके अपने जन्मों को और अधिक विगाड़ रहा है. जिस हिन्दू सनातन संस्कृति में गौवंशों की पूजा माता समझ कर की जाती रही है उसकी यदि आज यह दुर्दशा है तो यह सम्पूर्ण भारतीय इतिहास के स्वर्ण पन्नों पर घोर कालिख तो है ही इन मानव के रूप में राक्षसों की भी अंतिम स्थिति को ही दर्शाता है. संभवतः मानव का पतन इस कलयुग में इससे अधिक और कितना हो पायेगा यह देखना होगा. शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि गौमांस भक्षण और जीव हत्या के साथ ऐसा भी समय आएगा जब यह पतित मानव स्वयं मानव की ही मांस भक्षण प्रारंभ कर देगा. कैनिबल अर्थात मानव-मांस भक्षी होकर व्यक्ति स्वयं शास्त्रों में वर्णित राक्षस हो जायेगा. फिर इस धरती पर दस मुख, बीस हाँथ आदि वाले राक्षस ढूँढने की जरूरत किम्व्दंतियों में न पड़ेगी सब कुछ साक्षात् ही दिखने लगेगा.
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Sincerely Yours,
Shivanand Dwivedi
(Social, Environmental, RTI and Human Rights Activists)
Village - Kaitha, Post - Amiliya, Police Station - Garh,
Tehsil - Mangawan, District - Rewa (MP)
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