Saturday, February 25, 2017

(Rewa, MP) श्रीमती मेनका गाँधी जी का कलेक्टर रीवा को अल्टीमेटम – तत्काल जांच कर करो कार्यवाही


दिनांक – 26/02/2017
स्थान –  (रीवा, मप्र)


अवैध बाड़ों में गौवंशों की करुण पुकार पहुची दिल्ली तक - श्रीमती मेनका गाँधी जी के आदेश पर कलेक्टर ने गठित की एसडीएम और डिप्टी डायरेक्टर पशु चिकित्सा विभाग की संयुक्त टीम

(गढ़/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) दिनांक 24 फरवरी महाशिरात्रि के दिन भगवान् शिव के वाहक नंदी की माता श्री गौमाता की अवैध बाड़ों में हो रही हत्याओं की करुण पुकार जब श्रीमती मेनका गाँधी जी के कार्यालय नई दिल्ली तक पहुची तो वहां से कलेक्टर रीवा को फ़ोन कर तत्काल पुनः एक जांच टीम का गठन कर संयुक्त टीम में एसडीएम मनगवां के पी पाण्डेय और डिप्टी डायरेक्टर पशु-चिकित्सा विभाग रीवा को सम्बंधित अमलों के साथ भेज दिया गया. जांच के दौरान आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी को भी मोबाइल फ़ोन के माध्यम से कॉल करके घटना स्थल पर हिनौती के पास पाण्डेय ढाबा में बुलवाया गया.

श्रीमती मेनका गाँधी जी का कलेक्टर रीवा को अल्टीमेटम – तत्काल जांच कर करो कार्यवाही

जाँच के दौरान एस डी एम के पी पाण्डेय द्वारा बताया गया की यह जांच टीम केन्द्रीय मंत्री एवं पशु कल्याण विभाग की अध्यक्ष श्रीमती मेनका गाँधी जी सहित दर्ज़नों विभागों को एनिमल राइट्स एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा भेजे गए दर्ज़नों ईमेल जिसमे की थाना गढ़ अंतर्गत हिनौती, सोनवर्षा, हर्दी-अटरिया, लौरी, गंतीरा-कटरा, एवं लोटनी के अवैध बाड़ों की फोटो विडियो सहित सबूत के तौर पर भेजे गए साक्ष्यों पर कार्यवाही के फलस्वरूप है. श्रीमती मेनका गाँधी जी सहित अन्य विभागों को भेजे गए साक्ष्यों फोटो, विडियो आदि में दिखाए गए इंटरव्यू आदि में कई दर्ज़नों गायें बाड़ों में भूंख प्यास से बिना किसी छत्र-छाया के मृत पाए गए थे.  
   इस जांच के विषय में आवेदक को भी श्रीमती मेनका गाँधी जी के कार्यालय से प्राप्त ईमेल में यह जानकारी भेजी गयी थी की गौवंशों के प्रति हो रही प्रताड़ना के विषय में कलेक्टर से भी मैडम की बात की गयी थी जिसके फलस्वरूप कलेक्टर ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया था और तीन दिवश के अन्दर जांच प्रतिवेदन मागा था. 

गौ-अभयारण्य के लिए 1300 एकड़ से अधिक का शासकीय भूभाग उपलब्ध

    इस प्रकार दिनांक 24 फरवरी महाशिवरात्रि के दिन जांच हुई और जांच के दौरान आवेदक को भी घटनास्थल पर बुलाया गया. जांच में आवेदक से गौवंशों के प्रताड़ना में किये गए कार्य के विषय में जानकारी चाही गयी. आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता ने गौवंशों की सुरक्षा के लिए देश के उच्चतम कार्यालयों तक भेजे गए अपनी मांग और आवेदन जिसमे की सिरमौर तहसील अंतर्गत हिनौती हल्का 39 के गदही नामक स्थान में 1300 एकड़ से अधिक के शासकीय भूभाग में गौ-अभयारण्य बनाए जाने की बात कही गयी है, इस बात से भी कलेक्टर रीवा द्वारा भेजे गए दो सदस्यीय जांच दल को अवगत कराया गया. इस बीच आवेदक द्वारा कलेक्टर रीवा, पशुपालन एवं पशुसंवर्धन विभाग भोपाल, एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया चेन्नई, चीफ सेक्रेटरी मप्र शासन भोपाल, एवं डीजीपी भोपाल मप्र शासन को भी भेजे गए विभिन्न आवेदनों की प्रतिलियाँ सौंपीं.

हिनौती हल्का के गदही में गौ अभयारण्य बनाया जाना
गौवंशों के लिए साबित होगी एक नवनीत पहल

     इस प्रकार जांच लगभग दो घंटे के आसपास चली जिसमे आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता की भी बाड़ों के विषय में मंशा चाही गयी. इस पर सामाजिक कार्यकर्ता का स्पष्ट कहना था की ऐसे निराकरण निकाले जाने चाहिये जिसमे पशुओं के साथ क्रूरता भी न हो और साथ ही किसानों को भी नुकसान न हो. इस प्रकार तात्कालिक रूप से सभी अवैध बाड़ों में कैद पशुओं को सर्वप्रथम जिले एवं प्रदेश की गौशालाओं में पहुचाया जाना चाहिए जहाँ पर इनका इलाज़ एवं पोषण होना चाहिए जिससे अत्यंत कमज़ोर हो चुके गौवंशों की जाने बचाई जा सके और साथ ही भविष्य में गौवंशों की प्रताड़ना को रोकने और किसानों के हित की रक्षा के लिए हिनौती हल्का 39 के गदही नामक ग्राम/स्थान पर 1300 एकड़ से अधिक के शासकीय और अनुपयोगी भूभाग पर विशाल गौ अभयारण्य बनाया जाना चाहिए. ऐसा बनाया जाने वाला अभयारण्य न सिर्फ गौवंशों की सुरक्षा, पालन, पोषण एवं इलाज़ के लिए एक नवनीत पहल होगी बल्कि इस प्रकार बने गौ अभयारण्य से बायो-खाद उत्पादन, बायो-कीटनाशक, दुग्ध उत्पाद, एवं रोजगार सृजन में भी मदद मिलेगी जिससे लगातार रासायनिक खादों, एवं कीट नाशकों के हो रहे निरंतर प्रयोग से बंजर पड़ चुकी धरती से की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाई जा सकेगी.

सभी जांचें मात्र कागजों पर - यथार्थ में अब तक कहीं कुछ भी नहीं

वहरहाल जब तक इन पशुओं के लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जाती तब तक यह सभी जांचें मात्र कागजों पर ही सीमित रह जाएँगी. यह कोई अकेली जांच नहीं है जो आवेदक एवं सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों से हो रही है. इसके पहले भी लगभग हर माह उच्चस्तरीय दो तीन जांचें होती रही हैं परन्तु कोई भी जांच का अब तक सार्थक निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. सभी अवैध बाड़े ज्यों के त्यों अपने स्थानों पर बने हुए हैं और उनमे कैद गौवंशों की निरंतर मौतें जारी हैं. मानकों की बात तो छोंड ही दें, इन मूक बेजुवान पशुओं के लिए न कोई चारा, न कोई भूषा, न ही किसी समुचित छाया की व्यवस्था बनाई गयी है. स्थिति इतनी दुखदायी है की आँखों से अंशु प्रवाहित हो चलें. शायद भगवान् के अतिरिक्त इस धरती पर इन मूक बेजुवानों की दुर्दशा को देखने सुनने वाला कोई नहीं बचा है. और जहाँ तक भगवान् का प्रश्न है तो शायद उसने तो इन पशुओं को इस पशुविक योनी में ही इसलिए कलयुग में भेजा है की के यह इसी तरह अपने पूर्व जन्मों के कर्म संस्कारों का बुरा फल भोगें. जहाँ तक मानव द्वारा इनकी निरंतर की जा रही प्रताड़ना का प्रश्न है तो कहना यह होगा की मानव अपने कुकर्मों और दुष्कर्मों से भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्म के अनुसार यह सब गौहत्या आदि घृणित कृत्या करके अपने जन्मों को और अधिक विगाड़ रहा है. जिस हिन्दू सनातन संस्कृति में गौवंशों की पूजा माता समझ कर की जाती रही है उसकी यदि आज यह दुर्दशा है तो यह सम्पूर्ण भारतीय इतिहास के स्वर्ण पन्नों पर घोर कालिख तो है ही इन मानव के रूप में राक्षसों की भी अंतिम स्थिति को ही दर्शाता है. संभवतः मानव का पतन इस कलयुग में इससे अधिक और कितना हो पायेगा यह देखना होगा. शास्त्रों में तो यह भी कहा गया है कि गौमांस भक्षण और जीव हत्या के साथ ऐसा भी समय आएगा जब यह पतित मानव स्वयं मानव की ही मांस भक्षण प्रारंभ कर देगा. कैनिबल अर्थात मानव-मांस भक्षी होकर व्यक्ति स्वयं शास्त्रों में वर्णित राक्षस हो जायेगा. फिर इस धरती पर दस मुख, बीस हाँथ आदि वाले राक्षस ढूँढने की जरूरत किम्व्दंतियों में न पड़ेगी सब कुछ साक्षात् ही दिखने लगेगा.

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Sunday, February 19, 2017

(Rewa, MP) कैथा में गो भागवत का चौथा दिवश- मातरः सर्वभूतानांगावः अर्थात गाय समस्त प्राणियों की माता है


दिनांक – 19/02/2017
स्थान –  (रीवा, मप्र)


कैथा में गो भागवत का चौथा दिवश- मातरः सर्वभूतानांगावः
अर्थात गाय समस्त प्राणियों की माता है

(गढ़, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) दिनांक 17 फरवरी से गो भागवत कथा का जो पावन प्रवचन प्रारंभ हुआ वह सतत चल रहा है. दिनांक 20 फरवरी दिन सोमवार के प्रवचन में आचार्य श्री चंद्रमणि पयासी जी महाराज के मुखारविंद से अविरल प्रवाहित हो रहे प्रवचन में गाय को समस्त प्राणियों की माता बताया गया अर्थात मातरः सर्वभूतानांगावः यानि गाय समस्त प्राणियों की माता है. इसीलिए भारतीय संस्कृति में उत्पन्न हुए और पनपे सभी साधक जैसे शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, जैन, बौद्ध, शिख, आदि सभी भारतीय धर्म-सम्प्रदायों में थोड़ी बहुत पूजा भिन्नता होते हुए भी उनके मूल में गोमाता के प्रति आदर भाव और सम्मान भरा हुआ है.

भारतीय संस्कृति में गाय को माता कहकर इसीलिए संबोधित किया गया है क्योंकि गाय सभी दिव्य गुणों की स्वामिनी है, खान है, और पृथ्वी पर साक्षात् देवी के समान है इसीलिए इसे कामधेनु भी अर्थात सभी धर्म विहित कामनाओं की पूर्ति करने वाली है ऐसा कहकर संबोधित किया गया है. सनातन धर्म ग्रंथों में कहा गया है की सर्वेदेवाःस्थितादेहेसर्वदेवमयीहिगौ: अर्थात गाय की देह में सभी देवी देवताओं का वास हुआ चित्रण किया गया है इसीलिए संस्कृत भाषा में इसे सर्वदेवमयीहि कहा गया है. संसार के अति प्राचीनतम ग्रंथों वेदों में गाय की महत्वा और विशेषता का वर्णन कई शूक्तियों में मिलता है. 
गो महिमा के वर्णन में आगे आया की इनके गोबर में साक्षात् लक्ष्मी, गोमूत्र में भवानी, चरणों के अग्रभाग में आकाश में विचरण करने वाले देवता, गोमाता के रंभाने की आवाज़ में प्रजापति और इनके थनों में समुद्र प्रतिष्ठित है. ऐसी मान्यता है की जो व्यक्ति प्रातः स्नान करके गो स्पर्श करता है, वह पापों से मुक्त हो जाता है. भविष्यपुराण, स्कन्दपुराण, ब्रह्माण्डपुराण, महाभारत आदि ग्रंथों में गोमाता के अंग प्रत्यंग की विशेषताओं और देवी देवताओं की स्थिति का विस्तृत वर्णन आया है.

कामधेनु नंदिनी, गुरु वशिष्ठ एवं विश्वामित्र कथानक

इसी प्रवचन में आगे वसिष्ठ गुरु की कामधेनु नंदिनी का किस्सा चल रहा है जिसमे एक बार महोदया के राजा एवं गाधी पुत्र विश्वरथ जब युध्य क्षेत्र से लौट रहे थे तो गुरु वशिष्ठ जी के आश्रम रुकते हैं. गुरु वशिष्ठ जी की धर्मपत्नी ने बड़े ही आदर सत्कार के साथ विश्वरथ एवं उनकी थकी भूखी सेना का स्वागत किया. यह सब देख कर विश्वरथ आश्चर्य चकित होकर गुरु वशिष्ठ से पूंछते हैं की हमारी इतनी बड़ी सेना का सत्कार अकेले आपने कैसे कर लिया? आखिर आपके इस छोटे से आश्रम में इतनी बड़ी सेना के लिए व्यवस्था कैसे बन पाई. इस पर गुरु वशिष्ठ और उनकी धर्मपत्नी कामधेनु नंदिनी का पूरा किस्सा महोदया के राजा विश्वरथ को बता देते हैं. इस पर विश्वरथ मन में नंदिनी को प्राप्त करने की लालसा लिए वहां से चले जाते हैं. कुछ समय पश्चात जब देश में घोर अकाल पड़ता है तो अन्न दाने के लिए तरसती महोदया राज्य की जनता के लिए कहीं से कोई व्यवस्था न बन पाने से परेशान होकर राजा विश्वरथ अपने मंत्रियों को गुरु वशिस्ठ के आश्रम भेजकर कामधेनु नंदिनी को लाने के लिए भेजते हैं. इस पर गुरु वशिष्ठ मंत्रियों को आश्रम की गाय नंदिनी पर किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है  इस प्रकार बताकर वापस कर देते हैं. गुरु वशिष्ठ जी का कहना ठीक था की देश में घोर अकाल महोदया के राजा विश्वरथ की अति महत्वकांक्षी प्रवृत्ति और अनायास कुसमय युध्य छेड़ने से पड़ा है इसके लिए महोदय के राजा ही जिम्मेदार हैं. हिंसात्मक प्रवृत्ति से अधर्म प्रवृत्ति बढ़ने से अकाल सूखा की स्थिति निर्मित हुई है. यदि नंदिनी विश्वरथ को दे दी जाती है तो वह आश्रम की संपत्ति का अपमान होगा जिससे आश्रम में निवासरत हजारों छात्र और ऋषि-मुनि की व्यवस्था कैसे से हो पायेगी. क्योंकि नंदिनी कामधेनु गाय थी जो सभी धर्मविहित मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली थी जिसके फलस्वरूप आश्रम में कभी कोई वस्तु की कमी नहीं पड़ती थी. आगे चलकर गुरु वशिष्ठ एवं राजा विश्वरथ में तकरार बढती है और विश्वरथ स्वयं तपोवल हासिल कर माता गायत्री के वरदान से विश्वरथ से महर्षि विश्वामित्र कहलाये. यह कहानी आगे चल रही थी.

!!! सादर धन्यवाद !!!

संलग्न – प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण कैथा की कुछ तस्वीरें. धर्मार्थ समिति कैथा का लोगो.
             

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Friday, February 17, 2017

(Rewa, MP) यज्ञस्थली कैथा में कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई श्रीमद गौ भागवत कथा, कल दिनांक 18 से होगा पारायण और प्रवचन


दिनांक – 17/02/2017
स्थान –  (रीवा, मप्र)


यज्ञस्थली कैथा में कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई श्रीमद गौ भागवत कथा, कल दिनांक 18 से होगा पारायण और प्रवचन

(गढ़/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति अर्थात ब्रह्म एक है दूसरा नहीं. इस प्रकार समस्त स्थावर जंगम श्रृष्टि में एक वही परमेश्वर व्याप्त है. किसी भी जीव को अधार्मिक तरीके से क्षति पहुचाना उसकी हत्या करना ईश्वर के स्वरुप को ही नुकसान पहुचाना है ऐसा भारतीय संस्कृति का मूल ध्येय है. अहिंसा सिद्धांत क पीछे का यही दर्शन है की क्योंकि सर्वत्र ईश्वर ही विद्यमान है अतः किसी जीव को मारना ईश्वर के सिद्धांत के विपरीत है.

गाय सभी संपत्तियों का घर है

चलिए गौवंशों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो अथर्ववेद में कहा गया है कि धेनु सदनम रयीणम – अर्थात गाय संपत्तियों का घर है (अथर्ववेद). वास्तव में अक्षरसः सत्य है. चलिए यदि  धार्मिक दृष्टि से थोड़ा हट के भी बात करें तो वैज्ञानिक और आर्थिक दृष्टि से प्राचीन समय से ही भारतीय कृषि गौवंश आधारित थी. जहाँ गाय से दुग्ध उत्पाद और गोबर प्राप्त होता था, वहीँ बैलों द्वारा किसान हल चलाकर कृषि कार्य करना, कोल्हू में लगाकर तेल उत्पादन करना, और बैलगाड़ी आदि में चलाकर अपना मशीनरी कार्य और भार ढोने में किया करता था. यदि पशु अथवा गौवंश न होते तो मानव का जीवन समाप्त हो सकता था. क्योंकि दुग्ध उत्पाद से लेकर कृषि तक के सभी कार्य असंभव बन जाते. इसीलिए ईश्वर की वाणी समझे जाने वाले चारों वेदों में से एक महत्वपूर्ण वेद अथर्ववेद में कहा गया है की गाय संपत्तियों का घर है. गाय कामधेनु है. पौराणिक ग्रंथों में कामधेनु को समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ बताया गया है. सभी कामनाओं को पूरा करने वाली अर्थात कामधेनु.

  
कैथा में कलश यात्रा का कार्यक्रम हुआ संपन्न परायण अगले दिन से

इसी गौ अर्थात गाय के महत्व और भारतीय संस्कृति में इसके अविस्मर्णीय योगदान पर एक बार पुनः प्रकाश डालते इस वर्ष 2017 के महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित होने वाले गौ भागवत कथा का कलस यात्रा का कार्यक्रम आज दिनांक 17 फरवरी को संपन्न हुआ. इस बीच क्षेत्र के सैकड़ों श्रद्धालु एकत्रित हुए. सात कन्याओं ने अपने शिर पर सात कलस और जलती हुई दीप प्रज्वलित कर कैथा श्री हनुमान मन्दिर प्रांगण से कलश लेकर कैथा के ही प्राचीन देवी मंदिर तक यात्रा किया. प्राचीन शारदा देवी मंदिर से होते हुए कलश यात्रा ग्राम कैथा के ही रिटायर्ड अध्यापक भैयालाल पाण्डेय के श्री शिवजी के मंदिर एवं बीएसएफ से रिटायर हुए निरीक्षक बुद्धसेन पटेल के घर में बने श्री देवी दुर्गा मंदिर से होकर पुनः श्री हनुमान मंदिर प्रांगण वापस लौटी.  
इस बीच कलस पुनः अपने मूल स्थान श्री हनुमान मन्दिर में स्थापित किये गए और दिनांक 18 फरवरी को वेदी में स्थापित किये जाकर उनका पूजन और प्रतिष्ठा के साथ गौ भागवत कथा का पारायण और प्रवचन आचार्य श्री के मुखारविंद से किया जायेगा जो सतत 24 फरवरी महाशिवरात्रि तक चलता रहेगा.    

!!! सादर धन्यवाद !!!

संलग्न – प्राचीन श्री हनुमान मंदिर प्रांगण कैथा की कुछ तस्वीरें. धर्मार्थ समिति कैथा का लोगो.
             

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Thursday, February 16, 2017

(Rewa, MP) जिले भर के अवैध बाड़ों में गौवंशों के मौत का खेल बदस्तूर जारी - शासन-प्रशासन सोया चिरनिद्रा


दिनांक: 16/02/2017, स्थान: रीवा मप्र


दिनांक 15 फरवरी को हिनौती पंचायत के पाण्डेय ढाबा के पास बने अवैध बाड़े में भूंख प्यास से हुई कुछ और गौवंश की मौत

(गढ़/गंगेव/कांकर, रीवा मप्र – शिवानन्द द्विवेदी) गौवंशों के लिए जिले में बनाए गए अवैध बाड़ों में स्थितियां सुधरने की कगार पर बिलकुल ही नहीं दिखतीं. कारण स्पष्ट है की जब तक इन अवैध बाड़ों को नष्ट ध्वस्त का हटाया नहीं जाएगा तो भला स्थितियां क्या अपने आप ही सुधर जाएँगी?
आये दिन रोज़ जिले के सभी अवैध बाड़ों में बिना चारा पानी, भूषा, और छाया के बेजुबान गौवंशों की तड़प-तड़प कर मौत का शिलसिला निरन्तर जारी है जिसे देखने वाला न तो कोई शासन प्रशासन है और न ही कोई समाज और उसके ठेकेदार. आज स्थिति यह हो चुकी है की गौवंशों के लिए तथाकथित फसल सुरक्षा के नाम पर बनाए गए यह अवैध बाड़े किसी बूचड़ खाने से ज्यादा भयावह स्थिति में नज़र में आते हैं. जिस प्रकार विश्व युध्य के दौरान यूरोप में नाजियों और उनके समर्थकों के द्वारा यहूदियों को प्रताड़ित करने और मारने के उद्येश्य से घेटो और गैस-कैंप बनाये गए थे जहाँ यहूदियों को मरने के लिए छोंड दिया जाता था, ठीक उसी तरह पूरे रीवा जिले और यहाँ तक की प्रदेश में जगह-जगह पर अवैध तरीके से कानून को ताक पर रखकर अवैध बाड़े बनाए गए हैं जिनमे किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था न तो इस समाज और न ही शासन-प्रशासन द्वारा की गयी है लिहाज़ा रोज़ ही गौवंश भूंख प्याश से तड़प-तड़प कर मर रहे हैं और इस आस ए हैं की शायद कोई तो आकर इन्हें बचाए. पर भला इस कलयुग में अब कृष्ण कहाँ जो आततायियों को अपने चक्र सुदर्शन से छड़ों में नष्ट कर देते और धर्म की पुनः स्थापना करते. पर भले ही कृष्ण सदेंह न हों पर भारत का संविधान तो है जिसमे इन पशुओं को भी कुछ तो अधिकार प्राप्त हैं जो कानूनी तौर पर लागू होने चाहिए. अब प्रश्न यह उठता है की इन अधिकारों को इन कानूनों को लागू तो शासन प्रशासन को ही करवाना है न?

यह कोई पहली बार नहीं है की मीडिया में गौवंशों की प्रताड़ना की बाते आ रही हैं. पिछले कई महीनों से ठण्ड प्रारंभ होते ही नवम्बर माह से लगातार अवैध बाड़ों में मरने वाले मवेशियों की खबरें मीडिया में निरन्तर आती रही हैं और कई बार ईमेल, लिखित, मोबाइल, दूसरे कम्युनिकेशन के माध्यम से शासन-प्रशासन के समक्ष रखी गयीं थी परन्तु मजाल क्या है की सिर्फ कागज़ी घोड़ों के अतिरिक्त इस देश-प्रदेश के शासन-प्रशासन के कान तक जूं भी रेंग पाई हो.
दुर्भाग्य है इस देश और समाज का की जिन गौवंशों का सरोकार सीधे भारतीय संस्कृति से हैं आज भारतीय जनता पार्टी जैसे अपने आपको हिन्दूवादी पार्टी बताने वाली पार्टी और अन्य दुनिया भर के हिंदूवादी संगठन और यह सरकार गौवंशों के लिए क्या कुछ कर रही है आज यह पूरे समाज में विदित हो चुका है. श्री शिवराज सिंह चौहान और श्री नरेंद्र मोदी जी कृपया देखने का कष्ट करें की क्या आपकी पार्टी के शासन काल में गौवंशों की यही दुर्दशा होगी? देखना यह भी होगा की कहीं इन बेजुबान गौवंशों पर हो रही राजनीति से यह तथाकथित हिंदूवादी संगठन और पार्टियाँ गौवंशों के श्राप से भस्मीभूत होकर सदैव के लिए ही न विलुप्त हो जाएँ. क्योंकि यदि ह्रदय और इमानदारी से गौवंशों की सुरक्षा के लिए प्रयास न किये गए तो ईश्वर भी इन्हें माफ़ न कर पायेगा.      


संलग्न – हिनौती के पास बनाए गए अवैध बाड़े के पास कल दिनांक 15 फरवरी को मृत पड़े कुछ मवेशी और साथ में बिना किसी चारा पानी के कमज़ोर और मरने की कगार पर अन्य गौवंश के छायाचित्र.


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